कायाकल्प उपचार पद्धति, त्वचा को निखारने के साथ सभी ऊतकों का कायाकल्प कर उन्हें मजबूती प्रदान करती है ताकि आदर्श स्वास्थ्य और दीर्घायुता प्राप्त हो सके। ‘ओज’ (प्राथमिक उत्साह) को बढ़ाती है और ‘सत्व’ (मानसिक स्पष्टता) को समुन्नत करती है तथा इसके परिणामस्वरूप शरीर की प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि होती है। इसमें शामिल हैं औषधियुक्त तेल और क्रीम से सिर तथा चेहरे की मालिश, हर्बल तेल अथवा पाउडर से हाथ और पैर द्वारा शरीर की मालिश, आंतरिक कायाकल्प औषधि तथा औषधियुक्त स्टीम बाथ। हर्बल बाथ भी प्रयोग में लाया जाता है।
उम्रवृद्धि की प्रक्रिया धीमी करने, शरीर की कोशिकाओं की विकृति को न्यूनतम करने और तंत्र के प्रतिरक्षण की यह एक प्रमुख उपचार पद्धति है। इसमें रासायनों का सेवन (खास आयुर्वेदिक दवाएं और आहार) और व्यापक शरीर-देखभाल कार्यक्रम शामिल होते हैं। यह चिकित्सा विधि यदि 50 की उम्र से पहले अपनाई जाए तो स्त्री-पुरुष दोनों के लिए यह बहुत ही प्रभावकारी उपचार होता है।
औषधियुक्त स्टीम बाथ शरीर की अशुद्धियों को दूर करता है, त्वचा के रंग को निखारता है, वसा को कम करता है और कुछ वातरोगों खासकर दर्द में इसकी सलाह दी जाती है। बहुमूल्य जड़ी-बूटियों और हर्बल पत्तों को उबाला जाता है तथा वाष्प से संपूर्ण शरीर को 10 से 20 मिनट तक प्रतिदिन नहलाया जाता है। हर्बल तेल और हर्बल पाउडर से हाथ द्वारा मालिश करने से रक्त संचरण में वृद्धि और मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं।
औषधियुक्त हर्बल पाउडर और हर्बल तेल की मालिश, हर्बल रसों इत्यादि का आयुर्वेदिक आहार इस कार्यक्रम के अंग हैं। हर्बल फेस पैक, हर्बल तेल मालिश, हर्बल चाय के सेवन से रंग-रूप निखरता है और शरीर सुडौल बनता है।
मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती (ध्यान और योग), मानसिक और शारीरिक व्यायाम का तात्पर्य है अपने अहं को अपने शरीर और मन से बाहर निकलाना । प्रशिक्षण के 8 चरण बताए गए हैं जिनसे आपकी एकाग्रता बनती है, स्वास्थ्य समृद्ध होता है और मन की शांति की प्राप्ति में मदद मिलती है- 1. अनुशासित व्यवहार (यम) 2. आत्म शुद्धिकरण (नियम) 3. शारीरिक आसन जैसे पद्मासन या लोटस पोजि़शन (आसन) 4. श्वास नियंत्रण (प्राणायाम) 5. इन्द्रियों पर नियंत्रण (प्रत्याहार) 6. चयनित वस्तु पर मन को स्थिर करना (धारणा) 7. मेडिटेशन (ध्यान) और 8. समाधि। मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती के लिए एक पांच-सूत्री उपचार किया जाता है, जो शरीर, शरीर के अंगों, मस्तिष्क एवं सांसों में सामंजस्य बिठाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
केरल में आज भी इस तरह के उपचार पद्धतियों का बहुतायक में इस्तेमाल किया जाता है। केरल में प्राचीन काल से यह पद्धति प्रचलित रही है। आज भारत के अनेक क्षेत्रों में यह कालाकल्प उपचार पद्धति लोकप्रिय हो रही है।