राष्ट्रीय
मुंबई, 18 सितंबर शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बुधवार को राहुल गांधी के खिलाफ साजिश रचे जाने और उनकी जान को खतरा होने का आरोप लगाया तथा राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिव सेना के जनप्रतिनिधियों की ओर से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ की गई टिप्पणियों की निंदा की।
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने गांधी के खिलाफ सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की टिप्पणियों के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ‘चुप्पी’ पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली, लखनऊ और महाराष्ट्र के लोग वही भाषा बोल रहे हैं, जैसे कि उनका (गांधी) हश्र उनकी दादी (इंदिरा गांधी) और उनके पिता (राजीव गांधी) की तरह होगा। गृह मंत्री और प्रधानमंत्री कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब है कि वे ऐसी टिप्पणी करने वाले लोगों के साथ हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसकी (गांधी पर टिप्पणी) और इन दोनों नेताओं (प्रधानमंत्री और गृह मंत्री) की चुप्पी की भी निंदा करते हैं। वह (राहुल) विपक्ष के नेता हैं और उन्हें कैबिनेट रैंक प्राप्त है। जब आपकी पार्टी के लोग उन पर हमला करने की बात करते हैं और आप (प्रधानमंत्री और गृह मंत्री) चुप रहते हैं।’’
शिव सेना के राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी के खिलाफ साजिश हो रही है और उनकी जान को खतरा है। कुछ लोग उन पर हमला करने की सोच रहे हैं।’’
भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनिल बोंडे ने कहा है कि गांधी की जुबान दाग दी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने आरक्षण के बारे में जो कहा है वह खतरनाक है।
बुलढाणा से शिव सेना विधायक संजय गायकवाड़ ने आरक्षण को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उनकी जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी।
अमेरिका की अपनी हालिया यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा था कि कांग्रेस तभी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जब देश में सभी को समान अवसर मिलने लगेंगे।
उन्होंने कहा था, ‘‘फिलहाल भारत में ऐसी स्थिति नहीं है।’’ (भाषा)
श्रीनगर, 18 सितंबर । जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जिसे लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर, पहली बार मतदान करने जा रहे वोटर्स में यह उत्साह अपने चरम पर है। नगरोटा में पहली बार वोट देने आए मतदाताओं ने आईएएनएस से बात की। फर्स्ट टाइम वोटर कोमल दत्त ने बताया कि यह वोट हमारे लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, “मतदान हम जैसे युवाओं के लिए बहुत जरूरी है। यह हमारे भविष्य की रूपरेखा निर्धारित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाता है। जितनी अच्छी सरकार रहेगी, हमें उतनी ही ज्यादा मदद मिलेगी।
सुचारू सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि हम सभी वोट देने पहुंचे। वोट देने के दौरान हमने अपने मुद्दों का विशेष ख्याल रखा है, जिसे देखते हुए हमने वोट किया है।” एक अन्य मतदाता मयूर खर ने आईएएनएस से बातचीत में पहली बार वोट देने को लेकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, “हम अपना वोट देने को लेकर खासे उत्साहित हैं, क्योंकि हमें देखना पड़ता है कि युवाओं के लिए कौन काम कर रहा है। हमें जानना है कि जिसे हम चुनेंगे, वह हमारे लिए कितना काम करेगा। आज हमने भी वोट किया और हमें ऐसा करके बहुत अच्छा लगा। हमारे बीच बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है।
इसी को ध्यान में रखते हुए हमने वोट किया है। यहां के युवा काम की तलाश में दूसरी जगह जा रहे हैं। उन्हें यहां काम नहीं मिल पा रहा है, इसलिए हम चाहते हैं कि जिसे हमने वोट किया है, वह हमारे लिए काम करे। यही हमारी मांग है।” आर्यन रैना ने कहा, “पहली बार मुझे वोट डालकर बहुत अच्छा लग रहा है, इसलिए मैं यही कहूंगा कि सभी लोग घर से बाहर निकलकर वोट करें। अपने मुद्दों को लेकर वोट करें, क्योंकि जब आप वोट करते हैं, तो ऐसा करके आप अपने देश और अपने शहर के विकास की रूपरेखा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। आम तौर पर लोग वोट देने से गुरेज करते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से निकलकर वोट करने आना चाहिए।” पहली बार मतदान करने वाले आर्यन जामवाल ने कहा, “हमें उसी पार्टी को वोट देना है, जो हमें लगे की लोगों के हितों को ज्यादा तवज्जो दे। लोगों के विकास के लिए काम करे। हमें नौकरी दे, हमारे विकास के लिए काम करे, हमें उसी को वोट देना चाहिए, जो हमें लगे हमारे काम आ सकता है।” -- (आईएएनएस)
रांची, 18 सितंबर । झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में महिलाओं और बच्चों के यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर रोक की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अफसरों को इस दिशा में सख्त और कारगर कदम उठाने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान राज्य के गृह सचिव, नगर विकास सचिव, बाल कल्याण एवं महिला विकास विभाग के सचिव, रांची के डीसी, एसएसपी एवं नगर आयुक्त सशरीर उपस्थित रहे।
एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं अरुण कुमार राय की बेंच ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और रांची में चेन स्नैचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए मौखिक तौर पर कहा कि रांची में इस तरह की वारदात आए रोज हो रही हैं। अगर इन पर रोक नहीं लगती है तो जिला एवं पुलिस प्रशासन की नाकामी मानी जाएगी। कोर्ट ने स्कूल बसों में बच्चों के साथ, महिला शिक्षकों की ड्यूटी लगाने या महिला कंडक्टर की तैनाती करने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे बच्चों को सुरक्षा मिल पाएगी। गृह सचिव ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि स्कूली बच्चे सुरक्षित रूप से घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों के प्रबंधन के साथ बैठक की जाएगी। महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं पर रोक और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए सरकार विभिन्न विभागों के साथ विचार-विमर्श कर एक एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाएगी। सरकार की ओर से इस मामले में सुझाव पेश करने के लिए समय की मांग की गई।
इस पर अदालत ने सरकार को 30 सितंबर तक का समय देते हुए शपथ पत्र के माध्यम से सुझाव पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने रांची एसएसपी को मौखिक तौर पर कहा कि रात में जगह-जगह पर औचक निरीक्षण करना चाहिए। कोई अगर मुसीबत में हो तो हेल्पलाइन का नंबर हमेशा एक्टिव रहना चाहिए, ताकि शिकायत करने पर तुरंत सुरक्षा मिल सके। कोर्ट ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर का अधिक से अधिक प्रचार और रांची शहर में सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की दिशा में कदम उठाया जाए। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अपर अधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की। हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका अधिवक्ता भारती कौशल ने दाखिल की है। याचिका में इस वर्ष जनवरी से जून तक महिलाओं से रेप की घटनाओं का जिक्र किया गया है और आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि ऐसे मामलों में पुलिस, प्रशासन एवं सक्षम प्राधिकार का रुख संवेदनशील नहीं है। - (आईएएनएस)
बनिहाल, 18 सितम्बर । जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बुधवार को मतदान जारी है। वोटिंग को लेकर मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा है। बनिहाल सीट से भाजपा उम्मीदवार सलीम भट्ट ने अपना वोट डाला। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा की गई व्यवस्था की प्रशंसा की। सलीम भट्ट ने आईएएनएस से कहा, "मैं पीएम मोदी को बधाई देना चाहता हूं। मैं जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए पीएम मोदी और चुनाव आयोग को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं सभी चुनाव अधिकारियों और जिले के अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं। राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो रहा है।
यह बहुत अच्छी व्यवस्था है। लोगों को अपनी इच्छा के अनुसार वोट करना चाहिए। हर किसी को अपनी सरकार चुनने का अधिकार है। भाजपा देश में भाईचारे का संदेश लेकर आई। हर गरीब को घर और मुफ्त राशन मिला।" आईएएनएस ने मतदाताओं से भी बात करके यह जानने की कोशिश की यहां करीब 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनावों में आम लोगों ने किन-किन मुद्दों पर वोट किया। कुलगाम के एक बुजुर्ग ने पोलिंग बूथ पर वोट डालने के बाद बताया, “मेरा वोट लोकतांत्रिक हक के लिए है। मैं समृद्धि, शांति और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अपना वोट देने आया हूं।”
