बलौदा बाजार
दमकल गाडिय़ों में हाइड्रोलिक सिस्टम नहीं, ऊंची इमारतों की आग बुझाने में कठिनाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 12 मई। इन दिनों तेज गर्मी पड़ रही है और जिले में आग लगने की दुर्घटनाएं आम हो गई है। 2024 के बीते साढ़े तीन माह में ही जिले में 24 आगजनी की दुर्घटनाएं घट चुकी है।
शहर में अग्निशमन स्टेशन की आग लगने जैसी घटना से निपटने के लिए वर्तमान व भविष्य की तैयारी की पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि यहां तैनात कर्मचारियों की संख्या आधे से भी कम है। वहीं शहर से इसकी दूरी 12 किलोमीटर है। अगर जिला मुख्यालय के किसी हिस्से में आग बुझाने के काम में दमकल कर्मी निकलते हैं तो पहुंचने के पहले ही आग अपना काम कर चुकी होती है।
इसका ताजा उदाहरण 24 मार्च को मंडी रोड स्थित गणेश ट्रेडर्स में लगी आग है, जहां फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले ही सब कुछ खाक हो चुका था। विभाग के पास उपलब्ध 5 गाडिय़ों में से एक मल्टीपरपज श्रेणी व एक वाटर टैंकर श्रेणी की दमकल है। सभी दमकल गाड़ी ठीक है। मगर इसमें से किसी में भी हाइड्रोलिक सिस्टम नहीं है।
बीते 5 साल में कितनी दुर्घटनाएं हुई वर्ष आग की घटना
2020 24
2021 95
2022 79
2023 78
2024 24 14 अप्रैल तक
वैकल्पिक व्यवस्था के लिए हाइड्रोलिक ट्रॉली का सहारा
फायर ब्रिगेड विभाग आग लगने की घटना में जरूरत पडऩे पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नगर पालिका से हाइड्रोलिक ट्राली मंगवाते हैं। यह भी 25 से 30 फीट तक ही ऊपर जा सकता है। नगर पालिका इससे स्ट्रीट लाइट लगाने के काम में इस्तेमाल करती है। इसके अलावा रस्सी आदि की मदद फायर ब्रिगेड वाले लेते हैं।
फायर कर्मियों के अनुसार इसमें काफी रिस्क रहता है। आग बुझाने के लिए कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डाली, तब जाकर आग पर काबू पाया गया। एक फायर कर्मी ने बताया कि हाइड्रोलिक सिस्टम नहीं होने से सीढी मांगते हैं।
सिर्फ तीन मंजिल इमारत में आग बुझा सकते हैं
ऐसे में फायर सिस्टम को भी एडवांस होने की जरूरत है ताकि ऊंचाई पर आग लगने की घटना में हमारा सिस्टम फेल न हो इन दमकलों से सिर्फ तीन मंजिल इमारतों की ही आग बुझाई जा सकती है। यानी देखें तो इससे ज्यादा ऊंचाई पर आग लगी तो उसे पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।
हर दमकल गाड़ी में पांच कर्मियों की जरूरत
इन सब के बीच यहां स्टाफ भी काम है। जो वाहन उपलब्ध है, इसके लिए 25 कर्मचारियों की जरूरत है लेकिन अभी सिर्फ 12 स्टॉफ ही है। यानी हर गाड़ी पर जरूर से आधे स्टाफ से भी कम की ड्यूटी लगाई जाती है। बारिश बाढ़ जैसी आपदाओं में इन्हीं दमकल कर्मचारियों को झोंक दिया जाता है। यही नहीं अग्निशमन विभाग का कार्यालय शहर से 12 किलोमीटर दूर अमेरा में है लिहाजा नगर में किसी आगजनी की दुर्घटना होने पर जब फायर ब्रिगेड वाहन मौके पर पहुंचता है तब तक सब कुछ स्वाहा हो चुका होता है।
कार्यालय के लिए पैसे मिले, सही जगह नहीं मिली
जिला सेनानी एवं अग्निशमन अधिकारी एचडी विश्वकर्मा ने बताया कि कार्यालय के लिए एक करोड़ 20 लख रुपए की राशि स्वीकृत हो चुकी हैं। अगर समय पर जमीन चिन्हांकित कर नहीं दी गई तो शासन से मिली राशि भी लैप्स हो जाएगी। हाइड्रोलिक सिस्टम वाले फायर ब्रिगेड की डिमांड भेजी गई है लेकिन शासन स्तर पर अभी इसकी मंजूरी नहीं मिली है। एक दमकल गाड़ी में ड्राइवर को मिलाकर पांच कर्मचारी होने चाहिए, जो फिलहाल नहीं है।


