बलौदा बाजार

बलौदाबाजार के वामन टिकरिहा को मिलेगा डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार
03-Nov-2025 3:33 PM
बलौदाबाजार के वामन टिकरिहा को मिलेगा डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 3 नवंबर। बलौदाबाजार जिले के मुसवाडीह गांव के प्रगतिशील किसान वामन टिकरिहा का नाम राज्य स्तरीय डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार के लिए चयनित हुआ है। यह पहला अवसर है जब बलौदाबाजार जिले से किसी किसान को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिलने जा रहा है।

प्राकृ तिक खेती ही भविष्य है

करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित मुसवाडीह गांव में वामन टिकरिहा ने पिछले तीन दशकों में खेती को नया आयाम दिया है।

वे कहते हैं — यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि उन सभी किसानों का है जो मिट्टी में सोना उगाने का सपना देखते हैं। आधुनिक तकनीक अपनाना ज़रूरी है, लेकिन अपनी जड़ों से जुड़ाव भी उतना ही आवश्यक है। प्राकृतिक खेती ही भविष्य है।

वामन टिकरिहा वर्ष 1990 से खेती कर रहे हैं और वर्ष 2001 से प्राकृतिक खेती को अपनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। लगभग 25 वर्ष के संघर्ष और प्रयोगों के बाद उन्हें यह सम्मान प्राप्त हो रहा है।

खुद कर रहे नवाचार, सरकार से भी मांग

खेती के साथ वामन टिकरिहा ने 1 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की व्यावसायिक खेती शुरू की है। वे अमरूद, नींबू, अदरक, जिमीकंद, आम, बेर और करौंदा जैसी फसलों को वैज्ञानिक पद्धति से उगाते हैं। विशेष बात यह है कि उन्होंने बेर की 8 उन्नतशील किस्में, अमरूद की 5 किस्में और करौंदा की 2 किस्में लगाई हैं। उन्होंने सरकार से उम्मीद जताई कि ग्रामीण इलाकों में कृषि अनुसंधान केंद्रों की पहुंच और प्रशिक्षण बढ़ाया जाए, ताकि किसान नई तकनीक से सीधे जुड़ सकें।

उनका कहना है कि—धान और गेहूं के साथ उद्यानिकी फसलों को अपनाने से सालभर आमदनी बनी रहती है और जमीन का उपयोग अधिक प्रभावी होता है।

मछली पालन और पशुपालन से बढ़ी आमदनी

वामन टिकरिहा के खेतों में 1 हेक्टेयर का तालाब है जिसमें वे रोहू, कतला और मृगल मछलियों का पालन करते हैं, जिससे उन्हें सालाना 2 लाख रुपये से अधिक की आय होती है। इसके अलावा वे 5 गाय, 10 बकरी और 10 बतखों का पालन भी करते हैं। पशुपालन से मिलने वाले गोबर और गौमूत्र का उपयोग वे जीवामृत और घनजीवामृत जैसे जैविक उत्पाद बनाने में करते हैं।

अलसी से कपड़ा बनाने की अनोखी पहल

वामन टिकरिहा ने अलसी की खेती से आगे बढ़ते हुए उसके डंठलों से लिनेन रेशा निकालकर कपड़ा निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है। वे इन उत्पादों को बेमेतरा जिले में विक्रय करते हैं। उनका उद्देश्य है — जीरो वेस्ट फार्मिंग मॉडल को बढ़ावा देना, जहाँ खेती के हर हिस्से का उपयोग हो।

जैविक किसान समूह से जुड़ाव

वे मां लक्ष्मी जैविक कृषक समूह से जुड़े हैं और इसके माध्यम से जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नास्त्र जैसे प्राकृतिक उत्पाद घर पर ही तैयार करते हैं। इससे उनकी खेती की लागत में लगभग 40 फीसदी तक कमी आई है।

राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड मिले

किसान वामन टिकरिहा ने न केवल अपने जिले में बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है। वे रायपुर में आयोजित फल और पुष्प प्रदर्शनी में लगातार भाग लेते हैं। उन्होंने बेर उत्पादन में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार और मिर्ची उत्पादन में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया है। राष्ट्रीय आम महोत्सव, रायपुर में वे अपने आम और आम से बने उत्पादों की प्रदर्शनी भी करते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र और जिला उद्यानिकी विभाग के अधिकारी उनके फार्म को डेमो मॉडल फार्म के रूप में पेश करते हैं. कई कृषि विद्यार्थी उनके खेत में जाकर इंटर्नशिप और प्रशिक्षण भी करते हैं।

 

क्या है डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार

यह छत्तीसगढ़ सरकार का सर्वोच्च कृषि सम्मान है, जो उन किसानों को दिया जाता है जिन्होंने खेती, नवाचार, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान दिया हो। पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, शॉल, श्रीफल और 2 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

 परिवार और समुदाय में उत्साह

वामन टिकरिहा की पत्नी माधुरी टिकरिहा कहती हैं — शुरुआत बहुत कठिन थी, कई बार बीज बोने के लिए उधार लेना पड़ता था। आज लगता है कि भगवान ने हमारी मेहनत देख ली। उनके पुत्र निखिल टिकरिहा ने कहा —पापा कहते हैं कि खेती पढ़ाई से अलग नहीं है, दोनों में समझ जरूरी है। उनके पुरस्कार से मुझे गर्व हो रहा है। जिला कृषि विभाग के उपसंचालक दीपक कुमार नायक ने कहा —यह सम्मान पूरे बलौदाबाजार जिले के लिए गर्व का क्षण है। वामन टिकरिहा का आत्मनिर्भर खेती मॉडल प्रेरणादायक है।

जिला पंचायत सीईओ दिव्या अग्रवाल ने भी कहा — वामन टिकरिहा का उदाहरण आने वाले समय में युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करेगा। 


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