राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 20 सिंतबर (वार्ता) वैश्विक महामारी कोविड-19 के देश में लगातार बढ़ते भयावह फैलाव की रोकथाम के लिये इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 19 सिंतबर को एक दिन में 12 लाख से अधिक कोरोना वायरस नमूनों का रिकार्ड परीक्षण किया गया।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से रविवार को जारी आंकड़़ो में बताया गया कि देश में 19 सितंबर को कोरोना वायरस के एक दिन में रिकार्ड 12,06,806 नमूनों की जांच की गई और कुल परीक्षण का आंकड़ा 6,36,61,060 पर पहुंच गया।
देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था।
छह अप्रैल तक जांच की संख्या 10 हजार थी। इसके बाद वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही नमूनों की जांच में भी तेजी आई। सात जुलाई को नमूनों की जांच संख्या एक करोड़ को छू गई और इसके बाद तेजी से बढ़ती गई और 17 सितंबर को छह करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया।
इससे पहले देश में तीन सितंबर को आये आंकड़़ो में रिकार्ड 11 करोड़ 72 लाख 179 नमूनों की जांच की गई थी। यह देश में ही नहीं विश्व में भी एक दिन में सर्वाधिक जांच का रिकार्ड था।
दिल्ली से सटे गुरुग्राम शनिवार दोपहर एक वकील बेटे ने अपने पिता की जायदाद के लिए गोली मारकर हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक गुरुग्राम के लक्ष्मण विहार इलाके में एक 32 वर्षीय युवक ने संपत्ति विवाद में कथित रूप से अपने 62 वर्षीय पिता की पहले गोली मारकर हत्या कर दी, फिर बाद में खुद को भी गोली मारकर मौत को गले लगा लिया। पुलिस के अनुसार, प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पहले रविंद्र सिंह और उसके पिता राजवीर सिंह में संपत्ति विवाद को लेकर जोरदार बहस हुई, जिसके बाद रविंद्र ने अपने पिता को गोली मारी और फिर खुद की भी जान ले ली।
घटना अपराह्न् करीब 2.30 बजे हुई। गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता सुभाष बोकन ने कहा, "रविंद्र एक वकील थे और गुरुग्राम के लोकल कोर्ट में प्रैक्टिस करता थे, जबकि उसके पिता राजवीर दिल्ली पुलिस से रिटायर्ड थे। शुरुआती जांच और क्राइम सीन से यह पता चलता है कि रविंद्र ने पहले अपने पिता की हत्या की और बाद में खुद की भी गोली मारकर अपने जीवन को समाप्त कर लिया।"
अधिकारी ने परिवार के सदस्य और पड़ोसियों के बयान के हवाले से कहा, "पिता-बेटे लगातार संपत्ति को लेकर झगड़ते रहते थे, शनिवार को भी दोनों के बीच जोरदार बहस हुई और यह घटना सामने आई। बोकन ने कहा, "हथियार लाइसेंसी थे या नहीं, यह जांच का विषय है। जांच टीम परिवार के सदस्यों से और जानकारी इकट्ठा कर रही है।"(navjivan)
24 घंटे में कोरोना के 90 हजार से ज्यादा नए केस
देश में हर दिन कोरोना के 90 हजार से ज्यादा संक्रमित सामने आ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आकंड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 92,605 नए केस सामने आए हैं और 1,133 लोगों की मौत हो गई है।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 54 लाख के पार पहुंच गई है। देश में कुल संक्रमित 54,00,620 हो गए हैं। इसमें 10,10,824 मामले सक्रिय हैं। वहीं, 43,03,044 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुके है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक देश में कुल 86,752 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों से कोरोना के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के 11,88,015 केस सामने आ चुके हैं। कोरोना प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। राज्य में कोरोना के 2,97,480 मामले सक्रिय हैं। अब तक 8,57,933 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 32,216 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना प्रभावित राज्यों में आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर है। आंध्र प्रदेश में कोरोना के अब तक 6,17,776 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में 81,763 सक्रिय केस हैं और 5,30,711 लोगों को अस्पताल से इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है। अब तक 5,302 लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं, तमिलनाडु कोरोना प्रभावित राज्यों में तीसर ने नंबर पर है। राज्य में अब तक कोरोना के 5,36,477 केस सामने आ चुके हैं। इनमें 46,453 मामले सक्रिय हैं और 4,81,273 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में अब तक कोरोना से 8,751 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कोरोना प्रभावित राज्यों में कर्नाटक चौथे नंबर पर पहुंच गया है। कर्नाटक में अब तक कोरोना के 5,11,346 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 98,564 केस सक्रिय हैं और 4,04,841 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में कोरोना से अब तक 7,922 लोगों की जान जा चुकी है।
उत्तर प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में पाचंवें नंबर पर है। यूपी में कोरोना के अब तक 3,48,517 मामले सामने आए हैं। प्रदेश में कोरोना के 66,874 सक्रिय मामले हैं। अब तक 2,76,690 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 4,953 लोगों की मौत हो चुकी है।(navjivan)
नईदिल्ली, 20 सितम्बर. कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताकर मंत्री पद छोड़ने वाली शिरोमणी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल एक बार फिर केंद्र पर बरसीं हैं. हरसिमरत ने एक टीवी चैनल के दिए इंटरव्यू में कहा कि किसानों को चिंता है कि आने वाले दिनों में नए कानून की वजह से प्राइवेट कंपनियां कृषि सेक्टर पर कब्ज़ा कर लेंगी, जिससे उन्हें नुकसान होगा. एक ग्रामीण किसान की कही बात का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि, किसान कह रहे हैं कि जैसे जियो की फ्री स्कीम देकर बाद में उसे मंहगा कर लूटा जा रहा है, उसी तरह कॉरपोरेट कंपनियां हमारे साथ करना चाह रही हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने सरकार को बहुत समझाया कि लोगों का नजरिया जाने बिना आप कैसे किसान विरोधी बिल ला सकते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि मैं अपनी बात सरकार को समझाने में नाकाम रही.
नयी दिल्ली, 20 सितम्बर (वार्ता) लोकसभा में विपक्षी दलों ने पीएम केयर्स निधि के मुद्दे पर तीखे हमले करते हुए आज कहा कि जब आपदा राहत के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष उपलब्घ था तो सरकार को पीएम केयर्स निधि के गठन की वजह देश को बतानी चाहिए।
लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत ‘कराधन और अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का सरलीकरण और संशोधन) विधेयक 2020 पर रेव्यूलेसनरी सोशलिस्ट पार्टी-आएसपी के के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस निधि में पारदर्शिता नहीं है। यह निधि अपने गठन के समय से ही विवाद में रही है और इससे साफ है कि इसमें गडबडियां है। इसको लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं सरकार को उनका जवाब देना चाहिए।उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार को बताना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष पहले से ही मौजूद था तो उसने प्रधानमंत्री केयर्स निधि का गठन किसलिए किया। उन्होंने यह भी पूछा कि इस निधि में पारदर्शिता को क्यों नहीं बरता गया है। उनका कहना था कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इसे सूचना के अधिकार 2005 के दायरे से क्यों बाहर रखा गया और सीएजी इसकी जांच क्यों नहीं कर सकती है। इसमें कितना पैसा अब तक आया है और इससे कितने लोगों की मदद की गयी है।