कुलगाम के ही आकिब कहते हैं कि हम यहां वोट डालने इसलिए आए हैं ताकि सूबे की आवाम को सहूलियत मिल सके। जो उम्मीदवार जीत कर आएगा, हमें उम्मीद है कि वह हमारे लिए अच्छा काम करेगा। सूबे को लोगों को अपने घरों से निकलकर वोट जरूर करना चाहिए। मुझे अभी यहां कम ही लोग दिख रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि जैसे ही सुबह का समय खत्म होगा, लोग जल्दी वोट डालने आएंगे। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 सितंबर । दिल्ली में करोल बाग के बापा नगर इलाके में अंबेडकर गली हिल मार्केट में एक पुराना तीन मंजिला मकान गिर गया। मकान के मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस बल, जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम राहत बचाव कार्य जुटी हैं। दिल्ली फायर विभाग की कई गाड़ियां भी मौके पर मौजूद हैं। पुलिस का कहना है कि आशंका है कि कुछ और लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के करोल बाग स्थित बापा नगर में इमारत गिरने की यह घटना बुधवार सुबह नौ बजे की है। यह तीन मंजिला मकान करीब 25 वर्ग गज क्षेत्र में फैला है। यह मकान बहुत पुराना था। फिलहाल, टीम ने अब तक आठ लोगों को रेस्क्यू कर लिया है। आशंका है कि कुछ और लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं। स्थानीय पुलिस अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर बचाव अभियान चला रही है।
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने करोल बाग इलाके में मकान गिरने की घटना को दुखद हादसा बताया है। उन्होंने कहा कि मैंने जिलाधिकारी को आदेश दिए हैं कि वहां रहने वाले लोगों और पीड़ितों की हर संभव मदद करें। कोई घायल है तो उसका इलाज कराएं और हादसे के कारणों का पता लगाएं। इस हादसे को लेकर उन्होंने एमसीडी मेयर शैली ओबेरॉय से भी बात की है। आतिशी का कहना है कि इस साल बहुत बारिश हुई है। सभी दिल्लीवासियों से मेरी अपील है कि निर्माण से जुड़े किसी भी हादसे की कोई भी आशंका हो तो तुरंत प्रशासन और निगम को बताएं, सरकार तुरंत आपकी मदद करेगी। गौरतलब है कि बीते दिनों हुई भारी बारिश के चलते दिल्ली के अलग अलग इलाकों में कई घटनाएं सामने आई हैं। जिनमें कई छात्रों की भी जान जा चुकी है। -(आईएएनएस)
कुलगाम, 18 सितंबर । जम्मू-कश्मीर में बुधवार को विधानसभा चुनाव के तहत पहले चरण की वोटिंग शुरू हो चुकी है। लोग बड़े ही उत्साह के साथ अपने-अपने पोलिंग बूथों पर पहुंचकर वोटिंग कर रहे हैं। आईएएनएस ने मतदाताओं से बात करके यह जानने की कोशिश की यहां करीब 10 साल बाद हो रहे राज्य विधानसभा चुनावों में आम लोगों ने किन किन मुद्दों पर वोट किया। कुलगाम के ही एक बुजुर्ग ने पोलिंग बूथ पर वोट डालने के बाद बताया, “मेरा वोट लोकतांत्रिक हक के लिए है। मैं समृद्धि, शांति और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अपना वोट देने आया हूं।”
एक अन्य मतदाता ने कहा, “मेरी कुलगाम विधानसभा है। मुझे लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए वोट डालना है। इसके अलावा हम चाहते हैं कि लोग विकास के लिए वोट डालें। हमारे राज्य में करीब 11 साल बाद चुनाव होने वाले हैं। इन 11 साल में हम लोगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा है। हमारी समस्याएं कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए आज हम वोट डालने आए हैं ताकि हमारी हुकूमत बन जाए। इसके बाद हमारे जो मामले हैं वह हल हो सकें।” कुलगाम के ही रहने वाले आकिब कहते हैं कि हम यहां वोट डालने इसलिए आए हैं ताकि सूबे की अवाम को सहूलियत मिल सके। जो उम्मीदवार जीत कर आएगा, हमें उम्मीद है कि वह हमारे लिए अच्छा काम करेगा। सूबे को लोगों को अपने घरों से निकलकर वोट जरूर करना चाहिए। मुझे अभी यहां कम ही लोग दिख रहे हैं।
मैं उम्मीद करता हूं कि जैसे ही सुबह का समय खत्म होगा, लोग जल्दी वोट डालने आएंगे। एक युवा मतदाता ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में बहुत साल से कोई विकास नहीं हुआ है। इस बार हम अपने वोट के दम पर ऐसा उम्मीदवार चुनेंगे जो हमारे लिए काम करेगा। हम लोग इस दिन का बड़ी ही उम्मीदों के साथ प्रतीक्षा कर रहे थे। वोटिंग के लिए स्थानीय पोलिंग बूथों पर सुरक्षा के काफी कड़े इंतजाम किए गए हैं। मैं अपने स्थानीय युवाओं से अपील करता हूं कि वह लोग घर से निकलें और राज्य की परिस्थितियां बदलने के लिए वोट दें। आपका वोट हमारे भविष्य को सुरक्षित करेगा।” -(आईएएनएस)
उधमपुर, 18 सितंबर । जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बुधवार को मतदान शुरू हो गया है। वोटिंग को लेकर मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उधमपुर में सुबह से ही कश्मीरी प्रवासियों ने कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान करना शुरू कर दिया है। मतदाताओं का कहना है कि इस बार उन्हें ऐसी सरकार चाहिए जो उनकी घर वापसी का इंतजाम करे। विस्थापित कश्मीरी पंडित पोला रैना ने आईएएनएस से कहा, "मैं 1990 से उधमपुर के सरंतलाव में रह रही हूं। हमारा मुद्दा अपने घर वापस जाना है।
सरकार ने पहले भी हमारे लिए बहुत कुछ किया है। अब भी हमें उम्मीद है कि वह हमें वापस ले जाएगी, हमें हमारे स्थान पर बसाएगी। सभी कश्मीरी पंडित मतदान कर रहे हैं। हम पिछले 10 दिन से घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए जागरूक कर रहे हैं। हम उन्हें यह नहीं बताते कि उन्हें किसे वोट देना है। हमने उनसे कहा कि वे जिसे वोट देना चाहते हैं, उसे दें, लेकिन अपना वोट बर्बाद न करें।" उन्होंने कहा हमें आने वाली सरकार से यही उम्मीद है कि हमें घर वापस भेजा जाएगा। इसलिए हम मतदान कर रहे हैं। हम 1990 से मतदान कर रहे हैं। आज मैं देख रहा हूं कि उधमपुर में अब तक अच्छा मतदान हुआ है।
साल 2014 के बाद से हमारे लिए कोई राहत नहीं बढ़ाई गई है। अब हमें उम्मीद है कि हमारे लिए राहत बढ़ाई जाएगी।" उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मतदाताओं से घरों से निकलकर बड़ी संख्या में मतदान की अपील की है। केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होना है। पहले चरण के तहत 24 सीटों पर मतदान आज जारी है।
पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के शुरू होने के साथ, मैं आज मतदान करने वाले सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों से बड़ी संख्या में मतदान करने और लोकतंत्र के पर्व को मजबूत करने का आग्रह करता हूं। मैं विशेष रूप से युवा और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आग्रह करता हूं।" कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट कर लोगों से मतदान करने की अपील की। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 सितंबर । ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन ने मनीष तिवारी के अचानक कंपनी छोड़ने के बाद बुधवार को समीर कुमार को भारत का 'कंट्री मैनेजर' नियुक्त करने का ऐलान किया है। कंपनी की ओर से आज जारी अपडेट के अनुसार, समीर कुमार 1999 से अमेजन में कार्यरत हैं। वह 1 अक्टूबर से भारत में परिचालन संबंधी जिम्मेदारियां संभालेंगे। कंपनी के अनुसार, "अमेजन के साथ काम करने का 25 साल का अनुभव रखने वाले समीर कुमार अब कंपनी के भारत उपभोक्ता व्यवसाय की देखरेख करेंगे।
अमेजन इंडिया के वर्तमान कंट्री मैनेजर मनीष तिवारी ने कंपनी के बाहर अवसर तलाशने का फैसला किया है।" मनीष तिवारी ने जुलाई 2020 से भारत में अमेजन के कामकाज का नेतृत्व किया था। उन्होंने 6 अगस्त को अपना इस्तीफा दे दिया था। मनीष तिवारी के इस्तीफे की वजह यह बताई जा रही है कि उनके और कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित अग्रवाल के बीच कई मतभेद थे। अमित अग्रवाल ने एक आंतरिक ईमेल में कहा, "तिवारी ने अमेजन डॉट इन को भारतीयों के लिए ऑनलाइन कुछ भी खरीदने और बेचने का वास्तविक प्रारंभिक बिंदु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" यह नई भूमिका समीर कुमार के लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी, जो पहले से ही मध्य पूर्व, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की में अमेजन के उपभोक्ता व्यवसायों का नेतृत्व कर रहे हैं।
अमित अग्रवाल ने कहा कि अमेज़न के लिए भारत एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बना हुआ है। उन्होंने कहा, "हमारे पास एक मजबूत स्थानीय नेतृत्व बेंच है और उभरते बाजारों में समीर के अनुभवों के साथ, मैं भारत में ग्राहकों और व्यवसाय के लिए हमारी भविष्य की योजनाओं के बारे में और भी अधिक आशावादी हूं।" वर्ष 1999 में अमेजन में शामिल होने वाले कुमार 2013 में अमेजन डॉट इन की योजना बनाने और उसे लॉन्च करने वाली टीम का भी हिस्सा थे। कंपनी ने कहा कि नए बदलाव के साथ अमेज़न इंडिया एक डुअल लीडरशिप स्ट्रक्चर का पालन करेगी। (आईएएनएस)
बहराइच के बाद अब देश के कई अन्य शहरों से भेड़ियों के हमले की खबरें आ रही हैं.जानकार कहते हैं कि डीएनए समेत जरूरी जांच के बिना दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि हमले भेड़ियों ने ही किए हैं.
