बलौदा बाजार

ढाई सौ से भी अधिक कॉलोनियों में से 28 ही पंजीकृत
06-Mar-2023 2:53 PM
ढाई सौ से भी अधिक कॉलोनियों में  से 28 ही पंजीकृत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 6 मार्च।
जिला मुख्यालय के अलावा तहसील मुख्यालयों के शहरी क्षेत्र की सीमा से लगे जमीन पर अवैध प्लाटिंग का कार्य अर्से से जारी है। जिले में 250 से भी अधिक कॉलोनियां हैं, जिसमें ग्राम एवं नगर निवेश विभाग अंतर्गत 28 आवासीय कॉलोनियां पंजीकृत है, इसमें से 5 कॉलोनाईजर ने अभी तक विकास समिति विभाग से नहीं लिया है। 

नगर पालिका क्षेत्र बलौदा बाजार अंतर्गत केवल 6 कॉलोनियां ही पंजीकृत हैं। जिसमें से 2 आवासीय कॉलोनियों की अनुमति बलौदा बाजार में नगर निवेश प्रारंभ होने के पूर्व रायपुर से प्रदान किया गया था। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक कॉलोनी नगर पालिका व नगर निवेश क्षेत्र अंतर्गत स्थित है। जिसमें कॉलोनाइजर्स द्वारा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराए जाने के चलते यहां निवासरत कॉलोनीवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। ऐसे कॉलोनाइजर्स पर नगर निवेश विभाग भरपूर मेहरबान है। यदा-कदा ही अवैध कॉलोनाइजर्स को नोटिस देकर व इक्का-दुक्का कार्यवाही कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर दिया जा रहा है। नगर निवेश विभाग बलौदा बाजार से प्राप्त जानकारी के अनुसार बलौदा बाजार नगर पालिका क्षेत्र के अलावा इससे लगे ग्रामों में 21 कॉलोनियां पंजीकृत हैै। वहीं भाटापारा जैसे बड़े नगर पालिका क्षेत्र के केवल 7 कॉलोनियों समेत जिले में कुल 28 कॉलोनियां ही पंजीकृत है। इसमें से बलोदा बाजार नगर पालिका में कान्हा विहार, कृष्णा कॉलोनी, समृििद्ध, प्रतिष्ठा, सृष्टि एवं विनायकम कॉलोनियां ही पंजीकृत हैं। इसके अलावा जिला में घोषित निवेश क्षेत्रों में धड़ल्ले से कॉलोनियों का निर्माण अवैध तरीके से किया जा रहा है। नगर निवेश का अमला शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहा है।

अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का दायित्व भी नगर पालिका पर  नगरपालिका बलौदाबाजार के अनुसार नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत केवल 6 कॉलोनियां ही यहां पंजीकृत है। जबकि अवैध कॉलोनियों व विकास क्षेत्र की जानकारी नहीं है। 

गौरतलब है कि शहर के बिल्डर व डिवेलपर आम जनों को बेहतर कॉलोनी का झांसा देकर अपनी भूमि विक्रय कर रहे। बाद में कॉलोनी में सडक़ नाली प्रकाश व्यवस्था की सुविधा उपलब्ध ना होने के चलते यहां के निवासियों को परेशान होना पड़ रहा है। इसमें से अधिकांश कॉलोनियों में सुविधा का दायित्व नगरपलिका ही उठा रही है। कार्रवाई के नाम पर लोगों को किया जा रहा है सुविधाओं से वंचित  नगर निवेश द्वारा शहर में अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्यवाही करने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं परंतु वास्तविक इससे परे है अक्सर कार्यवाई का शिकार ऐसे कॉलोनियों में प्लाट खरीद कर निवेश कर रहे लोगों को होना पड़ रहा है यहां कार्यवाही के नाम पर विभाग द्वारा सडक़ों नालियों आदि को जेसीबी की मदद से उखाड़ दिया जाता है। सोचनीय विषय है यदि ऐसे कॉलोनियों में निर्मित सडक़ें व नालियां अवैध हैं। तो इन कॉलोनियों में मकान निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र संबंधित कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को कैसे प्राप्त हो गया। 

यही नहीं इन कॉलोनियों के बकायदा विद्युत मीटर भी सीएसईबी द्वारा प्रदान किया गया है। जबकि भवन निर्माण व विद्युत कनेक्शन हेतु नगर पालिका की अनुमति की आवश्यकता होती है। यदि कॉलोनी अवैध थी तो यहां निर्मित होने वाले मकानों को उक्त अनुमति किसने प्रदान किया।

कॉलोनियों में योजना के लाभ से वंचित है ईडब्ल्यूएस वर्ग 

विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य नगरी निकाय रजिस्ट्रीकरण निर्बंधन तथा शर्तें नियम 2013 के प्रावधानों के अनुसार कॉलोनियां निर्माण के दौरान कॉलोनाइजर्स द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए संबंधित कॉलोनी में से 15 फीसदी हिस्सा आरक्षित रखेंगे। अथवा नगरी निकाय क्षेत्र को गरीबों के आवास बनाने के लिए प्रदान करेंगे। इसके अलावा 10 फीसदी हिस्सा ओपन एरिया अथवा गार्डन के रूप में सुरक्षित रखेंगे इन शर्तों के अधीन ही कॉलोनाइजर्स एक्ट के तहत कॉलोनी निकासी करने की अनुमति नगरी निकाय व नगर निवेश विभाग द्वारा प्रदान किया जाता हैै। 

जिला मुख्यालय में ऐसे कई अवैध कॉलोनाइजर्स हैं जिन्होंने कॉलोनाइजर्स एक्ट के तहत पंजीकरण ही नहीं कराया है। वही कई अवैध कॉलोनियों में भी इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा हैै। जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पूरी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
 नगर निवेश विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कॉलोनी में निवासरत लोगों को 120 वर्ग मीटर तक ही भूमि के नियमितीकरण की योजना प्रारंभ किया गया है। जिसमें नगरी निकाय क्षेत्र से बाहर होने पर नगर निवेश विभाग से आवश्यक प्रक्रिया पालन कर भूमि का निशुल्क नियमितीकरण कराया जा सकता है। इस योजना का लाभ जुलाई 2023 तक आमजन उठा सकते हैं। इसमें नक्शा वर्ग मीटर में ही बना होना अनिवार्य है।


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