10 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद 7 साल की सरिता गई अपने घर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 23 दिसंबर। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में 11 दिसंबर को ओडिशा के आमागांव से आई सरिता को पीलिया, सूजन व लीवर फेलियर के चलते उपचार के लिए भर्ती किया गया था, जहां स्टाफ नर्स की मेहनत के चलते बुधवार की दोपहर अपने घर चली गई, परिवार के लोगों ने इस खुशी के पल को डॉक्टरों के साथ फोटो भी खिंचवाई।
कैलाश ने बताया कि वह ओडिशा के आमागाँव में रहता है, उसकी 7 वर्षीय बेटी सरिता की अचानक कुछ दिनों से तबियत खराब होने के कारण उसे बेहतर उपचार के लिए पहले ओडिशा के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया था, बच्ची को ठीक होता ना देख परिजन उसे महारानी अस्पताल ले गए, जहां 7 दिनों तक भर्ती के बाद भी उसके स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार से कोई सुधार नहीं दिखाई दिया, जिसके बाद परिजनों ने बच्ची को वहां से रेफर कराते हुए मेकाज ले आए।
मेकाज में बच्ची का इलाज कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीआर मंडावी ने बताया कि 11 दिसंबर को जब बच्ची को मेकाज में भर्ती किया गया, तो उसे पीलिया के लक्षण के साथ ही शरीर में सूजन, लीवर फेलियर के साइन पाए गए, वही जांच में देखा गया कि बच्ची को लगातार रक्त का स्त्राव भी हो रहा था, परिजनों से जब बच्ची के बारे में और जानकारी ली गई तो पता चला कि परिजनों के द्वारा लगातार 3 वर्षो से इलाज करा रहे थे , लेकिन बच्ची ठीक ही नहीं हो रही थी, जांच के द्वारा बच्ची को विल्सन डिसिस पाया गया, जो एक दुर्लब बीमारी भी है, इस बीमारी के साथ ही साथ पीलिया के लक्षण भी पाया गया।
विल्सन रोग एक दुर्लभ विरासत में मिला विकार है, जिसके कारण लीवर, मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में तांबा जमा हो जाता है। विल्सन की बीमारी वाले अधिकांश लोगों का निदान 5 से 35 वर्ष की आयु के बीच किया जाता है, लेकिन यह युवा और वृद्ध लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
कॉपर यानि तांबा स्वस्थ नसों, हड्डियों, कोलेजन और त्वचा वर्णक मेलेनिन (स्द्मद्बठ्ठ क्कद्बद्दद्वद्गठ्ठह्ल रूद्गद्यड्डठ्ठद्बठ्ठ) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आम तौर पर, तांबा आपके भोजन से अवशोषित होता है, और आपके लीवर (पित्त) में उत्पादित पदार्थ के माध्यम से अतिरिक्त उत्सर्जित होता है। लेकिन विल्सन की बीमारी वाले लोगों में तांबे को ठीक से समाप्त नहीं किया जाता है और इसके बजाय जमा हो जाता है।
इसकी वजह से जान जाने तक का खतरा बना रहता है। अगर विल्सन रोग का जल्दी से निदान कर लिया जाए तो बड़ी आसानी से इससे छुटकारा पाया जा सकता है और रोगी एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। एक्यूट लीवर फेलियर गंदा पानी पीने से फैलता है, लेकिन स्टाफ नर्स के साथ ही डॉक्टरों के द्वारा लगातार किए गए प्रयास के बाद बच्ची ठीक होने पर परिजनों ने वार्ड के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू, डॉ. डी आर मंडावी, डॉ. पुष्पराज प्रधान के अलावा स्टाफ नर्स को धन्यवाद दिया।
समय पर लगवाना है टीका
डॉ. पुष्पराज प्रधान ने बताया कि इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स के इम्यूनसेशन शेड्यूल के हेपेटाइटिस ए के टीके को बच्चों को 10 माह और 16 माह के बीच में लगवाना पड़ता है, इसके अलावा यह टीका काफी कम मूल्य में मिल जाता है, जिसे कोई भी परिवार के लोग खरीद सकते हैं।