डॉयचे वैले पर रामांशी मिश्रा की रिपोर्ट-
बीते दिनों उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला भेड़ियों के हमलों के कारण सुर्खियों में रहा. अब भारत के कुछ अन्य हिस्सों से भी भेड़ियों के हमले की खबरें आ रही हैं. सितंबर के पहले सप्ताह से अब तक उत्तर प्रदेश के कौशांबी, संभल, प्रतापगढ़, सीतापुर और जौनपुर के साथ मध्य प्रदेश के खंडवा और सीहोर में भेड़ियों के हमले की खबरें आई हैं.
क्या हो सकते हैं संभावित कारण?
भेड़ियों के हमलों में आई कथित तेजी पर जानकारों की राय बंटी हुई है. डॉ. योगेश प्रताप सिंह, गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में पशु चिकित्सा अधिकारी हैं. वह बहराइच से रेस्क्यू किए गए भेड़ियों का इलाज भी कर रहे हैं. डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत करते हुए बहराइच में हुए हमलों के संदर्भ में वह कहते हैं, "बहराइच, सरयू के किनारे है. इस साल यहां बारिश के बाद बाढ़ का पानी पीलीभीत और दुधवा के जंगलों तक तेजी से पहुंचा. इसकी वजह से जानवरों को एक जगह से दूसरी जगह प्रवास करने का मौका नहीं मिला." वह आशंका जताते हैं, " भेड़ियों का प्रवास इंसानी बस्ती की ओर अधिक होने की यह एक वजह हो सकती है. इन जगहों पर अपना प्राकृतिक भोजन न मिलने से उन्होंने इंसानी बच्चों पर हमला किया होगा."
सुपर्णा गांगुली, वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की अध्यक्ष और सह संस्थापक हैं. वह कई वर्षों से शहरी कुत्तों और बंधुआ हाथियों समेत जानवरों के संरक्षण से जुड़े पक्षों पर काम कर रही हैं. भेड़ियों के इंसानी बसाहटों की ओर आने की घटनाओं पर वह कहती हैं, "भेड़ियों और कुत्तों के व्यवहार का पैटर्न मिलता-जुलता है, इसलिए मैं कुछ संभावित कारणों का अनुमान लगा सकती हूं. वन्यजीव हों या पालतू जानवर, सभी खाने की ओर आकर्षित होते हैं. मुमकिन है (प्रभावित) गांवों और नजदीकी इलाकों में कचरे के समुचित प्रबंधन से जुड़ी गंभीर दिक्कत हो. ऐसे में संभव है कि इन भेड़ियों को कूड़े में मांस के कुछ अंश और अपने खाने की कुछ अन्य चीजें मिल गई हों."
सुपर्णा के मुताबिक, भेड़ियों के आहार का दायरा बड़ा होता है और वे सर्वाहारी हो सकते हैं. ऐसे में एक आशंका यह भी है कि अपने कुदरती परिवेश से बाहर निकले भेड़ियों को इंसानी बसाहट वाले इलाकों में अपेक्षाकृत ज्यादा सुगमता से खाना मिल रहा हो.
पहले भी यूपी में हुए हैं भेड़ियों के हमले
1996 और 1997 के दौर में भी उत्तर प्रदेश के जौनपुर, प्रतापगढ़ और सुल्तानपुर में भेड़ियों के हमलों की कई घटनाएं हुई थीं. इन संघर्षों के दौरान 78 लोग घायल हुए, 42 बच्चों की जान गई और 13 भेड़ियों को वन विभाग की टीम ने मार गिराया था. उस दौरान भेड़ियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने में जिन विशेषज्ञों ने वन विभाग की मदद की, उनमें डॉ. यादवेंद्र देव झाला भी शामिल थे. इंडियन नेशनल साइंस एसोसिएशन (इंसा) में वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डॉ. यादवेंद्र ने भेड़ियों के प्राकृतिक आवास, खानपान और शिकार समेत कई पहलुओं पर लंबा शोध किया है. डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत में उन्होंने कहा, "भेड़ियों को लेकर हमारे समाज में एक डरावना माहौल बना दिया गया है, जिसकी वजह से सामान्य भेड़िये को भी आदमखोर समझकर दोषी ठहरा दिया जाता है."
बहराइच में इस साल मार्च से अब तक भेड़ियों के हमलों में नौ बच्चों समेत 10 लोगों की जान गई है और लगभग 50 लोग घायल हुए हैं. लगातार हो रहे हमलों पर डॉ. यादवेंद्र कहते हैं, "जिन भेड़ियों को पकड़ा गया है, वे सभी आदमखोर हैं या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं की गई है."
जानवरों के आदमखोर होने की बात पर डॉ. यादवेंद्र कहते हैं, "एक जानवर, जिसको खाना नहीं मिलता या किसी शारीरिक परेशानी के कारण वह अन्य जानवरों को नहीं मार सकता, वह जब इंसानों की बस्ती में आकर खेलते हुए बच्चों को देखता है और उनपर हमले की कोशिश में सफल हो जाता है, तो उसे लगता है कि इंसानी बच्चे को मारना आसान है. इसके बाद वह हमलावर हो जाता है."
किस जानवर ने हमला किया, कैसे होगी पहचान
27 साल पहले जब यूपी के कई इलाकों में भेड़ियों के हमलों की खबरें आईं, तब इनकी पुष्टि के लिए पीड़ितों के जख्मों के आसपास पाए गए बाल की जांच की गई. इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ जांच से पता लगा कि हमले जंगली कुत्तों ने नहीं, बल्कि भेड़ियों ने किए थे. डॉ. यादवेंद्र बताते हैं, "मुझे इस बात का आश्चर्य हो रहा है कि अब तकनीक इतनी आगे बढ़ चुकी है, तब भी अब तक जानवर की पुष्टि नहीं की गई है. हमले में घायल हर व्यक्ति के शरीर पर कहीं-न-कहीं उस जानवर की लार, नाखून के निशान या कपड़ों पर जानवरों के बाल जैसे नमूने मिल सकते हैं. डीएनए टेस्ट के जरिए उस जानवर की प्रजाति पता लगाई जा सकती है."
बहराइच समेत अन्य जगहों पर हुई घटनाएं किसी एक जानवर के द्वारा ही की जा रही हैं या कई जानवर शामिल हैं, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है. डॉ. यादवेंद्र का कहना है, "पकड़े गए पांच भेड़ियों का भी आदमखोर होना संदिग्ध है क्योंकि हमले अभी भी हो रहे हैं. दूसरी अहम बात यह है कि ड्रोन और थर्मल कैमरों से लेकर उस इलाके में तैनात किसी भी व्यक्ति ने हमला करते हुए किसी भेड़िए को न ही देखा, न ही उन्हें बच्चों को खाते या मारते हुए देखा है. न ही भेड़िए के पांवों के निशान की पहचान की गई है. ऐसे में झुंड में चल रहे भेड़ियों को इसका दोषी नहीं कहा जा सकता."
यूपी में भेड़ियों की संख्या ज्यादा नहीं
भेड़िए ज्यादातर कम घने जंगलों में पाए जाते हैं. वे ज्यादातर झाड़ियों, खुली जगहों, खेतों और गोचर जगहों पर पाए जाते हैं. भारत में भेड़िए मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, झारखंड और छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं. उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या कम ही देखने को मिलती है.
कुछ वन्यजीव विशेषज्ञों की चिंता इस ओर भी है कि विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में भेड़िए, बाघ से भी अधिक गंभीर हालत में हैं. उनके संरक्षण की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. डॉ. यादवेंद्र कहते हैं, "वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर अलग तरीके की संरचना बनी हुई है. कुछ जानवरों के संरक्षण पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन कुछ जीवों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है. भारत में 3,600 बाघ हैं और भेड़ियों की संख्या 2,000 से भी कम है. इसके बावजूद भेड़ियों को बचाने के लिए कोई प्रयास नजर नहीं आते."
इस पक्ष पर सुपर्णा गांगुली कहती हैं, "मुझे इस बात का खेद है कि भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार और जंगली कुत्तों जैसे जानवरों के संरक्षण पर भारत में अब तक कोई परियोजना नहीं बनी है. भेड़िए कई सदियों से खाद्य शृंखला और जंगलों का हिस्सा रहे हैं. जैव विविधता में उनका भी योगदान है. इनके न होने से हमारी प्राकृतिक खाद्य शृंखला प्रभावित होगी." (dw.com)
एक दशक बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहा है. यहां के निवासियों के लिए अपनी सरकार चुनने का यह मौका, कभी न खत्म होने वाली हिंसा के बीच उम्मीद की नई किरण लेकर आया है. नई सरकार से लोगों को क्या उम्मीदें हैं?
डॉयचे वैले पर रिफत फरीद की रिपोर्ट-
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो रही है. तीन चरण में हो रहा मतदान 1 अक्टूबर को पूरा होगा. मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी. चुनाव के लिए महिलाओं में काफी उत्साह दिख रहा है. दक्षिणी कश्मीर की एक चुनावी रैली में आईं दर्जनों महिलाएं अपने पसंदीदा उम्मीदवार के समर्थन में पारंपरिक गीत गाती नजर आईं.
करीब एक दशक में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव से इन महिलाओं के बीच उम्मीद की एक नई किरण जगी है. वे ऐसा प्रतिनिधि चाहती हैं, संभवतः ऐसी महिला प्रतिनिधि, जो उनकी रोजमर्रा से जुड़ी समस्याओं को हल कर सके. जैसे कि गांव में पानी की कमी, कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद स्थानीय लड़के और मुसलमान बहुल घाटी क्षेत्र में युवा बेरोजगारी की बढ़ती समस्या.
