बलौदा बाजार

मंडी शुल्क वृद्धि का व्यापार पर गहरा असर, धान खरीदी भी बंद
17-Dec-2021 6:15 PM
मंडी शुल्क वृद्धि का व्यापार पर गहरा असर, धान खरीदी भी बंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 17 दिसंबर।
बलौदाबाजार विकासखंड भाटापारा राज्य में सरकार द्वारा धान खरीदी की परिपाटी प्रारंभ किये जाने के बाद से ही सुगंधित धान की पैदावर में जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है, क्योंकि किसानों का रुझान ज्यादा देखभाल एवं जोखिमयुक्त फसल सुगंधित धान की उपज तैयार करने के बजाय कम समय में अधिक पैदावार देने वाले मोटे धान की ओर बढ़ा है। इसके चलते देखते-देखते कभी सुगंधित धान की फसल से गुलजार रहने वाले क्षेत्रों से यह पैदावर एक तरह से विदा होती नजर आ रही है। ऐसे में किसी जमाने में देशभर में सुगंधित चावल के लिए प्रख्यात छत्तीसगढ़ का भाटापारा को एक तरह से संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है एवं अन्य राज्यों से व्यापारिक मुकाबले में खड़ा होने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

शुल्क वृद्घि बड़ी आफत
सुगंधित चावल के व्यापार और अस्तित्व को बचाये रखनें की जद्दोजहद में लगे प्रकल्पों को सरकार की शुल्क वृद्घि के रुप में नयी घोषित नीति से गहरा झटका लगा है एवं एक तरह से इससे जुड़ा व्यापार लडख़ड़ाता हुआ प्रतीत हो रहा है। गौरतलब है कि पहले मंडी शुल्क एवं निराश्रित शुल्क मिलाकर 2.20 रुपये देना होता था, लेकिन अब इसमें वृद्घि करते हुए 5 रुपये कर दिया गया है, जो सीधे तौर पर व्यापार के नजरिये से कमर तोडऩे वाला साबित हो रहा है।

विरोध और खरीदी बंद
शुल्क वृद्घि का सीधा असर भाटापारा में दिखाई दे रहा है, क्योंकि व्यापारिक पृष्ठभूमि के इस शहर में मंडी एवं तीन सौ से भी अधिक मिलें यहां की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है। सरकार द्वारा शुल्क वृद्घि की घोषणा के बाद से ही मिलरों का विरोध जारी है, तथा व्यापारियों द्वारा मंडी खरीदी का बहिष्कार कर दिया गया है, और कृषि उपज मंडी में दस दिन से अधिक समय हो गया कामकाज बंद है। जिसका प्रभाव यह पड़ा है कि मंडी से जुड़े प्रकल्पों का रोजगार ठप हो गया है, एवं किसानों को भी अपनी उपज बेचने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। जो कि उनके आर्थिक परिस्थिति बिगडऩे का सबब साबित हो रही है

चौपट पोहा व्यापार
सरकारी खरीदी की परिपाटी प्रारंभ होने एवं राज्य में मोटे धान की पैदावार बढऩे के साथ ही पोहा व्यापार को सुलभ एवं मुफीद माहौल मिला और सालभर कधो माल की उपलब्धता इस व्यापार को ऊंचाइयों पर ले जाती हुई प्रतीत हुई। जिसके चलते वर्ष दर वर्ष भाटापारा में पोहा मीलों की संख्या में वृद्घि हुई, तथा अधिकतर राज्यों में भाटापारा के पोहा उत्पाद की धाक भी जमी। लेकिन सरकार द्वारा लिये गये मंडी शुल्क में वृद्घि के निर्णय से आज सर्वाधिक सकते में यही प्रकल्प नजर आ रहा है, एवं अपने अस्तित्व को लेकर संशय एवं संकट महसूस कर रहा है।

इस सबंध में कुछ पोहा व्यवसायियों से चर्चा करने पर उनका कहना है कि आज कड़ी प्रतिस्पर्धा का युग है। ऐसे में पांच प्रतिशत शुल्क की वृद्घि बाजार में खड़ा होने एवं अपना उत्पाद बेचने में बड़ी दि-त पैदा करेगी। लिहाजा अन्य राज्यों के समक्ष अब टिकना मुश्किल हो जायेगा, कुल मिलाकर सुगंधित चावल का व्यापार करने वाले एवं पोहा उत्पाद से जुड़े लोगों के अलावा सुगंधित धान की घटती पैदावार के नजरिये से शुल्क वृद्घि के निर्णय को देखा जाये तो यह निर्णय संकट में विकट निर्णय के रुप में तथा व्यापार के पहिये को रोकने वाला प्रतीत हो रहा है, जिससे आगे व्यापार कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
 


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