अंतरराष्ट्रीय
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक बार फिर जनता को संबोधित करते हुए अपने ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साज़िश होने का दावा किया और सीधे-सीधे अपने देश के विपक्षी नेताओं और अमेरिका की मिलीभगत का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि ''मैं ख़ुद्दारी, इंसाफ़ और जनता की भलाई के सिद्धांतों पर चला हूँ. आज मैं ख़ुद्दारी और इंसाफ़ पर बात करना चाहता हूँ. लेकिन विपक्ष को अमेरिका ने कहा है कि इमरान ख़ान अगर पद पर बने रहे तो पाकिस्तान को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा और अगर वो पद से हट जाते हैं तो पाकिस्तान को माफ़ कर दिया जाएगा. '' (bbc.com)
इस्लामाबाद, 9 अप्रैल। पाकिस्तान की संसद शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ महत्वपूर्ण अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है। पाकिस्तान के इतिहास में संभवत: खान ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है।
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए नेशनल असेंबली का सत्र सुबह साढ़े 10 बजे (स्थानीय समयानुसार) से शुरू होगा।
प्रधानमंत्री खान को पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों की आवश्यकता है। विपक्षी दलों ने क्रिकेटर से नेता बने खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के असंतुष्टों और सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सहयोगियों की मदद से जरूरत से ज्यादा समर्थन हासिल कर लिया है।
नेशनल असेंबली सचिवालय द्वारा शुक्रवार को जारी ‘ऑर्डर ऑफ द डे’ के मुताबिक, संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली (एनए) के छह सूत्री एजेंडे में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान चौथे स्थान पर है।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, खान (69) के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पीटीआई पार्टी ने विपक्ष के लिए चीजों को जितना हो सके उतना कठिन बनाने का संकल्प लिया है, चाहे वह मतदान प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करना हो या विपक्षी उम्मीदवार शहबाज शरीफ को सदन का नया नेता बनने से रोकना।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी के मुताबिक, सरकार ‘धमकी भरे’ संदेश या उसकी सामग्री को संसद में पेश करेगी और सदन के अध्यक्ष से इस मुद्दे पर बहस के लिए कहेगी। शुक्रवार रात को ‘एआरवाई न्यूज’ से चौधरी ने कहा कि मुझे लगता है कि भले ही अविश्वास प्रस्ताव नेशनल असेंबली के एजेंडे में है लेकिन शनिवार को मतदान नहीं होने की संभावना है। खबर में चौधरी के हवाले से कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को बुलाए गए सत्र में मतदान कराने का निर्देश दिया था, इसका मतलब यह नहीं है कि यह उसी तारीख को होगा।
खान ने हाल के हफ्तों में एक ‘धमकी भरे खत’ के बारे में बात की और दावा किया कि यह उन्हें हटाने की एक विदेशी साजिश का हिस्सा था क्योंकि स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के कारण वह उन देशों को स्वीकार्य नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनकी बहुत इच्छा है कि लोग इस खत को देख सकें लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण इसे साझा करने से इनकार कर दिया। हालांकि, इसका सार उन्होंने साझा किया।
खान ने शुक्रवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अपने उन आरोपों को दोहराया कि एक अमेरिकी राजनयिक ने पाकिस्तान में शासन परिवर्तन की धमकी दी थी। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने बृहस्पतिवार को परस्पर सहमति से दिए ऐतिहासिक फैसले में कहा कि नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी का खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला ‘‘संविधान के खिलाफ’’ था।
शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री खान की राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली को भंग करने की सलाह को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित किया और निचले सदन के अध्यक्ष को शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए एक सत्र बुलाने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
इस बीच, प्रधानमंत्री खान के अपदस्थ होने के मद्देनजर विपक्ष ने नयी सरकार के गठन के लिए अपनी प्रारंभिक वार्ता पूरी कर ली है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने शुक्रवार को बताया कि राष्ट्रपति अल्वी को हटाने और ब्रिटेन से अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वापसी की योजना पर काम चल रहा है। (भाषा)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता 70 वर्षीय शहबाज शरीफ, जो नए प्रधानमंत्री के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हैं, शपथ लेने के बाद अपनी संभावित सरकारी प्राथमिकताओं की घोषणा करेंगे। नयी संभावित संघीय सरकार में सभी विपक्षी दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 9 अप्रैल। औसतन हर चार महीने पर सार्स-कोव-2 वायरस का एक नया स्वरूप सामने आने के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने आगाह किया है कि कोविड-19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि एशिया में बड़े पैमाने पर इसके मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
गुतारेस ने सरकारों और दवा कंपनियों से हर जगह, हर व्यक्ति तक टीके पहुंचाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
यूएन महासचिव ने शुक्रवार को गावी कोवैक्स एडवांस मार्केट कमिटमेंट समिट-2022 में दिए एक वीडियो संदेश ‘वन वर्ल्ड प्रोटेक्टेड-ब्रेक कोविड नाउ’ में कहा, “यह बैठक इस बात की याद दिलाने के लिए अहम है कि कोविड-19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। रोजाना औसतन 15 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। एशिया में बड़े पैमाने पर मरीज मिल रहे हैं। पूरे यूरोप में एक नयी लहर फैल रही है।”
गुतारेस ने कहा कि कुछ देशों में महामारी की शुरुआत के बाद से मृत्यु दर सबसे अधिक दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप ने सबको हैरत में डाल दिया था और यह इस बात की याद दिलाता है कि उच्च टीकाकरण दर के अभाव में वायरस कितनी जल्दी उत्परिवर्तित होकर फैल सकता है।
यूएन महासचिव ने अफसोस जताया कि कुछ उच्च आय वाले देश अपने नागरिकों को दूसरी बूस्टर खुराक देने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि एक-तिहाई वैश्विक आबादी का टीकाकरण शुरू भी नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, “यह हमारी असमान दुनिया का एक क्रूर सत्य है। यह नए स्वरूपों के अस्तित्व में आने, अधिक मौतें… होने और मानव समाज के लिए आर्थिक दुश्वारियां बढ़ने की प्रमुख वजह भी बन रहा है।”
गुतारेस ने कहा कि अगले स्वरूप की दस्तक को लेकर ‘अगर’ नहीं, बल्कि ‘कब’ का सवाल उठना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम इस साल के मध्य तक हर देश की 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य से बहुत दूर हैं। औसतन हर चार महीने पर नए स्वरूप का सामने आना इस बात की चेतावनी देता है कि समयसीमा का पालन कितना अहम है।”
गुतारेस ने कहा कि सरकारों और दवा कंपनियों को एक साथ काम करने की जरूरत है, ताकि हर जगह हर व्यक्ति को टीके पहुंचाए जा सकें, न कि सिर्फ अमीर देशों में।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप का एक नया स्वरूप, जो पहली बार ब्रिटेन में पाया गया था, वायरस के पिछले स्वरूपों की तुलना में अधिक संक्रामक प्रतीत होता है।
डब्ल्यूएचओ ने पिछले सप्ताह कहा था कि एक्सई स्वरूप (बीए.1-बीए.2) का पहली बार ब्रिटेन में 19 जनवरी को पता चला था और तब से इसके 600 से अधिक रूपों की पुष्टि की गई है।
इस हफ्ते जारी डब्ल्यूएचओ की साप्ताहिक संक्रमण रिपोर्ट में उसके छह क्षेत्रों में 90 लाख से अधिक नए मामले सामने आने और 26,000 से अधिक मौतें होने की जानकारी दी गई है। सभी क्षेत्रों से नए साप्ताहिक मामलों और मौतों की संख्या में घटते रुझान के संकेत मिले हैं। वैश्विक स्तर पर तीन अप्रैल तक 48.9 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 60 लाख से अधिक मौतें हुई हैं।
देशों की बात करें तो सबसे अधिक नए साप्ताहिक मामले दक्षिण कोरिया (2,058,375 नए मामले, 16 प्रतिशत की गिरावट), जर्मनी (1,371,270 नए मामले, 13 प्रतिशत की कमी), फ्रांस (959,084 नए मामले, 13 प्रतिशत की वृद्धि), वियतनाम (796,725 नए मामले, 29 प्रतिशत की गिरावट) और इटली (486,695 नए मामले, तीन प्रतिशत की गिरावट) में दर्ज किए गए।
वहीं, मौतों की बात करें तो सबसे ज्यादा जानें अमेरिका (4,435 मौतें, 10 प्रतिशत की गिरावट), रूस (2,357 मौतें, 18 प्रतिशत की गिरावट), दक्षिण कोरिया (2,336 मौतें, 5 प्रतिशत गिरावट), जर्मनी (1,592 मौतें, 5 प्रतिशत की वृद्धि) और ब्राजील में (1,436 मौतें, 19 प्रतिशत की गिरावट) गईं। (भाषा)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 9 अप्रैल। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टोरंटो में 21 वर्षीय भारतीय छात्र की हत्या पर शोक जताया है। गोलीबारी में घायल होने के बाद छात्र की मौत हो गई थी।
टोरंटो पुलिस सेवा को सात अप्रैल को स्थानीय उपनगर स्टेशन पर गोलीबारी की सूचना मिली थी। स्टेशन के प्रवेश द्वार पर कार्तिक वासुदेव को गोलियां मारी गई थीं। मौके पर प्राथमिक उपचार देने के बाद वासुदेव को अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘इस घटना से बेहद दुखी हूं। परिवार के प्रति संवेदनाएं।’’
टोरंटो पुलिस ने कहा कि जांचकर्ता उन गवाहों की तलाश कर रहे हैं, जो घटना के समय इलाके में मौजूद थे, साथ ही वहां लगे कैमरे के फुटेज की भी जांच की जा रही है।
टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट कर कहा, ‘‘हम टोरंटो में गोलीबारी की घटना में भारतीय छात्र कार्तिक वासुदेव की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या से स्तब्ध और व्यथित हैं।’’
महावाणिज्य दूतावास ने कहा, ‘‘परिवार के साथ संपर्क में हैं और शव को जल्द परिजनों को सौंपने के लिए हर संभव मदद प्रदान करेंगे।’’ (भाषा)
इमरान ख़ान एक बार फिर पाकिस्तान को संबोधित कर रहे हैं. गुरुवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को एक बार फिर से बहाल कर दिया था.
इसके बाद से देश की राजनीति पर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं.
अपने ताजा संबोधन में इमरान ख़ान ने क्या-क्या कहा?
26 साल पहले मैंने जो तहरीक-ए-इंसाफ़ शुरू की. तब से मेरे सिद्धांत नहीं बदले हैं. मैंने अपनी पार्टी का नाम इंसाफ़ रखा. मैं ख़ुद्दारी, इंसाफ़ और जनता की भलाई के सिद्धांतों पर चला हूं. आज मैं ख़ुद्दारी और इंसाफ़ पर बात करना चाहता हूं.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से मुझे मायूसी हुई है लेकिन मैं पाकिस्तान की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करता हूं.
मैं आज तक एक बार जेल गया हूं. ये मेरा यक़ीन है कि किसी भी समाज की बुनियाद इंसाफ़ पर होती है और अदालत उस इंसाफ़ की रखवाली होती है. मुझे ये कहते हुए अफ़सोस हुआ है.अदालत का जो भी फ़ैसला है हम उसे स्वीकार करते हैं, लेकिन मुझे उस पर अफ़सोस है.