ये महिलाएं, बतौर उम्मीदवार इल्तिजा मुफ्ती का समर्थन कर रही हैं. वह पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं. दक्षिणी कश्मीर की एक चुनावी रैली में आईं 45 साल की शमीमा जान ने इल्तिजा मुफ्ती के बारे में डीडब्ल्यू से कहा, "वह युवा और ऊर्जावान हैं. अगर हम उन्हें वोट देते हैं, तो वह हमारी बात सुनेंगी. हमारे बहुत से युवा कश्मीर से बाहर के जेलों में बंद हैं और हम चाहते हैं कि उन्हें रिहा किया जाए."
शमीमा जान जिस समय यह बात कह रही थीं, उसी समय इल्तिजा मुफ्ती अपनी एसयूवी गाड़ी की छत से बाहर निकलकर भीड़ को संबोधित कर रही थीं. शमीमा ने आगे कहा, "इस चुनाव से हमारे हालात बदल सकते हैं." शमीमा के आसपास खड़ी महिलाओं ने भी सिर हिलाकर इस बात पर सहमति जताई.
अलगाववादी भी स्थापित पार्टियों को दे रहे चुनौती
जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. उस समय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और क्षेत्रीय पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) ने गठबंधन सरकार बनाई थी. 2018 में भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया और गठबंधन सरकार टूट गई. इसके बाद केंद्र सरकार ने अलगाववादी हिंसा से जूझ रहे इस क्षेत्र को सीधे नियंत्रण में ले लिया था.
अब वर्षों की राजनीतिक अनिश्चितता के बाद एक बार फिर कश्मीर के लोगों को नई सरकार चुनने का मौका मिला है. जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द किए जाने और दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित होने के बाद यह यहां का पहला विधानसभा चुनाव है.
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ-साथ बीजेपी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) जैसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां, सभी इस चुनाव में भाग ले रही हैं. कई अलगाववादी भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में खड़े हैं. इससे पहले वे चुनावों का बहिष्कार करते थे. इस बार के चुनाव में उनके रुख में साफ तौर पर बदलाव नजर आ रहा है.
प्रतिबंधित इस्लामी गुट का 'इंजीनियर रशीद' को समर्थन
इस साल हुए लोकसभा चुनाव 2024 ने पहले ही नेताओं की एक नई पीढ़ी का संकेत दिया था, जिसमें अब्दुल रशीद शेख भी शामिल हैं. इनके समर्थक इन्हें 'इंजीनियर रशीद' के नाम से जानते हैं.
सिविल इंजीनियर रहे रशीद शेख आतंकवाद के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के आरोप में जेल में थे. उन्होंने जेल से ही लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते भी. संभावना जताई जा रही है कि उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) विधानसभा चुनाव में पुराने राजनीतिक दलों को कड़ी चुनौती दे सकती है.
रशीद को इसी महीने अंतरिम जमानत दी गई है और उन्हें चुनावी अभियान में शामिल होने की अनुमति मिली है. कश्मीर के त्राल शहर में एआईपी की एक रैली में आए मंजूर अहमद ने डीडब्ल्यू को बताया, "हम चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं क्योंकि हम हमेशा डर के साये में नहीं रहना चाहते हैं. हम रशीद की बातों को सुनने के लिए काफी संख्या में यहां आए हैं क्योंकि उनके भाषण हमारे विचारों और सोच से मेल खाते हैं."
रशीद की एक और समर्थक अतीका जान ने डीडब्ल्यू को बताया कि उनका बेटा जेल में है और वह उसे बाहर निकालना चाहती हैं. अतीका ने बताया, "मेरा बेटा पिछले एक साल से जेल में है. मैं यह बात रशीद को बताना चाहती थी क्योंकि वह मेरा दर्द समझ सकते हैं."
रशीद की पार्टी एआईपी ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी गुट के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन किया है. इस गुट के उम्मीदवार आधिकारिक तौर पर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.
कश्मीर में राजनीतिक पैठ बनाने की पूरी कोशिश कर रही है बीजेपी
बीजेपी, मुसलमान-बहुल कश्मीर घाटी में समर्थन हासिल करने के लिए संघर्ष करती रही है. हालांकि, हिंदू-बहुल जम्मू में पार्टी के पास अच्छा जनाधार है. इसके अलावा जम्मू बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां वह अपनी राष्ट्रवादी बयानबाजी, सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और विकास परियोजनाओं के वादों का लाभ उठा सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर को जम्मू के डोडा जिले में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी ने पूरे क्षेत्र को समृद्ध बनाया है. उन्होंने कहा, "हम और आप मिलकर कश्मीर को देश का एक सुरक्षित और समृद्ध हिस्सा बनाएंगे." उन्होंने यह भी कहा कि अलगाववादी हिंसा के बावजूद आतंकवाद "जम्मू-कश्मीर में अपनी अंतिम सांसें ले रहा है."
हालांकि, स्थानीय नेता बीजेपी के इन बदलाव के दावों को 'झूठा' बताते हुए खारिज करते हैं. कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, "बीजेपी कहती आ रही है कि हालात सुधर गए हैं, लेकिन यह उसके लिए शर्म की बात है कि वह पिछले 10 साल में जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं करा पाई. लोग परेशान हैं, उनका दम घुट रहा है."
केंद्र सरकार के बदलावों का विरोध करने का मौका?
2019 में राजनीतिक बदलावों के बाद जम्मू-कश्मीर को मिले केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के कारण नई निर्वाचित सरकार के पास सीमित शक्तियां होंगी. कानून-व्यवस्था और जमीन से जुड़े मुद्दे जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेंगे और स्थानीय सरकार इनमें कोई बदलाव नहीं कर सकती है.
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर नूर मुहम्मद बाबा ने डीडब्ल्यू से बातचीत करते हुए कहा, "यह चुनाव एक ही साथ काफी महत्वपूर्ण और महत्वहीन, दोनों है. महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह (चुनाव) लंबे समय बाद हो रहा है और लोगों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का मौका मिल रहा है. इससे यह संदेश भी जाएगा कि लोग किस तरह गुस्से में हैं और बदलावों पर अफसोस कर रहे हैं."
हालांकि, वह आगाह करते हैं कि उन्हीं बदलावों का मतलब है सरकार के पास 'कम शक्ति' होगी. नूर मुहम्मद बाबा कहते हैं, "अब लोग तय करेंगे कि वे बदलावों के पक्ष में हैं या उनके खिलाफ." (dw.com)
43 साल की आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी. आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में बतौर मुख्यमंत्री उनके नाम पर सहमति बनी है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस्तीफा देने का एलान किया था.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद आतिशी मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगी. आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की 17 सितंबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया. उप राज्यपाल से मुलाकात के बाद आप के नेताओं ने कहा कि आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.
आतिशी, दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर तीसरी महिला होंगी. उनसे पहले बीजेपी नेता सुषमा स्वराज (13 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक) और कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित (1998 से 2013 तक) प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. शीला दीक्षित तो तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पार्टी के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आतिशी का नाम प्रस्तावित किया और उसके बाद सभी विधायकों ने उनका समर्थन किया. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, "आतिशी को विषम परिस्थितियों में जिम्मेदारी सौंपी गई. दिल्ली में जब तक विधानसभा चुनाव नहीं होते, तब तक उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया है."
गोपाल राय ने आगे कहा, "जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने यह निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही उन्हें जेल से बाहर कर दिया हो, लेकिन हम जनता की अदालत में जाएंगे और जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा चुनकर अपना समर्थन नहीं दे देती, तब तक वह मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे."
उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बतौर मुख्यमंत्री आतिशी को पहली जिम्मेदारी यह दी गई है कि वह दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर बीजेपी की ओर से दी जा रही कथित रुकावटों के बावजूद काम जारी रखें. गोपाल राय ने दावा किया कि बीजेपी, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के लोगों के लिए किए गए कामों को रोकना चाहती है. ऐसे में पार्टी ने आतिशी को जिम्मा सौंपा है कि वह बीजेपी की कथित साजिश को रोकें और काम जारी रखें.
केजरीवाल ने आतिशी को क्यों चुना?
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद आतिशी ने मीडिया से कहा, "मैं केजरीवाल का धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी और इसके लिए मुझपर भरोसा किया. यह सिर्फ आम आदमी पार्टी में ही हो सकता है, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हो सकता है, जो पहली बार राजनीति करने वाली महिला को मुख्यमंत्री बनाए. मैं एक सामान्य परिवार से आती हूं. अगर किसी और पार्टी में होती तो शायद चुनाव के लिए टिकट भी नहीं मिलता, लेकिन केजरीवाल ने मुझपर भरोसा किया. मुझे विधायक बनाया, मंत्री बनाया और मुझे मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी दी है."
उन्होंने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, "दिल्ली के एकमात्र सीएम अरविंद केजरीवाल हैं. ईमानदार आदमी पर बीजेपी ने झूठे केस किए. उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया." कई राजनीति टिप्पणीकार आतिशी को केजरीवाल की सबसे भरोसमंद सहयोगियों में से एक मानते हैं. वह फिलहाल अपनी पार्टी में सबसे चर्चित महिला चेहरा भी मानी जाती हैं. इसी साल मार्च में केजरीवाल के जेल जाने के बाद पार्टी से लेकर सरकार तक के मसले पर आतिशी मोर्चा संभालते देखी गईं.