आरएसपी नेता ने कहा कि करो में छूट देने का सरकार का फैसला ठीक था क्योंकि कोरोना के कारण स्थिति बहुत खराब हो गयी थी इसलिए इस तरहके उपायों का वह समर्थन करते हैं लेकिन इसमें कुछ अनौचित्यपूर्ण प्रावधान किये गये हैं जिनका वह विरोध करते हैं। इसमें कई अधिनियमों में बदलाव किया गया है जिसका कोई फायदा नहीं होगा और ना ही इसका औचित्य समझ में आता है।
भारतीय जनता पार्टी के बहेड़िया ने विधेयक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार का यह सूझबूझ वाला कदम रहा है और इससे एक लाख छह हजार करोड रुपए लोगों को लौटाए गये हैं। संकट के समय यह पैसा लोगों के काम आया है और उनको राहत मिली है। सुलझी हुई और सूझबूझ वाली सरकार ही किसी भी तरह के संकट में अपने लोगों को इसी तरह की राहत देती है।
नयी दिल्ली, 20 सितंबर (वार्ता) कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की राशि पीएम केयर्स फंड में देने और इसमें दिये गये योगदान को आयकर से छूट का प्रावधान करने वाले कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का स्थिलिकरण और संशोधन) विधेयक, 2020 आज लोकसभा में पारित हो गया।
यह विधेयक कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों में छूट) अध्यादेश, 2020 के स्थान पर लाया गया है। कोविड-19 के मद्देनजर कराधान और रिटर्न आदि से जुड़ी कई तारीखों को आगे बढ़ाने के लिए अध्यादेश द्वारा किये गये प्रावधनों को इस विधेयक में शामिल किया गया है। पीएम केयर्स फंड में दी जाने वाली राशि को आयकर से छूट और सीएसआर संबंधी छूट के साथ ही आयकर रिटर्न के फेसलेस आकलन की भी इस विधेयक के जरिये व्यवस्था की जा रही है।
विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीमए केयर्स फंड में पूरी पारदर्शिता है। उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में प्रबंधन और पंजीकरण के अलावा कोई अंतर नहीं है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में सिर्फ एक पार्टी के अध्यक्ष को स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि पीएम केयर्स फंड में सभी सदस्य पदेन हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष 1948 से आज तक पंजीकृत नहीं हुआ है जबकि पीएम केयर्स फंड पूरी तरह पारदर्शी है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि दोनों का दोनों कोषों का उद्देश्य एक है, वर्तमान समय में एक ही कंपनी दोनों का ऑडिट कर रही है, दोनों सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर हैं और दोनों का प्रशासनिक कार्य प्रधानमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की देखरेख में है।
इस विधेयक के जरिये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष की तरह की पीएम केयर्स फंड में दिये जाने वाले योगदान को आयकर की धारा 80सी के तहत आयकर से छूट दी जा रही है और कंपनियों को अपनी सीएसआर की राशि इस कोष में देने का अधिकार दिया जा रहा है।
गया (बिहार), 20 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार के गया जिले के एक सुदूरवर्ती गांव में 20 साल तक कठिन परिश्रम कर नहर खोदकर पानी पहुंचाने वाले लौंगी मांझी का ख्वाब शनिवार को पूरा हो गया। महिंद्रा कंपनी ने उन्हें एक ट्रैक्टर भेंट किया।
गया के महिंद्रा ट्रैक्टर्स के अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर सिद्धार्थ ट्रैक्टर के प्रबंध निदेशक सिद्धनाथ ने लौंगी मांझी को अपने शोरूम से एक ट्रैक्टर भेंट कर उनके सपने को पूरा किया। इस मौके पर महिंद्रा कंपनी के बिहार क्षेत्रीय प्रबंधक अभय मनी के साथ कई लोग मौजूद थे।
महिंद्रा के बिहार राज्य प्रमुख आशीष श्रीवास्तव ने पत्रकारों से कहा, "महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्वीट के माध्यम से लौंगी मांझी को ट्रैक्टर देने का वायदा किया था, जिसे तुरंत पूरा किया गया। यह हमारा सौभाग्य है कि लौंगी मांझी जैसे कर्मयोद्धा अब महिंद्रा ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर पइन के बचे हुए कार्य को पूरा करेंगे।"
