बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 21 सितंबर। शहर के चर्चित सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग के मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं। खास बात यह है कि पुलिस ने इस मामले में दर्ज चार एफआईआर में जिस व्यक्ति को सरकारी गवाह बना रखा था, वह ही इस खेल का बड़ा खिलाड़ी नजर आने लगा है। वह जिला अस्पताल में कैंटीन का काम करता था। नए तथ्यों का पता तब चला, जब पांचवी एफआईआर हुई और उससे पूछताछ की गई।
पांचवी एफआईआर सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ एक सहायक ग्रेड 2 कर्मचारियों ने लगभग पखवाड़े भर पहले करवाई थी। सूत्रों से यह भी पता चला कि यह खेल कोरोनाकाल से चल रहा था। जिसमें कई बड़े लोगों को ब्लैकमेल किया गया।
आरोपी प्रधान आरक्षक को नहीं मिली जमानत, अब तक नौ आरोपी गिरफ्तार
इधर, इस मामले में पिछले 21 दिनों से जेल में बंद प्रधान आरक्षक अंजोर सिंह मांझी के जमानत आवेदन को भी शुक्रवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश राकेश वर्मा की अदालत ने निरस्त कर दिया। आरोपी प्रधान आरक्षक अंजोर सिंह मांझी 30 अगस्त से जेल में बंद है। पुलिस ने इस मामले में नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मामले में एक महिला हीराकाली बंजारे अभी फरार है।
वहीं एक महिला जिसका नाम एफआईआर दर्ज में आरोपी के रूप में है। उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही पुलिस ने फरार बताया है।
हालांकि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने जोर देकर कहा ्िक आरोपी कोई भी हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
डॉक्टर की मौत संदेह के दायरे में
पूछताछ में सामने आया कि हनीट्रैप का जाल कोरोना कल से चल रहा था। इसके चक्कर में फंसकर एक डॉक्टर की भी संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। उससे भी 50 लाख रुपए की मांग की गई थी, नहीं तो वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई थी। बताया जा रहा है कि तनाव में डॉक्टर ने उसी रात इंसुलिन की ओवरडोज ले ली थी। शव के आसपास इंसुलिन के चार-पांच खाली सीरीज मिले थे। डॉक्टर की मौत कोरोना से होना बताया गया था।