बलौदा बाजार
तीन पीडि़त आदिवासी महिलाओं ने सप्ताह भर पूर्व लगाई थी गुहार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 12 अगस्त। श्रम विभाग की योजना राशि को फर्जी बैंक खाता खोलकर कूटरचना कर गबन के मामले में अब तक जुर्म दर्ज नहीं हुआ है। ज्ञात हो कि तीन पीडि़त आदिवासी महिलाओं ने सप्ताह भर पूर्व गुहार लगाई थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा ने उक्त मामले में आवश्यक जांच कराकर जल्द अपराध पंजीबद्ध कराकर कार्रवाई कराये जाने का आश्वासन दिया।
जिला श्रम विभाग बलौदाबाजार के संबंध में सप्ताह भर पूर्व एक बड़ा मामला सामने आया था, जिसमें कूटरचना कर छल-धोखे से अनुदान राशि गबन करने की शिकायत मुख्यालय के समीप एक ही गांव कोलियारी की तीन पीडि़त आदिवासी महिला तीजन बाई ध्रुव, रम्हीन ध्रुव, टिकेश्वरी ध्रुव ने की है।
तीनों पीडि़त महिलाओं ने राज्यपाल, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं उच्च अधिकारियों के समक्ष शपथ पत्र सहित शिकायत पत्र दे कर मामले में कार्रवाई किये जाने सहित अवगत कराया था कि उनके स्व. पति के नाम से श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीयन था जिसके अंतर्गत मृत्यु होने पर मृतक की नॉमिनी को एक लाख रूपये की अनुदान राशि मिलती है। पति की मृत्यु होने पर योजना का लाभ लेने पीडि़त महिलाएं अपने-अपने हिसाब से संयुक्त कलेक्टर कार्यालय बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंची थी, जहां उनकी मुलाकात श्रम निरीक्षक से हुई।
पीडि़तों का कहना है कि उक्त श्रम निरीक्षक ने ही उन्हें ग्राम रवान निवासी मीना वर्मा से परिचय कराया कि यह श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती हैं और मीना वर्मा ही आपको योजना का लाभ दिला सकती हैं। श्रम निरीक्षक ने सारे दस्तावेज मीना वर्मा के पास जमा करने को कहा और जैसा मीना वर्मा कहेगी वैसा ही करने को कहा गया था। पीडि़तों के शिकायत पत्र अनुसार श्रम निरीक्षक के मार्गदर्शन में उन्होंने सारे दस्तावेज मीना वर्मा को सौंप दिये थे, कुछ दिनों बाद मीना वर्मा अपनी सहेली रुखमणी वर्मा जो समीप ग्राम करमदा में रहती है उनके यहां पीडि़तों को बुलाकर ऑनलाईन आवेदन के नाम पर अपने साथ लाये लैपटॉप कंप्यूटर मशीन में अंगूठे का निशान भी लिया था। पीडि़त महिलाएं जब भी श्रम विभाग के श्रम निरीक्षक एवं एजेंट मीना वर्मा से सम्पर्क कर अनुदान राशि की स्वीकृति के बारे में पूछती थीं तो उक्त दोनों ही व्यक्ति कोई ना कोई बहाना बना कर हमें वापस भेज देते थे।
हाल ही में जब बड़ी मुश्किल मदद के बाद सभी पीडि़तों को ऑनलाईन के माध्यम से पता चला कि दिनांक- 20.10.2021 को यानि 21 माह पूर्व ही सभी की राशि स्वीकृत होकर बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा भाटापारा के खाते में चली गई है, जबकि पीडि़तों का कहना है कि हमने कभी भी उक्त बैंक में खाता नहीं खुलवाया। पीडि़तों के शिकायत पत्र अनुसार वे खुद परेशान हैं कि बिना उनकी सहमति से आखिर बैंक में खाता खुला कैसे फिलहाल पीडि़त सभी आदिवासी महिलाओं ने अपराध पंजीबद्ध कर दंडात्मक कार्रवाई सहित योजना की उक्त गबन राशि लौटाने की भी मांग शपथ पत्र सहित शिकायत पत्र में लिखित में कर न्याय की गुहार कर रही है। जिस पर पुलिस ने अब तक एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की है।
उक्त संबंध में जिला श्रम पदाधिकारी आजाद सिंह पात्रे का कहना है कि प्रार्थीगण पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज कराएं, पुलिस कार्यवाही में ही सच सामने आएगा कि आखिर बिना सहमति के खाता खुला कैसे? और कौन-कौन लिप्त है उनका नाम भी सामने आएगा।
उक्त संबंध में मीना वर्मा से पूछे जाने पर बताया गया कि श्रम विभाग में वो पहले एजेंट के रूप में काम करती थी, अब नहीं करती हैं, और केवल श्रम निरीक्षक मंडलेश्वर सर को एवं ग्राम करमदा निवासी रूखमणी वर्मा को जानती हूं, वहीं मीना वर्मा के द्वारा शिकायतकर्ता तीनों प्रार्थियों को वो निजी तौर से नहीं जानने की बात कही गई है।
वही उक्त संबंध में प्रार्थी टिकेश्वरी ध्रुव ने प्रेस के पास रूखमणी वर्मा से मोबाईल आदि की रिकॉर्डिंग सौंपी है, जिसमेंं बातचीत दौरान रूखमणी वर्मा ने मीना मैडम से मिलाना स्वीकार करते हुए बताया कि जब योजना की राशि आई तो मीना मैडम ने उन्हें भी नहीं बताया और अब शिकायत होने पर मैडम ने बताया कि उन्होंने उक्त राशि को गांव की ही अन्य महिलाओं के हाथों सभी प्रार्थियों के पास योजना राशि नगद भेजी थी, किन्तु उक्त महिलाओं ने अब तक राशि नहीं दी, इसलिए मैडम का इसमें कोई दोष नहीं। रखमणी वर्मा ग्राम करमदा से उक्त संबंध में जानने का प्रयास किया गया, किंतु लगातार उनका मोबाईल बंद बता रहा है।


