बलौदा बाजार

धान कटाई में देरी, अब फसलों में माहो और मकड़ी कीट का प्रकोप
09-Nov-2025 9:59 PM
धान कटाई में देरी, अब फसलों में माहो और मकड़ी कीट का प्रकोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 9 नवंबर।
 दिवाली के बाद भी जिले में धान कटाई कार्य में अपेक्षित तेजी नहीं आ पा रही हैं। बेमौसम बारिश और मजदूरों की भारी कमी के कारण खेतों में फसल खड़ी रह गई हैं। आमतौर पर नवंबर के पहले सप्ताह तक जिले में 50 फीसदी से अधिक धान की कटाई हो जाती है लेकिन इस साल मात्र 25 प्रतिशत खेतों में ही कटाई हो पाई हैं। धान कटाई में हो रही देरी के कारण अब फसलों में माहो और मकड़ी कीट का प्रकोप भी बढऩे लगा है जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई हैं।
दशहरा पर्व के बाद क्षेत्र में धान कटाई का सिलसिला शुरू हो जाता हैं। जहां किसान तीन प्रकार की धान फसले बोते हैं अरली मीडियम और लेट वैरायटी सामान्यत: अरली वैरायटी की फसल दशहरा तक पक कर तैयार हो जाती हैं और उसके बाद कटाई शुरू हो जाती हैं। लेकिन इस वर्ष नवरात्र दशहरा और उसके बाद तक लगातार बारिश होने के कारण कटाई में विलंब हुआ। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक जिले में मात्र चार से पांच प्रतिशत धान की कटाई हो पाई थी।
मजदूरों की अनुपलब्धता ने स्थिति को और कठिन बना दिया। कई गांव में अब तक केवल कुछ ही किसानों के पास फसल की कटाई कर पाई हैं। वही 15 नवंबर से धान खरीदी की शुरू होनी है जिससे किसानों पर कटाई का दबाव बढ़ गया हैं।
अधिक बारिश के कारण कई खेतों में फसल गिर गई हैं जिससे उत्पादन पर असर पड़ रहा हैं। साथ ही माहो और मकड़ी कीट का प्रकोप भी तेजी से फैल रहा हैं। ये कीट धान की बालियों का रस चूस कर उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। ग्राम खपरी के किसान राजकमल वर्मा ने बताया कि उनकी 12 एकड़ में से करीब 30 फीसदी फसल माहो के प्रकोप से प्रभावित हैं। वहीं ग्राम केसला के किसान बृजलाल साहू ने कहा कि 10 एकड़ में से ढाई एकड़ फसल गिरने से खराब ब हो गई हैं।
तत्काल कीटनाशक डालें कृषि विशेषज्ञ
वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदीप कश्यप ने बताया कि धान फसल में माहो और मकड़ी कीट का प्रकोप देखा जा रहा हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि प्रभावित फसलों में तत्काल कीटनाशक छिडक़ाव कर उपज करें। डॉक्टर कश्यप ने कहा कि अब मौसम खुलने लगा हैं इसलिए उम्मीद है कि आगामी दिनों में कटाई कार्य में तेजी आएगी। कुल मिलाकर बेमौसम बारिश मजदूरों की बढ़ते खर्च और कीट प्रकोप ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खरीदी की तारीख नजदीक आने के बावजूद बड़ी संख्या में खेतों में अभी फसल खड़ी हैं जिससे किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही हैं।
मजदूर नहीं मिल रहे है
शहर के आसपास के गांव में मजदूरों की भारी कमी हैं। लोग दूसरी जगह या मनरेगा योजनाओं में काम करना पसंद कर रहे हैं। पिछले वर्ष महिला मजदूरों को 200 दैनिक मजदूरी मिलती थी जिसे इस वर्ष पढक़र 250 से 300 कर दिया गया हैं। वहीं पुरुष मजदूरों की मजदूरी 300 से बढक़र 400 कर दी गई है फिर भी मजदूर नहीं मिल रहें।
हार्वेस्टर का किराया 3500 तक पहुंचा
धान कटाई के लिए कई किसान हार्वेस्टर मशीनों का सहारा लेते हैं लेकिन इस बार इनका किराया भी बढ़ गया हैं। पिछले वर्ष जहां हार्वेस्टर का किराया 3000 से 3200 प्रति घंटा था। वही इस वर्ष यह बढक़र 3500 तक पहुंच गया हैं। इसके अलावा कई खेत पगडंडियों का अंदरूनी इलाकों में स्थिर होने के कारण हार्वेस्टर वहां तक नहीं पहुंच पाते।


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