-रवि प्रकाश
झारखंड के 'गरीबों' को पेट्रोल 25 रुपये सस्ता मिलेगा. बशर्ते उनके पास राशन कार्ड हो और वे अपनी दोपहिया (बाइक या स्कूटर) के लिए पेट्रोल खरीद रहे हों. एक महीने में ऐसे लोग अधिकतम 10 लीटर पेट्रोल खरीद सकेंगे.
मतलब, महीने में उनकी बचत 250 रुपये की होगी. जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह घोषणा की है. पेट्रोल की कीमतों में इतनी बड़ी छूट की घोषणा करने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं. हालांकि, इस घोषणा के साथ कुछ शर्तें भी लागू हैं.
अपनी सरकार की दूसरी सालगिरह पर यह एलान करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय कम वक्त में लिया है. इसका लाभ अगले साल 26 जनवरी से मिलना शुरू होगा.
झारखंड विधानसभा में नमाज़ के लिए एक कमरे पर विवाद
मुख्यमंत्री ने कहा, "देश में पेट्रोल और डीजल का दाम आसमान छू रहा है. इसका बुरा असर गरीब और मध्यवर्गीय लोगों पर पड़ रहा है. जो बड़ी-बड़ी गाड़ियों और मोटरकारों में घूमते हैं, उन्हें इसकी चिंता नहीं है. उनकी जेब से 100-50 रुपये निकल भी जाएं, तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन, जो ग्रामीण क्षेत्र के लोग हैं, जो मोटरसाइकिल में भी आधा पेट्रोल, आधा किरासन तेल डालकर चलाते हैं. नतीजतन कुछ दिन के बाद उनकी गाड़ी खत्म होने के कगार पर आ जाती है."
"इसलिए हमने यह निर्णय लिया है, ताकि ऐसे लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके. हमारा संसाधन जैसे-जैसे बढ़ेगा, उसके अनुरूप हम राज्य के लोगों को भी राहत देने का काम करेंगे."
केंद्र सरकार द्वारा पिछले नवंबर में एक्साइज ड्यूटी घटाकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में क्रमशः 5 और 10 रुपये की कमी करने के बाद करीब 2 दर्जन राज्य सरकारों ने भी वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) घटाकर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में थोड़ी राहत दी थी, लेकिन वह छूट झारखंड की तुलना में आधी से भी कम है.
अब झारखंड ऐसा पहला राज्य होगा, जहां की बड़ी आबादी 25 रुपये कम कीमत पर पेट्रोल खरीद सकेगी.
ग़रीब कौन
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे लोग जिनके पास राशन कार्ड है और जो दोपहिया चलाते हैं, उन्हें यह राहत मिल सकेगी. ताकि वे कृषि समेत दूसरे जरूरी काम कर सकें.
हालांकि, उनकी घोषणा के बाद यह भ्रम फैला कि मुख्यमंत्री ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन बसर करने वालों के लिए यह राहत दी है.
मीडिया में भी ऐसी खबरें आ गईं. सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे कि अगर कोई गरीब (बीपीएल) है, तो उनके पास बाइक कहां से आएगी और अगर बाइक है, तो वे बीपीएल कैसे हुए.
पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी तक ने इस पर चुटकी ली. उन्होंने इस संबंधित दो ट्वीट कर मुख्यमंत्री की घोषणा पर सवाल उठाए. उन्होंने सरकार पर पूरी तरह विफल रहने के आरोप भी लगाए.
बाबूलाल मरांडी ने लिखा, "महंगाई से राहत देने के नाम पर टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई वाली पेट्रोल पर सब्सिडी योजना से कितनों को लाभ मिलने वाला है. हेमंत सोरेन जी, कितने बीपीएल राशन कार्डधारी हैं, जिनके पास अपना दोपहिया है. क्या वैट में कमी करके राज्य की संपूर्ण जनता को लाभ नहीं पहुंचाया जा सकता था. क्या यह सब्सिडी और फर्जी लाभुकों के नाम पर घोटाले की एक नयी नींव रखने की तैयारी नहीं है."
