राष्ट्रीय
जमशेदपुर, 22 अप्रैल । जमशेदपुर में 16 साल पहले सिविल कोर्ट के पूर्व जज आरपी रवि पर की गई फायरिंग के मामले में गैंगस्टर अखिलेश सिंह को जिला अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। एडीजे-4 न्यायाधीश आनंद मणि त्रिपाठी के कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद सोमवार को यह फैसला सुनाया।
अखिलेश फिलहाल राज्य की दुमका जेल में बंद है। घटना 19 मार्च 2008 को हुई थी।
सिविल कोर्ट से रिटायर जज और स्थायी लोक अदालत के तत्कालीन चेयरमैन आरपी रवि सुबह-सुबह जमशेदपुर के साकची बाजार से फल और सब्जी खरीदकर लौट रहे थे, तब बाइक सवार दो बदमाशों ने उनपर फायरिंग की थी। उन्हें छाती, पैर और कान की बाईं तरफ गोलियां लगी थीं। वह जख्मी होकर सड़क पर गिर पड़े थे।
सूचना मिलने पर पत्नी बीरा प्रसाद ने अन्य लोगों की मदद से उन्हें टाटा मेन हॉस्पिटल में दाखिल कराया था। पुलिस ने इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर में जांच के बाद गैंगस्टर अखिलेश सिंह, बंटी जायसवाल, मनोरंजन सिंह उर्फ लल्लू सिंह और रितेश राय को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट अदालत में दायर की थी।
बताया गया था कि तत्कालीन जज आरपी रवि ने साकची जेल के तत्कालीन जेलर उमाशंकर पांडेय हत्याकांड में गैंगस्टर अखिलेश सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले से नाराज गैंगस्टर अखिलेश सिंह ने बदला लेने की नीयत से उनके गुर्गों ने फायरिंग करवाई थी।
अदालत में इस केस में अनुसंधान पदाधिकारी समेत कुल 22 लोगों की गवाही हुई थी, लेकिन गैंगस्टर अखिलेश सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 120 बी,आर्म्स की धारा साबित नहीं हो सकी। कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रकाश झा, अधिवक्ता विद्या सिंह ने पक्ष रखा, जबकि आरोपी गैंगस्टर अखिलेश सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुआ।
इस केस में आरोपी रहे बंदी जायसवाल, रितेश राय, मनोरंजन सिंह उर्फ लल्लू सिंह के खिलाफ अलग से सुनवाई चल रही है।
बता दें कि कई आपराधिक मामलों में जेल में बंद अखिलेश श्रीलेदर्स शूज कंपनी के मालिक आशीष डे की हत्या, ट्रांसपोर्टर उपेंद्र शर्मा हत्याकांड, टाटा स्टील के सुरक्षा पदाधिकारी जयराम सिंह हत्याकांड, बिरसानगर सृष्टि गार्डन बेनामी संपत्ति केस सहित कई मुकदमों में एक-एक कर बरी हो चुका है।
(आईएएनएस)
पटना, 22 अप्रैल । बिहार के चुनाव में अब संतानों की संख्या को लेकर सियासत शुरू हो गयी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के बच्चों की संख्या को लेकर तंज कसा था तो सोमवार को लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने भाजपा के कई नेताओं सहित कई महापुरुषों के पारिवारिक सदस्यों की गणना कर दी।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए हमेशा सम्मान रहेगा। वे खुद नहीं बोलते हैं उनसे बुलवाया जाता है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी हमारे अभिभावक और पिता तुल्य हैं। मेरे परिवार पर बोलने से पहले उनको जानना चाहिए कि जिन्होंने इस देश का संविधान लिखा था, वह 14 भाई बहन थे। बाबा साहब खुद 14 वें नंबर पर थे।
इसके आगे उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस जी भी 14 भाई बहन थे और खुद वह आठवें नंबर पर थे।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पांच भाई-बहन हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी सात भाई-बहन थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी 6 भाई-बहन हैं, जबकि उनके दादा सात भाई-बहन थे। यही नहीं, उनके एक चाचा नरसिंह दास जी के आठ बच्चे हैं। गृह मंत्री अमित शाह सात भाई-बहन हैं और वह खुद सातवें नंबर पर हैं। भाजपा के पटना साहिब से प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद जी सात भाई-बहन हैं।
इसके आगे तेजस्वी ने कहा कि तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव जी 10 भाई-बहन हैं। राष्ट्रगान लिखने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर जी 7 भाई-बहन थे। प्रखर विद्वान पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी जी के 14 बच्चे थे। देवगौड़ा जी के छह बच्चे हैं, नरसिम्हा राव जी के आठ बच्चे थे।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री जी से जो लोग बुलवा रहे हैं, पहले उनको यह सब देख लेना चाहिए था। यह कोई मुद्दा नहीं है और बात मुद्दे की होनी चाहिए।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार क्यों नहीं विशेष राज्य के दर्जे, विशेष पैकेज की मांग कर रहे हैं। बिहार के विकास की बात होनी चाहिए।
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कटिहार में एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवारवाद को लेकर जोरदार तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि खुद हटे तो पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। फिर दोनों बेटे को लाए और दो बेटी को भी ले आए। उन्होंने आगे कहा, "पैदा तो बहुत कर दिए। इतना ज्यादा पैदा करना चाहिए किसी को, बाल बच्चा। लेकिन उतना किया। उसी में से दो बेटा और दो बेटी को लगा दिया।"
(आईएएनएस)
पटना, 22 अप्रैल । बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग को भाजपा के जमाई बताए जाने पर जमकर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव जिस तरह से सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग के लिये भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि ये संवैधानिक संस्थाएं मां भारती की संतान हैं और यह संविधान हमारी माता के रूप में है।
पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन संवैधानिक संस्थाओं को लेकर इस प्रकार मजाक कर रहे हैं और इस तरह के शब्दों का प्रकटीकरण कर रहे हैं तो यह घृणित मानसिकता का परिचायक है।
उन्होंने आगे सवालिया लहजे में कहा कि जो नाजायज औलाद हैं, आतंकवादी, उग्रवादी और भ्रष्टाचारी ये क्या तुम्हारे यार हैं?
