अमेठी, 30 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक दर्दनाक वाकया सामने आया है। दलित ग्राम प्रधान के पति को राजनीतिक दुश्मनी के कारण बदमाशों ने कथित तौर पर जलाकर मार डाला। वह गुरुवार की देर रात बंदोइया गांव के बाहरी इलाके में आग की लपटों में घिरे पाए गए थे और स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बुरी तरह से जले होने के कारण शुक्रवार को उन्होंने दम तोड़ दिया।
मृतक की पहचान 50 वर्षीय अर्जुन के रूप में हुई है।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मौजूदा तनाव को देखते हुए गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से बात की है और मामले में सख्त कार्रवाई के लिए कहा है।
थाना प्रभारी मिथिलेश सिंह ने कहा कि परिवार ने अभी तक कोई शिकायत नहीं दी है, लेकिन पुलिस मामले की जांच कर रही है।
उनकी पत्नी छोटका, जो कि ग्राम प्रधान हैं, ने कहा कि उनके पति किसी काम से बाहर गए थे और गुरुवार की देर रात तक घर नहीं लौटे।
उन्होंने कहा, "हमें फिर जानकारी दी गई कि उन्हें गांव के बाहर सुनसान जगह पर आग के हवाले कर दिया गया। यह राजनीतिक रंजिश के कारण किया गया है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर| एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कहा है कि गुजरात विधानसभा की आठ सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों के करीब 18 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की सूचना दी है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 80 में से 14 उम्मीदवारों, जिनके चुनाव हलफनामों का विश्लेषण किया गया है, उन पर आपराधिक मामले घोषित किए गए हैं। इनमें से सात उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं।
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आदिवासी पार्टी के दो उम्मीदवारों में से एक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आठ उम्मीदवारों में से तीन, कांग्रेस के आठ उम्मीदवारों में से दो और 53 निर्दलीय उम्मीदवारों में से आठ ने उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की घोषणा की है।
गंभीर आपराधिक मामलों का सामना करने वालों में भारतीय आदिवासी पार्टी के दो उम्मीदवारों में से एक, भाजपा के आठ उम्मीदवारों में से दो, और 53 निर्दलीय उम्मीदवारों में से चार शामिल हैं।
दो उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या का प्रयास संबंधी मामले लंबित हैं। आठ निर्वाचन क्षेत्रों में से दो 'रेड अलर्ट' निर्वाचन क्षेत्र हैं- जहां तीन से अधिक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
एडीआर ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने फिर से लंबित आपराधिक मामलों वाले लगभग 18 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है। गुजरात उपचुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने 25 से 38 फीसदी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है।"
13 फरवरी, 2020 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने विशेष रूप से पार्टियों को ऐसे उम्मीदवारों के चयन के लिए कारण बताने के निर्देश दिए थे। अदालत का कहना था कि पार्टी साफ-सुधरी छवि वाले नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाने के बजाय आखिर आपराधिक छवि के लोगों को पार्टी टिकट के लिए क्यों चुनती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में आठ विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव कराए जाएंगे। ये सीटें इसी साल कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई थीं।
गुजरात में जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें कच्छ की अबडासा, बोटाद की गढड़ा, अमरेली की धारी, मोरबी की मोरबी-मालिया, सुरेन्द्रनगर की लींबडी, वडोदरा की करजण, डांग की डांग विधानसभा की वलसाड की कपराडा सीट शामिल हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर| दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के छापे को बाधित करने के आरोपों पर आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी की शिकायत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान की अगुवाई वाले चैरिटी अलायंस के कार्यालय परिसर में छापेमारी के दौरान बाधा डाली थी। एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "हमारे पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) द्वारा शाहीन बाग पुलिस स्टेशन के साथ एक शिकायत साझा की गई थी।"
शिकायत के आधार पर, सरकारी अधिकारियों के काम में बाधा डालने के लिए खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एनआईए के सूत्रों के अनुसार, खान गुरुवार दोपहर दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाके में अपने समर्थकों के साथ जफरुल इस्लाम की अगुवाई वाले चैरिटी अलायंस के कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और एनआईए अधिकारियों के रास्ते को अवरुद्ध करने का प्रयास किया।
एनआईए की छापेमारी एनजीओ के खिलाफ कथित तौर पर धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी कृत्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने के मामले में लगातार दूसरे दिन कार्रवाई का एक हिस्सा थी।
एनआईए ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में नौ स्थानों पर छह एनजीओ और ट्रस्टों के कार्यालय परिसरों की तलाशी ली थी, जिसमें चैरिटी अलायंस भी शामिल था।
चैरिटी अलायंस के अलावा, फलाह-ए-आम ट्रस्ट, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेएंडके यतीम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉइस ऑफ विक्टिम्स (जेकेवीवीवी) के कार्यालयों पर आतंकवाद रोधी जांच एजेंसियों ने छापे मारे थे।
इससे पहले बुधवार को एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर और बांदीपोरा में 11 स्थानों पर और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापा मारा था।
यह कार्रवाई भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत एनआईए द्वारा 8 अक्टूबर को दर्ज एक ताजा मामले के मद्देनजर की गई है। (आईएएनएस)
बेगूसराय (बिहार), 30 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं की असली ताकत विकास कायरें को बताना है। उन्होंने कहा कि पहले जो चुनाव होता था वह जाति और मजहब के नाम पर होते थे, लेकिन आज नेता अपनी रिपोर्ट कार्ड लेकर आता है। बेगूसराय में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि कोरोना को लेकर जब लॉकडाउन हुआ तब भारत में सिर्फ एक कोरोना टेस्टिंग लेबोरेटरी थी, आज भारत में 1,650 टेस्टिंग लेबोरेटरी हैं।
उन्होंने कहा, "पहले प्रतिदिन 1,500 कोरोना के टेस्ट किए जाते थे और आज 15 लाख प्रतिदिन टेस्टिंग कैपेसिटी पहुंच गई है। इसे याद रखना हेागा।"
उन्होंने विकास कायरे को बताते हुए इसे रिपोर्ट कार्ड बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता जब चुनावी सभा में आते हैं तो छाती ठोक कर बता सकते हैं कि हमने विकास के क्या-क्या कार्य किये हैं, ये हमारी ताकत है।
भाजपा नेता ने कहा कि पहले चुनाव जाति और मजहब के आधार पर होते थे। लेकिन जब से नरेन्द्र मोदी भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री बने, तबसे भारत की राजनीति की चाल, चरित्र और संस्कृति बदल गई। अब जो भी नेता आता है अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर आता है।
उन्होंने लोगों से राजग को वोट देने की अपील करते हुए पूछा, "आपको लालटेन जलानी है कि एलईडी बल्ब जलाना है? लूटराज रखना है या डीबीटी से सीधे सरकारी योजनाओं का पैसा खाते में चाहिए? बाहुबल चाहिए या विकास बल चाहिए? आपको बिहार का विकास करना है तो राजग को जिताना है।"
उन्होंने बिहार में बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि बेगूसराय में आज से 15 साल पहले स्ट्राइक (हड़ताल) के बिना कुछ नहीं होता था, लेकिन आज यहां मेडिकल कॉलेज बन रहा है। यहां इंजीनियरिंग कॉलेज बन रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है।
उन्होंने कहा, "बेगूसराय अपने आप में राजनीतिक चेतना की भूमि है। बिहार की बात करूं तो जयप्रकाश जी ने आजाद भारत में एक वैकल्पिक सरकार देने का काम किया। ऐसी धरती जिसने देश को दिशा दी है, वो बिहार को दिशा देने में सक्षम है। आप सब एकजुट होकर राजग के उम्मीदवारों को जिताएं।" (आईएएनएस)