डिप्टी स्पीकर ने आर्टिकल 5 के तहत नेशनल असेंबली को भंग किया था. ये बड़ा गंभीर आरोप है कि एक बाहरी मुल्क साज़िश करके सरकार को गिराता है. ये बहुत गंभीर आरोप है, कम से कम सुप्रीम कोर्ट को इन आरोपों की जांच तो करनी चाहिए थी. कम से कम सुप्रीम कोर्ट को उस दस्तावेज़ को बुलाकर देखना चाहिए.
ख़ुलेआम राजनेताओं के जमीर ख़रीदे जा रहे हैं. भेड़ बकरियों की तरह उन्हें होटलों में बंद किया जा रहा है. सोशल मीडिया का ज़माना है. बच्चे-बच्चे को पता है कि वो किस क़ीमत में बिक रहे हैं. दुनिया के किस लोकतंत्र में ऐसा होता है.
हम सुप्रीम कोर्ट से ये उम्मीद कर रहे थे कि वो नेताओं की इस ख़रीद-फ़रोख़्त का स्वतः संज्ञान ले. ये किस तरह का लोकतंत्र है जिसमें नेताओं की खुलेआम बिक्री हो रही है.
पाकिस्तान ऐसा देश है जिसकी साठ प्रतिशत से अधिक आबादी तीस साल से कम उम्र की है. अगर हम इन युवाओं को दिशा नहीं देंगे तो वो भी ये समझेंगे कि अगर देश के नेता रिश्वत देकर नेताओं को ख़रीद सकते हैं, तो देश किस तरफ़ जा रहा है.
ये सब शरीफ़ भाइयों ने नेताओं को भेड़ बकरियों की तरह ख़रीदना शुरू किया था और तब से ही सियासत और नीचे जाती जा रही है. जनता की ख़िदमत करने का वादा करके आने वाले नेता बिक रहे हैं.
आरक्षित सीटों से चुने जाने वाले नेता बिक रहे हैं. मैं एक पाकिस्तानी के रूप में बात कर रहा हूं. मैं एक ख़्वाब देखता था कि हमारा पाकिस्तान एक महान देश बनेगा. मेरा ये ख़्वाब अब भी ज़िंदा है.
ये एक संघर्ष है मेरा. इस संघर्ष को इस तमाशे से बहुत धचका लगा है. हमने अदालत का फ़ैसला स्वीकार किया है, लेकिन हम इस बात से मायूस हैं कि पाकिस्तान में जो ये सब खुले आम हो रहा है, इसे लेकर कोई गंभीर नहीं है. सब तमाशा देख रहे हैं
मैंने दुनिया देखी है. बीस साल इंग्लैंड में रहा हूं. किसी पश्चिमी देश में मैंने ऐसा नहीं देखा है. वहां ना कोई किसी को ख़रीदने का सोच सकता है और ना कोई बिकता है क्योंकि समाज उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है.
ये समाज की ज़िम्मेदारी है कि वो बुराई को रोके. जब बुराई को रोका नहीं जाता है तो वो समाज में फैल जाती है. जिस तरह से पश्चिमी देशों के लोग इंसाफ़ के लिए और बुराई के ख़िलाफ़ खड़े होते हैं, हमारे लोग नहीं होते.
ब्रितानिया में मैंने इराक़ युद्ध के ख़िलाफ़ मार्च में हिस्सा लिया. बीस लाख लोग इस मार्च में शामिल थे. उस युद्ध से ब्रितानिया को फ़ायदा हो रहा था लेकिन देश के लोग उसके ख़िलाफ़ खड़े हो गए थे. मैं अपने देश के लोगों से आह्वान करता हूं कि उन्हें भी अपने आप को और अपने देश के भविष्य को बचाना होगा. कोई बाहर से हमें बुराई के ख़िलाफ़ बचाने नहीं आएगा, हमें ख़ुद खड़ा होना होगा.
हम 22 करोड़ लोग हैं. ये हमारी कितनी बेइज्जती है कि वो अधिकारी हमारे देश को हुक्म दे रहा है. वो कह रहा है कि अगर आपका प्रधानमंत्री बच जाता है तो आपको परीणाम झेलने पड़ेंगे और अगर ये हार जाता है तो हम आपको माफ़ कर देंगे. मैं पाकिस्तान के लोगों से सवाल करना चाहता हूं कि अगर हमें ऐसे ही रहना है तो फिर हम अपनी आज़ादी का जश्न क्यों मनाते हैं. बाहर के देश हमें हुक्म दे रहे हैं. वो हमारे प्रधानमंत्री को हटाने के लिए कह रहे हैं.
मीडिया के अंदर पैसा चल रहा है. मीडिया को भी शर्म नहीं आ रही. सबको पता है कि एक पार्टी के लिए चुने गए लोग दूसरी पार्टी में जा रहे हैं. मीडिया को भी सब पता है. इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि सरकार गिर रही है. हमें धीरे-धीरे चीज़ें पता चलनी शुरू हुई हैं.
अमेरिका के राजनयिक हमारे लोगों से मिल रहे हैं. चंद महीने पहले अमेरिकी अधिकारियों ने हमारे नेताओं को बताया कि इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आ रहा है. मैं अपने देश के लोगों से ये कहना चाहता हूं कि हम क्या चाहतें हैं. क्या हम आज़ाद और खुद्दार क़ौम बनकर रहना चाहते हैं या किसी के ग़ुलाम बनकर रहना चाहते हैं.
इमरान ने फिर की भारत की तारीफ़
मैं हिंदुस्तान को बाक़ी लोगों से बेहतर जानता हूं. मेरे वहां संबंध हैं. मुझे अफ़सोस है कि आरएसएस की विचारधारा और कश्मीर के हालात की वजह से हमारे संबंध ख़राब हुए हैं.
किसी की जुर्रत नहीं है कि भारत के बारे में ऐसी बात करें. किसी विदेशी ताक़त की हिम्मत नहीं है कि वो भारत की विदेश नीति में दख़ल दे सके. भारत एक ख़ुद्दार देश है.
भारत की विदेश नीति स्वतंत्र हैं और हर दबाव को दरकिनार कर वो रूस से तेल ले रहा है.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील
आपने सबने ईसा की नमाज़ के बाद परसों (रविवार को) निकलना है और एक ज़िंदा क़ौम की तरह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना है. प्रदर्शन में तोड़फोड़ नहीं करनी है बल्कि आपको बताना है कि आप अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए निकले हैं.
ये जो बाहर से साज़िश करके, ज़मीर ख़रीदकर जो ड्रामा हो रहा है, इसका आपको विरोध करना है. ये आपका फ़र्ज़ है. इससे पता चलेगा कि पाकिस्तान एक ज़िंदा क़ौम है. इतिहास कभी किसी को माफ़ नहीं करता है. कौन क्या भूमिका निभा रहा है, इतिहास इसे साफ़ कर देता है. सुप्रीम कोर्ट के कौन से फ़ैसले अच्छे हैं और कौन से देश के हित में नहीं हैं, ये इतिहास बता देता है.
आपको एक आज़ाद क़ौम की तरह खड़ा होना है. ज़िंदा क़ौमें खड़ी होती हैं. पाकिस्तान के लोगों ने ला इलाहा इल्लाह के लिए क़ुर्बानियां दी थीं, इसलिए नहीं कि कोई बाहर से आकर सरकार हम पर थोप दे और हम ग़ुलामी करें. आपको पाकिस्तान के उस ख़्वाब के लिए परसों ईसा की नमाज़ के बाद बाहर निकलना है और प्रदर्शन करना है.
मैं भी लोगों के बीच में रहूंगा और किसी क़ीमत पर ये क़ुबूल नहीं करूंगा कि बाहर की कोई ताक़त पाकिस्तान में हस्तक्षेप करें. पाकिस्तान ज़िंदाबाद. (bbc.com)
चेर्निहाइव (यूक्रेन), 8 अप्रैल। यूक्रेन के उत्तरी शहर से पीछे हटने के दौरान रूसी सैनिक अपने पीछे बर्बादी का मंजर छोड़ते गए। रूसी सैनिकों ने इमारतों को नुकसान पहुंचाया, सड़कों पर क्षतिग्रस्त कारें बिखरी थीं और आम लोग भोजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी से जूझ रहे थे। बृहस्पतिवार को समाने आई तस्वीरों ने रूस के अगले आक्रमण को रोकने में यूक्रेन की मदद की मांग को और हवा दी।
चेर्निहाइव में सहायता-वितरण केंद्र के रूप में सेवा कर रहे एक क्षतिग्रस्त स्कूल के बाहर खड़ी वैन से ब्रेड, डायपर और दवा प्राप्त करने के लिए दर्जनों लोग कतार में खड़े थे, जहां से पीछे हटने से पहले रूसी सेना का कई हफ्तों तक घेराव था। शहर की सड़कें क्षतिग्रस्त इमारतों से अटी पड़ी हैं जिनकी छतें या दीवारें गायब हैं। एक कक्षा में ब्लैकबोर्ड पर अब भी संदेश लिखा है: ‘‘बुधवार 23 फरवरी - कक्षा कार्य।’’ इसके अगले ही दिन रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था।
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि हाल में रूसी सेना की वापसी के बावजूद देश कमजोर बना हुआ है और उन्होंने आगामी आक्रमण का सामना करने के लिए नाटो से हथियारों की गुहार लगाई। गठबंधन के राष्ट्रों ने हथियारों की आपूर्ति बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, इस रिपोर्ट के आधार पर कि रूसी सेना ने राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में अत्याचार किया।
पश्चिमी देशों के सहयोगियों ने रूस पर आर्थिक दंड भी बढ़ा दिया, जिसमें रूसी कोयला आयात पर यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंध और रूस के साथ सामान्य व्यापार संबंधों को निलंबित करने का अमेरिकी कदम शामिल है। कुलेबा ने पश्चिमी देशों को रूस पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया और पूछा, ‘‘प्रतिबंध लगाने के लिए आपको और कितने बुचा चाहिए?’’