भाजपा के नेता सिन्हा ने तेजस्वी को निशाने पर लेते हुए आगे कहा कि तुम्हारे माता और पिताजी द्वारा किये गये कार्य ने बिहार को बर्बाद कर दिया। मां भारती की संतान अगर मामले की जांच कर रही है तो न्यायालय उस पर फैसला दे रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न्यायालय पर भी 'कमेंट' है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव का ऐसा बयान हताशा और निराशा में दिया गया बयान है। बिहार की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि अब जो जनता का विश्वास जीत कर आएगा, वही राजा का पुत्र बनेगा, राजा के कोख से अब राजा नहीं पैदा होगा।
(आईएएनएस)
गाजियाबाद, 22 अप्रैल । दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग जारी है। आसपास के स्थानीय लोगों को सांस लेने में अब दिक्कत होने लगी है। अधिकारियों के मुताबिक, आग पर काबू पाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
स्थानीय लोगों ने आग के कारण सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में तकलीफ की शिकायत करनी शुरू कर दी है। दिल्ली में रविवार शाम से गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी भीषण आग के चलते आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की।
गाजीपुर लैंडफिल साइट के आसपास गाजियाबाद की खोड़ा कॉलोनी, वैशाली, इंदिरापुरम इलाके पड़ते हैं। स्थानीय लोगों को इस आग से निकलने वाले जहरीले धुएं से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
गाजियाबाद के वैशाली इलाके में रहने वाले नवीन जोशी ने बताया कि हम 1990 के से ही इस समस्या का सामना कर रहे हैं। आसपास रहने वाले लोगों को मधुमेह, बीपी, थायराइड और आंखों में जलन की अकसर दिक्कत होती है। कई सालों से बड़े बुजुर्ग और यहां तक कि छोटे बच्चे भी इन समस्याओं से पीड़ित हैं।
उनका कहना है कि आसपास के सभी इलाकों में लोगों को आंखों में जलन हो रही है। लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं। चाहे दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार, कोई भी हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। सबसे बड़ी समस्या है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा आग और भी ज्यादा तेज होती जाएगी।
खोड़ा कॉलोनी में रहने वाले अमरजीत ने बताया कि हम ठीक से सांस नहीं ले पा रहा हैं। मेरी आंखों में जलन हो रही है। कोई भी सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं कर रही है। इस आग से निकलने वाले धुएं के चलते स्कूली छात्रों का भी बुरा हाल है। आसपास के इलाकों से स्कूल जाने वाले छात्रों के गले में भी दिक्कत शुरू हो गई है।
यह पहली बार नहीं है कि डंपयार्ड से आग लगने की घटना सामने आई है। इससे पहले 2022 में लैंडफिल में आग लगने की तीन घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें 28 मार्च की घटना भी शामिल थी, जिसे 50 घंटे से अधिक समय के बाद बुझाया गया था।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अप्रैल । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार में जनता की आकांक्षा के अनुरूप विकास के कार्य हुए हैं। ये पहली बार देश में देखने को मिला है। विकास और विरासत का अद्भुत समन्वय पीएम मोदी की पहचान है।
मुख्यमंत्री योगी सोमवार को मीडिया से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि इन मुद्दों पर चर्चा करने पर पब्लिक का रिस्पांस मिलता है। जिन मुद्दों पर पब्लिक का सबसे ज्यादा समर्थन मिला है वो है इन्फ्रास्ट्रक्चर। आज देश में हाईवे दोगुने हुए हैं। 2014 से पहले 74 एयरपोर्ट थे, आज इनकी संख्या डेढ़ सौ से ज्यादा हैं। कांग्रेस के समय केवल 1 एम्स बना था। अटल जी की सरकार के समय 6 नए एम्स की स्थापना हुई। मोदी जी के कार्यकाल में इनकी संख्या 22 हो गई है।
इसी प्रकार आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईटी का विस्तार और वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज विकास की नई गाथा कह रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार देश में विरासत का सम्मान भी देखने को मिला है। काशी में विश्वनाथ धाम, महाकाल में महालोक, केदारपुरी, बद्रीनाथ और सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार और अयोध्या में 500 साल के इंतजार का समाप्त होना व प्रभु श्रीराम का पुन: विराजमान होना। इसके साथ ही इन सभी नगरियों का कायाकल्प भी हुआ है।
काशी में पहले 50 लोग एक साथ दर्शन नहीं कर पाते थे। आज 50 हजार भी आ जाएं तो कोई दिक्कत नहीं। अयोध्या में 500 लोग आ जाते थे तो संकट खड़ा हो जाता था, आज 5 लाख भी आ जाएं तो परेशानी नहीं।
सीएम योगी ने कहा कि आस्था से जुड़े केंद्रों के बारे में हमें नया स्वरूप देखने को मिला है। विरासत और विकास का ये अद्भुत समन्वय अगर किसी एक महापुरुष के विजन और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण देखने को मिला है तो वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभव हो पाया है। जनता इन मुद्दों को पूरा समर्थन दे रही है।
उन्होंने विश्वास जताया कि यह समर्थन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में फिर से प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के लिए आशीर्वाद में बदलेगा। पूरे देश में फिर एक बार मोदी सरकार का स्वर गूंज रहा है। आम जनता फिर से मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने जा रही है।
(आईएएनएस)
बीजापुर, 22 अप्रैल छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में 'इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस' (आईईडी) की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई। पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि गंगालूर थाना क्षेत्र में आईईडी की चपेट में आने से गड़िया (18) नाम के युवक की मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि पटेलपारा मुतवेंडी गांव का रहने वाला गड़िया 20 अप्रैल को मुतवेंडी गांव से तीन किलोमीटर दूर किसी काम से गया था कि तभी वह नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी के संपर्क में आ गया, जिससे विस्फोट हो गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नैमेड थाना क्षेत्र में आईईडी की चपेट में आने से एक अन्य ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया था।
राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सली जंगल के रास्तों में आईईडी लगा देते हैं, जिसमें ग्रामीण भी हताहत होते हैं। (भाषा)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । गाजीपुर लैंडफिल में आग लगने के साथ ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है। समस्या का समाधान न होने पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा की आलोचना की है।, उधर मौके पर आगे बुझाने का प्रयास जारी है। अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि आग बुझाने के लिए 14 फायर टेंडर भेजे गए हैं। आग लैंडफिल के भीतर उत्पन्न गैसों से लगी है।
इस बीच नगर निगम में सत्ता से बाहर दिल्ली भाजपा ने लैंडफिल मुद्दे को हल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहने के लिए आप की तीखी आलोचना की।
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि यह शर्मनाक है कि केजरीवाल के नेतृत्व वाले दिल्ली नगर निगम की लापरवाही के कारण गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर आग लग गई।
उन्होंने कहा, ''केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम के 2022 के चुनावों से पहले 31 दिसंबर 2023 तक इस लैंडफिल साइट को साफ करने का वादा किया था, लेकिन आज लैंडफिल साइट से पुराने ढेर हटाने के बजाय वहां एक नया ढेर बन गया है।'' .
सामाजिक कार्यकर्ता और वकील विनीत जिंदल ने एक्स पर कहा,“दिल्ली के एक नागरिक के रूप में, मैं कह रहा हूं कि हम दिल्ली के नागरिकों को इस तरह के धुएं में धीरे-धीरे मरने के लिए छोड़ दिया गया है। दिल्ली सरकार और एमसीडी विफल हो गए हैं। अब हम केवल यही उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री व एलजी ही कुछ करेंगे।''
(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने करीब 30 सप्ताह की गर्भावस्था वाली 14 वर्षीय कथित बलात्कार पीड़िता को चिकित्सीय गर्भपात कराने की अनुमति दे दी।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने किसी भी मामले में पूर्ण न्याय देने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुंबई के सायन स्थित लोकमान्य तिलक महानगरपालिका सर्वसाधारण रुग्णालय एवं वैद्यकीय महाविद्यालय (एलटीएमजीएच) के डीन को निर्देश दिया कि वह नाबालिग के गर्भपात के लिए चिकित्सकों के दल का तत्काल गठन करें।
उसने नाबालिग के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को भी रद्द कर दिया। यह याचिका पीड़िता के पिता ने दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल को नाबालिग की चिकित्सकीय जांच का आदेश दिया था।
उसने मुंबई के सायन स्थित अस्पताल से इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा था कि अगर पीड़िता चिकित्सकीय रूप से गर्भपात कराती है या उसे ऐसा न करने की सलाह दी जाती है तो इसका उसकी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर क्या असर पड़ने की संभावना है।
‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम’ (एमटीपी) के तहत, विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए भी गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह है। इन विशेष श्रेणियों में बलात्कार पीड़िताएं और दिव्यांग एवं नाबालिग शामिल हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल निष्पक्ष व्यापार निगरानी संस्था सीसीआई ने कृत्रिम मेधा और प्रतिस्पर्धा पर उसके प्रभाव पर एक विस्तृत बाजार अध्ययन करने के लिए संस्थाओं से सोमवार को प्रस्ताव आमंत्रित किए।
अध्ययन के संचालन के लिए एक एजेंसी/संस्था को संलग्न करने के लिए प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) दस्तावेज़ जारी करते हुए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने कहा कि एआई की परिवर्तनकारी क्षमताओं में जहां एक ओर आपूर्ति व मांग बढ़ाने की क्षमता है। वहीं दूसरी ओर इसके इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले संभावित प्रतिस्पर्धा जोखिम चिंता का विषय हैं।
प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तारीख तीन जून है। संस्थाओं द्वारा तकनीकी प्रस्तुतियों के बाद, वित्तीय बोली की अंतिम तिथि 28 जून है।
'कृत्रिम बुद्धिमत्ता व प्रतिस्पर्धा' पर प्रस्तावित बाजार अध्ययन ऐसे समय में किया जा रहा है जब उद्योगों में एआई के बढ़ते इस्तेमाल ने बाजारों में प्रतिस्पर्धी गतिशीलता के लिए इसके निहितार्थ को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