श्रीनगर, 30 अक्टूबर| जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा से आतंकवादियों के दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। पुलिस ने कहा कि देशविरोधी तत्वों के बारे में खुफिया सूचना के आधार पर, हंदवाड़ा पुलिस ने सेना और सीआरपीएफ के साथ शहर में विभिन्न जगहों पर चेक प्वाइंट बनाए और वाहनों व राहगीरों की तलाशी ली।
पुलिस ने कहा, "चीनार पार्क हंदवाड़ा में चेकिंग के दौरान, बाइक पर सवार दो लोगों को संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया, जो पुलिस को देख कर भागने लगे, लेकिन पुलिस ने पीछा कर उन्हें पकड़ लिया।"
पुलिस ने कहा कि शुरुआती पूछताछ के दौरान पकड़े गए लोगों ने अपनी पहचान लियाकत अहमद मीर और आदिब राशिद मीर के रूप में बताई। दोनों त्रेहगाम कुपवाड़ा के निवासी हैं।
पुलिस ने कहा, "उनके पास से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।"
उन्होंने कहा, "पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि दोनो सहयोगी के तौर पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करते हैं और उनका काम दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति करना है।"
पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर| एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गुजरात में आगामी उप-चुनावों में चुनाव लड़ने वाले 80 में से 20 उम्मीदवार (25 फीसदी) करोड़पति हैं। अगर प्रति उम्मीदवार के लिहाज से देखें तो उनकी औसत संपत्ति 1.16 करोड़ रुपये है।
प्रमुख पार्टियों में, आठ कांग्रेस उम्मीदवारों के पास प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 4.38 करोड़ रुपये है। इसके अलावा आठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों के पास 2.52 करोड़, दो भारतीय आदिवासी पार्टी के उम्मीदवारों के पास औसत संपत्ति 17.85 लाख और 53 निर्दलीय उम्मीदवारों के पास औसत संपत्ति 70.52 लाख रुपये है।
उपचुनाव लड़ने वाले सबसे अधिक घोषित संपत्ति वाले शीर्ष तीन उम्मीदवारों की बात की जाए तो इसमें अमरेली जिले के धारी से निर्दलीय उम्मीदवार थुमर पीयूष कुमार बाबू भाई सबसे ऊपर हैं, जिन्होंने अपनी 14 करोड़ रुपये की संपत्ति की सूचना उपलब्ध कराई है।
इसके बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से मोरबी के जयंतीलाल जिराजभाई पटेल का नाम आता है, जिनके पास 10 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वहीं तीसरे स्थान पर मोहनभाई शंकरभाई सोलंकी का नाम आता है, जो बोटाद जिले के गढ़डा से चुनावी मैदान में हैं। वह भी कांग्रेसी उम्मीदवार हैं और उनके पास आठ करोड़ रुपये की संपत्ति है।
उपचुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों में 39 (49 फीसदी) ने अपने हलफनामों में देनदारियों की घोषणा की है, जिसमें अब्दसा के पडियार हनीफ जैकब ने छह करोड़ रुपये की देनदारी की घोषणा की है।
कुल 49 (61 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता पांचवीं और 12वीं कक्षा के बीच होने की घोषणा की है जबकि 20 (25 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता होने की घोषणा की है। कुल पांच उम्मीदवारों में साहित्यिक समझ है, जबकि तीन उम्मीदवार अनपढ़ हैं। इसके अलावा तीन उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं।
एडीआर के अनुसार, 29 (36 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की है, जबकि 38 (48 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच होने की घोषणा की है।
इसके अलावा 13 (16 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी आयु 61 से 70 वर्ष के बीच बताई है।
गुजरात विधानसभा उपचुनावों में केवल तीन (चार फीसदी) महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। (आईएएनएस)
राजमुंदरी, 30 अक्टूबर| आंध्र प्रदेश में पूर्वी गोदावरी जिले के थान्तिकोंडा गांव के एक मंदिर के बाहर 16 यात्रियों को ले जा रहे एक ऑटोरिक्शा के पहाड़ी से गिर जाने से सात लोगों की मौत हो गई, पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। ये लोग एक शादी समारोह से लौट रहे थे। राजमुंदरी (शहरी) पुलिस अधीक्षक ने आईएएनएस को बताया, "16 यात्रियों को लेकर ऑटोरिक्शा एक शादी समारोह से लौट रहा था, तभी बीती रात करीब ढाई बजे वह लुढ़क गया। दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई।"
मृतकों की पहचान दिवानचेरुवु की रहने वाली यल्ला श्रीदेवी (35) और यल्ला नागा श्री लक्ष्मी (10), 35 वर्षीय कंबाला भानू (गोकवरम), 18 वर्षीय चगेटी हेमाली श्रीलथा (गाडरडा), 25 वर्षीय सिम्हाद्रि प्रसाद (टेकुरपालम), 35 वर्षीय पचिकुरि नरसिम्हा डोरा (गंगामपलेम और 65 वर्षीय एस. गोपाला कृष्णा (चेब्रोलु) के रूप में हुई है।
बाजपेयी ने कहा कि दुर्घटना ऑटोरिक्शा चालक डोरा की लापरवाही के कारण हुई। (आईएएनएस)
जम्मू, 30 अक्टूबर| सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को जम्मू एवं कश्मीर के राजौरी जिले में एक आतंकवादी ठिकाने का भंडाफोड़ किया, जहां से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए। पुलिस ने कहा कि आतंकवादियों के छिपे होने की विशेष जानकारी के बाद राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और पुलिस ने गंभीर मुगलन वन क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया।
तलाशी के दौरान, दो ऑटोमेटिक ऐके 47 असॉल्ट राइफल, दो ऐके 47 मैगजीन, 270 ऐके-47 बुलेट, दो चीनी पिस्तौल, दो पिस्टल मैगजीन, 75 पिका राउंड, 12 ब्लैंक्स, 10 डेटोनेटर और 5-6 किलोग्राम तक विस्फोटक सामग्री बरामद किए गए हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है।
पुलिस ने कहा, "इलाके में तलाशी अभियान जारी है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर| तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को अपना समर्थन देते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी 31 अक्टूबर को 'किसान अधिकार दिवस' मनाएगी। 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती है और दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है। राज्यों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में जिला मुख्यालय पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच 'सत्याग्रह' करेंगे।
'सत्याग्रह' के दौरान पार्टी के नेता स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के किसानों के अधिकारों, खास कर बारदोली किसान आंदोलन के संदर्भ में, उनके योगदान को हाइलाइट करेंगे। कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि इंदिरा गांधी ने कृषि के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'हरित क्रांति' की शुरूआत की थी।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें केंद्रीय कृषि कानूनों को नकारने के लिए नए कानून लाने की प्रक्रिया में हैं।
पंजाब विधानसभा ने इस संबंध में एक विधेयक पहले ही पारित कर दिया है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को राज्य के विधायकों के साथ राष्ट्रपति से मिलने का समय निर्धारित किया गया है ताकि वह विधानसभा द्वारा पारित कानून को स्वीकार करने का अनुरोध राष्ट्रपति से कर सकें।
सिंह ने गुरुवार को पंजाब के सभी विधायकों से अपील की कि वो 4 नवंबर को राष्ट्रपति से मिलने के लिए उनके साथ चलें। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने मानहानि से जुड़े मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से माफी मांग ली है। आपराधिक मानहानि का यह केस करीब तीन साल से भी ज्यादा पुराना है।
कपिल मिश्रा कभी आम आदमी पार्टी के नेता थे और विधानसभा के पिछले कार्यकाल में दिल्ली सरकार से मंत्री के पद से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। दरअसल, मई 2017 में कपिल मिश्रा ने सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 2 करोड़ रुपये नकद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी आंखों के सामने दिए हैं। इसको लेकर उस वक्त काफी सियासी विवाद उछला था। नाराज सत्येंद्र जैन ने कपिल मिश्रा पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