उन्होंने कहा कि लौंगी जैसे कर्मठ व्यक्ति समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
इधर, लौंगी मांझी भी ट्रैक्टर पाकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि अब आगे का काम ट्रैक्टर की मदद से आसानी और तेजी से कर सकेंगे।
गया के बांके बाजार के कोठिलवा गांव के लौंगी मांझी ने गांव तक पानी लाने के लिए 20 साल की मेहनत से पांच किलोमीटर नहर खोद डाली है। उन्होंने नहर खोदने के बाद अपनी इच्छा जताते हुए कहा था कि अगर ट्रैक्टर मिल जाए तो इस पइन को और चौड़ा कर वह खेतों में भी पानी ले जा सकेंगे।
लौंगी मांझी ने अपने काम के प्रति समर्पण और जिद को लेकर अपने ही गया जिले के 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी की याद दिला दी, जिसने 22 साल तक कड़ी मेहनत कर एक पहाड़ को चीरकर अपने गांव के लिए सड़क बना दी थी।
मांझी ने बताया कि जब सूखे की मार के कारण गांव के युवाओं को बाहर जाते देखा तो उन्हें पीड़ा हुई और उन्होंने यह काम करने की ठानी थी। पथरीले और पहाडी क्षेत्र होने के कारण यहां सिंचाई के लिए बारिश का पानी रुक नहीं पाता था। गांव में खेती के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं था। लोगों के पलायन को देखकर मांझी ने नहर बनाने को ठानी।
मांझी ने 20 साल तक लगातार काम करने के बाद चार फीट चौड़ी और तीन फीट गहरी नहर खोद ली। इसके लिए उन्होंने पारंपरिक उपकरणों का इस्तेमाल किया।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस ने संसद के चल रहे मानसून सत्र के बीच संगठन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सोमवार को महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक बुलाई है। यह बैठक पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की गैरमौजूदगी में होगी।
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने सभी महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों को पत्र भेजकर इस बैठक में शामिल होने और संगठन से जुड़े मसलों पर कांग्रेस अध्यक्ष को सहयोग देने का अनुरोध किया है।
बैठक यहां पार्टी मुख्यालय में सोमवार को शाम 4 बजे से होगी।
तिरुवनंतपुरम, 20 सितंबर (आईएएनएस)| केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन पत्रकारों के चुभते सवालों से असहज हो जाते हैं, यह सबको पता है, लेकिन शनिवार को विजयन ने एक महिला पत्रकार को कहा कि अगर एक ही पत्रकार बहुत ज्यादा सवाल करेगा तो, वह जवाब नहीं देंगे। संयोग से सवाल पूछने वाली महिला कांग्रेस समर्थित जयहिंद टीवी चैनल की पत्रकार थीं।
पत्रकार ने पूछा, "कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला द्वारा बार-बार आग्रह किए जाने के बावजूद, उन्होंने यूएई के चैरिटी ऑर्गेनाजेशन रेड क्रिसंट के साथ एमओयू हस्ताक्षरित कॉपी क्यों नहीं दी, जिसमें वह अपनी परियोजना लाइफ मिशन के तहत बेघरों के लिए घर का निर्माण करते वाले हैं।"
कुछ देर बाद, पत्रकार ने फिर कुछ सवाल पूछा और विजयन ने जवाब दिया, लेकिन अन्य पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने के बाद महिला पत्रकार ने फिर से सवाल पूछे, उसके बाद उन्होंने कहा कि 'वह जवाब नहीं देंगे, अगर एक ही पत्रकार बार-बार सवाल पूछेगा।'
कुछ देर बाद एक पुरुष पत्रकार ने सवाल किया, जिसपर उन्होंने कहा, "आपने भी पहले कुछ सवाल पूछे हैं।" इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस समाप्त कर दी।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)| दार्जिलिंग के पर्वतीय क्षेत्र को लेकर पश्चिम बंगाल से अलग गोरखालैंड राज्य के गठन की मांग शनिवार को लोकसभा में उठी। दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने गोरखालैंड की मांग को क्षेत्र के स्थाई राजनीतिक समाधान के लिए जरूरी बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह से मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर कई साहसिक फैसले किए हैं, उसी तरह से डेढ़ करोड़ भारतीय गोरखाओं की अलग गोरखालैंड राज्य की मांग भी पूरी होगी।