सीसीआई के चेयरमैन रवनीत कौर ने हाल ही में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा था कि एआई व मशीन लर्निंग दक्षता तथा नवाचार को बढ़ा सकती है, लेकिन बाजार की एकाग्रता और संभावित प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार से संबंधित चिंताओं को भी जन्म दे सकती हैं।
सीसीआई को प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं पर अंकुश लगाने का अधिकार है। (भाषा)
अशोक नगर, 22 अप्रैल । मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरा चरण करीब है। वहीं दल बदल का दौर भी जारी है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी और चंदेरी नगर पालिका अध्यक्ष दशरथ कोली ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भाजपा का दामन थाम लिया।
गुना संसदीय क्षेत्र में अशोक नगर आता है और यहां से केंद्रीय मंत्री सिंधिया भाजपा के उम्मीदवार हैं। अशोक नगर में चंदेरी नगर पालिका परिषद आती है और यहां के अध्यक्ष दशरथ कोली ने अपने पार्षदों के साथ केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली।
दशरथ कोली की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबियों में होती रही है।
दशरथ कोली के दल बदल को सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है। दिग्विजय सिंह राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पड़ोसी संसदीय क्षेत्र गुना से केंद्रीय मंत्री सिंधिया मैदान में है। सिंधिया और दिग्विजय की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है, लिहाजा दोनों एक दूसरे को सियासी तौर पर शह और मात देने के खेल में लगे रहते हैं।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अप्रैल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि विकास और विरासत का अद्भुत समन्वय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहचान है।
सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, योगी आदित्यनाथ ने पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ''भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में जनता की आकांक्षा के अनुरूप विकास के कार्य हुए हैं। ये पहली बार देश में देखने को मिला है।''
उन्होंने कहा, ''विकास और विरासत का अद्भुत समन्वय प्रधानमंत्री मोदी की पहचान है। इस दिशा में अद्भुत कार्य हुए हैं।''
योगी ने कहा, ''आस्था से जुड़े केंद्रों के बारे में हमें नया स्वरूप देखने को मिला है। विरासत और विकास का ये अद्भुत समन्वय अगर किसी एक महापुरुष के विजन और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण आज देश में देखने को मिला है तो वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभव हो पाया है।''
मुख्यमंत्री ने कहा, ''पहली बार देश में विरासत का सम्मान भी देखने को मिला है। काशी में विश्वनाथ धाम, महाकाल में महालोक, केदारपुरी, बद्रीनाथ और सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार और अयोध्या में 500 वर्ष के इंतजार का समाप्त होना व प्रभु श्रीराम का पुन: विराजमान होना। इसके साथ ही इन सभी नगरियों का कायाकल्प भी हुआ है।''
योगी ने कहा, ''काशी में पहले 50 लोग एक साथ दर्शन नहीं कर पाते थे और आज 50 हजार भी आ जाएं तो कोई दिक्कत नहीं।''
उन्होंने कहा, ''अयोध्या में 500 लोग आ जाते थे तो संकट खड़ा हो जाता था, आज पांच लाख भी आ जाएं तो परेशानी नहीं।''
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि लोकसभा चुनावों में जनता इन मुद्दों को पूरा समर्थन दे रही है।
उन्होंने विश्वास जताया, ''यह समर्थन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में फिर से प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के लिए आशीर्वाद में बदलेगा। पूरे देश में फिर एक बार मोदी सरकार का स्वर गूंज रहा है। आम जनता फिर से मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने जा रही है।''
पूर्ववर्ती सरकारों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ''कांग्रेस के समय केवल एक एम्स बना था। अटल जी की सरकार के समय छह नए एम्स की स्थापना हुई और मोदी जी के कार्यकाल में इनकी संख्या 22 हो गई है।''
योगी ने कहा, ''आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईटी का विस्तार और वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज विकास की नई गाथा कह रहे हैं।'' (भाषा)
कटिहार, 22 अप्रैल । पौराणिक और राजनीतिक महत्व रखने वाली कटिहार की धरती पर किसानों की मेहनत से आम के बगान और पोखरों में मखान के पत्ते देखकर आप इस क्षेत्र की समृद्धि का अंदाजा लगा जा सकते हैं। जूट की पहचान वाले इस कटिहार की राजनीतिक समझ भी किसी क्षेत्र से कम नहीं। तभी तो सीताराम केसरी, मोहम्मद यूनुस सलीम, तारिक अनवर जैसे दिग्गज इस क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
इस चुनाव में भी पांच नदियों के किनारे बसे इस कटिहार क्षेत्र में मुकाबला दिलचस्प दिखाई दे रहा है। महागठबंधन की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर को चुनावी मैदान में उतार कर कांग्रेस अपनी खोई जमीन हथियाने की फिराक में है, तो एनडीए ने जदयू के दुलालचंद गोस्वामी को फिर से उतारकर मुक़ाबले को दिलचस्प बना दिया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों के ही बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें गोस्वामी भारी पड़े थे और पहली बार सांसद बने थे।
वैसे, आंकड़ों पर नजर डालें तो कटिहार की पहचान तारिक अनवर से होती है। यहां से वे 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं और पांच बार विजयी रहे हैं। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर तारिक अनवर ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1984, 1996, 1998 और 2014 में उन्होंने अपना परचम लहराया।
भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को भी यहां तीन बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। इस चुनाव में तारिक अनवर और दुलारचंद गोस्वामी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
इसके अलावा कटिहार सीट पर बहुजन समाज पार्टी के गोपाल कुमार महतो, भारत जोड़ो जनता पार्टी से विष्णु सिंह, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया से मरांग हांसदा, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी से राज कुमार मंडल, समाज शक्ति पार्टी से बिंदु कुमारी और निर्दलीय प्रत्याशी भी यहां से भाग्य आजमा रहे हैं।
यहां छह विधानसभा सीट कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी हैं। इनमें कटिहार और प्राणपुर में भाजपा, कदवा और मनिहारी में कांग्रेस, बरारी में जदयू और बलरामपुर में सीपीआई एमएल के विधायक हैं।
करीब 21 लाख मतदाताओं वाले सीमांचल की इस सीट पर एक बार फिर महागठबंधन को एम वाई समीकरण पर भरोसा है तो दूसरी तरफ एनडीए को प्रधानमंत्री के चेहरे, पिछड़े और अति पिछड़े, सवर्ण के साथ नीतीश कुमार के नाम पर कुछ मुस्लिम मतदाताओं से भी आसरा है।
यह क्षेत्र पौराणिक महत्व वाला भी माना जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण भी यहां अपने खोए आभूषण को खोजने आए थे। बिहार में सभी सात चरणों के तहत मतदान होना है। बिहार की कुल 40 सीटों में से पहले चरण में चार सीटों पर चुनाव हो चुका है। कटिहार के मतदाता लोकसभा के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान करेंगे।
(आईएएनएस)
आगरा (यूपी), 22 अप्रैल । 79 साल के हसनुराम अंबेडकरी सुर्खियों में छाए हुए हैं। उन्होंने अपना 99वां चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
अंबेडकरी ने अपना पहला चुनाव 1985 में लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। अपने पिछले 98 प्रयासों में हार का सामना करने के बावजूद, अंबेडकरी ने चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाना जारी रखा है।
इस बार उन्हें फतेहपुर सीकरी से शतक के करीब पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन इस सीट से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया।
चुनाव के प्रति उनके जुनून को देखते हुए, अंबेडकरी का परिवार उनके साथ खड़ा है।
एक क्लर्क और मनरेगा मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करने वाले अंबेडकरी कहते है, "चुनाव लड़ना मेरा जुनून है और मैं इसे अपने खर्च पर पूरा करता हूं। मैं किसी से धन की मदद नहीं लेता। मैं जानता हूं कि मैं जीत नहीं पाऊंगा, लेकिन यह मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकता।''
उन्होंने कहा, "मेरा लक्ष्य 100वीं बार चुनाव लड़ना है और मैं यह भी जानता हूं कि मेरी उम्र बढ़ रही है, लेकिन मैं अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा।"
(आईएएनएस)
ईटानगर, 22 अप्रैल भारत के निर्वाचन आयोग ने अरुणााचल प्रदेश में आठ मतदान केंद्रों पर पुन: मतदान कराने का आदेश दिया है जहां 19 अप्रैल को एकसाथ कराये लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी और हिंसा होने की जानकारी सामने आयी थी।
उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी लिकेन कोयु ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आयोग ने रविवार को एक आदेश में इन आठ मतदान केंद्रों पर मतदान को अमान्य घोषित किया और 24 अप्रैल को सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक नए सिरे से मतदान कराने का आदेश दिया।
जिन मतदान केंद्रों में पुन: मतदान कराया जाएगा उनमें ईस्ट कामेंग जिले में बामेंग विधानसभा क्षेत्र में सारियो, कुरुंग कुमे में नयापिन विधानसभा सीट के तहत आने वाला लोंग्ते लोथ, अपर सुबनसिरी जिले में नाचो निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाले डिंगसर, बोगिया सियुम, जिम्बरी और लेंगी मतदान बूथ शामिल हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, सियांग जिले में रुमगोंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बोग्ने और मोलोम मतदान बूथ पर भी पुनर्मतदान कराया जाएगा।
इस पूर्वोत्तर राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा की 50 सीटों पर 19 अप्रैल को हुए मतदान में कुल 8,92,694 मतदाताओं में से तकरीबन 76.44 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
सत्तारूढ़ भाजपा ने 10 विधानसभा सीटें पहले ही निर्विरोध जीत ली हैं। (भाषा)
अरुणाचल प्रदेश में वोट डालने के लिए महिलाओं में काफी उत्साह रहता है. कई महिलाएं सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके वोट डालने अपने गृहनगर पहुंची हैं. हालांकि उनका यह उत्साह राजनीति के मैदान में उतरने के लिए नहीं दिखता.