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अपने रात्रिकालीन संबोधन में कहा कि बुचा की भयावहता केवल शुरुआत हो सकती है। बुचा से सिर्फ 30 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में उत्तरी शहर बोरोदिएंका में जेलेंस्की ने और अधिक लोगों के हताहत होने की आशंका जताई और कहा, ‘‘वहां मंजर बहुत डरावना है’’।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रमुख ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह इस सप्ताह यूक्रेन और रूस में अधिकारियों के साथ बैठक के बाद संघर्ष विराम को लेकर ‘‘आशान्वित नहीं’’ हैं। उन्होंने दोनों पक्षों में एक दूसरे के प्रति भरोसे की कमी को रेखांकित किया। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यूक्रेन पर क्रीमिया और यूक्रेन की सैन्य स्थिति पर किए गए प्रस्तावों पर पीछे हटने का आरोप लगाने के बाद यह बात कही।
यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरीना वेरेशचुक ने कहा कि यूक्रेन और रूस के अधिकारी बृहस्पतिवार को डोनबास के कई इलाकों से नागरिकों को निकालने के लिए मार्ग बनाने पर सहमत हुए हैं।
अमेरिकी कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को रूस के साथ सामान्य व्यापार संबंधों को निलंबित करने और उसके तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मतदान किया, जबकि यूरोपीय संघ ने कोयला आयात पर प्रतिबंध सहित नए कदमों को मंजूरी दी। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व संगठन के प्रमुख मानवाधिकार निकाय से रूस को निलंबित करने के लिए मतदान किया। (एपी)
ओटावा, 8 अप्रैल। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वह कनाडा में विदेशियों के घर खरीदने पर प्रतिबंध लगाएगी।
मकानों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की अटकलों के बीच वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने वर्ष के लिए संघीय बजट की घोषणा करते हुए मांग को कम करने के लिए कई उपाय किए।
सरकार ने एक वर्ष के भीतर अपना घर बेचने वाले विदेशियों पर घर खरीदने पर दो साल का प्रतिबंध लगाने और उच्च कर लगाने की घोषणा की है। हालांकि, दोनों कदमों में स्थायी निवासियों और विदेशी छात्रों को कुछ छूट सहित कई अपवाद शामिल हैं।
बजट में नये आवास के लिए और बाजार में आने की कोशिश कर रहे कनाडाई लोगों की मदद करने के कई उपाय भी शामिल हैं, जिसमें एक नया बचत खाता और पहली बार घर खरीदने वालों के लिए ‘टैक्स क्रेडिट’ में बदलाव शामिल हैं।
सरकार पिछले साल कीमतों में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी और किराये की दरें भी बढ़ने से दबाव में है।
वाशिंगटन. अमेरिकी कांग्रेस ने गुरुवार को मास्को के साथ सामान्य व्यापार संबंधों को समाप्त कर दिया. अमेरिका पहले ही कई प्रतिबंधों की घोषणा कर चुका है. सामान्य व्यापार प्रतिबंधों के लिए पहले मतदान हुआ और फिर इस फैसले को लिया गया. अमेरिका ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अपने दबाव बढ़ाते हुए यह कार्रवाई की है. यह फैसला रूस के सहयोगी बेलारूस के लिए भी लागू होगा. दरअसल यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस पर अमेरिका और नाटो देशों ने प्रतिबंधों का ऐलान किया है.
इस फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति रूस और बेलारूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों और टैक्स में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकते हैं. सीनेट में बहुसंख्यक नेता चक शूमर ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराने की आवश्यकता है. व्यापार पर निलंबन लगाने से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए रूस के कुछ सामान के आयात पर अधिक शुल्क लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा. रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक से पाबंदियां संहिताबद्ध होंगी. बाइडन ने शासकीय कार्रवाई के जरिए पहले ही पाबंदियां लगायी हुई हैं. गुरुवार को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी यूक्रेन के बुचा में हत्याओं के बाद रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया है. यह बड़ा फैसला अमेरिकी के प्रस्ताव पर ही लिया गया है.
पुतिन की दो बेटियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया
अमेरिका ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो बेटियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है. व्हाइट हाउस ने पुतिन की दोनों बेटियों के अलावा रूस के कई बड़े नेता और कई बैंकों और बिजनेसमैन को भी प्रतिबंधित किया है. अमेरिका ने रूस के टॉप पब्लिक और प्राइवेट बैंक को प्रतिबंधित किया है. व्हाइस हाउस ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो बेटियों मारिया वोरोत्सोवा और केटेरीना तिखोनोवा पर प्रतिबंध लगाया है. अमेरिका ने प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव व पीएम मिखाइल मिशुस्तिन सहित रूस की सुरक्षा परिषद के सदस्यों पर भी प्रतिबंध लागू किए हैं. व्हाइट हाउस ने बयान में यह भी कहा कि रूस के सबसे बड़े सरकारी बैंक सब्रबैंक और निजी बैंक अल्फा बैंक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इन दोनों बैंकों द्वारा अब किसी भी तरह का निवेश अमेरिका में नहीं किया जा सकेगा.
-सना आसिफ़
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद इमरान ख़ान ने गुरुवार देर शाम ट्वीट करके एलान किया है कि वे शुक्रवार को पाकिस्तान की अवाम को संबोधित करेंगे.
इमरान ख़ान ने लिखा है, "मैंने कल कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इसके साथ ही संसदीय दल की बैठक भी बुलाई है. और मैं कल देश को संबोधित भी करूंगा. देश के लिए मेरा संदेश ये है कि मैं हमेशा से पाकिस्तान के लिए संघर्ष करता रहा हूं. और आख़िरी बॉल तक संघर्ष करूंगा."
इससे पहले चीफ़ जस्टिस उमर अता बांदियाल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने संसद के डिप्टी स्पीकर के फ़ैसले को असंवैधानिक बताते हुए संसद को बहाल करने का फ़ैसला सुनाया और कहा है कि 9 अप्रैल को सदन की बैठक बुलाई जाए.
तीन अप्रैल को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी स्पीकर ने बाहरी साजिश करार देते हुए संविधान के आर्टिकल 5 के तहत रद्द कर दिया था.
उसके बाद इमरान ख़ान की सलाह पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने संसद भंग कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था.
पाकिस्तान में चुनाव और संसदीय मामलों पर नज़र रखने वाले संगठन पीएलडीएटी के प्रमुख अहमद बिलाल महबूब का कहना है कि हुकूमत अब अधिक से अधिक सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर फिर से विचार करने का आग्रह कर सकती है. लेकिन अगर इतिहास पर नज़र डालें तो ऐसी दरख़्वास्तों के बाद भी चीज़ें बदलने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती है.
मगर सवाल उठता है कि इस फ़ैसले का पाकिस्तान शासन और उसकी राजनीति पर क्या असर हो सकता है. संविधान के जानकार सलमान अकरम राजा के मुताबिक अगर डिप्टी स्पीकर के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट दुरुस्त करार दे देता तो पूरे संसद पर स्पीकर हावी हो जाते.
स्पीकर तानाशाह बन जाते और पूरी संसदीय व्यवस्था और संसद का वजूद बेमानी हो जाता.
अगर स्पीकर का यह फ़ैसला मान लिया जाता कि वो संसद को वोटिंग से रोक सकते हैं तो यह एक संवैधानिक हादसे जैसा हो जाता जिसका नुकसान संवैधानिक व्यवस्था को उठाना पड़ता.
सलमान अकरम राजा के मुताबिक इस फ़ैसले के बाद न केवल संसद बहाल हो जाएगी बल्कि संसद में मामला दोबारा वहीं से शुरू होगा जहां से इस गड़बड़ी की शुरुआत हुई थी.
हालांकि, इस बात की उम्मीद बहुत कम है लेकिन अगर इमरान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव कामयाब नहीं होता तो वो प्रधानमंत्री बने रहेंगे और फिर ये उनका ही फ़ैसला होगा कि वो संसद को भंग करें या अपनी हुकूमत के डेढ़ साल की मुद्दत पूरी करें.
सलमान अकरम राजा के मुताबिक अगर विपक्ष कामयाब हो जाती है तो इमरान ख़ान प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. सदन एक नए प्रधानमंत्री को देखेगी.
याद रहे कि विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के शाहबाज शरीफ़ हैं.
सलमान अकरम राजा के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पर कामयाबी की स्थिति में चुने जाने वाले नए प्रधानमंत्री कोई कार्यवाहक प्रधानमंत्री नहीं होंगे बल्कि उनके पास पूरा अधिकार होगा कि वो असेंबली की बची हुई अवधि तक प्रधानमंत्री रह सकते हैं.
यह अलग बात है कि वो संसद को भंग कर दें और जल्द ही चुनाव का एलान कर दें. (bbc.com)
-जेन वेकफ़ील्ड
एलन मस्क ट्विटर पर बहुत सक्रिय रहते हैं, मगर ये दिलचस्प है कि ट्विटर के शेयरों का एक बड़ा हिस्सा ख़रीदने के बारे में उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया.
हो सकता है इसकी वजह ये रही हो कि उन्होंने ट्विटर के जो 9.2% शेयर ख़रीदे हैं उन्हें बहुत बड़ी बात न मानी जाए, मगर जो मस्क को जानते हैं, उन्हें ये उम्मीद एकदम नहीं होगी कि ये स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहेगी.
मस्क ने ट्विटर को लेकर पहला क़दम बढ़ाया एक वोटिंग करवाकर. उन्होंने ट्विटर पर लोगों से पूछा कि क्या वो एडिट बटन चाहते हैं?
यानी उन्होंने पूछा कि क्या लोग ट्विटर पर ऐसी सुविधा चाहते हैं जिससे कि किसी ट्वीट को एडिट किया जा सके. अभी ट्विटर पर किसी ट्वीट में परिवर्तन करने की कोई व्यवस्था नहीं है. हालाँकि, किसी ट्वीट को डिलीट किया जा सकता है.
एडिट बटन की माँग बहुत लंबे समय से उठती रही है, और ये शायद एक ऐसी चीज़ है जिसकी उनको स्वयं ज़रूरत है.
वैसे इस घोषणा से किसी को हैरानी नहीं हुई कि मस्क ट्विटर के बोर्ड में शामिल होंगे.
ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल ने मंगलवार को एक ट्वीट में कह दिया था, "हाल के हफ़्तों में एलन से जो बातें हुईं, उनसे हमें साफ़ पता चल गया कि वो हमारे बोर्ड का मान बढ़ाएँगे."
उन्होंने साथ ही कहा कि बतौर "ट्विटर में जुनून के साथ भरोसा करने वाले और उसकी ज़ोरदार आलोचना" करने वाले एक शख्स होने के नाते, वो "बिलकुल वैसे हैं जिसकी हमें ज़रूरत है."
मस्क ने बाद में जवाब में लिखा, "मैं आने वाले महीनों में ट्विटर में बड़े सुधार करने के लिए पराग और ट्विटर के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हूँ."
एलन मस्क ने ट्विटर में जो 9.2% की हिस्सेदारी ख़रीदी है, वो भले छोटी लगे, मगर एनालिस्ट कंपनी वेडबुश के विश्लेषक डैन आइव्स इसे बहुत बड़ी बात बताते हुए कहते हैं कि इस हिस्सेदारी का मतलब है कि उनके पास सात करोड़ 35 लाख शेयर आ गए हैं.
सोमवार को टेस्ला संस्थापक के कंपनी का सबसे बड़ा हिस्सेदार बनने की ख़बर के आने के बाद ट्विटर के शेयरों के भाव ऊपर चले गए. और इसका मतलब ये है कि मस्क की संपत्ति भी बढ़ गई है और उनके पास ट्विटर के जो शेयर हैं उनकी कीमत 3 अरब डॉलर के बराबर पहुँच गई है.
मस्क के पास जितने शेयर हैं वो ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी के शेयरों से चार गुना ज़्यादा है. डोर्सी ने पिछले साल नवंबर में ट्विटर का सीईओ पद छोड़ दिया था जिसके बाद पराग अग्रवाल उनकी कुर्सी पर बैठे.
डैन आइव्स का मानना है कि दक्षिण अफ़्रीकी कारोबारी मस्क की नज़रें अब ट्विटर पर टिक गई हैं, और इस बड़ी हिस्सेदारी को हासिल करने के बाद अब वो कंपनी के प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश करेंगे.