लोकसभा सांसद राजू बिष्ट ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के संकल्पपत्र में स्पष्ट कहा था कि "हम दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी तराई और डुवास क्षेत्र की समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान खोजने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
सांसद ने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द से जल्द गोरखालैंड के मुद्दे का समाधान करेगी। मांग पूरी होने चिकेन नेक एरिया में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में 1986 और 2007 में सरकार की ओर से सेमी ऑटोनॉमस बॉडी बनाने का प्रयास विफल साबित हुआ है। दार्जिलिंग के पर्वतीय क्षेत्र को लेकर अलग केंद्रशासित या पूर्ण राज्य के गठन से ही यहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक से लेकर हर तरह की समस्याओं का स्थाई समाधान हो सकता है। दार्जिलिंग हिल्स एरिया में रहने वालों की भाषा और संस्कृति का भी इससे संरक्षण होगा।
लखनऊ, 20 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने प्रदेश में बढ़ते लव जिहाद के मामलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में साजिश के तहत लव जिहाद के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से राहत पाने के बाद मंत्री रजा ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह तो तय है कि प्रदेश में साजिश के तहत लव जिहाद फैलाया जा रहा है। प्रदेश के कुछ दल भी तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए इसको बढ़ावा दे रहे हैं। मासूम लड़कियों को गुमराह किया जा रहा है। विवाह के बाद उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि अब धर्म परिवर्तन करवाकर शादी करने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी। मोहसिन ने कहा कि प्रदेश में एक साजिश के तहत भोली-भाली लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है। बीते कुछ दिनों में लव जिहाद की घटनाएं बढ़ी हैं। इसमें अधिकांश हिंदू लड़कियों को मोहरा बनाया जा रहा है।
रजा का आरोप है कि एक साजिश के तहत इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे रोकने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो सरकार कानून लाएगी। इसकी की तैयारी हो रही है।
प्रदेश में लव जिहाद और धर्मातरण के लगातार बढ़ते मामलों पर मोहसिन रजा ने कहा कि सिमी और पीएफआई जैसे संगठन भी इसके पीछे हैं।
मंत्री ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां पड़ताल में लगी हैं। लव जिहाद और धर्मातरण की काफी शिकायतें आ रही हैं। सिमी और हाल ही में पीएफआई का नाम भी इस तरह के मामले में आ चुका है। इनमें जो लोग जुड़े हैं, बहुत शातिर किस्म के लोग हैं जो आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं।
इनको हमारे देश में तुष्टिकरण की राजनीति के तहत राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल गया। इस साजिश का खुलासा होना चाहिए। यह एक साजिश के तहत यह काम किया जा रहा है। भोली-भाली लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनके साथ शादी करना, फिर उनका धर्मातरण किया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि "पहले आप कलमा पढ़िए, मुसलमान हो जाइए, फिर क्रिश्चियन हो जाइए, पहले आप धर्म परिवर्तन करिए। इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश है।"