डॉयचे वैले पर सोनम मिश्रा की रिपोर्ट-
अरुणाचल प्रदेश में पहले चरण के मतदान है. 2019 के विधान सभा चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा भागीदारी दिखाई. चुनाव आयोग के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में कुल 7,94,162 मतदाता हैं, जिसमें से 4,01,601 औरतें और 3,92,561 पुरुष हैं. चुनाव में मतदान के लिए खासतौर से महिलाओं में बहुत उत्साह रहता है.
हालांकि राजनीति में यह तस्वीर बदल जाती है. इस मामले में औरतें काफी पीछे हैं. भूभाग के आधार पर भारत के 14वें सबसे बड़े राज्य में औरतें चुनाव में मतदान करती हुई तो बड़ी संख्या में दिख जाती है, लेकिन सामने आ कर वोट मांगती हुई नजर नहीं आती हैं.
उम्मीद की किरण
एक बात है कि मोटे तौर पर महिलाओं के लिए यहां समर्थन दिखाई देता है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में लोगों से बात करते हुए यह साफ तौर पर महसूस हुआ. तवांग के ओल्ड मार्केट में 30 साल की सोनम, होमस्टे चलाती हैं. उनका मानना है कि अब महिलाएं बीते वर्षो के मुकाबले राजनीति में ज्यादा सक्रिय हो रही हैं. राजनीति में उनकी व्यक्तिगत रुचि नहीं है परन्तु उनका परिवार उनका पूरा समर्थन करता है. ऐसा इसलिए भी है क्यूंकि उनके पिता और ससुर, दोनों ही राजनीति में हैं.
उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर महिलाएं राजनीति में बढ़- चढ़ कर भाग लेती हुई दिखाई देती है. उनकी मित्र और राजनीतिक कार्यकर्ता सोनम नोर्डजिन स्थानीय राजनीति में काफी सक्रिय हैं. उन्हें उम्मीद है कि धीरे धीरे यह रुझान राष्ट्रीय राजनीति पर भी नजर आएगा.
देश ने बनाया रिकॉर्ड लेकिन अरुणाचल रह गया पीछे
1987 में अरुणाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. हालांकि 37 सालों में अरुणाचल की ओर से एक भी महिला राज्य सभा में नहीं पहुंची है. 2019 में जब बीजेपी सरकार ने भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा महिला सांसद उनकी दौर में चुने जाने का दावा करके खूब चर्चा बटोरी तब अरुणाचल से एक भी महिला सांसद नहीं बनी थी.
तवांग के ओल्ड मार्केट में जूते की दुकान चलाने वाले 60 साल के कालूराम नेहरा राजस्थान से हैं और तवांग में रहते है. कालूराम नेहरा को लगता है कि औरतें अब स्थानीय स्तर पर राजनीति में सक्रिय हैं. वह अलग अलग पार्टी के लिए प्रचार भी करते हैं और चुनाव के दौरान बाजार का माहौल भी गर्मजोशी से भरपूर रखते हैं. वह आशा करते है कि इसकी औरतों की मौजूदगी आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में भी दिखाई देगी.
राजनीतिक होड़ में गिनी चुनी महिलाएं
विधान सभा में भी महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर ही नजर आती है. सिबो काइ पहली महिला थीं, जो 1978 में विधानसभा में चुनी गईं. हालांकि इनको गवर्नर ने चुना था तब अरुणाचल प्रदेश एक केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था.
राज्य का दर्जा मिलने के बाद न्यारी वेल्ली 1980 में पहली चुनी हुई एमएलए बनीं. इसके बाद 1984 में भी वह चुनाव जीती थीं. इनके अलावा 1990 में ओ एम डोरी और कोमोली मोसंग, 1995 में यदप अपांग, 1999 में मेकउप डोलो, 2001 में नियनि नातुंग, 2002 में यारी दुलोम और 2009 में नंग सटी मैन और कार्य बगांग विधान सभा में चुने गए थे.
राजनीतिक उम्मीदवारी या पारिवारिक विरासत
2019 में 60 विधान सभा सीटों में केवल तीन महिलाएं एमएलए बनीं, गुम तायेंग, दसांगूल पुल और जुम्मुम एते देओरि. जुम्मुम, पूर्व राज्यसभा सांसद ओमम मायोंग देओरि की बहु है. जबकि गुम तायेंग, अपने पति और पूर्व एमएलए जोमिन तायेंग की मृत्यु के बाद 2013 के उप चुनाव में निर्विरोध चुनाव जीत गई थीं.
इसके बाद 2014 और 2019 में भी उन्होंने अपनी सीट जीती. दसांगूल, पूर्व मुख्यमंत्री कालीखो पुल की पत्नी है. जाहिर है कि इम महिलाओं के राजनीति में उतरने के पीछे उनकी पारिवारिक विरासत का भी योगदान है.
साल 2024, चीनी कैलेंडर के अनुसार स्त्री ऊर्जा से भरपूर है. हालांकि इस वर्ष भी अरुणाचल की 50 विधान सभा सीटों के लिए केवल 8 उम्मीदवार ही महिलाएं हैं. लोकसभाके लिए कुल 14 उम्मीदवारों में भी केवल एक महिला है.
महिलाओं की हिचकिचाहट और जिम्मेदारियों का बोझ
22 साल की थुप्तेन ल्हामु ईटानगर में पढ़ाई करती है और चुनाव के सिलसिले में तवांग आई हैं. उन्हें लगता है कि कहीं ना कहीं अरुणाचल की महिलाओं में जागरूकता की कमी है. उनका कहना है, "लंबे समय तक बाकी हिस्सों से अलग- थलग रहने के कारण बाकी राज्यों के मुकाबले पहाड़ों की महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता कम होती थी. कुछ वर्षों से ही उनको यह जानकारी मिलनी शुरू हुई है." इस जानकारी के लिए वह इंटरनेट को श्रेय देती है.
