बलौदा बाजार
वन विभाग पर्यावरण दिवस मनाता रहा, इधर बार नवापारा के जंगल में जलाए जाते रहे पेड़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 7 जून। बारनवापारा जंगल के हरे भरे पेड़ों पर ग्रहण लग रह है। स्थिति यह है कि एक तरफ पेड़ों की जड़ में आग लगाकर उन्हें खोखला किया जा रहा है और विभाग पर्यावरण दिवस मनाने में व्यस्त हैं। अब तक कई हरे भरे पेड़ इसकी भेट चढ़ चुके हैं। इसमें से कुछ पेड़ सूखकर गिर गए हैं।
कुछ लोग सोची समझी साजिश के तहत पेड़ों के तने में आग लगाकर उन्हें खोखला कर रहे हैं। पेड़ खोखला होकर स्वत: गिर जाता है। ऐसे कई पेड़ बारनवापारा जंगल में तुरतुरवा बफरा के पहले भी भिमभोरी के आसपास के क्षेत्र में पड़े हुए हैं। यहां कई पेड़ सुलगते हुए दिखे। इस पर वन मंडल जिला अधिकारी मयंक अग्रवाल का कहना है कि जांच करवाता हूं। हरे-भरे पेड़ों को जलाकर खत्म करने की जानकारी नहीं है।
सडक़ चौड़ीकरण के लिए दी थी हजारों पेड़ों की बलि
वर्ष 2016-17 में जब सडक़ निर्माण का कार्य चल रहा था। इस दौरान 11386 पेड़ों की बलि चढ़ दी गई। मात्र बलौदाबाजार से लवन कसडोल बलौदाबाजार रायपुर व बलौदा बाजार से भाटापारा मार्ग पर ही चौड़ीकरण के दौरान इस मार्ग के 3 हजार से अधिक पेड़ काट दिए गए जिसके ऐवज में उतने ही पेट ठेकेदार को रोपना था। सडक़ बन जाने के करीब चार वर्ष बाद सडक़ किनारे अवांछित बाबुल ही दिखते हैं।
6685 हेक्टेयर में 6 लाख 85329 पौधे रोपे गए
बलौदाबाजार जिले का कुल क्षेत्रफल 4748.44 वर्ग मीटर है जिसमें करीब 1185 वर्ग मीटर वन मंडल का रकबा है मगर पेड़ों की अधाधुन कटाई व संबंधित विभाग की उदासीनता के चलते वृक्षों की संख्या लगातार काम हो रही है।
जानकारी के अनुसार विगत वर्ष 2022-23 में विभागीय कैंम्पा क्षतिपूर्ति वनीकरण रेलकॉरिडोर और औषधि रोपण अतिक्रमण व्यवस्थापन के बदले वृक्षारोपण तथा मनरेगा रामवनगमन पथ रोपण जैसी योजना के तहत करोड़ खर्च कर कल 685 हेक्टेयर में 6 लाख 85329 पौधे लगाए गए लेकिन धरातल पर उन्हें पौधे दिखाई नहीं पड़ते। हालांकि प्रशासन का दावा है कि साढे 6 लाख पौधे अभी जीवित हैं मगर वे पेड़ कहां है। अगर वे पौधे ही जीवित व सुरक्षित रहते तो क्षेत्र में हरियाली बढ़ जाती।
रीवासरार में बरसों से हो रही अवैध कटाई
कसडोल तहसील सबसे अधिक वनांच्छदित है जिसमें जिले का 875.27 हेक्टेयर वन क्षेत्र है। इसी विकासखंड के रीवासरार गांव में हरियाली की हत्या किस तरह की गई वह इस गांव की तस्वीर देखकर समझ में समझ में आता है।
गांव में लगे बड़े-बड़े पेड़ों की बरसाों से अवैध कटाई की जा रही है और हैरानी बात है कि गांव के लोग 2005 से इसकी शिकायत कलेक्टर, एसडीएम, एसडीओ, मंत्री तक को कर चुके हैं, पर 16 साल में अवैध कटाई पर रोक लगाना तो दूर आज तक कोई भी अधिकारी इस क्षेत्र में देखने तक नहीं पहुंचा और यहां के ईंट भ_ा संचालकों ने 30 से 40 लाख रुपए के पेड़ काट काटकर र्इंटों की भ_ियों में झोंक दिए गए।