हालांकि इस मामले में अब कपिल मिश्रा ने बिना शर्त माफी मांग ली है। कपिल मिश्रा का कहना है कि उनके आरोप राजनीति से प्रेरित थे। सत्येन्द्र जैन ने कहा कि कपिल मिश्रा ने माफी मांग ली है, क्योंकि उनके आरोप झूठे थे। जैन ने कहा कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे और कपिल मिश्रा ने कहा कि वो सोशल मीडिया के जरिये भी माफी मांगेंगे।
पिछले सप्ताह सऊदी अरब ने एक बैंक नोट जारी किया था जिसमें भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया गया था. भारत सरकार ने सऊदी अरब से इस गलती को सुधारने को कहा है. यह नोट जी-20 की बैठक को लेकर जारी किए गए हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारत सरकार ने गुरुवार, 29 अक्टूबर को सऊदी अरब से गलती को सुधारने के लिए कहा जिसमें खाड़ी देश ने जी-20 बैंक नोट में भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया था. भारत सरकार ने सऊदी से नक्शे को ठीक करने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है. दरअसल नए 20 रियाल के नोट पर प्रिंट किए गए वैश्विक मानचित्र में जम्मू-कश्मीर और लेह को भारत के हिस्से के रूप में नहीं दिखाया गया है और इसी पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
India urges #SaudiArabia to take urgent corrective steps on #G20 banknote depicting #JammuAndKashmir as separate entity, @MEAIndia reiterates UTs of J&K and Ladakh are integral parts of India pic.twitter.com/6p9xNTyvLl
— DD News (@DDNewslive) October 30, 2020
सऊदी अरब की अगुवाई में हाल ही में जी-20 की बैठक होने वाली है और उसी मौके पर सऊदी ने 20 रियाल का नया नोट जारी किया है. इस नए नोट में किंग सलमान की तस्वीर, जी-20 सऊदी समिट का लोगो और जी-20 देशों का नक्शा दिखाया गया है. सऊदी अरब मौद्रिक प्राधिकरण ने इस नोट को 24 अक्टूबर को छापा था. जी-20 की वर्चुअल बैठक 21-22 नवंबर को होने वाली है और नक्शे को लेकर बैठक से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "हमने सऊदी अरब को नई दिल्ली में उनके राजदूत के माध्यम से और रियाद में भी अपनी गंभीर चिंता से अवगत करा दिया है और सऊदी अरब से कहा है कि इस बारे में जल्द सही कदम उठाएं." साथ ही उन्होंने कहा, "मैं फिर एक बार कहना चाहूंगा कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण हिस्सा भारत का अभिन्न हिस्सा है."
गौरतलब है कि इसी नक्शे में जम्मू और कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शामिल है उसे एक अलग हिस्सा दिखाया गया है. यानी उसे ना भारत और ना ही पाकिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया है. हालांकि पाकिस्तान सऊदी अरब का करीबी माना जाता है लेकिन भारत के रिश्ते हर लिहाज से सऊदी के साथ हाल के समय में मजबूत हुए हैं.
भोपाल, 30 अक्टूबर| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ किए गए प्रदर्शन पर राज्य सरकार ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। प्रदर्शन करने वालों पर केस दर्ज कर लिया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के खिलाफ भोपाल के मुस्लिम समुदाय ने राजधानी के इकबाल मैदान में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अगुवाई में गुरुवार को प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
इस प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश शांति का टापू है। इसकी शांति को भंग करने वालों से हम पूरी सख्ती से निपटेंगे। इस मामले में 188 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा, वो चाहे कोई भी हो।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर दी गई हिदायतों का प्रदर्शन के दौरान पालन नहीं किया गया। प्रदर्शन में जो लेाग हिस्सा लेने पहुंचे वे न तो मास्क लगाए थे और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा। (आईएएनएस)
भोपाल, 30 अक्टूबर| वन्य प्राणियों के अंगों की तस्करी के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का उपयोग करने वाले तस्कर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। स्पेशल टास्क स्ट्राइक फोर्स (वन्य-प्राणी) एवं टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से पेंगेालिन स्केल्स व हाथी दांत बरामद किए हैं। वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि वन्य प्राणियों के अवयवों की तस्करी करने वाले गिरोह द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म यू-ट्यूब का उपयोग कर उसके माध्यम से वन्य-प्राणी अंगों की तस्करी प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर की जा रही थी। स्पेशल टास्क फोर्स (वन्य-प्राणी) के अंतर्गत गठित फॉरेस्ट सायबर सेल द्वारा प्रकरण की विवेचना करने पर पाया गया कि लिप्त गिरोह द्वारा वन्य-प्राणियों से संबंधित वीडियो बनाकर उसे अपलोड कर अवैध व्यापार किया जा रहा था।
व्न विभाग के अनुसार, इस मामले में स्पेशल टास्क स्ट्राइक फोर्स (वन्य-प्राणी) एवं टाइगर स्ट्राइक फोर्स इंदौर व सागर द्वारा उज्जैन तथा शिवपुरी में कार्रवाई कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से दो किलो 700 ग्राम पेंगोलिन स्केल्स व हाथी दांत के आभूषण जब्त कर प्रकरण दर्ज किया गया।
बताया गया है कि इस गिरोह द्वारा दिए जाने वाले लालच व अंधविश्वास में आम लोग आकर भ्रमित होकर इस आपराधिक कृत्य में शामिल होते रहे तथा लगातार ऐसे व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ती गई। इस पर संज्ञान लेकर तत्काल यू-ट्यूब के भारत एवं अमेरिका मुख्यालय को नोटिस जारी कर उन्हें आपराधिक कृत्य के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिये अनुरोध भी किया गया। यू-ट्यूब द्वारा समय रहते कार्रवाई न करने पर उन्हें एक प्रकरण में आरोपी भी बनाया गया है।
स्पेशल टास्क फोर्स (वन्य-प्राणी) द्वारा लिप्त गिरोह के विरुद्ध तेलंगाना राज्य में भी स्थानीय एजेंसी के माध्यम से 10 आरोपियों को गिरतार कर प्रकरण दर्ज करवाया गया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वन्य-प्राणियों के अवयवों के अवैध व्यापार में लिप्त गिरोह के विरुद्ध लगातार कार्रवाई जारी है। (आईएएनएस)
पन्ना, 30 अक्टूबर । मध्यप्रदेश के पन्ना में बाघ पुर्नस्थापना योजना में पन्ना टाईगर रिर्जव को यूनेस्को ने 12वें बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में चिन्हित किया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार पन्ना की नैसर्गिक खूबियों को अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज में स्थापित कर गौरव बढ़ाने वाली यह घोषणा बुधवार को की गई थी। यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क आफ बायोस्फीयर रिजर्व में पन्ना को जोड़े जाने की खबर से प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमी आल्हादित हैं।
बाघ संरक्षण में अहम योगदान देने वाले सेवानिवृत्त वन अधिकारी आर श्रीनिवास मूर्ति ने इस अनूठी उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए पन्ना वासियों को बधाई दी है।
विंध्य पर्वत श्रंखला में स्थित पन्ना के खूबसूरत जंगल और वादियां किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। यहां की भौगोलिक संरचना, जैव विविधता व प्राकृतिक सौंदर्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। इस अनमोल प्राकृतिक धरोहर को पन्ना के लोगों ने विपरीत परिस्थितियों और आर्थिक पिछड़ेपन के बावजूद भी काफी हद तक सहेज व संभालकर रखा है।(univarta.com)
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर । उच्चतम न्यायालय ने मादक पदार्थों से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष आरोपी के बयान को सबूत नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के आधार पर फैसला दिया।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने समर्थन में वोट दिया जबकि न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने असहमति का फैसला दिया।
दरअसल न्यायालय ने है कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किए गए आरोपियों के बयानों को ट्रायल के दौरान इकबालिया बयान के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। (univarta.com)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर । सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को कहा है कि पुलवामा आतंकवादी हमले को साजिश बताने वाली कांग्रेस को देश से माफी मागनी चाहिए।