जागरूकता की कमी के अलावा महिलाओं में एक हिचकिचाहट भी दिखती है. उन्हें डर रहता है कि उनको पुरुषों के बराबर समर्थन मिलेगा या नहीं. यहां की ज्यादातर महिलाएं सब तरह का काम करती हैं. दुकान संभालने से लेकर बच्चे पालने तक के काम में उनकी बड़ी भागीदारी है. यह भी एक वजह है कि महिलाएं समर्थक के रूप में तो सदैव आगे दिखती हैं लेकिन खुद के लिए समर्थन मांगने में नहीं. राजनीति में बहुत समय देना पड़ता है, जिससे उनके बाकी के काम पर असर पड़ता है.
इसके अलावा महिला नेताओं की कमी भी एक वजह है. महिलाओं के सामने कोई रोल मॉडल नहीं है.
हालांकि यह प्रचलन अब बदल रहा है. नई पीढ़ी अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक है और राजनीति की ओर उनका रुझान भी साफ देखा जा सकता है. यह झिझक जल्दी दूर होती नहीं दिखती लेकिन आशा की जा सकती है कि भविष्य में राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ अरुणाचल में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. (dw.com)
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कुछ इलाकों में आजादी के बाद लोगों ने पहली बार लोकसभा चुनाव में वोट डाला है. बीते सालों में सरकार के प्रयासों से लोगों का डर दूर हुआ है.
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
अछूते जंगल के बीच से गुजरती एक पतली सी सड़क छत्तीसगढ़ में माओवादियों के इरादों पर भारी पड़ी है. आजाद भारत के सबसे लंबे और खूनी विद्रोह को बीते कुछ सालों में बड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को जब देश में लोकसभा चुनावके पहले दौर के लिए मतदान शुरू हुआ तो एक छोटे से गांव के लोगों ने पहली बार वोट डाला. डामर की इस नई सड़क ने उन्हें बाहरी दुनिया से जोड़ दिया है. पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसे कई गांव हैं.
तेताम गांव के प्रमुख महादेव मकराम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "पिछले राष्ट्रीय चुनाव में यहां कोई सरकार नहीं थी, ना पोलिंग बूथ थे, केवल विद्रोही थे जो सरकार से संपर्क के खिलाफ चेतावनी दे रहे थे." छत्तीसगड़ के सुदूर और जंगल वाले बस्तर जिले का तेताम गांव देश के "रेड कॉरिडोर" के केंद्र में है. यह सरकार से लड़ रहे वामपंथी गुरिल्लों का घर है.
भारत के चुनाव में बढ़ती भागीदारी के बावजूद महिलाओं को टिकट कम
जिले के विद्रोहियों के गढ़ में घुसने में नाकाम रही भारत की सरकार कई सालों तक तेताम के निवासियों को सरकार के नियंत्रण वाले इलाके में आ कर वोट डालने का अनुरोध करती थी. उधर माओवादी ऐसा करने वालों को धमकी देते थे. ऐसे में बहुत कम ही लोग यह खतरा उठा कर वोट डालने आते थे. जो करते थे उन्हें इसका कोई फायदा भी नहीं मिलता था.
मरकाम पहले पूछते थे, "क्यों वोट दें? आखिर कोई घंटों तक जंगल के रास्तों पर चल कर पहाड़ों और झरनों को पार कर के विद्रोहियों के खतरे का सामना क्यों करे? किस लिए? हमारे लिए सरकार ने आखिर किया क्या?" इस साल हालात बदले हुए हैं. तेताम उन 100 से ज्यादा गांवों में एक है जहां पहले विद्रोहियों का नियंत्रण था. 1947 में ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद यहां पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ है.
पहली बार वोट
बीते कुछ सालों में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र और राज्य सरकार ने सुरक्षा बेहतर करने के दिशा में तेजी से काम किया है. जगह जगह पुलिस के कैंप बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इलाके में सड़क और मोबाइल टावरों के विस्तार में अरबों रुपये खर्च किये हैं.
इलाके में लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे शुभ्रांशु चौधरी ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक पुलिस कैंप से कम से कम पांच वर्ग किलोमीटर का दायरा विद्रोहियों के डर और नियंत्रण से मुक्त हो जाता है." पिछले हफ्ते भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 2019 से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ में 250 सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं.
चौधरी के मुताबिक, "छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित करीब आधा इलाका सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया है, अभी और सुरक्षा कैंप बनाने की बात की जा रही है जो आने वाले वर्षों में स्थिति को और बेहतर बना सकते हैं." जनवरी से लेकर अब तक कम से कम 80 माओवादी पुलिस और सुरक्षाबल मुठभेड़ में मारे गए हैं. इनमें वो 29 भी शामिल हैं जिन्हें छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाके में चुनाव से तीन दिन पहले सुरक्षा बलों ने मार दिया.
चौधरी ने यह भी बताया कि बदलाव की बयार छह महीने पहले विधान सभा चुनाव में भी दिखाई दी थी. उस चुनाव में भी इन इलाकों में पहले से काफी ज्यादा मतदान हुआ था. उन्होंने कहा, "एक प्रक्रिया कुछ सालों से चल रही है, उसका असर अब चुनावों में बढ़े मतदान के रूप में दिख रहा है."
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में वरिष्ठ पत्रकार नरेश मिश्रा ने बताया, "जहां तक वोट देने की बात है तो 2016 से ही हालात बदल रहे हैं. सरकार का ही आंकड़ा है कि विधान सभा चुनाव में 124 बूथों पर पहली बार लोगों ने वोट डाला था. लोकसभा में भी इन बूथों पर पहली बार वोट डालने के लिए लोग आए हैं." हालांकि मिश्रा ने यह भी कहा कि कुछ बूथों पर बहुत उत्साह से मतदान हुआ है. छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 83 फीसदी मतदान बस्तर जिले में हुआ है जबकि सबसे कम 43 फीसदी बीजापुर में. कुल मिला कर छत्तीसगढ़ में पहले दौर में 68.30 फीसदी मतदान हुआ है जो राष्ट्रीय औसत के 64 फीसदी से काफी ज्यादा है. ये आंकड़े चुनाव आयोग के हैं.
लाल गलियारा
लाल गलियारा या रेड कॉरिडोर के रूप में कुख्यात रहे माओवादी आंदोलन ने 1960 के दशक से ही सिर उठाना शुरू कर दिया था. गरीब और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष के नाम पर शुरू हुए आंदोलन ने बहुत जल्द हिंसक रूप ले लिया जिसके नतीजे में अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इससे पहले की सरकारों ने जब भी इन गुरिल्लों के खिलाफ अभियान तेज किया उन्हें नुकसान ही उठाना पड़ा. सरकार के प्रति इन इलाकों में स्थानीय लोगों के मन में भी बैर बढ़ता रहा.
नक्सलियों ने अपहरण, जबरन भर्ती, हफ्ता वसूली और मौत की सजा देने जैसे कामों से अपने प्रति लोगों के मन में डर पैदा किया, खासतौर से उन लोगों में जो उनके नियंत्रण वाले इलाकों में थे. यह संघर्ष जब अपने चरम पर था तो एक बड़े इलाके में नक्सलियों ने सरकार को एक तरह से बिल्कुल नकार दिया था. नक्सली इन इलाकों में समांतर क्लिनिक, स्कूल और अपराध न्याय तंत्र भी चला रहे थे.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एएफपी से कहा, "पहले विद्रोही गांव वालों से पूछते थे कि क्या कोई सरकार दिखी है. हम तुम्हारे डॉक्टर, टीचर और जज हैं. तब वे सही थे लेकिन अब नहीं. उन्होंने सरकार को खारिज किया लेकिन आखिरकार अब सरकार आ गई." पिछले साल के एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के अभियानों के असर में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2010 के मुकाबले घट कर 45 हो गई है.
नरेश मिश्रा बताते हैं, "स्थिति में बदलाव कई स्तरों पर दिख रहा है.पहले जिस तरह समांतर स्कूल, क्लिनिक और न्याय तंत्र चल रहा था उसमें काफी कमी आई है. हालांकि माओवादियों के नियंत्रण वाले इलाके बदलते रहते हैं, लेकिन फिर बहुत से इलाके उनके नियंत्रण से बाहर गए हैं. वोट देने पर किसी की उंगली काटने या उसकी जान लेने जैसी घटना तो नहीं होती थी लेकिन उनका डर जरूर रहता था. अब बहुत से इलाकों में वह डर नहीं है."