क्या हरियाणा और दिल्ली के चुनाव पर असर होगा?
साल 2020 में आतिशी दिल्ली की कलकाजी सीट से विधायक चुनी गईं थी और 2023 में मंत्री बनीं. फिलहाल उनके पास दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री का पद है. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से सांसदी का भी चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी और क्रिकेटर गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गई थीं.
केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने और आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर पत्रकार मीनू जैन कहती हैं कि मार्च में गिरफ्तारी के समय ही अगर वह इस्तीफा दे देते, तो अच्छा होता. मीनू जैन ने डीडब्ल्यू से बात करते हुए कहा, "उसी वक्त वह इस्तीफा दे देते, तो नैतिकता के उच्चतम मापदंड कायम करते. लेकिन अब जो उन्होंने इस्तीफा देकर आतिशी के हाथों में बागडोर दे दी है, वह मुझे अवसरवादिता ज्यादा लगती है. केजरीवाल ने इस्तीफा देने में बहुत कर दी है. अब इस्तीफा देकर वह यह जताना चाहते हैं कि उन्होंने त्याग कर दिया है."
आगामी हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में आतिशी के मुख्यमंत्री रहने का असर मतदाताओं पर क्या होगा, इसके जवाब में मीनू जैन कहती हैं, "आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर केजीरवाल ने दो कार्ड खेल लिया. पहला, उनपर परिवारवाद का आरोप नहीं लगा. दूसरा, उन्होंने महिला वोटरों को साधने की कोशिश की है. दिल्ली में केजरीवाल की जीत में महिला वोटरों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. अगर अभी हरियाणा के चुनाव को देखें, तो वहां भी वह बता सकते हैं कि देखिए हमने एक महिला को मुख्यमंत्री बना दिया है. इन सबका असर हरियाणा और दिल्ली में क्या होगा, ये आने वाले समय में ही पता चलेगा."
बीजेपी ने कहा "कठपुतली सीएम"
आतिशी को सीएम बनाए जाने पर दिल्ली बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया है. इसमें आतिशी को केजरीवाल की कठपुतली दिखाया गया है. एक्स पर जारी इस पोस्ट में बीजेपी ने लिखा, "दिल्ली की कठपुतली मुख्यमंत्री."
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया, "मुख्यममंत्री का चेहरा बदल गया है, लेकिन आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचारी चरित्र वही है."
आप के भी कई नेता आतिशी को अस्थायी सीएम या खड़ाऊं सीएम कह रहे हैं. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है क्योंकि जनादेश अरविंद केजरीवाल का है. जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना है." गोपाल राय की तरह सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि जब तक जनता केजरीवाल को दोबारा नहीं चुनेगी, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे.
ऐसे में जानकार भी कह रहे हैं कि आप नेताओं के ऐसे बयान मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कम कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "आप के नेताओं के बयान से आतिशी की स्थिति कमजोर हो रही है. आप के नेता खुद भी साबित कर रहे हैं कि वह कठपुतली हैं या डमी सीएम हैं, ऐसे में उन्हें ही नुकसान होगा."
इस राजनीतिक घटनाक्रम के दिल्ली विधानसभा चुनाव पर संभावित असर को लेकर आशुतोष कहते हैं, "दिल्ली का चुनाव आम आदमी पार्टी केजरीवाल के चेहरे के साथ लड़ेगी, अब सबकुछ इस बात पर तय होगा कि बीजेपी केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए मजबूत चेहरा उतार पाती है या नहीं क्योंकि पिछले 10 साल से केजरीवाल ने ही दिल्ली में सरकार चलाई है."
आशुतोष कहते हैं कि केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला "इमोनेशनल कार्ड" खेलते हुए किया है क्योंकि उनके सामने सत्ता विरोधी लहर से लड़ना एक चुनौती है और इस कथित लहर को काटने के लिए उन्होंने इस्तीफा देने का विकल्प चुना. (dw.com)
नई दिल्ली, 18 सितंबर । सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है। इस समय स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण वह पिछले आठ महीने से स्पेस में फंसी हुई हैं। जानकारी के अनुसार, उन्हें धरती पर लौटने में अभी चार-पांच महीने और लग सकते हैं। अपने साथियों के साथ तमाम चुनौतियों का डटकर सामना कर रहीं भारतीय मूल की यह अंतरिक्ष यात्री 19 सितंबर को धरती से करीब 400 किलोमीटर दूर अपना 59वां जन्मदिन मानएंगी। इससे पहले भी वह स्पेस में अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर चुकी हैं। सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को हुआ था।
वह भारत के गुजरात (अहमदाबाद) से ताल्लुक रखती हैं और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' के माध्यम से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। उनसे पहले कल्पना चावला के नाम यह उपलब्धि रही थी। जून 1998 में उनका अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और प्रशिक्षण शुरू हुआ। सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जो अमेरिका के अंतरिक्ष मिशन पर गई हैं। वह सितंबर/अक्तूबर 2007 में भारत भी आई थीं। जून, 1998 से नासा से जुड़ी सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग विमानों में 3,000 हजार घंटे से ज्यादा उड़ान भरी है। साथ ही सुनीता सोसायटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट्स, सोसायटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हेलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं।
अपनी भारतीय विरासत से अपने मजबूत संबंधों के लिए जानी जाने वाली विलियम्स एक बार अंतरिक्ष मिशन पर अपने साथ भगवद गीता की एक प्रति और भगवान गणेश की एक मूर्ति लेकर गई थीं। सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है। सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, तैराक, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। कार्यक्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल (दो), नेवी एंड मरीन कॉर्प अचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है। सुनीता विलियम्स को सन 2008 में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। --(आईएएनएस)
रायबरेली, 18 सितंबर । रायबरेली के गंगा घाटों पर बुधवार को लोगों ने जहां एक तरफ आस्था की डुबकी लगाई, वहीं दूसरी तरफ गंगा जल से अपने पितरों का तर्पण किया। मंगलवार से पितृपक्ष शुरू हो चुका है और 15 दिन तक चलेगा। डलमऊ गंगा घाट पर लोगों ने अपने पितरों का तर्पण करने के साथ ही पितरों को पिंडदान भी किया। लोगों की भारी संख्या को देखते हुए घाट पर सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किए गए हैं।
बता दें कि पितरों के लिए 15 दिनों तक चलने वाला पितृ पक्ष बेहद खास होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, इन दिनों में पितरों की कृपा पाने के लिए लोग पितरों का तर्पण करते हैं, जिससे उन्हें अपने पितरों की कृपा मिलती है, परिवार में खुशहाली बनी रहती है और बुरी नजरों से परिवार की रक्षा पितर करते हैं। यह भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म का भोजन कौओं को खिलाने से पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशज को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि पितरों को मुक्ति और संतुष्टि न मिलने के चलते उनके वंशज की कुंडली में पितृ दोष होता है।
ऐसे में पितृपक्ष का महत्व काफी बढ़ जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कौओं को यमराज का आशीर्वाद प्राप्त है। यमराज ने कौवे को आशीर्वाद दिया था कि उन्हें दिया गया भोजन पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करेगा। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान एक तरफ जहां ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, वहीं कौओं को भी भोजन कराने का बहुत महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज कौओं के रूप में हमारे पास आ सकते हैं। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । दिल्ली के नये मुख्यमंत्री के लिए आतिशी के नाम पर सहमति बनी है। इस पर आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आतिशी को मुश्किल हालात में जिम्मेदारी दी गई है। उनके इस बयान पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए प्रतिक्रिया दी।
इस दौरान उन्होंने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं पर जमकर निशाना साधा। गोपाल राय के आतिशी को कुछ समय के लिए सीएम बताने वाले बयान पर संदीप दीक्षित ने कहा कि अब वो खुलकर नहीं कह पाएंगे कि आतिशी डमी सीएम हैं। गोपाल राय खुद दावेदार थे। अब वो दुख में कैसे कह सकते हैं कि वो डमी और अस्थाई हैं। अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ नारे लगाने के बयान पर कांग्रेस नेता ने कहा, "जहां तक मेरी जानकारी है, उनकी मां ने इसका विरोध किया था। वे अपने समय के अल्ट्रा-लेफ्ट लोग थे। मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय उनके बारे में सुनता था। माता-पिता किसी के बारे में जो कहते हैं, उसका असर बच्चों पर नहीं पड़ना चाहिए। अफजल गुरु एक बड़े आतंकी संगठन से जुड़ा था। उसके माता-पिता ने जो कहा, वह सही नहीं था, लेकिन उस पर क्या प्रतिक्रिया हुई, क्या उस समय आतिशी ने इसका विरोध किया, यह भी एक बड़ा मुद्दा है।"
संदीप दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल इस्तीफा दें या न दें, वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। न ही वे कोई सरकारी कार्य कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल से यह भी कहा था कि हमें आप पर भरोसा नहीं है। इसके बाद केजरीवाल के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि वो जेल से सरकार चलाएंगे। उन्होंने जेल से सरकार चलाने का बहाना बनाया था। बाहर आने के बाद उन्हें लगा कि इस तरह से काम नहीं चलेगा, नहीं तो उन्हें खुद ही हट जाना चाहिए। इसलिए उन्होंने अपना एक मोहरा बनाया और उसे दिल्ली का सीएम चुन लिया। अब लोगों के बीच उनका राजनीतिक निशाना यही होगा कि वो महिला हैं, पढ़ी-लिखी हैं, तो कम से कम दिल्ली को एक नया नेता तो मिल गया। अब उन्हें सहानुभूति मिलेगी। -(आईएएनएस)