श्री जावडेकर ने आज ट्वीट कर कहा, पाकिस्तान ने माना कि पुलवामा में हमला उन्होंने किया। अब कांग्रेस वाले और बाकी लोग जो साजिश की बात करते थे उनको देश से माफी मांगनी चाहिए।
पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने गुरुवार 29 अक्टूबर को पाकिस्तानी संसद में दिए अपने बयान में माना की पुलवामा आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ था। उन्होंने पिछले साल पुलवामा में किए गए आतंकवादी हमले को पाकिस्तान और वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान की उपलब्धि करार दिया है। पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर आतंकी हमला किया गया था। एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी कार सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दी थी। इस धमाके में 40 जवान शहीद हो गए थे।(univarta.com)
गाजीपुर, 30 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक व्यापारी ने कथित रूप से खुदकुशी कर ली है और अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ गया जिसमें उसने लिखा कि 2022 विधानसभा चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के कारण वह यह कदम उठा रहा है। कथित तौर पर सुसाइड नोट में व्यापारी मुन्नू प्रसाद ने आरोप लगाया कि बसपा अध्यक्ष मायावती उन्हें चुनाव लडऩे का टिकट देने के लिए दो करोड़ रुपये की मांग कर रही थीं। चूंकि वह इतनी बड़ी रकम देने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपीनाथ सोनी ने कहा कि वे सुसाइट नोट की सच्चाई पता कर रहे हैं और जांच पूरी होने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
इस बीच, बसपा के जिला समन्वयक गुड्डू राम ने कहा कि व्यापारी का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है और कथित सुसाइड नोट का उद्देश्य पार्टी को बदनाम करना है।
हालांकि, व्यापारी के पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि वह पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होते थे और उन्होंने दावा किया था कि बसपा अध्यक्ष उन्हें चुनाव में टिकट देंगी। (आईएएनएस)
मेरठ, 30 अक्टूबर | मेरठ के सरधाना इलाके में एक पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री में एलपीजी सिलेंडर विस्फोट हो गया जिसमें एक स्थानीय कांग्रेस नेता असीम खान और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। घटना गुरुवार को हुई।
धमाके का असर इतना जोरदार था कि कांग्रेस की शहर इकाई के प्रमुख के घर, जहां अवैध रूप से फैक्ट्री चल रही थी, धराशाई हो गया और आसपास के कई घरों और दुकानों को भी नुकसान पहुंचा।
बचाव कार्यों के लिए पुलिस और अग्निशमन दल को लगाया गया है। दो बच्चों समेत 7 लोगों को मलबे से बाहर निकाला गया और अस्पताल भेजा गया। मलबे में दो और लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस अधिकारी आर.पी. सिंह ने कहा, प्रथम दृष्ट्या लगता है कि गैस सिलेंडर में आग लगने के बाद विस्फोट हुआ है। धमाके के पीछे की वजह का पता लगाने के लिए फोरेंसिक टीम भी जांच कर रही है। सरधाना के कांग्रेस शहर अध्यक्ष और एक अन्य व्यक्ति की विस्फोट में मौत हो गई है। कम से कम 10 अन्य घरों को नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने आगे कहा, इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है ताकि पता लगाया जा सके कि दुर्घटना किस वजह से हुई।(आईएएनएस)
भोपाल, 30 अक्टूबर | मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव के प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एक-दूसरे पर हमले बोल रही हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर आरोप लगाया है कि छह सौ करोड़ के घोटाले के आरापी को सरकारी गवाह बनाकर प्रदेश का मुख्य सचिव बना दिया था। शर्मा ने गुरुवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस कमल नाथ सरकार के 15 महीने का हिसाब न देकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा नेताओं पर अनर्गल आरोप लगाकर जनता का ध्यान मुद्दांे से हटाने का प्रयास कर रही है। कमल नाथ को 15 महीने के कार्यकाल का जनता के सामने हिसाब देना चाहिए न कि हार की बौखलाहट में अनर्गल आरोप लगाकर जनता को गुमराह करना चाहिए।
शर्मा ने कहा कि जनवरी माह में केंद्र ने कोरोना को लेकर सभी प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार कोरोना से निपटने के इंतजाम करने के बजाय इंदौर में आइफा आयोजन के लिए बैठकों में व्यस्त थी, उसे जनता से कोई लेनादेना नहीं था।
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि जिस अधिकारी पर 600 करोड़ के घोटाले का आरोप था, उसे बचाने के लिए सरकारी गवाह बनाते हुए उसे मुख्य सचिव बनाने का काम कमल नाथ ने किया। कमल नाथ ने प्रदेश में आते ही एक भ्रष्ट अधिकारी को उपकृत करके भ्रष्टाचार का खेल शुरू कर दिया। कमल नाथ को जवाब देना चाहिए कि किस आधार पर उसे सरकारी गवाह बना दिया गया।
उन्होंने कहा कि कमल नाथ के प्रमुख अधिकारी रहे गोपाल रेड्डी के बारे में केंद्र सरकार ने एक रिपोर्ट के आधार पर यहां तक कह दिया था कि इस अधिकारी को आफिस के अंदर घुसने की इजाजत नहीं है, इसे बैरंग वापस भेज दिया जाना चाहिए। उस अधिकारी को कमल नाथ सरकार ने उपकृत करने का काम किया। कमल नाथ सरकार ने एस. आर. मोहंती और गोपाल रेड्डी जैसे अधिकारियों को मुख्य सचिव बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा कि कमल नाथ बताएं कि कांग्रेस नेता दिग्विजय की पत्नी जिस मीडिया संस्थान में सहभागी बनी, उस मीडिया संस्थान को कमलनाथ सरकार द्वारा कितने पैसों की बंटरबाट की गई? कमल नाथ बताएं कि माध्यम द्वारा 20 मार्च 2020 को 40 करोड़ का भुगतान किसे किया गया? वहीं किसानों के नाम पर छपे ताम्रपत्रों का भुगतान बिना छपे ही क्यों कर दिया गया?(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर | एथेनॉल की खरीद की प्रक्रिया और कीमतों में वृद्धि कर इसके उत्पादन व आपूर्ति को बढ़ावा देने के फैसले का स्वागत करते चीनी उद्योग का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने गुरुवार को कहा कि इस फैसले से न सिर्फ चीनी के उत्पादन में 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।
इस्मा महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "इससे न सिर्फ चीनी के आधिक्य उत्पादन में करीब 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि हम 2022 तक 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होंगे।"
केंद्र सरकार ने एक दिसंबर, 2020 से 30 नवंबर, 2021 की एथेनॉल आपूर्ति वर्ष के चीनी सीजन 2020-21 के लिए एथेनॉल की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी है। सरकार ने सी-हैवी शीरे से बने एथनॉल की कीमत 43.75 रुपये से बढ़ाकर 45.69 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जबकि बी-हैवी शीरे से उत्पन्न एथनॉल की कीमत 54.27 रुपये से बढ़ाकर 57.61 रुपये प्रति लीटर तय की गई है।
वहीं, गन्ने के रस/चीनी की चाशनी से उत्पन्नएथनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 62.65 रुपये प्रति लीटर की गई है।
वर्मा ने एथेनॉल की कीमतों में 3.34 रुपये तक की वृद्धि को आकर्षक बताते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले पर कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण एथेनॉल की कीमतों के पुनरीक्षण की आशंकाओं पर विराम लग गया और एथेनॉल की कीमतों को कच्चे तेल की कीमत से नहीं बल्कि चीनी व गन्ने के दाम से जोड़ कर देखने की सरकार की प्रतिबद्धता साबित हुई।
उन्होंने कहा कि इससे चीनी उद्योग और मद्य निर्माण-शालाओं का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा और वे एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश करने को प्रोत्साहित होंगे।(आईएएनएस)
सोशल मीडिया का आज जो विशाल स्वरूप दुनिया में नजर आता है उसके पीछे अमेरिका के एक कानून की बड़ी भूमिका है. अब उसी कानून को हटाने की मांग हो रही है. क्या है यह कानून और इसके ना होने पर क्या होगा?