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| जीमेल की ही तरह गूगल भी अब आपके मिटाए या ट्रैश की गई फाइलों को अपने ड्राइव प्लेटफॉर्म पर सिर्फ 30 दिनों तक ही रखेगा और इस समयावधि के पूरा हो जाने के बाद ये खुद-ब-खुद डिलीट हो जाएंगे। इसकी शुरुआत 13 अक्टूबर से की जाएगी। अब तक, गूगल ड्राइव में ट्रैश्ड सहित बाकी की सभी फाइलें अनिश्चित समय तक के लिए सुरक्षित रहती थीं।
गूगल ने एक बयान में कहा, "13 अक्टूबर, 2020 से हम गूगल ड्राइव में में जमा हुई फाइलों के लिए अपनी रिटेंशन पॉलिसी में बदलाव करने जा रहे हैं। नई पॉलिसी में, गूगल ड्राइव में एकत्रित हुईं ये फाइलें 30 दिन बाद अपने आप ही डिलीट हो जाएंगी।"
गूगल ने आगे बताया, "अभी अगर किसी यूजर के ट्रैश बॉक्स में कोई फाइल है, तो ये 13 अक्टूबर तक यथावत रहेंगी। तीस दिनों के बाद ये अपने आप ही मिट जाएंगी।"
यह बदलाव अन्य जी सूट उत्पादों और सेवाओं के नीतियों की तरह ही है जैसे कि जीमेल।
हैदराबाद, 19 सितंबर (आईएएनएस)| तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने शनिवार को यह कहते हुए राज्यसभा में कृषि विधेयकों का विरोध करने का ऐलान किया कि इससे देश में कृषि क्षेत्र के साथ अन्याय होगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने टीआरएस संसदीय दल के नेता डॉ. के. केशव राव को विधेयकों का विरोध करने का निर्देश दिया है, क्योंकि इससे कॉर्पोरेट्स लाभान्वित होंगे और किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि चूंकि विधेयकों से कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचेगा और यह किसानों के हित के खिलाफ है इसलिए टीआरएस राज्यसभा में इन विधेयकों विरोध करेगी और इसके खिलाफ मतदान करेगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "विधेयक में इस बात का उल्लेख है कि सार्वजनिक खपत के लिए किसान देश में कहीं भी अपना उपज बेच सकते हैं, लेकिन हकीकत में, बिल से व्यापारी इन्हीं उपजों को देश के किसी भी हिस्से से खरीदने में सक्षम हो जाते हैं। यह बिल व्यापारी संघ को देश के हर कोने तक फैलने में मदद करेगा और इससे निजी व्यापारियों के लिए भी मार्ग प्रशस्त होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "इस नए बिल के बारे में उनका कहना है कि इससे किसान देश में कहीं भी अपना उपज बेच सकेंगे, लेकिन क्या किसानों के लिए अपनी थोड़ी-बहुत उपज या फसल को अधिक परिवहन शुल्क चुकाकर कहीं दूर तक ले जाना और फसलों को सही कीमत पर बेच पाना मुमकिन है? ये बिल बस एक प्रलोभन है और कुछ नहीं। इसका हर कीमत पर विरोध होना चाहिए।"
मुंबई, 19 सितंबर (आईएएनएस)| वामपंथी नेता व पूर्व सांसद रोजा देशपांडे का शनिवार की दोपहर 1 बजे निधन हो गया। वह 91 साल की थीं। उनके परिवार से जुड़े सूत्र ने कहा कि रोजा अधिक उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं।
महिला अधिकार कार्यकर्ता और समाजसेवी रोजा के परिवार में एक बेटा व बेटी हैं। उग्र वामपंथी नेता रहे उनके पति बनी देशपांडे का 2015 में निधन हो गया था।
रोजा देशपांडे को अप्रैल में अधिक उम्र से संबंधित बीमारियों और सांस लेने में तकलीफ की वजह से दादर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।
पूर्व सांसद के पिता श्रीपद अमृत डांगे देश में वामपंथी आंदोलन के सूत्रधार थे।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने बताया है कि 2024 तक देश में 40 करोड़ लोगों को ट्रेनिंग देकर हुनरमंद करने की जरूरत है। राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता नीति में 2022 तक देश में इतने स्किल्ड लोगों की जरूरत बताई गई है। यही वजह है कि इस दिशा में वर्ष 2015 से ही केंद्र सरकार कार्य करने में जुटी है। दरअसल, डीएमके सांसद टीआर बालू ने शनिवार को कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री से पूछा था कि कौशल प्रशिक्षण के जरिए युवाओं को सक्षम बनाने के लिए सरकार क्या कर रही है? क्या सरकार का वर्ष 2022 तक 40 करोड़ लोगों को कौशल भारत कार्यक्रम के माध्यम से कौशल प्रदान करने का विचार है?