उन्होंने कहा, उनका कंपनी में हिस्सेदारी को ख़रीदना ट्विटर के बोर्ड और मैनेजमेंट की चर्चाओं में हिस्सा लेने की बस शुरूआत है जिससे आख़िरकार वो ट्विटर में और अधिक पकड़ बनाएँगे और शायद ट्विटर में और आक्रामकता से मालिकाना भूमिका निभाने लगें."
ट्विटर के साथ मस्क का संबंध कभी प्यार-कभी नफ़रत वाला रहा है. वो ख़ूब ट्वीट करते हैं. उनके फ़ॉलोअर्स की संख्या 8 करोड़ है. और ट्विटर पर चर्चाओं को लेकर वो अक्सर विवाद में भी घिरते रहे हैं.
उनकी फ़ितरत जैसी है, उसके हिसाब से ट्विटर उनके मिजाज के अनुकूल बैठता है. जैसे पिछले साल उन्होंने ट्विटर पर पूछा कि क्या उन्हें अपनी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला का 10% हिस्सा बेच देना चाहिए, जिसके बाद ट्विटर यूज़र्स ने कहा - हाँ. और इसके बाद नवंबर में मस्क ने अपने 5 अरब डॉलर के शेयर बेच डाले.
इसके कई महीने पहले मस्क ने 6 अरब डॉलर का चेक जारी करने की पेशकश की थी, बशर्ते संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ये बता सके कि वो कैसे दुनिया में भूख के संकट को दूर करने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल करेगा. उन्होंने ये पेशकश इस संस्था के प्रमुख की बात सुनने के बाद कही थी जिन्होंने इस बारे में अपना आकलन पेश किया था.
मगर ट्वीट करने की वजह से वो कई दफ़ा मुश्किल में भी फँसे. टेस्ला के शेयरों के बारे में 2018 की उनकी एक पोस्ट के बाद सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन की ओर से एक जाँच शुरू हुई जिसके बाद ये समझौता हुआ कि कंपनी के वकीलों को उनके कुछ ट्वीट्स को पहले देखना होगा, उसके बाद ही उन्हें पोस्ट किया जा सकेगा. हालाँकि ये स्पष्ट नहीं है कि क्या वाकई ऐसा होता है.
ये दिलचस्प है, कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार मस्क ने सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन को अपने ट्विटर शेयर के बारे में जो जानकारी दी है, उसमें सामान्यतः ये लाइन होनी चाहिए थी कि उनका कंपनी को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं है, मगर इस खाने में उन्होंने लिखा है - 'नॉट ऐप्लिकेबल'.
मस्क ने जिस समय ये शेयर ख़रीदे हैं, उससे भी सवाल उठ रहे हैं, और एक बार फिर वित्तीय बाज़ार की निगरानी करने वालों से उनका सामना हो सकता है.
उन्होंने ट्विटर में निवेश 14 मार्च को किया था, मगर इसकी घोषणा इस सप्ताह हुई. जबकि अमेरिकी बाज़ार के क़ानून के मुताबिक़ किसी भी कंपनी की 5% की हिस्सेदारी ख़रीदते ही इसकी जानकारी देना अनिवार्य है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी
मस्क ट्विटर का इस्तेमाल अपनी कंपनियों की सेहत का अंदाज़ा देने के लिए ही नहीं करते, बल्कि वो देश की सेहत का अनुमान लगाने के लिए भी ट्वीट करते हैं.
पिछले महीने, उन्होंने सिक्योरिटीज़ कमीशन को अपने निवेश की जानकारी दी थी, मगर इसकी जानकारी सार्वजनिक होने से पहले उन्होंने यूज़र्स से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि लोकतंत्र के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है, और क्या ट्विटर इस सिद्धांत का पालन करता है.
अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अलेक्सांद्रा सिरोन को लगता है कि उनकी ये टिप्पणी इस बात का सबूत है कि वो ट्विटर में अपनी नई हिस्सेदारी का इस्तेमाल "ट्विटर के काम काज को प्रभावित करने के लिए" कर सकते हैं.
मगर कुछ दूसरे लोग हैं, जिन्हें इस घटना में कुछ दूसरे मुद्दे भी दिखाई देते हैं.
लॉ फ़र्म मोज़ेज़ एंड सिंगर में पार्टनर हॉवर्ड फ़िशर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अब चूँकि ट्विटर में उन्होंने हिस्सेदारी ख़रीद ली है, इन सवालों को बाज़ार में उलटफेर के तरीक़े के तौर पर भी देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि कमीशन इसमें और गहराई से देखना चाहेगा और वो डील को दर्ज कराने में नाकामी के साथ-साथ बाज़ार में उलटफेर के भी मामले दर्ज कर सकता है."
पराग अग्रवाल की नज़र उनके हर क़दम पर है. उन्होंने एडिट बटन को लेकर जो वोटिंग करवाई थी, उस पर अब तक 26 लाख जवाब आ चुके हैं, और इसके जवाब में उन्होंने यूज़र्स से आग्रह किया है कि वो "सावधानी" से वोट करें.
पराग ने कहा, "इस वोटिंग के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे." उन्होंने ठीक वही शब्द कहे जिनका इस्तेमाल मस्क ने ट्विटर पर बोलने की आज़ादी को लेकर वोटिंग करवाते समय जारी किया था.
ट्वीट एडिट करने के विचार का जैक डोर्सी ने हमेशा से विरोध किया है, और इस ख़याल के आलोचक कहते हैं कि यदि ये सुविधा दे दी गई तो इससे लोग उन ट्वीट्स का अर्थ पूरी तरह से बदल सकते हैं.
ट्विटर के लिए एडिट बटन को शामिल करना एक बड़ा बदलाव हो सकता है, और ये स्पष्ट है कि एलन मस्क इसे लेकर होनेवाली चर्चाओं में शामिल रहना चाहते हैं.
वैसे पिछले महीने, कुछ समय के लिए ऐसा लगा कि एलन मस्कर ट्विटर के मुक़ाबले एक नया सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म खड़ा करना चाहते हैं, और इस मामले में उनके सामने ट्विटर पर एक और सक्रिय रहने वाले और विवादास्पद हस्ती का उदाहरण है.
पिछले साल जनवरी में अमेरिकी संसद में दंगे के बाद, डोनल्ड ट्रंप को ट्विटर से बैन कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने कुछ महीने पहले घोषणा की कि वो अपना अलग सोशल नेटवर्क तैयार करेंगे, जिसका नाम उन्होंने 'ट्रूथ सोशल' रखा, और कहा कि ये "बड़ी टेक कंपनी के अत्याचार का मुक़ाबला करेगी".
लेकिन लॉन्च होने के डेढ़ महीने बाद, इसके 15 लाख यूज़र्स इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स के निदेशक जोशुआ टकर ने इस प्लेटफ़ॉर्म को एक बहुत बड़ी नाकामी क़रार दिया है.
रॉयटर्स के अनुसार, लॉन्च के बाद कंपनी के दो बड़े अधिकारी साथ छोड़ चुके हैं.
वो लोग जिन्होंने मस्क की दूसरी कंपनियों - स्पेस एक्स, टेस्ला, न्यूरालिंक, द बोरिंग कंपनी- के शेयर लिए हुए हैं, उन्होंने इस बात से राहत की साँस ली होगी कि मस्क ने ट्रंप की राह नहीं चुनी.
मगर इसके साथ ही ये भी चिंताएँ जन्म ले रही होंगी कि इस बड़े प्रोजेक्ट की वजह से उनका ध्यान उनकी दूसरी कंपनियों के व्यवसायों से हट सकता है.
सोशल मीडिया जानकार केसी न्यूटन ध्यान दिलाते हैं कि ये पहली बार नहीं है जब किसी बड़ी टेक कंपनी ने ट्विटर की ओर देखा है. इससे पहले माइक्रोसॉफ़्ट के सीईओ स्टीव बामर ने भी एक बार कंपनी के 4 प्रतिशत शेयर ख़रीदे थे, मगर उनका कुछ नहीं किया.
मगर वो कहते हैं कि बामर ने कभी भी मस्क की तरह कोई ट्वीट किया.
और अब इस बात की पूरी संभावना है कि मस्क इसी ट्विटर अकाउंट से दुनिया को बताएँगे कि उनका अगला इरादा क्या है. (bbc.com)
श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट और सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंकाई क्रिकेटर और फ़िल्म स्टार्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
सनथ जयसूर्या, लसिथ मलिंगा, अर्जुन राणातुंगा, कुमार संगकारा और जैकलीन फर्नाडीस ने महंगाई और अभावों से जूझ रहे अपने लोगों को लेकर दुख जताया है और भारत व अन्य देशों से मदद मांगी है.
उनकी प्रतिक्रिया में श्रीलंका के हालात को लेकर दुख है, गुस्सा है और बेहतर कल की उम्मीद भी है. किसी ने मौजूदा राजपक्षे सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है तो किसी ने लोगों की परेशानी में एकजुटता दिखाने की अपील की है. उन्होंने लोगों के लिए हर रोज़ मुश्किल हो रहीं स्थितियों को लेकर अफसोस जताया है.
श्रीलंका में बेतहाशा बढ़ती महंगाई और पेट्रोल, गैसे और खाने के सामान की कमी के चलते लाखों लोग कई दिनों से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे के ख़िलाफ़ लोगों का गुस्सा फूट रहा है और वो उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रपति के आवास के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो चुके हैं.
श्रीलंका में आपातकाल और कर्फ़्यू लगाया है लेकिन इसके बावजूद भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं.
भारत से मदद की सराहना
इन्हीं हालात को लेकर पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या ने कहा, ''लोगों को इन स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है ये दुर्भाग्यपूर्ण है. वो इस तरह नहीं जी सकते और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए. यहां गैस की कमी है और घंटों तक बिजली नहीं आती.''
''लोगों ने श्रीलंकाई सरकार को अपनी मुश्किलें दिखाने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. अगर संबंधित लोग इसका हल नहीं निकालते हैं तो ये बर्बादी की तरफ़ ले जाएगा. इस समय इसकी ज़िम्मेदारी मौजूदा सरकार पर है.''
उन्होंने कहा, ''हमारे देश के पड़ोसी और बड़े भाई होने के नाते, भारत ने हमेशा हमारी मदद की है. हम भारत सरकार और पीएम मोदी के आभारी हैं. हमारे लिए, मौजूदा स्थिति में जीना आसाना नहीं है. हम भारत और दूसरे देशों की मदद से इससे बाहर निकलने की उम्मीद करते हैं.''
वहीं, श्रीलंकाई पूर्व क्रिकेटर अर्जुन राणातुंगा ने बुधवार को श्रीलंका को अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए भारत की सराहना की.
उन्होंने अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने और "अपने फायदे के लिए संविधान" को बदलने के लिए अपने देश के शीर्ष राजनेताओं की आलोचना की.