फेसबुक, ट्विटर और गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बुधवार को अमेरिकी सीनेट की कॉमर्स कमेटी के सामने पेश हए. सांसदों के सामने इनकी पेशी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने के आरोपों में हुई. एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी इन पर रुढ़िवाद विरोधी होने का आरोप लगा रही है, तो दूसरी तरफ डेमोक्रैटिक पार्टी उनसे फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाले संदेशों को नहीं रोक पाने पर नाराज है.
सोशल मीडिया पर कैसे आरोप?
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां इन आरोपों से इनकार कर रही हैं. हालांकि दोनों पार्टियों के सांसदों के पास इन्हें कठघरे में खड़ा करने के लिए उदाहरणों और दलीलों की कमी नहीं है. ऑनलाइन स्पीच के मामले में दोनों अमेरिकी दल इन कंपनियों को मिली कानूनी सुरक्षा को चुनौती देना चाहते हैं.
बुधवार को इन कंपनियों के अधिकारियों की पेशी के दौरान बहुत जल्द ही बहस का रुख राष्ट्रपति चुनाव अभियान से जुड़े सवालों पर चला गया. हालांकि चुनाव की सुरक्षा को लेकर सवाल पहले से ही उठाए जा रहे हैं. कॉमर्स कमेटी के सांसदों ने ट्विटर के जैक डोरसी, फेसबुक के मार्क जकरबर्ग, और गूगल के सुंदर पिचाई को उनके वादे की याद दिलाई कि ये कंपनियां चुनाव के दौरान हिंसा या लोगों को भड़काने वाले विदेशी लोगों पर पहरा रखेंगी.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए तीनों अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कई कदम उठाए हैं जिनमें समाचार संगठनों से गठजोड़ से लेकर मतदान के बारे में सही सूचना फैलाना शामिल है. डोरसी का कहना है कि ट्विटर राज्यों के चुनाव अधिकारियों के साथ मिल कर इस काम में जुटा है. डोरसी ने कहा, "हम चाहते हैं कि लोगों को इस सेवा के जरिए जितना ज्यादा संभव है सूचना दी जाए."
डॉनल्ड ट्रंप सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल करते हैं और उन पर आरोप भी जम कर लगाते हैं.
रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का आरोप है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बिना किसी सबूत के रुढ़िवादी, धार्मिक और गर्भपात विरोधी विचारों को जानबूझ कर दबाया जा रहा है. रिपब्लिकन सांसदों का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप और डेमोक्रैटिक उम्मीदवार जो बाइडेन के मुकाबले के बीच यह काम बहुत ज्यादा किया गया.
इंटरनेट की आजादी खतरे में!
कॉमर्स कमेटी के चेयरमैन सेनेटर रोजर विकर ने पेशी की शुरुआत में कहा कि ऑनलाइन स्पीच को नियंत्रित करने वाले कानूनों को संशोधित किया जाए क्योंकि,"इंटरनेट का खुलापन और आजादी खतरे में है." विकर ने इस दौरान बाइडेन के बारे में एक पोस्ट का हवाला दिया. यह खबर बाइडेन के बेटे के बारे में थी जिसे दूसरे प्रकाशनों ने पुष्ट नहीं किया था. अपुष्ट ईमेल के दावों पर आधारित खबर के बारे में कहा गया कि यह ट्रंप के सहयोगियों ने ही उड़ाई है.
ट्विटर ने इस खबर को रोक दिया था जिसकी वजह से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद और ट्रंप काफी नाराज हुए. सुनवाई के दौरान सीनेटर टेड क्रुज ने डोरसी से कहा, "ट्विटर का रवैया अब तक बहुत ज्यादा कट्टर रहा है." क्रूज का कहना है कि एक अखबार की खबर पर ट्विटर ने जिस तरह का रवैया अपनाया, वह एक तरह की सेंसरशिप है जो उन अमेरिकी लोगों की आवाज दबा देता है जिनके साथ उसकी असहमति होती है. क्रूज ने सीधे पूछा, "आपको इस काम के लिए किसने चुना है? और यह तय करने का इंचार्ज बनाया है कि मीडिया को क्या रिपोर्ट करने का अधिकार है?"
डोरसी ने क्रूज से कहा कि वे नहीं मानते कि ट्विटर चुनाव को प्रभावित कर सकता है क्योंकि यह सिर्फ सूचना पाने का एक जरिया है. डोरसी ने राजनीतिक पक्षपात के आरोपों से भी इनकार किया. उन्होंने ध्यान दिलाया, "लोग जो देखते हैं उसका ज्यादातर हिस्सा अल्गोरिद्म से तय होता है." रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने ईरान, चीन और होलोकॉस्ट से इनकार करने वाले मुद्दों का जिक्र कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर पक्षपात के आरोपों को मजबूती दी.
डेमोक्रैटिक पार्टी के आरोप
रिसर्चरों को इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि सोशल मीडिया कंपनियों ने जान बूझ कर किसी रुढ़िवादी समाचार, पोस्ट या फिर दूसरी सामग्रियों के साथ भेदभाव किया हो. हालांकि आरोप लगाने वालों में केवल रिपब्लिकन सीनेटर ही नहीं है. डेमोक्रैट सांसदों ने अपनी आलोचना मुख्य रूप से नफरती भाषणों, गलत सूचनाओं और ऐसी सामग्रियों पर केंद्रित रखी जिनसे हिंसा को बढ़ावा मिलता है, लोग चुनाव से दूर होते हैं या फिर कोरोना वायरस के बारे में गलत जानकारी दी जाती है. उनका आरोप है कि इन कंपनियों के सीईओ ऐसी सामग्री को रोक पाने में नाकाम रहे हैं. वे इन प्लेटफार्मों पर नफरती अपराधों और अमेरिका में श्वेत राष्ट्रवाद के उभार में भूमिका निभाने का आरोप लगाते हैं.
ट्रंप प्रशासन चाहता है कि संसद इन कंपनियों को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा वापस ले ले. वास्तव में 1996 में अमेरिका के दूरसंचार से जुड़े कानून में जोड़े गए 26 शब्दों ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी कंपनियों को आज इस रूप में उभरने का मौका दिया. यही कानून इंटरनेट पर किसी भी तरह के भेदभाव या सेंसरशिप से मुक्त भाषण या संदेशों का आधार है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने इन्हें कार्यकारी आदेश के जरिए सीधे चुनौती दी है. इनमें से एक आदेश ऑनलाइन प्लेटफार्मों "संपादकीय फैसलों" पर मिलने वाला संरक्षण उनसे छीन लेगा. दोनों अमेरिकी पार्टियों में ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि सेक्शन 230 सोशल मीडिया कंपनियों को निष्पक्ष रह कर नियंत्रित करने की जिम्मेदारी से मुक्त कर रही है. बुधवार को ट्रंप ने ट्वीट किया, "सेक्शन 230 को हटाओ!"
क्या है सेक्शन 230?