वडनगर, 17 सितंबर । वडनगर गुजरात के मेहसाना जिला में एक छोटा सा शहर है। यह न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मस्थान है बल्कि यहां भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के भी दर्शन होते हैं। एक ऐसी विरासत जो विविधता से परिपूर्ण है। वडनगर एक समय व्यापार का केंद्र हुआ करता था। यहां पर सबसे प्रमुख स्थलों में से एक श्री हाटकेश्वर महादेव मंदिर है जो अपनी उत्कृष्ट नक्काशी और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर का शांत वातावरण और आध्यात्मिक महत्व असंख्य भक्तों को आकर्षित करता है। हाटकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी निरंजनभाई रावल ने बताया, "यह मंदिर करीब 2200 साल पहले बनाया गया था। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वडनगर को पर्यटन क्षेत्र में तब्दील कर दिया था।
19 करोड़ रुपए देकर इस जगह का विकास किया गया है और अभी भी थोड़ा-थोड़ा काम चालू है। हाटकेश्वर महादेव ऐश्वर्य देने वाले हैं।" शहर की भागदौड़ से दूर, एक शांत जगह है - शर्मिष्ठा झील। झील के पास ही एक खूबसूरत थीम पार्क है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों को समर्पित है। झील से थोड़ी ही दूर पर, कीर्ति तोरण है जो वडनगर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने वाला एक अद्भुत वास्तुशिल्प है। 12वीं सदी में चालुक्य वंश के शासनकाल में बना यह तोरण, हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं की नक्काशी से सजा हुआ है। गुजरात राज्य पुरातत्व विभाग ने सन् 2000 में खुदाई करके वडनगर में एक बौद्ध मठ के अवशेषों को खोज निकाला था, जो इस बात का संकेत है कि यह नगर बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
1992 में जब वडनगर में बोधिसत्व की एक मूर्ति मिली, तो इससे इस शहर की पुरातात्विक विरासत और भी उजागर हुई थी। आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, और अन्य संस्थानों के नेतृत्व में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि यहां 8वीं शताब्दी ईस्वी की शुरुआत से ही मानव बस्तियां थीं। अभी भी चल रही खुदाई से और भी इतिहास के पन्ने खुल रहे हैं। आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर अनिंद्य सरकार बताते हैं कि यहां एक संग्रहालय बनाया जा रहा है, जो इस शहर के 2,500 साल के सांस्कृतिक इतिहास को प्रदर्शित करेगा। इसके अलावा यहां म्यूजियम, क्लॉक टावर और आर्ट गैलरी मिलकर वडनगर की तरक्की की कहानी दिखाते हैं। यहां आने वाले टूरिस्ट वडनगर के शानदार इतिहास और भारत की बड़ी कहानी के बारे में जान पाते हैं।
म्यूजियम में अलग-अलग राजाओं और धर्मों के बारे में भी जानकारी मिलती है। एक खास जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन के बारे में भी बताती है। म्यूजियम की गाइड पायल प्रजापति ने बताया, "यहां आर्ट गैलरी में दिखाया गया है कि कौन-कौन से धर्म यहां पर रह चुके हैं। यहां सोलंकी वंश का शासन रह चुका है। मल्हार राग पर जानकारी दी गई है। वडनगर के इतिहास की कई चीजों के साथ पीएम मोदी के बचपन की स्मृतियां पर यहां पर कैद हैं। उन्होंने कैसे अपना बचपन बिताया था।" इस तरह से वडनगर न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मस्थान है बल्कि एक ऐसा महत्वपूर्ण शहर भी है जिसकी प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक वास्तुकला इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों पर अमिट छाप छोड़ते हैं। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर लोग स्वास्थ्य चेतावनियों को दरकिनार करते हुए अनियमित खान-पान करते हैं। जिससे कई बार हमारे लिवर में कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। हमारे खान-पान पर ध्यान न दे पाने की वजह से लिवर खराब होने लगता है। इस कारण लिवर का फैटी होना, इसमें सूजन आ जाना और लिवर में इन्फेक्शन हो जाने जैसी तमाम चीजें शामिल हैं, जो हमारे लिवर को खराब कर देतीं हैं। लोगों को होने वाली लिवर से जुड़ी समस्याओं और उसके निदान जानने के लिए हमने यूपी के हरदोई में शतायु आयुर्वेदा एवं पांचजन्य केंद्र के संस्थापक डॉक्टर अमित कुमार से बातचीत की।
डॉक्टर अमित का कहना है कि सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आपका लिवर काम कैसे कर रहा है। यदि खाना पचने में समस्या आ रही है, तो समझ जाइए आपके लिवर में कहीं कुछ समस्या है। साथ ही मुंह से बदबू आना, आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ना, पेट में हमेशा दर्द रहना, भोजन का सही ढंग से नहीं पचना, त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ना, पेशाब या मल का गहरे रंग में बदल जाने की समस्या को भी डॉक्टर अमित लिवर की खराबी से ही जोड़ कर देखते हैं। डॉक्टर अमित का कहना है कि कई बार इन समस्याओं के अलावा व्यक्ति के पाचन तंत्र के खराब होने की वजह से भी लिवर में फैट इकट्ठा हो जाता है, जिससे लिवर खराब होने लगता है। कई बार लिवर में समस्या होने की वजह से त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं, जिसे "लिवर स्पॉट" भी कहा जाता है। अगर हमारा लिवर सही से कार्य नहीं कर रहा होता है तो मुंह से बदबू भी आने लगती है। उन्होंने इससे बचाव और उपचार के बारे में बताया, “लिवर की बीमारी में सबसे ज्यादा जरूरी इसकी समय पर पहचान होती है। जब तक यह पता न लगा लिया जाए कि लिवर किस स्टेज तक खराब है, या फैटी है तब तक दवाओं का सेवन भी नहीं करने की सलाह दी जाती है। जब तक लिवर की बीमारी का पता नहीं चल जाता, तब तक इससे जुड़ी बीमारियों का इलाज करने पर कम समय के लिए भले ही आराम मिल जाए, लेकिन मरीज पूरी तरह ठीक नहीं होता है।
डॉक्टर लिवर की स्थिति जान कर ही दवाएं देते हैं।” इससे जुड़े इलाज पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि लिवर सिरोसिस तक नहीं पहुंचा है तो यह घरेलू उपायों से भी ठीक होने लगता है। इसके लिए कॉफी पाउडर बहुत अच्छा उपाय है। यदि कॉफी को बिना दूध और चीनी के लिया जाए तो यह हमारे लिवर से फैट निकालकर इसे स्वस्थ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हल्दी में भी कई ऐसे कारक होते हैं जो हमारे लिवर को ठीक करने में अहम योगदान निभा सकते हैं। हल्दी हेपेटाइटिस बी और सी के कारण होने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसके अलावा जिन लोगों को फैटी लिवर ग्रेड दो है, वह लोग एप्पल साइडर विनेगर को शहद में मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं, इससे बड़ा आराम मिलता है। साथ ही आंवला, पपीता, आम जैसे फल भी विटामिन से भरपूर होते हैं। यदि लोग तला-भुना खाना बंद करके सादे खाने का सेवन करने लगें, तो लिवर की समस्याओं से बहुत हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। -(आईएएनएस)
फ्रीटाउन, 17 सितम्बर । सिएरा लियोन की राजधानी फ्रीटाउन में एक सात मंजिला इमारत के ढहने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई। इसकी पुष्टि सिएरा लियोन की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (एनडीएमए) ने की है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, एनडीएमए ने सोमवार को कहा कि मलबे से छह लोगों को बचा लिया गया। वहीं कई लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इमारत का इस्तेमाल आवासीय और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
एनडीएमए और अन्य भागीदार ढही हुई इमारत के नीचे फंसे अधिक से अधिक पीड़ितों को निकालने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। एनडीएमए अधिकारियों ने आपदा के कारणों की जांच शुरू कर दी है। एनडीएमए की महानिदेशक ब्रिमा सेसे ने अयोग्य ठेकेदारों और घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल से जुड़े जोखिमों के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए एजेंसी की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली एक संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए साथ आए हैं। दोनों विश्व की अग्रणी शिक्षण संस्थान, आईआईटी दिल्ली स्थित दिल्ली रिसर्च अकादमी के माध्यम से संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम छात्रों को ऑफर कर रहे हैं। आईआईटी दिल्ली के मुताबिक, यह संयुक्त (ज्वाइंट) पीएचडी कार्यक्रम जनवरी 2025 से शुरू होगा। संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दिल्ली रिसर्च अकादमी के अनुसार विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित, स्वास्थ्य देखभाल, मानविकी, सामाजिक विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले असाधारण उम्मीदवारों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के साथ आयोजित किए जा रहे इस संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 3 अक्टूबर है। आईआईटी दिल्ली ने मंगलवार को बताया कि पीएचडी कार्यक्रम के तहत दाखिला लेने वाले छात्र दोनों विश्व स्तरीय संस्थानों में समय बिताएंगे। कार्यक्रम के सफल समापन पर छात्रों को दोनों विश्वविद्यालयों से संयुक्त रूप से सम्मानित डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त होगी। रिसर्च अकादमी का कहना है कि वह पीएचडी के लिए अपने छात्रों को एक उदार फेलोशिप, रिसर्च ट्रैवल ग्रांट और एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण में सपोर्ट करता है। इस नए कार्यक्रम से भारतीय छात्रों को दोनों संस्थानों की शैक्षणिक सुविधाओं और संसाधनों तक पहुंच प्राप्त होगी। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति इस प्रकार की संयुक्त पीएचडी कार्यक्रमों का समर्थन करती है।