उन्होंने कहा, ''अगर राष्ट्रपति को ये लगता है कि वो नहीं संभाल सकते तो उन्हें हट जाना चाहिए. हम दुनिया भर से पैसे मांग रहे हैं. अच्छा है कि ऐसे देश हैं जो हमारी मदद कर रहे हैं, खासतौर पर भारत. आम लोग सिर्फ़ सामान्य चीजों दूध पाउडर, गैस, चावल, पेट्रोल की मांग कर रहे हैं. मैं हिंसा का समर्थन नहीं करता हूं. देश पिछले दो सालों में बड़े संकट में घिर गया है. ये कोविड का बहाना दे सकते हैं लेकिन उसे तो पूरी दुनिया ने झेला है.''
राजनीतिक एजेंडे से दूर रहें, संगकारा की अपील
श्रीलंकाई टीम के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए देश के लोगों की मुश्किलों को लेकर दुख जताया है.
उन्होंने कहा, ''श्रीलंका के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. ये देखकर दुख होता है कि लोग अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. हर दिन मुश्किल होता जा रहा है. लोग अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और एक समाधान की मांग कर रहे हैं. कुछ लोग उस आवाज़ के ख़िलाफ़ नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ उसका दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. लोग क्या कह रहे हैं, सुनना चाहिए. अपने विनाशकारी निजी और राजनीतिक एजेंडे को दूर रखते हुए श्रीलंका के हित में काम करना चाहिए. श्रीलंका के लोग दुश्मन नहीं है, वो अपने ही लोग हैं. उन्हें और उनके भविष्य को किसी भी तरह बचाना चाहिए.''
उन्होंने लिखा, ''श्रीलंका में आपातकाल और कर्फ़्यू को देखकर दुख हो रहा है. सरकार लोगों की ज़रूरतों को अनदेखा नहीं कर सकती. उन्हें विरोध करने का पूरा अधिकार है. लोगों को हिरासत में लेना स्वीकार्य नहीं है और मैं श्रीलंकाई वकीलों पर गर्व करता हूं जो ऐसे लोगों के बचाव में काम कर रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ''सच्चे नेता अपनी गलतियां मानते हैं. हमारे देश के लोगों को सुरक्षा देना और उनकी तकलीफ़ में एकजुट होना बेहद ज़रूरी है. ये समस्याएं हमारी खड़ी की हुई हैं और इसे सही, योग्य व्यक्ति ठीक कर सकते हैं. जो लोग इस देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित कर रहे हैं, उन्होंने लोगों का भरोसा खो दिया. उन्हें हट जाना चाहिए. देश को आत्मविश्वास और भरोसा देने के लिए हमें एक अच्छी टीम की ज़रूरत है.''
भानुका राजपक्षे और लसिथ मंलिगा ने क्या कहा
वहीं, पंजाब किंग्स के लिए खेल रहे विकेटकीपर बल्लेबाज भानुका राजपक्षे ने लिखा, ''भले ही मैं अपने लोगों से मीलों दूर हूं, मैं अपने श्रीलंकाई साथियों का दर्द समझ सकता हूं. उनके लिए हर दिन बिताना मुश्किल होता जा रहा है.''
''उनकी आवाज़ दबाने के लिए मौलिक अधिकार भी छीन लिए गए हैं. लेकिन, जब दो करोड़ 20 लाख लोगों की आवाज़ एक हो जाती है तो उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.''
उन्होंने कहा, ''श्रीलंका के लोगों को सुना जाना चाहिए. उन्हें बेहतर स्थितियां मिलनी चाहिए. मैं ये विनती करता हूं कि श्रीलंका के लोग आपके दुश्मन नहीं हैं. हर कीमत पर उनकी रक्षा करनी चाहिए.''
श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ लसिथ मलिंगा ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर करते हुए कहा, ''मैं अपने लोगों, श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा हूं.''
श्रीलंका की रहने वालीं बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस ने भी श्रीलंका की मौजूदा स्थितियों पर दुख जताते हुए हालात जल्दी बेहतर होने की उम्मीद की है.
उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, ''एक श्रीलंकाई के तौर पर ये देखना दुखदाई है कि मेरा देश और उसके लोग किन हालात से गुज़र रहे हैं. इसके शुरू होने के बाद से मैं कई तरह के विचारों से घिरी हुई हैं. मैं कहूंगी कि कुछ भी धारणा बनाने में जल्दबाजी ना करें और ना ही किसी समूह का विरोध करें. दुनिया और मेरे लोग को सहानुभूति और समर्थन की ज़रूरत है. उनकी मजबूती और भलाई के लिए दो मिनट की मौन प्रार्थना आपको हल्की-फुल्की टिप्पणी करने के बजाए उनके और करीब लाएगी.''
''मेरे देश और लोगों के लिए, मैं उम्मीद करती हूं कि ये स्थिति जल्द ही ख़त्म हो जाए और उन तरीक़ों से जो शांतिपूर्ण हैं और लोगों के हित में हैं.'' (bbc.com)
-तुरहब असग़र
फ़राह ख़ान, फ़राह गुर्जर और फ़रहत शहज़ादी. ये सभी नाम एक ही महिला के हैं जो पिछले कुछ दिनों में विपक्ष के नेताओं और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ के नाराज़ नेताओं के आरोपों के बाद चर्चा में हैं. सोशल मीडिया पर भी उन पर टिप्पणियां की जा रही हैं.
फ़राह ख़ान का नाम सबसे पहले साल 2018 में बुशरा बीबी और इमरान ख़ान की शादी के बाद चर्चा में आया था. बाद में जब पीटीआई की सरकार बनीं तो वो चर्चाओं में रहीं.
फ़राह ज्यादातर बुशरा बीबी के साथ ही नज़र आती थीं और उनके साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी पोस्ट करती रहती थीं.
इमरान ख़ान की सरकार के दौरान ये सवाल उठता रहा कि आख़िर ये फ़राह ख़ान हैं कौन?
फ़राह ख़ान का नाम फुसफुसाते हुए तो लिया जाता रहा था लेकिन दो दिन पहले पीटीआई के नाराज़ सदस्य और पूर्व प्रांतीय मंत्री अलीम ख़ान ने खुलकर फ़राह ख़ान का नाम लिया और कहा कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को उनके बारे में सबकुछ पता था.
अलीम ख़ान ने फ़राह ख़ान पर सरकारी तबादलों में हस्तक्षेप के अलावा कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं.
उनसे पहले पंजाब के पूर्व राज्यपाल चौधरी सरवर ने भी फ़राह ख़ान को लेकर ऐसे ही आरोप लगाए थे. विपक्षी नेता मरियम नवाज़ ने भी फ़राह ख़ान पर सरकारी मामलों में दख़ल देने के आरोप लगाए थे.
वहीं फ़राह ख़ान ने इस तरह के आरोपों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होंने कभी इनका खंडन भी नहीं किया.
वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री उस्मान बज़दार ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए ख़ारिज कर दिया है.
उस्मान बज़दार ने ट्विटर पर लिखा, "मैं फ़राह ख़ान के बारे में बेबुनियाद इल्ज़ामों को सिरे से खारिज करता हूं. अलीम ख़ान, चौधरी सरवर और अन्य विपक्ष के नेताओं के मनगढ़ंत इल्ज़ामों को सख़्ती से ख़ारिज करता हूं और बिना सबूत के इल्ज़ाम लगाने की आलोचना करता हूं. पंजाब में तबादले मेरिट और योग्यता के आधार पर किए जाते हैं."
हालांकि फ़राह ख़ान ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन एक अप्रैल को एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा था, 'विपक्ष को मेरे ख़िलाफ़ कोई बात नहीं मिल रही है तो वो मेरी बीवी के ख़िलाफ़ बातें करते हैं और उनकी दोस्त फ़राह ख़ान के चरित्र हनन की मुहिम चला रहे हैं.'
विपक्ष और पीटीआई के नाराज़ नेताओं की तरफ़ से लगाए गए आरोपों को लेकर बीबीसी ने फ़राह ख़ान से संपर्क किया लेकिन उन्होंने हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया.
बीबीसी से बात करते हुए फ़राह ख़ान के परिवार से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि वो इस समय दुबई में हैं. जबकि उनके पति अहसान जमील गुर्जर कुछ दिन पहले ही अमेरिका रवाना हुए हैं.
अहसान जमील गुर्जर का नाम भी साल 2018 में तब सामने आया था जब पंजाब के शहर पाकपट्टन में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पत्नी की बेटी के साथ पुलिस के कथित दुर्व्यवहार के बाद ज़िले के पुलिस कप्तान का तबादला कर दिया गया था.
उस वक़्त के चीफ़ जस्टिस साक़िब निसार ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था. इस दौरान पुलिस जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि पंजाब के मुख्यमंत्री के क़रीबी दोस्त समझे जाने वाले अहसान जमाल गुर्जर ने डीपीओ पाकपट्टन रिज़वान गोंदल को चीफ़ मिनिस्टर के घर पर बुलाकर बुशरा बीबी के पूर्व पति खावर मानेका के डेरे पर जाकर माफ़ी मांगने के लिए कहा था.
फ़राह ख़ान के पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि अहसान जमील गुर्जर अक्सर अमेरिका आते जाते रहते हैं क्योंकि उनका लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था. इसके बाद से वो चैक अप के लिए अमेरिका आते-जाते रहते हैं.
फ़राह के बारे में बताते हुए उनकी ससुराल से जुड़े एक रिश्तेदार ने बताया कि 1990 के दशक में उनकी शादी अहसान जमील गुर्जर से हुई थी. वो पहले से ही शादीशुदा थे.
अहसान जमील गुर्जर मुस्लिम लीग नवाज़ से चुनाव लड़ने वाले संसद सदस्य चौधरी इक़बाल गुर्जर के बेटे हैं.
पारिवारिक सूत्र के मुताबिक अहसान जमील ने फ़राह ख़ान को लाहौर डीएचए में घर लेकर दिया है और इसी घर में इमरान ख़ान और बुशरा बीबी का निकाह भी हुआ था.
शादी की जो तस्वीर पीटीआई ने जारी की थी उसमें जहांगीर तरीन समूह के नेता औन चौधरी, ज़ुल्फ़ी बुख़ारी के अलावा फ़राह ख़ान को भी देखा जा सकता है जो बुशरा बीबी से उनकी निकटता को ज़ाहिर करता है.
नौकरी के दौरान अहसान गुर्जर से मुलाक़ात
फ़राह ख़ान के एक क़रीबी सूत्र के मुताबिक शेख़ुपुरा के पास एक गांव की रहने वाली फ़राह ख़ान लाहौर में अलग-अलग जगहों पर नौकरी करती थीं और इसी दौरान उनकी मुलाक़ात अहसान जमील गुर्जर से हुई. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी.
"फ़िर हमें पता चला कि फ़राह ख़ान ने अहसान गुर्जर से शादी कर ली है."
नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर परिवार के एक और सूत्र ने बताया कि बुशरा बीबी और फ़राह ख़ान की जान पहचान एक दूसरे से 'पीर फ़क़ीरी' से संबंध रखने की वजह से हुई और दोनों को लाहौर को सोशल सर्किल में भी एक साथ देखा जाता रहा है.
इस मामले पर बुशरा बीबी के बेटे का बयान भी सोशल मीडिया पर घूम रहा है जिसमें उन्होंने कहा है, "हमारे परिवार का फ़राह ख़ान से कोई लेना देना नहीं है."