जमीनी स्थिति में बदलाव
एक सुरक्षा कैंप तेताम गांव के पास भी 2022 में बनाया गया था. इसके साथ ही पहली बार एक सड़क भी गांव तक पहुंची. गांव के लोगों की जिंदगी अब भी पहले की तरह आस पास के जंगलों से मिलने वाली चीजों पर निर्भर है. हालांकि बदलाव की शुरुआत हो गई है.
पिछले 18 महीनों में तेताम के लोगों के पास मोबाइल फोन के कनेक्शन, नेशनल ग्रिड से बिजली, स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी राशन की दुकान की सुविधा मिल गई. यहां रहने वाले 1,050 गांववासी पहली बार अपने समुदाय से बाहर के लोगों से जुड़ रहे हैं. बहुत से लोग यहां से थोड़ी दूर पर मौजूद छोटे से शहर दंतेवाड़ा पहली बार गए. यहां की आबादी करीब 20,000 है. तेताम निवासी 27 साल के दीपक मारकाम ने कहा, "शहर सचमुच सुंदर था. वहां बहुत कुछ देखने को था. मुझे उम्मीद है कि एक दिन मेरा गांव भी ऐसा होगा."
हालांकि इस बदलाव के साथ एक समस्या विकास में संतुलन बनाने की भी उभरी है. नरेश मिश्रा बताते हैं कि बड़ी संख्या में कंपनियां इन इलाकों का रुख कर रही हैं और खदान के लिए लाइसेंस हासिल करने की फिराक में हैं. जंगल शहर बन गए तो दूसरी समस्याएं खड़ी हो जाएंगी जो और ज्यादा बड़ी चुनौती ले कर आएंगी. (dw.com)
लखीसराय, 22 अप्रैल । बिहार के लखीसराय जिले के मेदनी चौक थाना क्षेत्र में सोमवार तड़के एक अज्ञात वाहन ने दो मोटरसाइकिलों को टक्कर मार दी। इस घटना में मोटरसाइकिल सवार चार लोगों की मौत हो गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया।
पुलिस के मुताबिक, दो बाइक पर सवार होकर पांच लोग पास से ही एक शादी समारोह में भाग लेकर लौट रहे थे। इसी दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर हैबतगंज के पास अज्ञात वाहन ने दोनों बाइकों को टक्कर मार दी। हादसे में मौके पर ही चार लोगों की मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई। मेदनी चौक थाना के प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि मृतकों में पुग्गी यादव, लक्ष्मी महतो, मनीष कुमार, कुणाल कुमार शामिल हैं, वहीं सूरज कुमार जख्मी है।
हादसे के शिकार सभी लोग लखीसराय और मुंगेर के निवासी थे और पास के ही एक गांव में बारात में शामिल होकर लौट रहे थे। ठोकर मारने वाला वाहन भागने में सफल रहा। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र और राहुल गांधी द्वारा 16 मार्च 2024 को महाराष्ट्र में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि कांग्रेस एससी, एसटी, महिलाओं, गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की संपत्ति को अल्पसंख्यकों में बांटना चाहती है।
भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कांग्रेस के घोषणा पत्र के अंश और राहुल गांधी द्वारा 16 मार्च 2024 को महाराष्ट्र में दिए गए भाषण के वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए आरोप लगाया कि," कांग्रेस का घोषणापत्र 2024 स्पष्ट है। यह विशेष रूप से बताता है कि कांग्रेस जातियों और उपजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाएगी। भारत को अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने के लिए अल्पसंख्यकों का आर्थिक सशक्तिकरण एक आवश्यक कदम है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करें। अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले।"
मालवीय ने लोगों को यूपीए सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए आगे कहा कि,"यह दिन के उजाले की तरह स्पष्ट है कि कांग्रेस हमारी संपत्ति, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों, एससी, एसटी की संपत्ति, महिलाओं की बचत को छीनना चाहती है और इसे विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित करना चाहती है, जैसा कि यूपीए सरकार चाहती थी। "
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को घुसपैठियों और उन लोगों को बांट सकती है, जिनके अधिक बच्चे हैं।
( आईएएनएस)
श्रीनगर, 22 अप्रैल । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सोमवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में कई स्थानों पर छापेमारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी आतंकवादियों के पाक कनेक्शन का पता लगाने के लिए छापेमारी कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को सूचना मिली है कि आतंकवादियों को पाक से धन प्राप्त हो रहा है। एजेंसी उसी कनेेेेेक्शन का पता लगाने का प्रयास कर रही है। इस संबंध में एक सरकारी अधिकारी का भी नाम सामने आया है। एजेंसी उसके ठिकानों पर भी तलाशी ले रही है।
गौरतलब है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान से धन प्राप्त होने की सूचना पहले भी मिलती रही है। मामले में कई लोगोंं को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
(आईएएनएस)
संतकबीरनगर (यूपी), 22 अप्रैल । निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्य्क्ष डॉ. संजय निषाद पर रविवार देर रात एक शादी समारोह में जानलेवा हमला किया गया। मंत्री ने सपा के समर्थकों पर हमले का आरोप लगाया है।
डॉक्टर संजय निषाद रविवार देर रात एक शादी समारोह में संतकबीरनगर के शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहम्मदपुर कठार गांव में गए थे। इसी दौरान कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में डॉक्टर संजय निषाद घायल हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला सपा समर्थकों ने किया।
डॉक्टर निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अपनी आसन्न हार को देख समाजवादी पार्टी के लोग बौखला गए हैं। इसी के चलते उन पर हमला किया गया। उन्होंने कहा कि वे हमले से घबराने वाले नहीं हैं। समाजवादी पार्टी को राजनीतिक दृष्टि से जवाब देते रहेंगे। पुलिस हमले की जांच कर रही है। अभी तक मामले में किसी को पकड़ा नहीं जा सका है।
(आईएएनएस)
देहरादून, 22 अप्रैल । गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं होने लगी हैं। इससे जहां वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं वन्य प्राणियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कर्णप्रयाग में गौचर के सामने सारी गांव के जंगलो में शनिवार देर रात से आग लगी है। आग के चलते कई हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया। वहीं, रविवार को जंगल में आग की 22 घटनाएं सामने आईं। इसे मिलाकर इस गर्मी में आग लगने की घटनाएं बढ़कर 373 हो गई हैं। आग से पहाड़ धुआं-धुआं हो रहे हैं।
गढ़वाल में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में एक, नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क में एक, राजाजी टाइगर रिजर्व में एक, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग में एक और लैंसडाउन वन प्रभाग में आग लगने के दो मामले सामने आए हैं।
इसी प्रकार रामनगर वन प्रभाग में एक, तराई पूर्वी वन प्रभाग में नौ, हल्द्वानी वन प्रभाग में चार और बागेश्वर वन प्रभाग के आरक्षित क्षेत्र में एक मामला सामने आया है।
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कुछ जगहों पर आग काबू में नहीं आ पा रही है। वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर आग पर काबू पाने के प्रयास में जुटे हैं।
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, एक नवंबर 2023 से अब तक जंगल में आग की 373 घटनाएं हो चुकी हैं। इससे 436 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अप्रैल । नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचार में जुटे यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला और कहा कि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के बाद हार का सिक्सर लगाने की तैयारी में जुटेंगे। उन्होंने कहा कि चार जून को चार बजे भाजपा चार सौ पार हो जाएगी। केशव प्रसाद ने आईएएनएस से चुनावी मुद्दे पर खुलकर बातचीत की।
पेश है बातचीत के कुछ अंश :
सवाल : पहले चरण का चुनाव बीत गया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दावा किया है कि इस फेज में आपका खाता नहीं खुलेगा। इस पर क्या कहना है ?
