मोहर सिंह मीणा
जयपुर से, 19 जून (बीबीसी)। राजस्थान के हनुमानगढ़ के महेश पेशवानी ने नीट यूजी 2025 की परीक्षा में टॉप किया है।
उन्हें ये सफलता पहले ही प्रयास में मिली है। उन्होंने 720 में से 686 अंक हासिल किए। वो कहते हैं कि पहले तो उन्हें इस परीक्षा की तैयारी को लेकर भी संकोच था।
लेकिन बहन हिमांशी की सलाह और शिक्षकों की मदद से वो न सिर्फ इस बड़ी परीक्षा में पास हुए बल्कि टॉपर भी बने।
महेश पेशवानी ने नीट यूजी की परीक्षा में सफलता हासिल करने का सपना तो पूरा कर लिया।
अब उनका सपना दिल्ली के एम्स में दाखिला लेकर न्यूरो सर्जन बनने का है।

‘रैंक वन का तो कभी सोचा ही नहीं था’
महेश कहते हैं, ‘जब मैं ग्यारहवीं में आया, तो मुझे शंका थी कि मैं हिंदी माध्यम का छात्र हूं, तो क्या मैं नेशनल लेवल पर एग्जाम फाइट कर पाऊंगा? रैंक वन का तो कभी सोचा ही नहीं था।’
महेश का कहना है कि नीट की तैयारी में अंग्रेजी भाषा एक बड़ा फ़ैक्टर है और इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली कि वो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं को साथ मिलाकर चलेंगे।
महेश कहते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने कोई टाइम टेबल नहीं बनाया था।
वो रोजाना कऱीब 6-7 घंटे की पढ़ाई करते थे लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार कभी दिन में ही पढ़ाई पूरी कर लेते तो कभी रात को पढ़ते थे।
महेश के पिता रमेश पेशवानी कहते हैं, ‘जब इस परीक्षा की आंसर की जारी हुई, तब हमें लगा कि टॉप टेन में तो महेश आएगा, लेकिन ऑल इंडिया टॉपर बनेगा, यह सोचा नहीं था।’
रमेश कहते हैं, ‘महेश शुरू से ही पढ़ाई में अच्छा रहा है। दसवीं में उसके 97 प्रतिशत अंक आए थे। वह अपनी इच्छा से ही पढ़ाई करता है, हमें उसको पढऩे के लिए कभी टोकना नहीं पड़ा।’
महेश अपने परिवार से पहले व्यक्ति हैं जो मेडिकल की पढ़ाई करने जा रहे हैं। वो कहते हैं कि इस ख़्वाब को साकार करने के लिए उन्होंने तीन साल तक सीकर के एक हॉस्टल में रहकर तैयारी की।

'कभी महसूस हो कि नहीं हो पा रहा है तो तैयारी छोड़ देना'
हॉस्टल में अपने परिवार से दूर रहने के अनुभव पर वो कहते हैं कि उनका अनुभव अच्छा ही रहा।
उनके पैरेंट्स उनसे मिलने अक्सर हनुमानगढ़ से सीकर आया करते थे और सभी लगातार फ़ोन पर संपर्क में रहते थे।
महेश की मां हेमलता और पिता रमेश केसवानी हनुमानगढ़ जि़ले के ही दो अलग-अलग सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं।
उनके पिता रमेश कहते हैं, ‘दसवीं कक्षा के बाद महेश को हमने सीकर की एक कोचिंग में दाखिला दिला दिया था। लेकिन हम लगातार उससे मिलते रहते थे।’
वो कहते हैं, ‘हमने महेश को कहा था कि बिना तनाव के तैयारी करनी है। किसी भी तरह के दबाव या परेशानी में नहीं रहना है, कभी लगे कि नहीं होगा तो छोड़ देना।’
महेश कहते हैं कि परिवार के इसी साथ ने उनका हौसला बुलंद रखा और वो बिना किसी दबाव के तैयारी में जुटे रहे।