सुमी खान
ढाका, 17 दिसंबर| बांग्लादेश के दो इंटरनेशनलक्राइम्स ट्रिब्यूनल्स (आईसीटी) ने 1971 में लिबरेशन वार के दौरान किए गए मानवता के खिलाफ अपराधों से संबंधित दायर 41 मामलों में ही अब तक फैसले सुनाए हैं।
बांग्लादेश के आईसीटी के अभियोजक (एडमिन) जेद अल मलुम ने बुधवार को आईएएनएस को बताया कि, फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय विभाग के साथ 39 अपीलें दायर की गई हैं। वहीं दोषी ठहराए गए, मौत की सजा वाले 22 अपीलें कोविड-19 महामारी की वजह से लंबित हैं।
उन्होंने कहा, "वर्चुअल तौर पर अपीलों को निपटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, महामारी की स्थिति में अपील की समीक्षा पूरी तरह से अनिश्चित है, क्योंकि किसी भी समय समीक्षा करना अनिवार्य नहीं है।"
वहीं फरवरी 2013 में इंटरनेशनल क्राइम्स (ट्रिब्यूनल) अधिनियम-1973 में संशोधन ने 60 दिनों में सजा के खिलाफ अपील का निपटारा करने का प्रावधान किया, जिससे उम्मीद जगी है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना निर्णय देगा।
करीब तीन साल से अधिक समय के बाद 2019 को सुनवाई फिर से शुरू हुई, जिसके बाद न्याय की मांग करने वालों को आखिरकार न्याय मिलने की उम्मीद जगी थी। लेकिन प्रक्रिया फिर से रुक गई। पिछले एक साल में किसी भी अपील पर सुनवाई नहीं हुई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की भरमार हो गई है और महामारी के कारण इसके नियमित कार्य धीमी गति से चल रहे हैं।
वहीं युद्ध-अपराध से संबंधित आखिरी अपील की सुनवाई 3 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग में हुई थी। इसमें 2014 में एक युद्ध-अपराध के लिए मृत्युदंड दिए जाने को चुनौती देते हुए सजायाफ्ता सैयद मोहम्मद कैसर ने अपील दायर की थी।
अपीलीय प्रभाग ने अब तक पिछले नौ वर्षों में दायर किए गए सिर्फ नौ ऐसी अपील का निपटारा किया है। इसमें कैसर का मामला भी शामिल है।
वहीं तीन अपील, जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख (अमीर) गुलाम आजम, पूर्व बीएनपी मंत्री अब्दुल अलीम और जमात-ए-इस्लामी के पूर्व नेता अब्दुस सोभान की जेल की सजा के खिलाफ दायर की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन अपीलों को निरस्त कर दिया था, क्योंकि अपील के लंबित होने के दौरान ही दोषियों की मौत हो गई थी।
इस साल 20 जुलाई को बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश सैयद महमूद हुसैन की अध्यक्षता में अपीलीय प्रभाग की एक वर्चुअल पीठ ने कहा कि वह युद्ध अपराधी एटीएम अजहरुल इस्लाम की समीक्षा याचिका पर तभी सुनवाई करेंगे, जब महामारी के बाद कोर्ट की कार्यवाही नियमित होगी।
वहीं दोषी ठहराए गए युद्ध अपराधी और जमात-ए-इस्लामी नेता अजहरुल ने 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की थी। उसे युद्ध के दौरान मानवता के खिलाफ नरसंहार और अपराधों के लिए मौत की सजा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही सुलझा लिए गए नौ युद्ध अपराधी, 1971 जमात-ए-इस्लामी अमीर (प्रमुख) मोतीउर्रहमान निजामी, महासचिव अली अहसन मुहम्मद मोजाहिद, जमात नेता देलावर हुसैन सईदी, मुहम्मद कमरुजमान, अब्दुल कादिर मोल्लाह, मीर कासिम अली और एटीएम अजहरुल इस्लाम, बीएनपी नेता सलाउद्दीन कादिर चौधरी और जातिय पार्टी के पूर्व नेता सैयद मोहम्मद कैसर हैं।
इनमें से निजामी, मोजाहिद, सलाउद्दीन कादिर चौधरी, कमरुजमान, कादिर मोल्लाह, कासिम को फांसी की सजा दी जा चुकी थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के खिलाफ उनकी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करते हुए उनकी मौत की सजा की पुष्टि की थी।
एक अन्य युद्ध अपराधी जमात-ए-इस्लाम नेता और एंटी-लिबरेशन कम्युनल उपदेशक और पाकिस्तानी प्रचारक दिलावर हुसैन सईदी, जिसे ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, अब जेल में हैं।
इस बीच बांग्लादेश के नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल, एएम अमीन उद्दीन ने कहा, "मैं अपीलीय प्रभाग के साथ लंबित युद्ध-अपराध अपील के बारे में पूछताछ करूंगा। यदि वे सुनवाई के लिए तैयार हैं, तो मैं उनकी सुनवाई के लिए जनवरी में पहल करूंगा।" (आईएएनएस)