अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस हफ़्ते एक बड़े हैकिंग अभियान का पर्दाफ़ाश होने से सरकार, संवेदनशील इंफ़्रास्ट्रक्चर और निजी सेक्टर को 'संगीन ख़तरा' है.
साइबर हमले के ज़रिए अमेरिकी वित्त और वाणिज्य मंत्रालय को निशाना बनाया गया था.
अमेरिका की साइबर सिक्यूरिटी एंड इंफ़्रास्ट्रक्चर सिक्यूरिटी एजेंसी (सीआईएसए) ने कहा है कि इस साइबर हमले को रोकना बहुत ही 'पेचीदा' मामला होगा.
अमेरिका में कई लोगों को शक है कि इसके पीछे रूस की सरकार का हाथ है. हालांकि रूस ने इन दावों को 'बेबुनियाद' क़रार दिया है.
गुरुवार को सीआईएसए ने एक बयान जारी कर कहा, "सरकारी एजेंसियओं, संवेदनशील इंफ़्रास्ट्रक्चर और निजी सेक्टर की संस्थाओं को एक 'लगातार आगे बढ़ रहे ख़तरनाक खिलाड़ी' के ज़रिए निशाना बनाया गया था जिसकी शुरुआत मार्च 2020 में हो गई थी."
उन्होंने कहा कि हैक करने के पीछे जो लोग थे उन्होंने धैर्य, ऑपरेशनल सुरक्षा और इस तरह के मामले की बारीक जानकारी का परिचय दिया था.
नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वो साइबर सुरक्षा को अपने प्रशासन की शीर्ष प्राथमिकता देंगे.
इस हैकिंग अभियान में अमेरिका की कई सरकारी एजेंसियों को निशाना बनाया गया था.
हैकरों ने अमेरिकी विदेश, रक्षा, आंतरिक सुरक्षा, वित्त और वाणिज्य जैसे विभागों के ख़ुफ़िया डेटा को मॉनिटर किया था.
लेकिन अभी तक ना तो सीआईएसए और ना ही एफ़बीआई ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि इस साइबर हमले के पीछे कौन है, लेकिन अमेरिकी मीडिया में निजी सुरक्षा कंपनियों और अधिकारियों के हवाले से जो ख़बरें आरही हैं उनके अनुसार उन्होंने रूस पर उंगली उठाई है.
सोमवार को अमेरिका में रूसी दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया था कि वो (रूस) साइबर क्षेत्र में आक्रामक हमलेेे नहीं करता है. (बीबीसी)