यूजीसी की नीतियों और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इस प्रकार के व्यापक प्रावधान हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस में मेधावी छात्रों को उनकी मेरिट के आधार पर स्कॉलरशिप देने का प्रावधान भी किया जा रहा है। लंबे इंतजार के बाद यूजीसी ने भारत में विदेशी कैंपस स्थापित करने का रास्ता भी खोल दिया है। यह निर्णय यूजीसी काउंसिल की बैठक में लिया जा चुका है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फॉरेन यूनिवर्सिटीज के भारतीय कैंपस और यहां उनके परिचालन से जुड़े 'रेगुलेशन' भी लाए हैं। यूजीसी के मुताबिक, यह रेगुलेशन भारतीय छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और इंग्लैंड समेत विभिन्न राष्ट्रों के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने भारत में कैंपस स्थापित करने को लेकर रुचि दिखाई है। ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड विश्वविद्यालय और आईआईटी-दिल्ली ने इससे पहले भी एक साझेदारी के तहत संयुक्त पीएचडी प्रोग्राम शुरू किया है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और आईआईटी दिल्ली की ज्वाइंट (संयुक्त) पीएचडी में सौ से ज्यादा छात्रों ने दाखिला लिया था। इस पीएचडी कार्यक्रम के तहत भारतीय छात्र तीन साल भारत और कम से कम एक साल क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में बिताएंगे। जबकि, क्वींसलैंड के छात्र तीन साल ऑस्ट्रेलिया और एक साल आईआईटी दिल्ली में बिताएंगे। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । कोलकाता के आरजी कर रेप और मर्डर मामले में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांगों के आगे आखिरकार ममता सरकार को झुकना पड़ गया है। पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम के प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को पांच घंटे तक चली बैठक के बाद सीएम ममता बनर्जी ने उनकी मांगों को मान लिया है। आईये जानते हैं कि आखिर डॉक्टरों की बंगाल सरकार से क्या मांग थी और सीएम ममता ने उनकी मांगों को लेकर क्या कदम उठाए हैं। दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बीते महीने 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।
जब मामला सामने आया तो पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए डॉक्टर सड़कों पर उतर आए। इस मामले को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया। पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने ममता सरकार के सामने कुछ मांगे रखी थी। सबसे पहली मांग यह थी कि इस वारदात में शामिल आरोपी और घटनास्थल से छेड़छाड़ करने वाले दोषियों की गिरफ्तारी हो। उन्होंने दूसरी मांग रखी कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों की सुरक्षा को बढ़ाया जाए। साथ ही कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल समेत सभी दोषी अफसरों पर भी कार्रवाई हो। इसी सिलसिले में सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम के प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को एक बैठक की थी। यह बैठक करीब पांच घंटे तक चली थी। इसके बाद सीएम ममता बनर्जी ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की कुछ मांगों पर सहमति जताई। उन्होंने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल और डिप्टी कमिश्नर (नॉर्थ) अभिषेक गुप्ता समेत चार अफसरों पर एक्शन लिया है। इसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अफसर भी शामिल हैं।
ममता बनर्जी ने एक बयान में कहा कि हमारी सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल को बदलने का फैसला किया है। इसके अलावा कोलकाता पुलिस के डिप्टी कमिश्नर (उत्तरी संभाग) अभिषेक गुप्ता को भी बदला जाएगा। साथ ही राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशक को भी बदला जाएगा। बनर्जी ने कहा, "हमने जूनियर डॉक्टरों की अधिकतर मांगों को मान लिया है और हमें उम्मीद है कि राज्य द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में आने वाले मरीजों की दुर्दशा को देखते हुए जूनियर डॉक्टर अब काम पर लौट आएंगे।" हालांकि, मुख्यमंत्री के ऐलान के बावजूद पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम (डब्ल्यूबीजेडीएफ) ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, "वह कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार एवं हत्या के मामले में अपनी मांगों के समर्थन में अपना 'काम बंद करो' आंदोलन तब तक वापस नहीं लेंगे, जब तक मुख्यमंत्री जूनियर डॉक्टरों की मांग के तहत प्रमुख सरकारी अधिकारियों को नहीं हटाती हैं।" इस केस में पुलिस-प्रशासन की मंशा भी सवालों के घेरे में आई है।
कोलकाता पुलिस और अस्पताल प्रशासन द्वारा मामले में लगातार बरती गई लापरवाहियों के कारण बंगाल सरकार की मुसीबत खड़ी हो गई। पहले बलात्कार तथा हत्या के मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई। इसके बाद जूनियर डॉक्टर की मौत के सच को छुपाने की साजिश रची गई। यही नहीं, क्राइम सीन पर भी लापरवाही बरती गई। मामले ने तूल उस समय पकड़ा, जब पुलिस ने प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया था। आरजी कर बलात्कार और दुष्कर्म मामले में ताजा घटनाक्रम की बात करें तो वारदात का मुख्य आरोपी संजय राय पहले ही गिरफ्तार हो चुका है। वहीं, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा ताला पुलिस स्टेशन के अधिकारी की गिरफ्तारी हुई है। ममता सरकार ने अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा के मुद्दे को लेकर मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स बनाई है। इसमें गृह सचिव, डीजीपी, कोलकाता पुलिस आयुक्त और डॉक्टरों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। - (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । हिंदू धर्म में अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है। इस साल पितृ पक्ष मंगलवार (17 सितंबर) से शुरू हो गया है। इस दौरान अगले 15 दिनों तक श्राद्ध और तर्पण के जरिए पितरों को तृप्त किया जाएगा। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को तर्पण देने के लिए श्राद्ध के दौरान कौओं को खाना खिलाते हैं। आइए जानते हैं श्राद्ध के दौरान कौओं को भोजन कराने का पौराणिक महत्व क्या है।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म का भोजन कौओं को खिलाने से पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशज को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि पितरों को मुक्ति और संतुष्टि न मिलने के चलते उनके वंशज की कुंडली में पितृ दोष होता है। ऐसे में पितृपक्ष का महत्व काफी बढ़ जाता है। लेकिन, सवाल यह है कि पितृ पक्ष में कौओं को ही भोजन क्यों खिलाया जाता है? इसका जवाब गरुड़ पुराण में मिलता है, जहां बताया गया है कि कौओं को यमराज का आशीर्वाद प्राप्त है।
यमराज ने कौवे को आशीर्वाद दिया था कि उन्हें दिया गया भोजन पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करेगा। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान एक तरफ जहां ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है तो वहीं कौओं को भी भोजन कराने का बहुत महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज कौओं के रूप में हमारे पास आ सकते हैं। कथाओं के अनुसार कौओं का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। बताया जाता है कि एक बार कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी थी। इससे माता सीता के पैर में घाव हो गया। माता सीता को पीड़ा में देख भगवान राम ने क्रोध में कौए पर बाण चला दिया।
कौए इसके बाद अपनी जान बचाने के लिए अनेक देवी-देवताओं की शरण में पहुंचा लेकिन किसी ने उसको शरण देने से इंकार कर दिया। इसके बाद कौए ने माता सीता और भगवान श्रीराम से क्षमा याचना की। बताया जाता है कि यह कौआ इंद्रदेव का पुत्र जयंत था और भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने आया था। कौए को अपनी गलती का एहसास हो चुका था और भगवान राम ने भी उसको क्षमा कर दिया। इतना ही नहीं, भगवान राम ने उसको आशीर्वाद दिया कि तुमको कराया गया भोजन पितरों को संतुष्ट करेगा। तभी से पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ज्ञात हो कि, भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है, जिसमें हम अपने पूर्वजों की शांति सेवा करते हैं। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी। एक तरफ जहां उन्होंने पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई दी। वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा समेत सहयोगी दलों के कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर विवादित टिप्पणी को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि आप कृपया अपने नेताओं पर अनुशासन और मर्यादा का अंकुश लगाएं। ऐसे बयानों के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भारतीय राजनीति को पतन होने से रोका जा सके। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने सोशल मीडिया पर चिट्ठी शेयर की।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''सबसे पहले मैं आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई देता हूं। इसके साथ ही ऐसे मुद्दे पर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं जो सीधे लोकतंत्र और संविधान से जुड़ा हुआ है। आप अवगत होंगे कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक, हिंसक और अशिष्ट बयानों का सिलसिला चल रहा है। मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि भारतीय जनता पार्टी और आपके सहयोगी दलों के नेताओं ने जिस हिंसक भाषा का प्रयोग किया है, वह भविष्य के लिए घातक है। विश्व हैरान है कि केंद्र सरकार में रेल राज्य मंत्री, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के मंत्री, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता को "नंबर एक आतंकवादी" कह रहे हैं। महाराष्ट्र में आपकी सरकार में सहयोगी दल का एक विधायक, नेता प्रतिपक्ष की "जुबान काट कर लाने वाले को 11 लाख रुपए का इनाम" देने की घोषणा कर रहे हैं।
दिल्ली में एक भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक, उनका "हश्र दादी जैसा" करने की धमकी दे रहे हैं।" उन्होंने आगे लिखा, ''भारतीय संस्कृति अहिंसा, सद्भाव और प्रेम के लिए विश्व भर में जानी जाती है। इन बिंदुओं को हमारे नायकों ने राजनीति में मानक के रूप में स्थापित किया। गांधी जी ने अंग्रेजी राज में ही इन मानकों को राजनीति का अहम हिस्सा बना दिया था। आजादी के बाद संसदीय परिधि में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सम्मानजनक असहमतियों का एक लंबा इतिहास रहा है। इसने भारतीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम किया। कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ता और नेता इस बात को लेकर बहुत उद्वेलित और चिंतित हैं।
