सामान्य ज्ञान
रेड डाटा बुक वर्ष 1970 में स्थापित ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेसन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज’ का एक आंकड़ा संग्रह किताब है। इसमें विलुप्ती के खतरे में पड़े जीव-जन्तुओं, पक्षियों, एवं वनस्पतियों का ब्योरा शामिल किया जाता है तथा उसके संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाया जाता है। वर्तमान में इसमें करीब 20 हजार वनस्पतियों की प्रजातियों की सूची दी गयी है, जो विलुप्त होने के कगार पर है।
हिमालय क्षेत्र की 800 औषधीय वनस्पतियों को जलवायु परिवर्तन के खतरे के कारण, मई 2014 में रेड डाटा बुक में शामिल किया गया है। औषधीय वनस्पतियों की ये प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
भारत के उच्च हिमालयी और मध्य हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाले गन्द्रायण, कालाजीरा, जम्बू, ब्राह्मी, थुनेर, घृतकुमारी, गिलोय, निर्गुडी, इसवगोल, दुधी, चित्रक, बहेड़ा, भारंगी, कुटज, इन्द्रायण,पिपली, सत्यानाशी, पलास, कृष्णपर्णी, सालपर्णी, दशमूल, श्योनांक, अश्वगंधा, पुनर्नवा, अरण आदि जड़ी बूटियां अब दुर्लभ होती जा रही हैं। इसका कारण जलवायु परिवर्तन और वनों से जड़ी-बूटियों का अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा दोहन को माना जाता है।
विश्व में औषधीय पौधों की लगभग ढाई हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें 1158 प्रजातियां भारत में हैं। इन औषधीय पौधों का उल्लेख प्राचीन भारतीय आदि ग्रन्थ ‘वेदों’ में भी किया गया है। इनमें से 81 औषधीय पौधों का वर्णन यजुर्वेद, 341 वनस्पतियों का उल्लेेख अथर्ववेद, 341 का जिक्र‘चरक संहिता’ और 395 औषधीय पादपों और प्रयोग का वर्णन ‘सुश्रुत संहिता’ में मिलता है।