जवाब : अखिलेश जी हार का चौका लगा चुके हैं। 5वीं बार हारने जा रहे हैं। विश्वास कीजिये कि प्रथम चरण के चुनाव में भाजपा आठ की आठ सीटें जीते चुकी हैं और यूपी की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे। चार जून को शाम चार बजे आने वाले चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में होंगे। हम 400 सीटें पार होंगे। यह चुनाव परिणाम आने के बाद अखिलेश द्वारा हार का सिक्सर लगाने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी।
सवाल : भाजपा को कहा जाता है कि वह जातीय गुलदस्ता बनाकर चलती है। उस गुलदस्ता में सब कोई समाहित रहता है। लेकिन इस चुनाव में पश्चिमी यूपी में देखा जा रहा है कि सैनी, त्यागी और क्षत्रिय नाराज दिख रहे हैं। इसका क्या असर होगा चुनाव में।
जवाब : कोई नाराज नहीं है। सभी लोग प्रसन्न हैं। जो नाराजगी दिख रही है वह विपक्षी नेताओं के बयान में और मीडिया के सुर्खियों में होगी। लेकिन धरातल की जानकारी जैसे 2017 में मीडिया और विपक्षी नेताओं को नहीं पता चली और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के साथ रालोद जो इन लोगों के साथ था, उसके बाद भी 64 सीटें जीती, तब भी नहीं पता चली। 2022 में 400 पार का नारा देने वाले अखिलेश यादव की साइकिल जब पंचर हो गई तो उनको भी पता नहीं चला। जो 2024 में समर्थन भाजपा को मिल रहा है ऐसा कभी नहीं मिला होगा।
सवाल : जाति विरोध का असर क्या पहले चरण के चुनाव में दिखा ?
जवाब : जो विरोध करने वाले लोग हैं, वो गिने चुने हैं। संपूर्ण समाज न मोदी जी का विरोधी है न भाजपा का। अगर मान लीजिए किसी समाज का एक लाख व्यक्ति है तो उसमें से 10 व्यक्ति विरोध करते हैं बाकि लोग समर्थन में खड़े हैं और नहीं बोलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वह समर्थन में नहीं हैं। मतलब ऐसे गिने चुने कहीं विरोध में होंगे तो अपनी निजी स्वार्थों के कारण होंगे। लेकिन बाकी लोग मोदी जी और भाजपा के समर्थन में हैं और जो विरोध में हैं वह भी कमल का बटन ही दबाएंगे।
सवाल : विपक्ष भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का बार-बार आरोप लगा रहा है।
जवाब : देखिए, इस देश में जो जांच एजेंसियां हैं वह अपना काम कर रही हैं। उनके आंकड़ों के हिसाब से केवल 3 प्रतिशत राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए लोग उस जांच के दायरे में हैं। उनके खिलाफ जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की है। जांच एजेंसी अंतिम अथॉरिटी नहीं होती है। जांच एजेंसियों की स्थापना भाजपा ने नहीं किया है। यह आजादी के बाद की तत्काल स्थापित एजेंसियां हैं। अब आज कार्रवाई हो रही है वह किसी राजनीतिक दल के नेता और पदाधिकारी हैं या कहीं मंत्री हैं तो उनके अपराध को क्षमा कर दिया जाए तो भारत का संविधान और कानून इसकी अनुमति नहीं देता है। जो गलत करेगा उसे सजा मिलेगी।
सवाल : विपक्ष बसपा को भाजपा की बी टीम होने का दावा करता रहा है। लेकिन इस बार यह चीज देखने को मिली कि मायावती ने जितने उम्मीदवार उतारे हैं वो भाजपा का ही वोटबैंक काट रहे हैं।
जवाब :कोई हमारी टीम नहीं है। भाजपा भाजपा है। विरोधी पार्टियां विरोधी पार्टियां हैं। उनकी पार्टी की ओर से जो उम्मीदवार उतारना चाहें वो उतारें। लेकिन भाजपा अभी 2019 के चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन को धूल चटा चुकी है। इसलिए उनके पार्टी से कौन उम्मीदवार आ रहा है, यह हम लोग नहीं देखते। देश और प्रदेश की जनता सिर्फ एक चीज देख रही है कि हमारे उम्मीदवार सिर्फ नरेंद्र मोदी जी हैं।
सवाल : आप किसी पर व्यक्तिगत आरोप व टिप्पणी नहीं करते, लेकिन जैसे राम गोपाल यादव ने आप पर टिप्पणी की, इस बारे में आप क्या कहते हैं।
जवाब : पीएम मोदी को कांग्रेस ने गाली दी और कांग्रेस मुक्त भारत देश हो गया। अखिलेश यादव हों या उनके चाचा, उनके खिलाफ अपशब्दों को प्रयोग नहीं करूंगा। मैं राष्ट्रीय स्व्यं सेवक संघ का कार्यकर्ता रहा हूं। इसके अलावा मैं ऐसे परिवार से हूं जहां किसी विचार का विरोध किया जाता है, व्यक्तिगत नहीं। मैं उनको सिर्फ इतना कहूंगा कि उस गाली का जवाब जनता कमल का बटन दबाकर देगी।
सवाल : इस बार ध्रुवीकरण का मुद्दा दिख नहीं रहा है।
जवाब : देखिए तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त हो गई है। संतुष्टिकरण की राजनीति शुरु हो गई है -- सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास। इसी को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व देश तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रहा है। किसी दल विशेष का तुष्टीकरण का एजेंडा था, वह अब सफल होता नहीं दिख रहा है। जातिवाद की जगह लोगों ने विकास को स्वीकार कर लिया है।
सवाल : विपक्ष द्वारा बार बार यह आरोप लगाया जा रहा है कि आप लोग सत्ता में दोबारा आएंगे तो संविधान बदल देंगे।
जवाब : भाजपा संविधान बदल देगी, यह एक सुनियोजित तरीके से अफवाह फैलाने व गुमराह करने का असफल प्रयास है। भाजपा समान नागरिक संहिता लाएगी। अगर संविधान बदलना है तो यह संविधान में व्यवस्था है कि इस देश में एक देश और एक कानून होना चाहिए। भाजपा सत्ता में आएगी तो एक वोटर लिस्ट और एक चुनाव कराने का काम करेगी। मतलब वन नेशन वन इलेक्शन कराने का काम करेगी। जम्मू कश्मीर से 370 हटाना संविधान बदलना है, तो इस प्रकार के आरोप लगाकर गुमराह कर सकते हैं। दरअसल यह विपक्ष की साजिश है भाजपा को बदनाम करने की। उन्हें डर है कि अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो भ्रष्टाचारियों को छोड़ेगी नहीं।
सवाल : कांग्रेस की तरफ से भारी भरकम रोजगार का वादा कर खाली पदों की सूची बताई जा रही है? इस पर क्या कहेंगे ?
जवाब : कांग्रेस झूठ बोलने की ऑटोमैटिक मशीन है। यह झूठ बोलो, अफवाह फैलाओ और गुमराह करो' की नीति का अनुसरण कर रही है और उसी पर चल रही है। जब से स्वतन्त्र भारत के इतिहास में इसने राजनीति शुरू की तभी से झूठ बोल रही है। चुनाव के माध्यम से सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस ने जो भी कहा उसने अपने उस वादे को कभी पूरा नहीं किया। इधर, भाजपा जब से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सत्ता में आने के साथ ही 'जो कहा सो किया' के अपने वादे को निभाती आ रही है। इसी कांग्रेस ने राज्यों में चुनाव जीतने के लिए पुरानी पेंशन का वादा किया था और जब घोषणापत्र जारी किया तब पुरानी पेंशन योजना का जिक्र तक नहीं है। इसी कांग्रेस ने 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया था, लेकिन कभी 'गरीबी' नहीं हटाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सब मुद्दों पर कोई नारा नहीं दिया, लेकिन '25 करोड़ लोगों को गरीबी' से बाहर निकालने का काम किया। 'कांग्रेस पार्टी झूठ बोलने की ऑटोमैटिक मशीन है, इसकी मैन्युफैक्चरिंग में ही गड़बड़ी है। कांग्रेस के डीएनए में है कि वह जो वादे करेगी, वह कभी पूरे नहीं होंगे। उनके वादों के पूरा होने की कोई गारंटी नहीं है। इसके उलट, भाजपा जो कहती है, वह करती है। भाजपा बिना कहे खाली पदों को भरेगी। जरूरत के अनुसार नए पद भी सृजित किये जायेंगे। इस देश की युवा पीढ़ी का सम्मान और प्रतिभा का सदुपयोग भाजपा सरकार में ही हुआ है। भाजपा ही आगे भी युवा शक्ति का सदुपयोग करने में सक्षम है। कांग्रेस के पास तो विपक्ष का नेता पद पाने के लिए भी सांसदों की संख्या नहीं होंगे। 2014 और 2019 से भी बुरा हाल 2024 में होगा।
सवाल : इस चुनाव में फैक्टर क्या है?