क्योंकि ऐसी घृणा फैलाने वाली शक्तियों के चलते राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, और राजीव गांधी को शहादत देनी पड़ी है। सत्ताधारी दल का यह राजनीतिक व्यवहार लोकतांत्रिक इतिहास का अशिष्टतम उदाहरण है।'' कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा, ''मैं आपसे अनुरोध और अपेक्षा करता हूं कि आप कृपया अपने नेताओं पर अनुशासन और मर्यादा का अंकुश लगाए। उचित आचरण का निर्देश दें। ऐसे बयानों के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भारतीय राजनीति को पतनशील बनने से रोका जा सके। कोई अनहोनी न हो। मैं भरोसा करता हूं कि आप इन नेताओं को हिंसक बयानों को तत्काल रोकने के बारे में अपेक्षित कार्यवाही करेंगे।'' -(आईएएनएस)
पटना, 17 सितंबर । आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक दल की बैठक में मंगलवार को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के नाम पर मुहर लगी है। नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के नाम का ऐलान होने के बाद राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी है। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि चेहरा बदलने से पार्टी की समस्याएं खत्म नहीं हो जातीं। अरविंद केजरीवाल ने निर्वाचित विधायकों पर अपनी पसंद थोपी है। उनके इस फैसले से पार्टी के अनेक नेता असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता भी कहीं न कहीं, ठगी हुई महसूस कर रही है।
अरविंद केजरीवाल वैकल्पिक राजनीति के चेहरे के रूप में आए थे। उनका संकल्प भ्रष्टाचार के खिलाफ था, यही वजह है कि जनता ने उनके पक्ष में मतदान किया था। लेकिन, अब केजरीवाल समेत उनकी पार्टी के आधा दर्जन नेता जेल की सलाखों के पीछे हैं और कई जेल की सलाखों के पीछे थे। राजीव रंजन ने कहा कि आप के कई नेता ऐसे हैं जिन्हें अदालत में तारीख पर जाना पड़ रहा है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव करीब है और जनता आम आदमी पार्टी (आप) को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार है। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के लिए आने वाला समय और मुश्किल भरा रहने वाला है।
वहां के डॉक्टर सभी मांगों के पूरा होने से पहले कोई भी समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं। अब ममता बनर्जी को यह तय करना है कि जिस जनता के आंदोलन और जनता के सहयोग से वह सत्ता के शीर्ष पर पहुंची हैं, उनके साथ वह कितनी खड़ी होती हैं। उनके लिए खुद को संभाल पाना और पार्टी को एकजुट रखना इतना आसान नहीं होगा। --(आईएएनएस)
रांची, 17 सितंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर आज देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में राज्य रक्षा मंत्री संजय सेठ के रांची स्थित आवास पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर उनके रांची स्थित आवास पर वृक्षारोपण, रक्तदान शिविर और सफाई कर्मियों के बीच साड़ियों और पोषण किट का वितरण किया गया। इस मौके पर केंद्रीय कौशल विकास एवं शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद रहे। वहीं केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान विश्वकर्मा की स्मृतियों को संजोने के लिए एक साल पहले पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी। करीब 13 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत 18 प्रकार के कारीगरों को शामिल किया गया है। ताकि कारीगरों के जीवन में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि मंत्री संजय सेठ के आवास पर आयोजित जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें बेहद खुशी हुई। बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय से 'सेवा पखवाड़ा' का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने पार्टी मुख्यालय में रक्तदान शिविर और पीएम मोदी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में उनके बचपन से लेकर वर्तमान तक की कई उपलब्धियों को दर्शाया गया है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी मुख्यालय में 'सेवा पखवाड़ा' का शुभारंभ करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि पीएम मोदी के जन्मदिवस को भाजपा हर वर्ष 'सेवा दिवस' के रूप में मनाती है। 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक भाजपा इसे 'सेवा पखवाड़ा' के रूप में भी मनाती हैं। जिसमें हम रक्तदान, वृक्षारोपण, समाजसेवा, मलिन बस्तियों की सफाई और स्वच्छता अभियान जैसे कई अभियान चलाते हैं। जेपी नड्डा ने अपनी ओर से और भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से पीएम मोदी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनके स्वस्थ जीवन की कामना भी की। उन्होंने कहा कि वे सब कामना करते हैं कि पीएम मोदी इसी तरह से देश और मानवता की सेवा करते रहें। आज का दिन विश्वकर्मा पूजा का दिन भी है और आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का सौ दिन भी पूरा हो रहे हैं। -(आईएएनएस)
जम्मू-कश्मीर (बडगाम), 17 सितंबर । जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव की वजह से यहां का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। एक तरफ जहां भाजपा इस चुनाव में घाटी से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद से यहां विकास के दावे के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। वहीं, जम्मू-कश्मीर की लोकल पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच है कि घाटी से 370 हटाकर भाजपा ने यहां के लोगों का बड़ा नुकसान किया है।
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस तो चुनाव पूर्व गठबंधन कर चुके हैं और एनसी की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि उनकी सरकार बनी तो घाटी में 370 की फिर से वापसी होगी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला चुनाव प्रचार के क्रम में कई बार यह बात कह चुके हैं कि उनकी सरकार के आते ही जम्मू-कश्मीर में फिर से धारा-370 की वापसी होगी। हालांकि, देश के गृह मंत्री अमित शाह इसको लेकर बयान दे चुके हैं कि यह अब सपने जैसा है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां धारा 370 वापस लाना चाहती हैं। लेकिन, बीजेपी के रहते हुए ऐसा कभी नहीं होगा। इधर, बडगाम में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस बार जो कहा, वह तो अलग ही तरीका था। वह आर्टिकल-370 को लेकर यहां कहते सुने गए कि "कुछ भी असंभव नहीं है। अगर यह असंभव होता तो सुप्रीम कोर्ट तीन बार आर्टिकल-370 के पक्ष में फैसला नहीं देता। अगर आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने धारा-370 के खिलाफ फैसला सुनाया है तो क्या ये संभव नहीं है कि कल सात जजों की संविधान पीठ धारा-370 के पक्ष में फैसला दे देगी। इसके साथ ही एक बार फिर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू में आतंकवाद बढ़ने के लिए बीजेपी जिम्मेदार है।"
केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले पर इस दौरान मीडिया के सामने उमर अब्दुल्ला ने कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह का नाम लेते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो आतंकवाद को बढ़ावा मिला है, उसके बारे में वह बताएं कि वह किसकी बदौलत मिला है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार को यहां से बाहर गए तो 10 साल हो गए। घाटी में 6 साल से किसी सियासी पार्टी की सरकार भी नहीं है।
अगर इसके बाद भी आज जम्मू में दोबारा आतंकी हमले हो रहे हैं तो ये किसकी बदौलत है। आज अगर जम्मू में आतंकवाद फैल रहा है तो इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला कहने लगे कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद अपने कामकाज के पहले क्रम में, इस क्षेत्र से राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 सितंबर । अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस हर साल 18 सितंबर को मनाया जाता है। यह महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले समान कार्य के लिए समान वेतन के अंतर को कम करने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन अंतर को समाप्त करना है। अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम वेतन मिलता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 15 नवंबर, 2019 को पहली बार 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने की घोषणा की थी।
यूएनजीए के 74वें सत्र में अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। यह प्रस्ताव 105 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित था। इसके बाद सदस्य देशों की सहमति के बाद इसे मनाने का फैसला लिया गया। उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2020 से इसे लगातार मनाया जा रहा है। पूरी दुनिया में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में भारी अंतर देखने को मिलता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक, वर्कस्टेशन पर वेतन के मामले में महिलाओं के साथ आज के दौर में भी भेदभाव होता है। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन अधिक कार्य करना पड़ता है।
यूएन द्वारा 2020 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को खत्म करने में करीब 257 साल का समय लग सकता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन में अंतर को कम करने के लिए अभी भी करीब 100 साल का समय लगेगा। दुनियाभर में अधिकतर देश पुरुष प्रधान हैं, जिस वजह से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम आंका जाता है, लेकिन अब समय बदल गया है। सभी क्षेत्रों में महिलाएं तेजी से आगे आ रही हैं। इन्हीं बातों को ध्यान रखते हुए हर साल 18 सितंबर को यूएन की ओर से अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिससे लैंगिक भेदभाव को कम किया जा सके। -(आईएएनएस)