अगर कोई समाचार एजेंसी आप पर झूठा आरोप लगाती है तो आप उसके खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं लेकिन अगर यही बात कोई फेसबुक पर लिखी पोस्ट में कहता है, तो आप फेसबुक को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. सेक्शन 230 में यही कहा गया है. आप पोस्ट डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं, फेसबुक के खिलाफ नहीं.
सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इस सुरक्षा ने ही इंटरनेट को आज इस हाल में पहुंचाया है. सोशल मीडिया कंपनियां करोड़ों लोगों के संदेश अपने प्लेटफॉर्म पर रख सकती हैं और इसके लिए उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. सेक्शन 230 की कानूनी व्याख्या सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को इस बात का भी अधिकार देती है कि वे अपनी सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए उन पोस्ट को हटा सकती हैं जो अश्लील है या फिर उनकी सेवा मानकों के स्तर का उल्लंघन करती है. हालांकि यह अधिकार तभी तक है जब तक कि उनके कदमों पर "भरोसा" कायम है.
सेक्शन 230 आया कहां से?
इस धारा के बनने का इतिहास तकरीबन 70 साल पुराना है. 1950 के दशक में किताब की एक दुकान के मालिक पर "अश्लील" सामग्री वाली किताबें बेचने के लिए मुकदमा किया गया. पहले संशोधन में इसके लिए सुरक्षा नहीं थी. इस तरह का मुकदमा आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा और फैसला आया कि किसी और की सामग्री के लिए किसी और को दोषी ठहराया गया है. तब यह व्यवस्था दी गई कि मुकदमा दायर करने वाले को यह साबित करना होगा कि किताब बेचने वाला इस बात को जानता था कि इसमें अश्लील सामग्री है.
इसके कुछ दशकों के बाद जब कारोबारी इंटरनेट ने पंख फड़फड़ाने शुरू किए तो कॉम्पुसर्व और प्रोडिजी नाम की दो सेवाएं चालू हुईं. दोनों ऑनलाइन फोरम थे लेकन कॉम्पुसर्व ने इसे नियंत्रित नहीं करने का फैसला किया जबकि प्रोडिजी ने ऐसा किया क्योंकि वह पारिवारिक छवि बनाना चाहती थी. कॉम्पुसर्व के खिलाफ जब मुकदमा हुआ, तो उसे खारिज कर दिया गया लेकिन प्रोडिजी मुसीबत में आ गई. तब जज ने इस मामले में फैसला दिया, "इन्होंने संपादकीय नियंत्रण रखा है.. तो आप एक अखबार की तरह है ना कि अखबार का स्टॉल."
राजनेताओं को यह उचित नहीं लगा, उन्हें चिंता थी कि इससे नई कंपनियां नियंत्रण से खुद को दूर कर लेंगी और तब सेक्शन 230 बनाया गया. आज कंपनियों को ना सिर्फ यूजर के पोस्ट की जिम्मेदारी बल्कि उन्हें नियंत्रित करने के मामले में भी कानूनी सुरक्षा है.
सेक्शन 230 हटाने पर क्या होगा?
सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों का आधार ही यूजर का बनाया कंटेंट है. अगर उन्हें उसके लिए दोषी ठहाराया जाने लगा, तो वे उसे अपने प्लेटफॉर्म पर डालना बंद कर देंगे और नतीजा ऐसी कंपनियों के अस्तित्व पर संकट के रूप में सामने आएगा. सेक्शन 230 पर किताब लिखने वाले जेफ कासेफ का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि बिना सेक्शन 230 के इनमें से किसी भी कंपनी का अस्तित्व आज के रूप में होता.उन्होंने अपना बिजनेस मॉडल ही यूजर कंटेंट के बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में बनाया है."
इसके दो नतीजे हो सकते हैं. एक तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बहुत सजग हो जाएंगे. जैसा कि क्रेगलिस्ट के मामले में हुआ था. 2018 में सेक्स तस्करी के कानून में सेक्शन 230 का एक अपवाद जोड़ा गया. ऐसी सामग्री जो "देह व्यापार को सुलभ बनाती हो या उसका प्रचार करती हो." इस कानून के पास होने के बाद अमेरिका की विख्यात क्लासिफाइड विज्ञापन एजेंसी क्रेगलिस्ट ने फौरन "निजी" सेक्शन को पूरी तरह से हटा दिया. हालांकि यह देह व्यापार के लिए नहीं बना था लेकिन कंपनी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. इसका नुकसान सबसे ज्यादा फिलहाल तो खुद राष्ट्रपति को होगा जो नियमित रूप से लोगों पर निजी हमले करते हैं, साजिशों की बात करते हैं और दूसरों पर आरोप लगाते हैं. अगर कंपनियों को कानूनी सुरक्षा नहीं मिली, तो वे ऐसे संदेशों को अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं रहने देंगी.
एक दूसरा नतीजा यह हो सकता है कि ट्विटर, फेसबुक और दूसरे प्लेटफॉर्म पूरी तरह से नियंत्रण खत्म कर दें और तब यह पूरी तरह से आजाद हो जाएगा. तब इस पर लोग कुछ भी कहने के लिए आजाद होंगे और फिर ट्रोल्स इन पर कब्जा कर लेंगे. सेंट क्लारा यूनविर्सिटी में कानून के प्रोफेसर एरिक गोल्डमैन का कहना है कि सेक्शन 230 का हटाना, "इंटरनेट के अस्तित्व पर ही एक खतरा है." हालांकि गोल्डमैन का मानना है कि ट्रंप का आदेश इंटरनेट के लिए कोई खतरा नहीं है. यह एक "राजनीतिक ड्रामा" है जो ट्रंप के समर्थकों को पसंद आता है.
भारत में भी सोशल मीडिया को लेकर आए दिन सवाल उठ रहे हैं. भारत में फेसबुक की नीति प्रमुख आंखी दास ने इस्तीफा दे दिया. उन पर सत्ताधारी पार्टी के साथ नरमी बरतने के आरोप लगे थे. आरोप यह था कि सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों ने फेसबुक के नफरती भाषण से जुड़े कानूनों का उल्लंघन कर मुस्लिम विरोधी पोस्ट डाले और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि कंपनी ने इससे इनकार किया. कंपनी के सीईओ की संसदीय पैनल के सामने पेशी भी हुई थी.
एनआर/आईबी (एपी) (dw.com)
मुंबई, 29 अक्टूबर | एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की कैबिनेट ने गुरुवार को एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी के विकास के लिए नए टेंडर आमंत्रित करने का फैसला किया है। इसके साथ ही अक्टूबर 2018 में आमंत्रित किए गए सभी टेंडर कैंसल हो गए हैं। ऐसा सचिवों की एक समिति के फैसले के बाद किया गया है। इसके बाद से धारावी को विकसित करने के 16 साल के प्रयासों पर फिर से संकट खड़ा हो गया है।
नियम और कानूनों में बदलाव के बाद नई टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें रेलवे की 45 एकड़ की भूमि धारावी के विकास के लिए स्थानांतरित करने का मुद्दा भी शामिल है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के निर्देश देने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की, जिसमें न्यायाधीश एम.आर. शाह और आर. सुभाष रेड्डी भी शामिल थे।
वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सभी आधारों को मिला दिया है और जिस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वह विशेष रूप से एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई के लिए बाध्य है, जो एक सार्वजनिक कार्यालय रखता है। उन्होंने शिवकुमार मामले का हवाला दिया, जहां यह कहा गया कि चूंकि इस मामले में कोई व्यक्ति पक्षकार नहीं है, इसलिए जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।
न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि ऐसा कठोर आदेश पारित किया गया, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया और इसमें मुख्यमंत्री भी एक पार्टी नहीं थे। न्यायाधीश शाह ने भी कहा कि इस आदेश ने तो सभी को ही आश्चर्य में डाल दिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया था।
मुख्यमंत्री पर भाजपा के झारखंड प्रभारी होते हुए गौ सेवा आयोग में उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उनके रिश्तेदारों के बैंक खाते में धन हस्तांतरित करने का आरोप लगाया गया है।
शीर्ष अदालत ने मुख्यमंत्री के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया, जब राज्य सरकार और मुख्यमंत्री याचिका में पक्षकार भी नहीं हैं।
मंगलवार को हाईकोर्ट ने दो पत्रकारों उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
पत्रकारों ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की, जो इस साल जुलाई में आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत विद्रोह, जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में दर्ज की गई थी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | सादिक़ ने बुधवार को नेशनल असेंबली में दावा किया था, ''पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने एक बैठक में कहा था कि अगर विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा नहीं किया जाता है तो भारत रात नौ बजे तक हमला कर देगा.