फ़राह ख़ान का कथित प्रभाव
फ़राह ख़ान को अक्सर बुशरा बीबी के साथ देखा जाता है लेकिन माना ये जाता है कि उनकी सत्ता के हर गलियारे तक पहुंच थी. इस पहलू को फ़राह ख़ान के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी देखा जा सकता है जहां वो अकसर बनी गाला (इस्लामाबाद का हाई प्रोफ़ाइल इलाक़ा) की तस्वीरें अपलोड किया करती थीं.
उनके एक क़रीबी सूत्र का कहना था, "आज भी आप जाकर देख लीजिए, उनके घर के बाहर पुलिस की गाड़ी खड़ी है."
उन्होंने बीबीसी को बताया कि फ़राह ख़ान का संबंध एक शेख़ ज़मींदार परिवार से है. इसलिए ये कहना ग़लत होगा कि उनका संबंध किसी अर्ध-मध्यम वर्गीय परिवार से है और वो कुछ ही महीनों में अमीर हो गईं.
सोशल मीडिया पर इसी तरह के दावे भी किए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि उनके गांव की हालत अच्छी है जहां साफ़ सड़के हैं, बिजली के नए खंभे और ट्रांसफार्मर लगे हैं. अस्पताल है और बाकी सभी सुविधाएं भी हैं. फ़राह ख़ान के गांव के लोग भी उनकी तारीफ़ करते हैं और बताते हैं कि गांव में तरक्की के सभी काम बीते एक साल में फ़राह ख़ान की कोशिशों से हुए हैं.
सूत्र बताते हैं, "हमने देखा है कि आसपास के गांवों और वहां की सड़कों के बुरे हालात हैं."
नाम न ज़ाहिर करते हुए बीबीसी से बात करते हुए पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने वैसे तो फ़राह ख़ान को कभी भी पंजाब के मुख्यमंत्री दफ़्तर में नहीं देखा लेकिन जब भी बुशरा बीबी को किसी दौरे पर जाना होता था तो उन्हें इस बारे में निर्देश फ़राह ख़ान से ही मिलते थे.
फ़राह ख़ान को लेकर पत्रकार से भिड़े मंत्री
इमरान ख़ान सरकार में मंत्री रहे फ़वाद चौधरी और पत्रकारों के बीच एक प्रेस वार्ता के दौरान फ़राह ख़ान को लेकर झड़प भी हो गई. पत्रकार ने फ़राह ख़ान को लेकर सवाल किया तो फ़वाद चौधरी ने उसे 'किराए का टट्टू' कह दिया जिसके बाद पत्रकार 'शर्म करो' के नारे लगाने लगे.
पाकिस्तान: इमरान ख़ान अपनी सियासी ज़िंदगी बचाने के लिए लड़ रहे हैं
फवाद चौधरी
पत्रकार के बाचव में आए दूसरे पत्रकारों ने कहा, "फ़वाद चौधरी जी आपको शर्म आनी चाहिए आप एक पत्रकार के बारे में इस तरह की बातें कर रहे हैं."
मौके पर मौजूद रहे बीबीसी संवाददाता शहज़ाद मलिक के मुताबिक प्रेस वार्ता में काफ़ी देर तक हंगामा चलता रहा. (bbc.com)
पाकिस्तान में राष्ट्रपति सचिवालय ने चुनाव आयोग से चुनाव की तारीख़ों का प्रस्ताव रखने को कहा है. राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी के कार्यालय ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके ये जानकारी दी है.
प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक़ नेशनल असेंबली भंग करने के 90 दिनों के अंदर चुनाव कराने को लेकर आयोग तारीख़ प्रस्तावित करे. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की सलाह पर राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने तीन अप्रैल को नेशनल असेंबली भंग कर दी थी. इसके पहले इमरान सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने ख़ारिज कर दिया था. (bbc.com)
चरमपंथी संगठन अलक़ायदा की ओर से एक नया वीडियो जारी किया गया है जिसमें इस संगठन के प्रमुख अयमान अल-ज़वाहिरी के ज़िंदा होने का सबूत दिया गया है.
दो मई 2011 को अलक़ायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन की अमेरिकी सेना की कार्रवाई में मौत के बाद अयमान अल-ज़वाहिरी को अलक़ायदा चीफ़ बनाया गया था. ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के सूबे ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के शहर ऐबटाबाद में मार दिया गया था.
डॉक्टर अयमान अल-ज़वाहिरी कई साल तक ओसामा बिन लादेन के डिप्टी के तौर पर काम करते रहे हैं और माना जाता है कि 9/11 हमलों के पीछे उन्हीं का दिमाग़ शामिल था.
अल-क़ायदा की ओर जारी एक ताज़ा वीडियो में अल-ज़वाहिरी, कर्नाटक की छात्रा मुस्कान ख़ान की तारीफ़ कर रहे हैं. मुस्कान ख़ान कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद ख़बरों में आई थीं.
ग़ौरतलब है कि अलक़ायदा प्रमुख अयमान अल-ज़वाहिरी के बारे में 2020 के आख़िर में ये ख़बर फैली थी कि उनका देहांत हो चुका है या फिर वो बीमार हो चुके हैं.
ये नया वीडियो अलक़ायदा की ओर से पांच अप्रैल को जारी किया गया है जिसमें अयमान अल-ज़वाहिरी को एक ऐसी घटना के बारे में बात करते देखा और सुना जा सकता है जो आठ फ़रवरी को हुई थी.
भारत की छात्रा का ज़िक्र
इस वीडियो में ज़वाहिरी ने भारत की मुस्लिम छात्रा मुस्कान ख़ान का ज़िक्र किया है. कर्नाटक में हिजाब विवाद के दौरान हिंदू कार्यकर्ताओं के सामने 'अल्लाहु अकबर' का नारा लगाने के बाद मुस्कान ख़ान चर्चा में आई थीं और यह वीडियो वायरल हो गया था.
अलक़ायदा की ओर से जारी वीडियो में अंग्रेज़ी में लिखा है 'भारत की नेक महिला.' इस वीडियो में अयमान अल-ज़वाहिरी मुस्कान ख़ान के विश्वास भाव के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे हैं.
इस वीडियो में अलक़ायदा प्रमुख सेहतमंद नज़र आ रहे हैं.
वीडियो को ऐसी जगह पर शूट किया गया है जो पहले के उनके वीडियो के बैकग्राउंड से काफ़ी अलग है. ये एक और निशानी है कि इस वीडियो को हाल ही में रिकॉर्ड किया गया है और ये कोई पुराना वीडियो नहीं है.
इससे पहले अक्तूबर 2020 में जब अयमान अल-ज़वाहिरी की मौत और बीमारी की ख़बरें और अफ़वाहें सामने आनी शुरू हुई थीं तो अलक़ायदा की ओर से कई वीडियो सामने आए.
लेकिन उन तमाम वीडियो में अयमान अल-ज़वाहिरी ऐतिहासिक घटनाओं और सैद्धांतिक विषयों पर बात करते नज़र आए थे, जिससे ये साबित करना मुश्किल था कि ये वीडियो क्या सच में नए हैं. उसके बाद ये शक मज़बूत हो गया कि अयमान अल-ज़वाहिरी की मौत या बीमारी से संबंधित अफ़वाहें सच हैं.
अलक़ायदा प्रमुख का नया वीडियो तक़रीबन पौने नौ मिनट लंबा है जिसको अलक़ायदा के अल-शबाब मीडिया सेल की ओर से जारी किया गया है और टेलीग्राम और रॉकेट चैट अकाउंट के ज़रिए प्रसारित किया गया है.
कौन हैं मुस्कान ख़ान
मुस्कान ख़ान कर्नाटक के मांड्या ज़िले के एक डिग्री कॉलेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं.
मुस्कान ख़ान
मुस्कान का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह हिजाब पहने हुए अपनी स्कूटी को खड़ी करके क्लास की ओर बढ़ती हैं और एक भीड़ उनके पीछे लग जाती है.
भगवा गमछा-पाटा ओढ़े और उग्र नारेबाज़ी करते लोग 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए छात्रा की ओर बढ़ते हैं जिसके बाद वो भी जवाब में भीड़ की ओर पलटकर बायां हाथ उठाकर 'अल्लाहु अकबर' का नारा लगाने लगती हैं.
बीबीसी ने इस छात्रा के साथ बात करके इस वीडियो के पीछे के हालात को समझने की कोशिश की थी.
उन्होंने कहा था, "मुझे कुछ नहीं पता था, मैं हमेशा जैसे कॉलेज जाती हूं. वैसे ही गयी थी. वहां बाहर से आए लोग इस तरह ग्रुप बनाकर खड़े थे और बोले कि तू बुर्क़े के साथ कॉलेज के अंदर नहीं जाएगी. अगर तुझे कॉलेज जाना है तो बुर्क़ा और हिजाब को हटाकर अंदर जाना होगा. तुझे बुर्क़े में रहना है तो तू वापस घर चली जा."
"मैं अंदर आ गयी. मैंने सोचा था कि मैं चुपचाप चली जाऊंगी. लेकिन वहां इतने नारे उछाले जा रहे थे. 'बुर्क़ा काढ़' और 'जय श्री राम' जैसे नारे लगा रहे थे."
"मैंने सोचा था कि मैं क्लास में चली जाऊंगी लेकिन वो सब लड़के मेरे पीछे आ रहे थे जैसे कि वो सब मुझ पर अटैक करना चाह रहे थे. वो 40 लोग थे. मैं अकेली थी. उनमें कुछ मानवता नहीं है. एकदम से मेरे पास आए और चिल्लाने लगे. कुछ ऑरेंज वाला स्कार्फ़ पकड़े थे."
"और मेरे मुंह के सामने स्कार्फ़ फिराने लग गए और बोल रहे थे - जय श्री राम, चले जाओ, बुर्क़ा हटाओ." (bbc.com)
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार देर रात देशव्यापी आपातकाल को तत्काल प्रभाव से हटाने का फ़ैसला किया.
देश में गहराते आर्थिक संकट के कारण आम लोगों के हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए एक अप्रैल को देश में आपातकाल लागू किया गया था.
मंगलवार देर रात जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा कि आपातकाल नियम अध्यादेश को वापस ले लिया गया है.
साथ ही गोटाबाया राजपक्षे की सरकार अल्पमत में आई चुकी है. उनके सभी 26 मंत्रियों के इस्तीफ़े के बाद अब सरकार से विपक्ष के साथ-साथ उनके पूर्व सहयोगी दलों ने भी उनसे इस्तीफे की मांग की है.
श्रीलंका इस समय अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में ईंधन से लेकर खाने-पीने के सामानों की भारी किल्लत है. देश रिकॉर्ड मुद्रास्फीति और बिजली की कटौती का सामना कर रहा है. (bbc.com)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जनता से अपील की है कि वो देश की संप्रभुता और लोकतंत्र पर सबसे बड़े हमले के ख़िलाफ़ सामने आए और बचाव करे. इमरान ख़ान ने ट्वीट कर लिखा है कि जनता ही हमेशा से देश की संप्रभुता और लोकतंत्र की सबसे मज़बूत रक्षक होती है. उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि विदेशी शक्तियाँ यहाँ के कुछ स्थानीय सहयोगियों के माध्यम से पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसकी संप्रभुता पर हमला कर रहे हैं.