जवाब : देखिए, इस चुनाव का फैक्टर यह है कि यह कोई साधारण चुनाव नहीं है। यह चुनाव देश को पांच साल नहीं 100 साल आगे ले जाने वाला है। जो कांग्रेस 60 साल के शासन में नहीं कर सकी, वह पीएम मोदी के नेतृत्व में उससे 4 गुना अधिक 10 गुना 10 वर्ष के शासन में हुआ। 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। 1 करोड़ से अधिक गरीब दीदीयां लखपति बनी हैं। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए 52 करोड़ जन धन खाते खोले और 34 लाख करोड़ की विभिन्न योजनाओं के पैसे लोगों के खाते में भेजे गए और एक रुपए का घोटाला नहीं हुआ। कांग्रेस के पीएम राजीव गांधी संसद में खड़े होकर कहते थे कि हम दिल्ली से एक रुपए भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है। भ्रष्टाचार की अम्मा कांग्रेस पार्टी है, वह मुकाबले से बाहर है। उसको प्रत्याशी खोजने नहीं मिल रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश का समाचार मैंने पिछले दिनों पढ़ा तो देखा कि 10 भाजपा के विधायक निर्विरोध इसलिए निर्वाचित हुए क्योंकि कांग्रेस के पास लड़ाने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे। इससे आप समझ सकते हैं कि भाजपा का तूफान किस तेजी से चल रहा है और जनता मोदी जी के समर्थन में किस तेजी के साथ खड़ी है।
सवाल : सपा ने अपना मूल कैडर वोटर मुस्लिम और यादव को छोड़कर आपकी तरह अन्य पिछड़ी जातियों को टिकट देने का काम किया है।
जवाब : का वर्षा जब कृषि सुखानी। जब सपा की हैसियत थी कि किसी को विधायक और सांसद बनवा सकती थी, तब तो आपने उनको पूछा नहीं। जब एक पिछड़ी जाति के गरीब मां-बाप का लड़का देश का प्रधानमंत्री बन गया और फिर से बनने जा रहे हैं तो फूट डालो और सांसद बना लो, यह संभव नहीं है। मतदाता बहुत समझदार है। पिछड़े और अगड़ा वर्ग भाजपा के साथ हैं। सभी वर्ग भाजपा के साथ हैं। हम सबका साथ सबका विकास करते हैं, इसलिए सबका विश्वास और समर्थन हमारी पार्टी और पीएम मोदी को मिल रहा है।
सवाल : पीएम मोदी ने नारा दिया है 400 पार का, तो क्या यह संभव है?
जवाब : देखिये चार जून, चार बजे, चार सौ पार। फिर एक बार प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार। जो नारा 2014 में दिया था कि 272 प्लस, तो 283 जीती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में नारा था 300 पार, तो 303 जीते। 2024 का नारा है 400 पार तो मुझे पूरा विश्वास है कि देश पीएम मोदी का दीवाना है। मोदी जी देशवासियों के दीवाने हैं। मतलब वन-वे ट्रैफिक नहीं है। टू-वे ट्रैफिक है। जनता भी चाहती है कि मोदी जी के नेतृत्व में 400 पार हो। मोदी जी की अपील का बहुत गहरा असर लोगों में हुआ है। सबको विश्वास है कि भारत को विश्व में विकसित व शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करना है, गरीबी से मुक्त भारत बनाना है तो और सभी क्षेत्रों में भारत को प्रगति के पथ पर आगे ले जाना है, रेल मार्ग हो - सड़क मार्ग हो, हवाई मार्ग हो, जलमार्ग हो सबको चालू करना है। हर खेत तक सिंचाई का भी पानी हो, हर घर तक पीने का भी पानी हो, हर घर में बिजली भी हो, यह सब कुछ करना है। मुझे विश्वास है कि इस लक्ष्य को पीएम मोदी ने 370 भाजपा और 400 प्लस भाजपा गठबंधन के लिए कहा है। यूपी के 80 की 80 लोकसभा सीट जीतेंगे। यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता नहीं खुलेगा।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 22 अप्रैल । कर्नाटक में नेहा हिरेमथ हत्याकांड मामले में बीजेपी ने सोमवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। बीजेपी ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर कानून-व्यवस्था नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगाया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र मैसूर में प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे, वहीं दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष अशोक तुमकुरु में प्रदर्शन करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और जगदीश शेट्टर हावेरी और बेलगावी संसदीय क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे। हिंदुत्व नेता और बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और कलबुर्गी में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष सी. मंजुला ने सोमवार को छह बजे कैंडल मार्च निकालने का भी ऐलान किया है।
मंजुला ने कहा कि हिंदुओं पर लगातार हमले तेज होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "सरकार इस पूरे मामले की जांच में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है। सरकार ने इस पूरे मामले में गलत सूचना भी उपलब्ध कराई है। वह उडुपी शहर के एक कॉलेज से आए टॉयलेट वीडियो रिकॉर्डिंग मामले में भी गलत जानकारी दे रही है। बेलगावी में सामने आए एक महिला की नग्न परेड मामले में भी सरकार ने गुमराह करने की कोशिश की।"
कांग्रेस पार्षद की बेटी नेहा की पिछले हफ्ते हुबली में उसके कॉलेज में नाराज प्रेमी फयाज कोंडिकोप्पा ने हत्या कर दी थी।
नेहा के पिता निरंजन हिरेमथ ने सख्त लहजे में कह दिया है कि अगर जांच के साथ छेड़छाड़ की गई तो वो और उनका परिवार सुसाइड कर लेंगे।
कांग्रेस नगरसेवक निरंजन हिरेमथ ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से निवेदन किया है कि वो उनकी बेटी को इंसाफ दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी निरंजन हिरेमथ के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे थे।
(आईएएनएस)
पिथौरागढ़, 22 अप्रैल । उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है, जहां उनका उपचार हो रहा है।
घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और घायलोंं को इलाज के लिए अस्पताल भेजा। घटना की सूचना मिलने के बाद एएसआई सुंदर सिंह मौके पर पहुंचे और पूरी वस्तुस्थिति का जायजा लिया।
एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची। चार लोगों के शव को खाई से निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
पुलिस के मुताबिक, ये सभी लोग किसी शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ये लोग दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का शिकार हो गए। फिलहाल, पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 22 अप्रैल । संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ रहे तेलंगाना के दो छात्रों की एरिजोना में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
उनके परिवारों को मिली सूचना के मुताबिक, निवेश मुक्का और गौतम कुमार पारसी की शनिवार रात (स्थानीय समय) पियोरिया में उस समय मौत हो गई, जब उनकी कार दूसरी कार से जा टकराई। दोनों की उम्र 19 वर्षीय थी।
रिपोर्ट के अनुसार, निवेश करीमनगर जिले के हुजूराबाद शहर का रहने वाला था, वहीं गौतम कुमार जनगांव जिले के स्टेशन घनपुर का रहने वाला था। दोनों एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे थे।
दोनों अपने दोस्तों के साथ विश्वविद्यालय से घर लौट रहे थे, तभी सामने से आ रही कार ने उनके वाहन को टक्कर मार दी। निवेश और गौतम की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए।
निवेश डॉक्टर दंपत्ति नवीन और स्वाति का बेटा था। दोनों छात्रों के परिवारों ने भारत सरकार से शवों को वापस लाने में मदद की अपील की है।
(आईएएनएस)