अयाज़ सादिक़ ने संसद में अपने भाषण में बुधवार को कहा था, ''मुझे याद है कि शाह महमूद क़ुरैशी साहब उस मीटिंग में थे जिसमें प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने आने से इनकार कर दिया था. इस बैठक में सेना प्रमुख थे. उनके पैर काँप रहे थे और पसीने माथे पर थे.''
''हमसे शाह महमूद क़ुरैशी साहब ने कहा कि ख़ुदा के वास्ते अभिनंदन को वापस जाने दें नहीं तो रात के नौ बजे हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर अटैक कर देगा. हिन्दुस्तान को कोई अटैक नहीं करना था और इन्होंने अभिनंदन के मामले में घुटने टेक दिए. इसलिए कोई ऐसी बातें न करें कि हम ये सब बताने के लिए मजबूर हो जाएं.''
अयाज़ सादिक़ के भाषण का यह वीडियो भारतीय सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है. सरदार अयाज़ सादिक़ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
बीजेपी ने अयाज़ सादिक़ के भाषण को लिया हाथों-हाथ
बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने भी इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा, ''कांग्रेस के राजकुमार को भारत के किसी भी चीज़ पर भरोसा नहीं है. वो चाहे हमारी सेना हो, सरकार हो या हमारे नागरिक. अब वो अपने सबसे भरोसेमंद मुल्क पाकिस्तान की बात ही सुन लें. उम्मीद है कि उनकी आँखें खुलेंगी...''
बीजेपी ने इस वीडियो को हाथों-हाथ लिया और इसे पोस्ट करते हुए सीधे कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया. जेपी नड्डा के इस ट्वीट को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी रीट्वीट किया है.
बुधवार की रात भारत के कई न्यूज़ चैनलों के प्राइम टाइम शो में सादिक़ के बयान को बहुत ही गंभीरता से जगह दी गई. पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों में भी सादिक़ के बयान को जगह मिली और उनसे पूछा गया कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा?
बुधवार को पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल दुनिया न्यूज़ के प्रोग्राम नुक़्ता-ए-नज़र में अयाज़ सादिक़ ने कहा, ''मैं कोई निजी हमला नहीं करना चाहता लेकिन जो सत्ता में हैं वो हमें 'चोर' और 'मोदी का यार' कहेंगे तो उन्हें जवाब देना होगा. इन लोगों में गंभीरता नाम की कोई चीज़ नहीं है.''
सादिक़ ने दुनिया न्यूज़ के प्रोग्राम में कहा, ''ये संसद के नियम तक नहीं जानते हैं. हमने इस सरकार को कश्मीर के मामले में हर मुश्किल घड़ी में समर्थन किया है. वो चाहे अभिनंदन का ही मामला क्यों न हो. लेकिन इस सरकार को भी चाहिए कि वो विपक्ष का सम्मान करे.''
पाकिस्तान सरकार का पक्ष
पाकिस्तान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ऑफ़ पाकिस्तान के अनुसार विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने सादिक़ के दावों को ख़ारिज कर दिया है.
क़ुरैशी ने कहा, ''मुझे खेद है कि ज़िम्मेदार लोग ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तानी नेशनल असेंबली के पूर्व स्पीकर यह बात कहेंगे कि अभिनंदन को पाकिस्तान ने दबाव में आकर छोड़ा था.''
''ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर सरकार ने सभी संसदीय नेताओं को भरोसा में लिया था लेकिन मीटिंग में अभिनंदन पर कोई चर्चा नहीं हुई थी. राजनीतिक फ़ायदे के लिए यह बहुत ही ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दिया गया है. यह हैरान करने वाला है.''
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि वो नहीं चाहते कि कुलभूषण मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के ज़रिए भारत कोई फ़ायदा न उठाए.
क़ुरैशी ने कहा कि कुलभूषण और अभिनंदन मामले में विपक्ष पाकिस्तान को गुमराह कर रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने नेशनल असेंबली में पीएमएल-एन नेता के बयान पर प्रतिक्रिया में ये बातें कहीं.
'भारतीय मीडिया की धूर्त पत्रकारिता'
पाकिस्तान सरकार में मंत्री फ़वाद चौधरी ने बीबीसी संवाददाता शुमाइला ज़ाफ़री से बात की. उन्होंने कहा, ''अगर आप पूरी बात सुनेंगे तो पता चलेगा कि वो पुलवामा हमले के बाद हुए घटनाक्रमों के बारे में है. भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने अपने फ़ायदे के लिए अयाज़ सादिक़ के बयान का एक टुकड़ा उठा लिया और उसे वायरल कर दिया.''
फ़वाद चौधरी ने कहा कि ये सब भारत की धूर्त और बेइमान पत्रकारिता का नमूना है. उन्होंने कहा, ''हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ हैं. हम किसी भी रूप में आतंकवाद की आलोचना करते हैं.''
पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी अली मुहम्मद ख़ान ने कहा कि भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के लिए हुई बैठक में विपक्षी नेता शहबाज़ शरीफ़, पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ़ अली ज़रदारी और जेयूआई-एफ़ नेताओं से भी सहमति ली गई थी.
उन्होंने कहा कि अभिनंदन को 'सकारात्मक पहल' की वजह से रिहा किया गया था. बुधवार को संसद में पीएमएल-एन नेता ख़्वाजा आसिफ़ ने कहा कि इमरान ख़ान की सरकार भारत के तुष्टीकरण में लगी है. फ़रवरी 2019 में भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान ने अपने नियंत्रण में ले लिया था.
पाकिस्तानी सेना ने अयाज़ सादिक़ का यह बयान वायरल होने के बाद गुरुवार को एक प्रेस कॉफ़्रेंस कर इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने एक ज़िम्मेदार देश के तौर पर अमन को एक और मौका देते हुए विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने का फ़ैसला लिया था.''
''इसे पाकिस्तान के परिपक्व कदम के अलावा किसी और चीज़ से जोड़ना निहायती अफ़सोसजनक है. पाकिस्तान ने पहले भारत को अपनी ताक़त दिखाई और फिर यह फ़ैसला लिया. हमने उन्हें ऐसा ज़ख़्म दिया जो आज भी दुखता है."
'अभिनंदन पाकिस्तान कोई मिठाई बाँटने नहीं आए थे'
हालाँकि इन सारे विवादों के बाद अब अयाज़ सादिक़ का कहना है कि भारतीय मीडिया में उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया.
उन्होंने कहा, "भारतीय मीडिया में मेरे बयान के बारे में जो कहा जो रहा है वो पूरी तरह उलटा है. अभिनंदन पाकिस्तान में कोई मिठाई बाँटने नहीं आए थे. वो पाकिस्तान पर हमला करने आए थे और जब पाकिस्तान ने उनका जहाज़ गिराया था तो पाकिस्तान की फ़तह हुई थी.''
