बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाज़ार, 4 नवंबर। बलौदाबाज़ार जिले के पलारी ब्लॉक के जोराडबरी गांव में हिरण का बच्चा भटकते भटकते पहुंच गया। गनीमत रही कि हिरण के बच्चे पर कुत्तों की नजर नहीं पड़ी। अपनी मां से बिछुड़ा हिरण का बच्चा खेत में ग्रामीण को मिला। ग्रामीण ने हिरण के बच्चे को सुरक्षित वहां से उठाया और अपने साथ ले आया। हिरण को पानी पिलाने के बाद उसे सुरक्षित जंगल की सीमा पर छोड़ दिया। जिस युवक ने हिरण के बच्चे की जान बचाई वो रोहांसी नगर पंचायत का वार्ड पार्षद है।
खेत में मिला हिरण का बच्चा
रविवार की सुबह लगभग 8.30 बजे अजय ध्रुव रोज की तरह अपने खेत की ओर निकले थे। उनका खेत धमनी जंगल की सीमा से सटा हुआ है। खेत में पहुंचते ही उनकी नजऱ जमीन पर हो रही हलचल पर पड़ी। अजय ने पास जाकर देखा तो मिट्टी में सिमटा हुआ एक नन्हा हिरण का बच्चा कांप रहा था। शायद वह अपनी मां से बिछड़ गया था और रातभर डर के साये में वहीं छिपा रहा।
अजय ने बताया कि पहले तो लगा कोई छोटा जानवर होगा, लेकिन पास जाकर देखा तो वह हिरण का बच्चा था. अजय के मुताबिक वह बहुत डरा हुआ था और उसके शरीर पर कीचड़ लगा था। अजय ने बताया कि अगर कुत्तों की नजर हिरण के बच्चे पर पड़ जाती तो उसकी मौत निश्चित थी।
अजय, वार्ड पार्षद का कहना है- मैंने खेत के आस पास देखा कि कहीं मादा हिरण या हिरणों का झुंड तो नहीं है. जब वहां कोई और हिरण नहीं दिखा तो मैं हिरण के बच्चे को लेकर बाइक से जंगल की ओर गय। धमनी जंगल के भीतरी हिस्से में हिरणों के झुंड अक्सर दिखाई देते हैं. मैंने वहां हिरण के बच्चे को छोड़ दिया. उम्मीद है कि हिरण का बच्चा अपनी मां से मिल गया होगा।
धमनी जंगल में हैं हिरणों के झुंड
धमनी जंगल पलारी ब्लॉक के प्रमुख हरित क्षेत्रों में से एक है, जहां अक्सर हिरण, खरगोश, मोर और जंगली सूअर देखे जाते हैं. अजय ध्रुव ने बताया, मैंने बच्चे को जंगल के भीतर उस दिशा में छोड़ा जहां अक्सर हिरण देखे जाते हैं. उसे खुले इलाके में छोडऩा सही नहीं था, इसलिए थोड़ा अंदर जाकर पेड़ों की ओट में छोड़ा. कुछ देर रुककर देखा तो वह धीरे-धीरे झाडिय़ों के बीच गायब हो गया।
गांव वालों ने की तारीफ
अजय के इस कदम की जानकारी गांव में फैलते देर नहीं लगी। ग्रामीणों ने जब सुना कि किसी ने हिरण के बच्चे को सुरक्षित जंगल में छोड़ा है, तो सबने उसकी सराहना की. गांव के बुजुर्गों ने कहा कि पहले के समय में लोग ऐसे ही जंगल से जुड़े रहते थे, लेकिन अब ऐसे उदाहरण कम देखने को मिलते हैं.
वन विभाग को दी सूचना, अधिकारियों ने जताया आभार
अजय ध्रुव ने घटना की जानकारी पलारी वन विभाग को भी दी. वन विभाग को बताया कि उसका खेत धमनी जंगल के दायरे में आता है और यहां अक्सर हिरणों का झुंड दिखाई देता है. सूचना मिलने पर विभाग ने क्षेत्रीय गश्त दल को उस इलाके में भेजा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चा सुरक्षित है और आसपास कोई शिकार का खतरा नहीं है. वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि अजय ध्रुव का यह कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा, कई बार जंगली जानवर ग्रामीण इलाकों तक पहुंच जाते हैं और लोग उन्हें नुकसान पहुंचा देते हैं, लेकिन अजय जैसे लोग इस संवेदना को बचाए हुए हैं। यह एक अच्छा संदेश है कि हर व्यक्ति को वन्यजीवों के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
महेंद्र ध्रुव, ग्रामीण का कहना है-पहले के समय में लोग जानवरों को परिवार का हिस्सा मानते थे. अब लोग डर या लालच में उन्हें नुकसान पहुंचा देते हैं. अजय ने जो किया है, उससे हमारे बच्चों को सीख मिलेगी कि इंसानियत सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है।
ललिता बाई, ग्रामीण, जोराडबरी का कहना है-हमारी संस्कृति में भी वनदेवी और वन्य जीवों की पूजा होती है। अजय ने वही परंपरा निभाई है।
वन विभाग की अपील
हाल के वर्षों में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब जंगली जानवर गांवों की ओर आ जाते हैं और लोग डर के मारे उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. इसी वजह से वन विभाग बार-बार ग्रामीणों से अपील करता है कि अगर किसी जंगली जानवर का बच्चा दिखाई दे, तो उसे न छेड़ें और न पालें. उसे उसके प्राकृतिक स्थान पर छोडऩा ही सही तरीका है।