इस बीच मुख्यमंत्री दफ्तर के ट्विटर हैंडल से इस संबंधित एक ट्वीट कर कहा गया कि यह राहत उन गरीबों के लिए है, जिनके पास राशन कार्ड (हर तरह का) है.
झारखंड में कितने राशन कार्डधारी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून (एनएफएसए) के तहत झारखंड में कुल 59 लाख, 8 हजार, 905 राशन कार्डधारी हैं.
इनके अलावा 4 लाख, 84 हज़ार, 849 परिवारों के पास हरा कार्ड है. मतलब, राज्य में राशन कार्डधारियों की कुल संख्या 64 लाख से थोड़ी कम है.
मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक एनएफएसए के तहत जितने भी कार्डधारी हैं, वे सरकार द्वारा पेट्रोल की कीमतों में दी गई राहत लेने के पात्र होंगे.
कैसे मिलेगा सब्सिडी का पैसा
मुख्यमंत्री के सचिव विनय चौबे ने मीडिया को बताया कि 26 जनवरी से पहले सभी जरुरी उपाय कर लिए जाएंगे, ताकि लोगों को पेट्रोल पर मिलने वाली छूट का लाभ आसानी से मिल सके. इसके लिए एप बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को पूरा पैसा देकर पेट्रोल खरीदना होगा.
फिर वे पेट्रोल पंप से मिली रसीद इसके लिए डेडिकेटेड एप पर अपलोड करेंगे. उन्हें रसीद के साथ अपने राशन कार्ड, आधार कार्ड और दोपहिया का रजिस्ट्रेशन नंबर भी लिखना होगा ताकि किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं हो.इसके बाद डीबीटी के माध्यम से हर महीने अधिकतम 250 रुपये की राशि उनके खाते में भेज दी जाएगी. अर्थात हर महीने वे इस कीमत पर अधिकतम 10 लीटर पेट्रोल खरीद सकेंगे.
सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा
भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि एक अनुमान के मुताबिक कुल राशन कार्डधारियों में से 20-25 लाख परिवार ही ऐसे होंगे, जिनके पास अपनी बाइक है. इस लिहाज से हर महीने अधिकतम 2.5 करोड़ लीटर पेट्रोल पर ही सब्सिडी देनी होगी.
इससे खजाने पर अतिरिक्त बोझ तो पड़ेगा, लेकिन वह राशि इतनी बड़ी नहीं है, जो मैनेज नहीं की जा सके. इसके लिए सारे उपाय कर लिए जाएंगे. हमलोग अभी इस पर काम कर रहे हैं और एक-दो सप्ताह के अंदर सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी.
उन्होंने तब कहा, "लोग यह भी कहते हैं कि खजाना खाली है, तो आखिर ये कहां से बांट रहे हैं. मैं आपको बता दूं कि पूर्व की सरकार की तरह हमलोगों की यह मंशा नहीं कि राज्य को कर्ज के बोझ में लादे रहें. आज हमलोगों ने वित्त प्रबंधन करते हुए नए रिसोर्सेज तैयार किए हैं. हमने ट्रांजिट टैक्स, टोल टैक्स आदि लगाया और दूसरे उपाय किए. इससे हमें रेग्युलर से अलग आमदनी हुई है. हमारी आय के स्रोत बढ़े हैं. हम संसाधन भी जुटाएंगे और राज्य में जनकल्याणारी कार्यक्रमों को भी बढ़ाएंगे."
वैट से आमदनी
झारखंड सरकार को पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए वैट से हर महीने करीब 450 करोड़ रुपये मिलते हैं.
रांची में पेट्रोल की कीमत अभी करीब 99 रुपये प्रति लीटर है. राशन कार्डधारियों को छूट मिलने के बाद उनके लिए इसकी कीमत घटकर 74 रुपये हो जाएगी. (bbc.com)