''इसके बाद जब इमरान ख़ान ने सांसदों की बैठक बुलाई तो वो ख़ुद उसमें नहीं आए. शाह महमूद क़ुरैशी ने हमसे कहा कि पकिस्तान अपने 'राष्ट्रीय हित' में अभिनंदन को वापस भेजना चाहता है और यह फ़ैसला नेतृत्व ने किया है."
सादिक़ के मुताबिक़, "इमरान ख़ान ने किसके दबाव में ये फ़ैसला लिया और उनकी क्या मजबूरियाँ थीं, इस बारे में उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया. हम अभिनंदन को वापस भेजने के फ़ैसले पर सहमत नहीं थे. कोई जल्दी नहीं थी.''
''इंतज़ार किया जा सकता था. भले ही नेतृत्व ने यह फ़ैसला राष्ट्रीय हित का हवाला देकर लिया हो लेकिन इस फ़ैसले में उसकी कमज़ोरी नज़र आई."
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की गोलबंदी लगातार बढ़ रही है. पाकिस्तान की राजनीति में कभी धुर विरोधी रही पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ एकजुट हो गई हैं.
द न्यूज़ के अनुसार पीपीपी चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने दावा किया कि पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार जनवरी 2021 में गिर जाएगी. बिलावल ने कहा कि अगले साल जनवरी महीने में इमरान ख़ान की सरकार सत्ता से बाहर हो जाएगी.
पुलवामा और बालाकोट में क्या हुआ था?
पुलवामा में 14 फ़रवरी 2019 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के काफ़िले पर हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ़ के 40 जवान मारे गए थे. भारत का आरोप है कि इस हमले में पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है.
पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया था. इस हमले के जवाब में पाकिस्तान ने भी 27 फ़रवरी को भारत पर हवाई कार्रवाई की थी.
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी. इस दौरान ही विंग कमांडर अभिनंदन मिग 21 लेकर उड़े थे, लेकिन पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स के हमले में उनका विमान पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में गिर गया.
यहाँ अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया था. विंग कमांडर अभिनंदन के पकड़े जाने और पाकिस्तानी सेना के क़ब्ज़े वाली तस्वीरों को लेकर भारत में काफ़ी आक्रोश था.
पाकिस्तानी सेना ने अभिनंदन का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इस वीडियो में अभिनंदन ज़ख़्मी दिख रहे थे और उनके चेहरे पर ख़ून फैला हुआ था.
बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संसद में अभिनंदन को छोड़े जाने की घोषणा की. (bbc)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | समलैंगिकों के अधिकारों को ले कर एक संस्था केरल हाईकोर्ट पहुंची है. अगर अदालत ने माना तो समलैंगिकों का "इलाज" करने की प्रथा गैरकानूनी कहलाएगी.
अवस्थी की उम्र 22 साल है. भारत की किसी भी सामान्य लड़की की तरह इस उम्र में उसके पास भी शादी के लिए रिश्ते आ रहे हैं. लेकिन अवस्थी को शादी नहीं करनी. उसकी मर्दों में कोई रुचि नहीं है. माता पिता को कई बार टालने के बाद आखिरकार अवस्थी ने उन्हें अपनी सच्चाई बताने का फैसला किया. उसे लगा था कि वे उसे समझेंगे लेकिन वे तो उसे इलाज कराने के लिए पहले एक नन और फिर डॉक्टर के पास ले गए.
कमाल की बात यह थी कि डॉक्टर ने भी इलाज करने का बीड़ा उठा लिया. अवस्थी पर कुछ टेस्ट किए गए और डॉक्टर ने माता पिता को आश्वासन दिया कि हार्मोन थेरेपी के जरिए वह उनकी बेटी का इलाज करेगी. अवस्थी से डॉक्टर ने कहा, "हम इस बात की जांच करेंगे कि तुम किसी पुरुष के साथ संभोग क्यों नहीं करना चाहती हो. तुम्हें यहां भर्ती होना होगा और हमें कुछ टेस्ट करने होंगे ताकि पता कर सकें कि तुम्हें क्या बीमारी है. टेस्ट के नतीजों के बिनाह पर ही कोई फैसला लिया जा सकेगा और उसके बाद काउंसलिंग सेशन भी होंगे."
कन्वर्जन थेरेपी के खिलाफ कानून
यह कहानी सिर्फ अवस्थी की नहीं है. भारत में जगह जगह लोग झाड़ फूंक करा के या फिर डॉक्टर के पास इलाज करा के अपने समलैंगिक बच्चों को "ठीक" करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन भविष्य में शायद वे ऐसा नहीं कर पाएंगे. कम से कम केरल में तो नहीं. केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां किसी व्यक्ति के लैंगिक रुझान को बदलने की कोशिश करने को गैरकानूनी करार दिया जाएगा. किसी भी स्वास्थ्यकर्मी या धर्म गुरु द्वारा ऐसा करना अपराध माना जाएगा.
"करेक्शन थेरेपी" या "कन्वर्जन थेरेपी" के तहत कई बार समलैंगिक व्यक्तियों को तब तक मारा पीटा जाता है जब तक वह "ठीक" हो जाने का वादा ना करें. कई लोग इसे शैतान या प्रेत आत्मा का साया बताते हैं. कई मामलों में तो इसके तहत बलात्कार तक किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में इस तरह के "इलाज" के तरीकों को खत्म करने की मांग की है लेकिन अब तक सिर्फ तीन ही देशों ने ऐसा किया है. ये देश हैं ब्राजील, इक्वाडोर और माल्टा. इनके अलावा न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और आयरलैंड में इस पर चर्चा चल रही है.
इलाज के नाम पर प्रताड़ना
केरल हाईकोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की गई है जिसे अदालत ने स्वीकार लिया है. अगले महीने से इस पर सुनवाई शुरू होगी. समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था कीराला ने यह याचिका दायर की है. संस्था का कहना है कि इस साल मई में एक समलैंगिक छात्रा अंजना हरीश की खुदकुशी के बाद उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया. अंजना ने अपनी जान लेने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट कर के विस्तार में बताया था कि उसका "इलाज" कराने के लिए उसके घर वालों ने उसके साथ क्या क्या अत्याचार किया.
वीडियो में अंजना ने कहा कि उसे एक ईसाई मेंटल हेल्थ सेंटर में रखा गया था, जहां उसे इतनी भारी नशे की दवाएं दी जाती थी कि वह रोबोट जैसा महसूस करती थी, "मुझे कुछ 40 इंजेक्शन दिए गए... मैं मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुकी थी." अंजना ने बताया कि दो महीने तक चला यह "इलाज" दो अलग अलग सेंटरों में हुआ, "मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का होता है कि मेरे अपने परिवार ने मेरे साथ ऐसा किया. जिन लोगों को मेरी रक्षा करनी थी, उन्होंने ही मुझे प्रताड़ित किया."
लॉकडाउन में बढ़े मामले
कीराला का कहना है कि मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से उनके पास मदद के लिए 1200 फोन कॉल आ चुके हैं जबकि 2019 में पूरे साल में 1500 कॉल आए थे. इनमें से ज्यादातर मामलों में लोग परिवार से परेशान हो कर आत्महत्या की बात कर रहे होते हैं. कन्वर्जन थेरेपी पर कोई आधिकारिक डाटा तो मौजूद नहीं है लेकिन कीराला का कहना है कि उसे केरल में 20 ऐसे मेन्टल हेल्थ सेंटरों की जानकारी है जहां ऐसा होता है.
अब तक तमिलनाडु भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने "2019 मेन्टल हेल्थ पॉलिसी" के तहत कन्वर्जन थेरेपी को "अनुचित और अवैज्ञानिक" बताया है. LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि कन्वर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने से बड़ी मदद मिलेगी. लेकिन साथ ही लोगों की मानसिकता में बदलाव भी जरूरी है.