इमरान ख़ान ने कहा कि अब देश की जनता को इसके ख़िलाफ़ आगे आकर इसकी रक्षा करनी होगी. उन्होंने ऐसे स्थानीय सहयोगियों को मीर जाफ़र और मीर सादिक़ कहा, जो विदेशी शक्तियों की मदद कर रहे हैं. पाकिस्तान में पिछले दिनों विपक्ष ने इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव रखा था. लेकिन रविवार को इस पर वोटिंग से पहले ही डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया. इसके बाद इमरान ख़ान की सलाह पर राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने नेशनल असेंबली भंग कर दी. अब ये मामला पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. इमरान ख़ान कई दिनों से ये आरोप लगा रहे हैं कि कुछ विदेशी शक्तियाँ उनकी सरकार गिराने की साज़िश कर रही हैं और यहाँ का विपक्ष उनकी मदद कर रहा है. हालाँकि अमेरिका ने कहा था कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. विपक्ष भी इन आरोपों को ख़ारिज कर चुका है. (bbc.com)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 6 अप्रैल। अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत के गवर्नर ब्रायन केंप ने वहां बड़ी संख्या में रह रहे हिंदू समुदाय के लोगों को ध्यान में रखते हुए दो अप्रैल की तारीख को हिंदू नव वर्ष घोषित किया है।
बीते सप्ताहांत की गई घोषणा को लेकर केंप ने कहा, “हिंदू नव वर्ष आमतौर पर वसंत ऋतु की शुरुआत से जुड़ा होता है और इससे जुड़े रीति-रिवाज अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न होते हैं। इनमें घरों को फूलों से सजाना, विशेष पकवान खाना और अद्वितीय रंगों, अनुष्ठानों व संगीत के साथ अन्य क्षेत्रीय उत्सवों का लुत्फ उठाना शामिल है।”
केंप ने कहा, “हमारा प्रांत हिंदू अमेरिकियों के योगदान से समृद्ध है, एक बड़ी और बहुआयामी आबादी, जिसमें आस्था और प्रथाओं का एक सुंदर संगम मौजूद है। हिंदू नव वर्ष उन हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण और बहुप्रतीक्षित पल है, जो जॉर्जिया को अपना घर कहते हैं।” जॉर्जिया में दो लाख से ज्यादा हिंदू-अमेरिकी रहते हैं। (भाषा)
बुचा (यूक्रेन), 6 अप्रैल । यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर यूक्रेन में जघन्य अत्याचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर युद्ध अपराध के आरोप में एक ऐसे न्यायाधिकरण में मामला चलाया जाना चाहिए, जैसा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद न्यूरेमबर्ग में स्थापित किया गया था।
जेलेंस्की ने यूक्रेन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपनी बात रखते हुए कहा कि आम नागरिकों को प्रताड़ित किया गया, उनके सिर में पीछे से गोली मारी गई, मकानों पर हथगोले फेंककर उनकी हत्या की गई और उन्हें टैंक से कुचला गया।
उन्होंने कहा, ‘‘रूसी सैनिकों ने यूक्रेनी नागरिकों के हाथ-पैर काटे, उनका गला रेता। बच्चों के सामने महिलाओं से दुष्कर्म किया गया, हत्याएं की गईं। उनकी जुबानें खींच ली गईं, क्योंकि आक्रांताओं को वह सुनने को नहीं मिला, जो वे उनसे सुनना चाहते थे।’’
जेलेंस्की ने इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे भयानक त्रासदी बताया।
पिछले कुछ दिनों में बुचा से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो संकेत देती हैं कि कीव के बाहरी इलाके से वापस जाने से पहले रूसी सैनिकों ने नरसंहार को अंजाम दिया है। इन तस्वीरों ने दुनियाभर में खलबली मचा दी है और पश्चिमी देशों ने रूसी राजनयिकों को निकालना शुरू का दिया है। उन्होंने रूस पर और प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।
जलेंस्की ने कहा कि हत्या करने वालों और इसका आदेश देने वालों के खिलाफ एक ऐसे न्यायाधिकरण में ‘युद्ध अपराधों के लिए मामला चलाया जाना चाहिए’, जैसा जर्मनी में युद्ध के बाद बनाया गया था।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीले नेबेंजिया ने कहा कि जब बुचा रूस के नियंत्रण में था, तब वहां एक भी स्थानीय व्यक्ति के खिलाफ हिंसा नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा कि सड़क पर पड़े शवों के वीडियो फुटेज यू्क्रेन ने फर्जी तरीके से तैयार किए हैं। (एपी)
वाशिंगटन, छह अप्रैल। अमेरिका के न्यू जर्सी में तीन करोड़ डॉलर की लागत से साईं बालाजी को समर्पित एक भव्य मंदिर के साथ ही 30 फुट ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति और विशाल सामुदायिक केंद्र की स्थापना की जाएगी।
करीब 12 एकड़ में फैले ओम श्री बालाजी मंदिर के भव्य प्रांगण में स्थापित की जाने वाली भगवान हनुमान की मूर्ति न्यू जर्सी की पूरी मोनरो बस्ती में दिखाई देगी।
जनगणना 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, मोनरो की आबादी करीब 50,000 है। पिछले कुछ वर्षों में इस बस्ती में भारतीय-अमेरिकी आबादी की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मोनरो में अनुमानित 6,000 भारतीय-अमेरिकी रहते हैं। (भाषा)
-उस्मान ज़ाहिद
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने आरोप लगाया है कि इमरान ख़ान राजनीतिक फ़ायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का इस्तेमाल कर रहे हैं.
उन्होंने बीते दिनों हुई 'सुरक्षा परिषद की बैठक का ब्योरा सामने लाने' की मांग की है.
बिलावल भुट्टो ने इमरान ख़ान की समझ पर सवाल उठाते हुआ कहा कि वो जश्न मना रहे हैं लेकिन आगे पता चलेगा कि उनकी सरकार गिरा दी गई है.
हालांकि, बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि वो चाहते हैं कि इमरान ख़ान की विदाई संवैधानिक तरीके से हो और फिर पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं.
बीबीसी से ख़ास बातचीत में बिलावल भुट्टो ने सुरक्षा परिषद की बैठक का ज़िक्र किया और कहा कि दूसरे सदस्यों के बयान भी सामने लाए जाएं.
उन्होंने कहा कि इसी बैठक के आधार पर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान कह रहे हैं कि नेशनल असेंबली के '70 फ़ीसदी सदस्य देशद्रोही' हैं.
'ग़ैर ज़रूरी दखल का ज़िक्र'
बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान की सेना से सफ़ाई इसीलिए मांगी ताकि वो अपना पक्ष साफ़ कर सकें और बताएं कि 'क्या सुरक्षा परिषद की बैठक में 197 सांसदों को गद्दार करार दिया गया?'
उन्होंने कहा कि इस मीटिंग का ब्योरा मौजूद होगा जिससे ये साफ़ हो जाएगा कि मामले की हक़ीकत क्या है?
बिलावल भुट्टो ने कहा कि सुरक्षा परिषद की बैठक को लेकर जो बयान जारी किया गया था, उसमें किसी बाहरी साजिश का ज़िक्र नहीं था.
उनके मुताबिक इस बयान में जो भाषा इस्तेमाल की गई वो कूटनीतिक भाषा नहीं थी. इसमें देश के आंतरिक मामलों में 'ग़ैर ज़रूरी दखल का ज़िक्र' था. इसीलिए ये मामला न सिर्फ़ जनता बल्कि अदालत के सामने भी साफ़ होना चाहिए.
बिलावल भुट्टो ने कहा, "इमरान ख़ान ने एक गैर राजनीतिक फोरम (राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद) का इस्तेमाल अपनी सियासी फ़ायदे के लिए करने की कोशिश की जो बड़े अफ़सोस की बात है."
उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान ख़ान इसी का इस्तेमाल करते हुए 'अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाए भाग खड़े हुए.'
'संविधान के ख़िलाफ़ उठाया कदम'
ये पूछने पर कि नेशनल असेंबली में जो कुछ हुआ आपकी नज़र में उसे वापस किए बिना चुनाव कराने में क्या हर्ज़ है?
बिलावल भुट्टो ने इस पर कहा, "हम तो बहुत अर्से से प्रधानमंत्री इमरान खान की 'गैरनिर्वाचित सरकार' को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनकी सरकार के रहते देश में आर्थिक बदहाली पैदा हो गई और हर पाकिस्तानी बेरोज़गारी ग़रीबी और महंगाई की वजह से परेशान है."
उन्होंने कहा, "हमने तीन साल इस सरकार का डटकर विरोध किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें इसके ख़िलाफ न सिर्फ़ असेंबली के बाहर और भीतर डटे रहना है बल्कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर इस सरकार को हटाना है."
बिलावल भुट्टो ने कहा, "हमने जो कदम उठाया, उससे उनकी सरकार चली गई. अगर हम एक आम विपक्ष की राजनीति कर रहे होते तो हम इस बात से खुश हो जाते लेकिन हम चाहते हैं कि उनकी सरकार को संवैधानिक तरीके से हटाया जाए और फिर हम एक साफ़ सुथरे चुनाव की ओर बढ़ें."
उन्होंने कहा, "तीन अप्रैल को जो कदम प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने उठाया वो संविधान के ख़िलाफ़ था. वो (इमरान) चाहते हैं कि तीन चार दिन के लिए और प्रधानमंत्री बने रहें."
'नहीं हुई हैरानी'
ये पूछने पर कि इमरान ख़ान ने अपने कदम को 'सरप्राइज़' बताया है तो क्या ये विपक्ष के लिए वाकई हैरानी की बात थी?
बिलावल भुट्टो ने कहा, "इमरान ख़ान अगर कोई असंवैधानिक या अलोकतांत्रिक कदम उठाएं तो ये कोई हैरानी बात नहीं है. हक़ीकत ये है कि सरकार जिसको 'सरप्राइज़' कह रही है, वो संविधान का उल्लंघन है और आप संविधान के उल्लंघन को सरप्राइज़ नहीं कह सकते."
उन्होंने आगे कहा कि संविधान को तोड़ना कोई मज़ाक नहीं है. ये अपराध 'गद्दारी' है और पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद छह का उल्लंघन है.
बिलावल भुट्टो ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा, "पाकिस्तान में शायद जनरल जिया (उल हक़) और जनरल (परवेज़) मुशर्रफ़ की फौजी बगावत को नहीं रोका जा सका लेकिन वो इमरान ख़ान की इस बगावत को रुकवा दें."
उन्होंने कहा, "हम निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार हैं. लेकिन अगर हम संविधान तोड़कर चुनाव की तरफ बढ़ते हैं तो कोई साफ सुथरे चुनाव की बात पर यकीन नहीं करेगा. "
ये पूछने पर कि क्या कि इमरान ख़ान ने देश की राजनीति को 90 के दशक में वापस धकेले दिया है
बिलावल भुट्टो ने कहा, "आज का पाकिस्तान 1990 के दशक का पाकिस्तान नहीं है. इमरान ख़ान को इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि उस दौर के नतीजे कितने संगीन हैं."
