बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 4 मार्च। देश में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने हर वर्ग के उपभोक्ता को प्रभावित किया है। परंतु इसका सर्वाधिक असर उज्जवला गैस कनेक्शन धारी उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है आलम यह है कि यह उपभोक्ता रसोई गैस खाना पकाने की बजाय पारंपरिक चूल्हों की ओर लौटने लगे हैं। शासन द्वारा इन्हें सब्सिडी में प्रदान किए गए। चूल्हा में बहुत से घरों में धूल खाते पड़े हुए हैं। इसके चलते उज्जवला योजना की चमक शनी शनी फीकी पड़ती जा रही पिछले 3 माह के दौरान ही 80 फीसदी से ज्यादा से अधिक उज्ज्वला उपभोक्ताओं ने सिलेंडर रिफिल करवाने में रुचि नहीं दिखाया है।
केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवार के महिलाओं के चेहरे पर खुशी लाने उन्हें पारंपरिक चूल्हों दुआ से भरी सिगडिय़ों आदि से मुक्ति दिलाने हेतु इस योजना को प्रारंभ किया गया था। इसके तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को रियायती दर पर एलपीजी गैस कनेक्शन सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2016 में इस योजना के प्रारंभ होने के दौरान इस वर्ग के उपभोक्ताओं में खासा उत्साह भी था।
उस दौरान रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 525-550 के करीब थी। जो वर्तमान में बढक़र 1175-1200 रुपए की लगभग हो चुकी है। एलपीजी परिवार के लिए बढ़ी कीमतों पर सिलेंडर को रिफिल करवाने मुश्किल होता जा रहा है। इसके चलते ऐसे अधिकांश उपभोक्ता इधन के रूप में लकड़ी फसल आवेश कंडो का उपयोग भोजन पकाने के लिए करने लगे हैं। जो उपभोक्ता इसका उपयोग करते हैं। वह भी आकस्मिक कार्य अथवा दूध चाय गर्म करने के लिए ही करते हैं जबकि बहुत से उपभोक्ताओं ने तो अपने झूल हैं वह सिलेंडर अन्य व्यक्तियों को बेच दिया है।
सब्सिडी में विलंब भी प्रमुख कारण
सरकार द्वारा सिलेंडर रिफिलिंग में दी जाने वाली सब्सिडी भी लगभग बंद कर दिया गया है टारगेट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत अपने उपभोक्ता को सिलेंडर रिफिलिंग कराना पड़ता है बाद में सब्सिडी की राशि उसके बैंक खाते में आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बहुत से उपभोक्ताओं के पास बैंक खाता नहीं है। यदि है भी तो केवाईसी अथवा अन्य कारणों से बंद पड़ा हुआ है।
मूल: उन्हें सब्सिडी की राशि भी नहीं मिल पाती है। इसके चलते भी इस योजना से उपभोक्ता दूर होते जा रहे हैं।
ग्राम मुंडा निवासी सुंदरीका बाई वर्मा ने बताया कि सिलेंडर की बढ़ती कीमतों की वजह से खाना पकाने हेतु वह लकड़ी छेना का उपयोग करने लगी है। केवल छोटे काम के लिए ही रसोई गैस का उपयोग करती है। और तीन-चार माह में सिलेंडर रिफलिंग करा पाती है। ग्राम रवन की प्रेमी ध्रुव, समुद्र ध्रुव, विमला, सविता यादव ने बताया कि बढ़ती महंगाई में जीवन यापन वैसे ही कठिन है। सिलेंडर की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से पिछले 1 वर्ष से उन्होंने रिप्रग बंद कर दिया है इसके चलते चूल्हा व सिलेंडर कमरे के कोने में धूल खाते हुए पड़े हैं।
खाद्य विभाग बलौदा बाजार से प्राप्त जानकारी के अनुसार बलोदा बाजार जिला में एलपीजी के कुल 281170 उपभोक्ता हैं। इसमें से 89 533 सामान्य तथा 191637 उज्जवला योजना कनेक्शन के उपभोक्ता हैं। यदि पिछले 3 माह के आंकड़ों पर गौर करें तो उपभोक्ताओं की इस योजना के प्रति रुचि दिखाई पढ़ती है। दिसंबर 2022 में जहां 22त्न उज्जवला उपभोक्ताओं ने सिलेंडर रिफिलिंग कराया वहीं जनवरी 2023 में 17 और फरवरी में केवल 16 फीसदी ही रिपेयर कराया यदि भविष्य में सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि जारी रही, तो ऐसे उपभोक्ताओं के आंकड़े में और भी कमी होने से इंकार नहीं किया जा सकता।