उन्होंने कहा, "वो आज भी जश्न मना रहे हैं. जिस दिन उनकी सरकार गिरी उस दिन भी वो सदन में मेज बजाकर जश्न मना रहे थे. जिस दिन मैंने उन्हें 'सेलेक्टेड' (चयनित) करार दिया था उन्हें 'सलेक्टेड' का मतलब समझने में वक़्त लगा. आज इमरान जश्न मना रहे हैं लेकिन कल उन्हें पता लगेगा कि हमने उनकी सरकार गिरा दी है."
बिलावल भुट्टो ने कहा, "हम संविधान में भरोसा रखते हैं इसलिए समझते हैं कि अगर इमरान ख़ान की सरकार को घर भेजना है तो ये लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए." (bbc.com)
नई दिल्ली/मुंबई. प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में 2 हाईप्रोफाइल लोगों की करोड़ों की संपत्तियां अटैच कीं. इनमें एक- शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत, दूसरे- दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हैं. इस कार्रवाई के बाद संजय राउत ने तुरंत ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी. इसमें लिखा, ‘असत्यमेव जयते.’
समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ के अनुसार, मुंबई की पात्रा-चॉल की पुनर्विकास-योजना में करीब 1,034 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के सिलसिले में संजय राउत पर कार्रवाई की गई. इस सिलसिले में मुंबई के अलीबाग स्थित उनके 8 प्लॉट अटैच किए गए हैं. साथ ही दादर उपनगर में स्थित फ्लैट भी अटैच किया गया है. ये संपत्तियां संजय राउत और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं. ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत यह कार्रवाई की है.
इधर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मामले में भी ईडी ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के तहत कार्रवाई की है. जैन के सहयोगियों की 4.81 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति अटैच की गई है. इस सिलसिले में साल 2017 में सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. बताया जाता है कि जैन और उनके परिवार के सदस्यों के तार कुछ ऐसी फर्मों से जुड़े हैं, जिनके खिलाफ काले धन की रोकथाम से जुड़े कानून के तहत जांच चल रही है.
संजय राउत का एक सहयोगी गिरफ्तार, पत्नी से भी हो चुकी है पूछताछ
संजय राउत और उनके नजदीकियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े दो मामलों में जांच चल रही है. पहला मामला पीएमसी बैंक के साथ करीब 4,300 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का है. बताया जाता है कि यह धोखाधड़ी हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने की थी. दूसरा मामला मुंबई की पात्रा चॉल की पुनर्विकास-योजना से जुड़ा है. चॉल की यह करीब 47 एकड़ जमीन महाराष्ट्र हाउसिंग एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की है. उसने इस चॉल की पुनर्विकास-योजना का ठेका गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया, जो एचडीआईएल से संबंद्ध है. उसने इस योजना में करीब 1,034 करोड़ रुपये का घोटाला किया.
बताते हैं कि घोटाला और धोखाधड़ी करने वाली इन कंपनियों से महाराष्ट्र के एक कारोबारी प्रवीण राउत, उनकी पत्नी माधुरी, संजय राउत, पत्नी वर्षा और बेटियां प्रभावी तौर पर जुड़े रहे हैं. इसी आधार पर ईडी ने फरवरी में प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया था. उनके खिलााफ अदालत में आरोप-पत्र भी दायर किया जा चुका है. साथ ही, संजय राउत की पत्नी वर्षा से भी पूछताछ की जा चुकी है.
श्रीलंका में एक दिन पहले ही वित्त मंत्री नियुक्त किए गए अली साबरी ने इस्तीफ़ा दे दिया है. पिछले दिनों श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट और सरकार के ख़िलाफ़ विरोध के चलते पूरी की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफ़ा दे दिया था. बाद में सोमवार को नई कैबिनेट को शपथ दिलाई गई. अली साबरी को वित्त मंत्रालय सौंपा गया था. लेकिन अब उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को भेजे अपने पत्र में लिखा है- काफ़ी सोच-विचार कर और मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मेरा विचार ये है कि इस अप्रत्याशित संकट से निपटने के लिए बेहतर व्यवस्था की आवश्यकता है. और इसमें नए वित्त मंत्री की नियुक्ति भी शामिल है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि इसी कारण वे तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहे हैं. अली साबरी पहले सरकार में न्याय मंत्री थे. लेकिन तीन अप्रैल को उन्होंने बाक़ी मंत्रियों से साथ इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद सोमवार को उन्हें वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई थी. अपने पत्र में उन्होंने ये भी लिखा है कि अगर राष्ट्रपति राजपक्षे किसी बेहतर व्यक्ति को वित्त मंत्री बनाना चाहते हैं, तो वे अपनी संसदीय सीट भी छोड़ने के लिए तैयार हैं. (bbc.com)
उत्तर कोरिया ने चेतावनी दी है कि अगर दक्षिण कोरिया ने उस पर हमला किया, तो वह दक्षिण कोरिया पर परमाणु हमला करेगा.
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो-जोंग की ओर से ये बयान आया है.
कुछ दिनों पहले दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने कहा था कि उनकी सेना उत्तर कोरिया में किसी भी लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है.
दोनों देशों के बीच ये बयानबाज़ी तब की जा रही है, जब दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं.
क़रीब छह महीने की चुप्पी के बाद ये दूसरी बार है जब किम जोंग उन की बहन ने इस तरह की चेतावनी दक्षिण कोरिया को दी है.
उन्होंने कहा कि “दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने उत्तर कोरिया पर हमला करने की बात करते हुए एक "बड़ी ग़लती" की है. अगर दक्षिण कोरिया ने ऐसा किया तो उत्तर कोरिया इसका जवाब परमाणु हमले से देगा.”
हालांकि किम यो-जोंग ने स्पष्ट किया कि उत्तर कोरिया युद्ध नहीं चाहता, लिहाज़ा वो हमले की शुरुआत ख़ुद नहीं करेगा. (bbc.com)
ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के यूज़र्स को सावधान हुए कहा है कि वह ट्विटर पर एडिट बटन लाने के लिए होने वाले पोल में सोच-समझ कर वोट करें.
टेस्ला के मालिक एलन मस्क के ट्विटर में 9.2 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदने के बाद ट्विटर पर एक पोल डाला और लोगों से पूछा-“क्या ट्विटर पर एडिट बटन होना चाहिए?”
इस ट्वीट पर पराग अग्रवाल ने लिखा, “ इस पोल के नतीजे अहम होंगे इसलिए सोच समझकर वोट करें.”
सोमवार को टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के ट्विटर में शेयर खरीदने के बात सामने आई. यूएस एसईसी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन) फाइलिंग के मुताबिक़ मस्क ने 14 मार्च को ट्विटर के 73,486,938 शेयर ख़रीदे थे.
शुक्रवार को ट्विटर की क्लोजिंग प्राइस के हिसाब से यह हिस्सेदारी 2.89 अरब डॉलर के क़रीब बैठती है.
इस ख़रीदारी के बाद एलन मस्क ट्विटर के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर्स में शामिल हो गए हैं. उनकी हिस्सेदारी अब ट्विटर के फाउंडर जैक डोर्सी से भी ज्यादा हो गई है. डोर्सी के पास ट्विटर की 2.25 फीसदी हिस्सेदारी है.
मस्क ट्विटर का खूब इस्तेमाल करते हैं. और वह कई पोल करते रहते हैं.
पिछले महीने मस्क ने अपने फॉलोअर्स से कहा था कि क्या वे मानते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फ्री स्पीच को बढ़ावा देता है. इसके बाद उन्होंने पूछा, '' क्या अब एक नए प्लेटफॉर्म की जरूत है? ' (bbc.com)
जर्मनी ने रूस के 40 राजनयिकों को अपने यहां आने से मना कर दिया है. यूक्रेन के बुचा में रूस द्वारा कथित तौर पर नरसंहार की प्रतिक्रिया में यह कार्रवाई की गई है.
यूक्रेन के बुचा में रूस पर नरसंहार के आरोपों की प्रतिक्रिया में जर्मनी ने उसके राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दे दिया है. जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने इस बात की घोषणा की. उन्होंने कहा, "सरकार ने फैसला किया है कि रूसी दूतावास के वे बहुत सारे लोग जो रोज यहां हमारी स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता के विरुद्ध काम करते रहे हैं, हमारे यहां उनका स्वागत नहीं है. हम यह सब और नहीं सहेंगे.”
बेयरबॉक ने बताया कि जर्मन सरकार के फैसले के बारे में सूचित करने के लिए रूस के राजदूत सर्गई नेथायेव को विदेश मंत्रालय ने समन किया था. इस फैसले से प्रभावित लोगों के पास देश छोड़ने के लिए पांच दिन का वक्त है. माना जाता है कि ये सभी लोग रूसी जासूसी एजेंसी के लिए काम करते थे.
बुचा के जवाब में
जर्मन सरकार का यह फैसला यूक्रेन ने रूस पर उस आरोप के बाद आया है कि उसके सैनिकों ने बुचा में सैकड़ों मासूम नागरिकों को कत्ल कर दिया. रूस इन आरोपों का खंडन कर रहा है लेकिन बुचा से आ रहीं तस्वीरों पर पश्चिमी देशों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है.
यूक्रेन का कहना है कि रूस ने बुचा में नरसंहार किया है. राजधानी कीव से 37 किलोमीटर दूर स्थित शहर बुचा से ऐसी तस्वीरें जारी हुई हैं जिनमें सड़कों पर जगह-जगह पड़े आम लोगों के क्षत-विक्षत शवों को देखा जा सकता है. विचलित करतीं इन तस्वीरों की पश्चिमी देशों में तीखी प्रतिक्रिया हुई और जर्मनी समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध और कड़े करने की बात कही है.
एक दिन पहले ही जर्मनी ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा था कि पश्चिमी देश आने वाले दिनों में नए प्रतिबंधों पर सहमत होंगे. शॉल्त्स ने कहा, "पुतिन और उनके समर्थकों को परिणामों का अहसास होगा."
यूरोपीय संघ में प्रतिक्रिया
बुचा की घटना को लेकर यूरोप और अमेरिका में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने युद्ध अपराधों के आरोपों की जांच और रूस पर और कड़े प्रतिबंधों की मांग की है. यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा कि जांचकर्ताओं का एक दल बुचा भेजा जाएगा जो संभावित युद्ध अपराधों की जांच करेगा.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की सोमवार को बुचा गए थे जहां उन्होंने इन हत्याओं को नरसंहार करार दिया. यूक्रेन के प्रॉसीक्यूटर जनरल ईरीना वेनेडिक्टोवा ने कहा है कि कीव के आसपास के जिन इलाकों को रूस से वापस लिया गया है वहां से आम नागरिकों के 410 शव बरामद किए गए हैं. बुचा के मेयर अनतोली फेदरूक का कहना है कि सामूहिक कब्रों में 280 शव दफ्न किए गए थे.
रूस इन हत्याओं में शामिल होने से इनकार करता है. रूसी अधिकारियों ने बुचा से आ रही तस्वीरों को यूक्रेन के उग्रवादियों द्वारा तैयार फर्जी तस्वीरें बताया. रूसी सरकार के प्रवक्ता दमित्री पेश्कोव ने कहा, "हम सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं.”
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)