इस अतारांकित सवाल का लिखित जवाब देते हुए कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री आर के सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता नीति 2015 में अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक 40 करोड़ कार्यबल को कुशल बनाने की जरूरत है। भारत सरकार ने इस दिशा में 2015 में एक राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन शुरू किया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत देशभर के 15 हजार से अधिक आईटीआई को व्यावसायिक प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। मार्च 2020 तक, 42.20 लाख उम्मीदवारों को अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया गया है। जिसमें 17.54 लाख उम्मीदवारों की प्लेसमेंट की गई है।
मुंबई, 19 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत आईएनएस विराट सेवानिवृत्त होने के बाद गुजरात में अलंग बंदरगाह के लिए अपनी आखिरी यात्रा पर रवाना हो चुका है। अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड में देश का सबसे बड़ा यार्ड है, यहां सभी पुराने जहाजों को तोड़ा जाता है। यह जानकारी अधिकारियों ने शनिवार को दी। तत्कालीन ब्रिटेन निर्मित जहाज ने 22,58 दिनों तक समुद्र में रहकर भारतीय नौसेना की सेवा की और 590,000 समुद्री मील और 22,622 घंटे देश की सेवा में उड़ान संचालन को कवर किया।
नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि अपनी अंतिम यात्रा पर दो अन्य जहाजों को लेकर वह करीब 3 दिनों में अलंग पोर्ट पहुंच जाएगा।
एमएसटीसी लिमिटेड द्वारा की गई एक नीलामी में इस जहाज को गुजरात के श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 38.50 करोड़ रुपये में खरीदा गया।
इसे पहले 'एचएमएस हर्मिस' के रूप में जाना जाता था, इसने नवंबर 1959 से अप्रैल 1984 तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी।
साल 1974 में ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स ने 'एचएमएस हर्मिस' पर सवार 845 नेवल एयर स्क्वाड्रन उड़ाए थे।
बाद में इसे भारतीय नौसेना में अपने दूसरे विमान वाहक पोत, 'आईएनएस विराट' के रूप में मई 1987 में व्यापक नवीनीकरण और अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के बाद शामिल किया गया था।
दशकों तक सराहनीय सेवा के बाद भारतीय नौसेना ने आखिरकार मार्च 2017 में उसे सेवानिवृत्त कर दिया और तब से यह नौसेना डॉकयार्ड में था।
करीब 1,500 क्रू दल के साथ वह लड़ाकू-तैयार हवाई जहाजों और हेलीकाप्टरों का एक बड़ा भार उठा सकता था। इसने अक्टूबर 2001-जुलाई 2002 में ऑपरेशन पराक्रम में भाग लिया, 18 जुलाई से 17अगस्त, 1989 तक श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में भाग लिया, और अपने लंबे समुद्री करियर में उसने कई अन्य असाधारण उपलब्धियां हासिल की थीं।
नई दिल्ली, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित भारतीय चौकियों पर पाकिस्तानी सेना की ओर से कोई हमला नहीं किया गया है। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने शनिवार को संसद में यह जानकारी दी। मंत्री ने हालांकि कहा कि पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा के पास लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन का सहारा ले रही है।
इस साल एक मार्च से सात सितंबर तक जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पास संघर्ष विराम उल्लंघन की 2,453 घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा एक मार्च से 31 अगस्त के बीच जम्मू क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमा पार से गोलीबारी की 192 घटनाएं हुई हैं।
पिछले छह महीनों में पाकिस्तानी सेना की ओर से सीमा पार से की गई गोलीबारी में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सेना के जवानों पर 10 घातक हमले हुए हैं, जिसमें जवानों को शहादत देनी पड़ी है। वहीं पाकिस्तान की ओर से हताहतों के विवरण का सही पता नहीं लगाया जा सका है।
नाइक ने कहा कि जब-जब ऐसी घटनाएं हुईं, भारतीय सेना ने आतंकियों और पाकिस्तान की सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। इसके अलावा उपयुक्त माध्यमों से भारत ने पाकिस्तान के अफसरों के सामने इन मुद्दों पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है।
इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपने समकक्ष पाकिस्तान रेंजर्स के साथ कई स्तरों पर बातचीत करती है।
इसके साथ ही भारत ने सीमा पर स्थिति को सही रखने के लिए कूटनीतिक रूप से भी कोशिशें की हैं।
नई दिल्ली, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार तड़के केरल और पश्चिम बंगाल से अलकायदा के कई आतंकियों को गिरफ्तार किया। इन आतंकियों की अपने अन्य सहयोगियों के लिए भारत में निर्मित विस्फोटक के साथ ही अन्य हथियार डिलीवरी के लिए जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने की योजना थी। एनआईए अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि उन्हें पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलर से आदेश मिल रहे थे।
एनआईए के हाथ शनिवार को एक बड़ी सफलता लगी है। एजेंसी ने एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जिसे पाकिस्तान से अल-कायदा द्वारा संचालित किया जाता था।
इस क्रम में की गई कार्रवाई में पश्चिम बंगाल और केरल से नौ व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं, जो आईईडी की मदद से हमलों की साजिश रच रहे थे। इनके गिरोह में पटाखों से निकाले गए पोटेशियम से विस्फोटक बनाने का काम चलता था। हथियारों की डिलीवरी के लिए इनका कश्मीर जाने का भी प्लान था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सुबह-सुबह छापेमारी कर छह आतंकियों को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से धर दबोचा है और बाकी के तीन की गिरफ्तारी केरल के एनार्कुलम जिले से हुई है। दहशत का माहौल पैदा करने के लिए इन नौ लोगों के दिमाग में दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में स्थित प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों पर हमले की योजना थी।
इस जांच से जुड़े एनआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "छापा मारने के दौरान एजेंसी को बड़ी संख्या में पटाखें मिले। विस्फोटक बनाने के लिए ये इनमें से निकाले हुए पोटेशियम का इस्तेमाल करते थे।"
गिरफ्तार किए गए आतंकियों की पहचान मुर्शीद हसन, याकूब बिस्वास और मोर्शरफ हुसैन के रूप में की गई है, ये तीनों ही एनार्कुलम के रहने वाले हैं। इनके अलावा गिरफ्तार हुए नजमुस साकिब, अबू सुफियान, मैनूल मंडल, लेउ इन अहमद, अल ममुन कमाल और अतितुर रहमान, ये मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं। केरल से जिनकी गिरफ्तारी की गई है, वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
ये आतंकी द्वितीय वर्ष के स्नातक छात्र से लेकर किसान, दर्जी, रसोईया, इलेक्ट्रीशियन, कंप्यूटर साइंस स्नातक तक के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित थे।
केरल से गिरफ्तार किए गए आतंकी भी मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
अधिकारी ने यह भी कहा कि मुर्शिदाबाद में स्थित आतंकी सूफियान के घर से उन्हें आईईडी सहित स्विच, बैटरी इत्यादि भी मिले हैं।
अधिकारी ने कहा कि इस आतंकी मॉड्यूल का प्रमुख हसन था। इससे पहले, एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा था कि इस समूह की योजना भारत के कई महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमले करने और मासूमों की जान लेने की थी।
अल कायदा समूह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद एनआईए ने 11 सितंबर को एक मामला दर्ज किया था।
छापे के दौरान डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज, जिहादी किताबें, धारदार हथियार, देश में बने आग्नेयास्त्र, स्थानीय स्तर पर बनाए गए शरीर कवच, घर पर विस्फोटक सामग्री बनाए जाने से संबंधित किताबें व आर्टिकल जैसी कई चीजें पाई गईं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है।
गिरफ्तार किए गए इन आतंकियों को मुर्शिदाबाद और एनार्कुलम की अदालतों में पेश किया जाएगा और इस दौरान एजेंसी इनसे पूछताछ के लिए इन्हें हिरासत में लिए जाने की भी मांग करेगी।
एनआईए अधिकारियों के अनुसार, हसन मजदूरी करता है, जबकि बिस्वास कपड़े की दुकान में सेल्समैन है। हुसैन एक रसोईया है और रहमान स्नातक की पढ़ाई कर रहा है और दूसरे वर्ष का कला (ऑर्ट्स) का छात्र है। सुफियान खेती-बाड़ी का काम करता है और इससे पहले वो एक दर्जी था। अहमद एक कॉलेज में इलेक्ट्रीशियन है, मंडल एक रसोईया है, साकिब कंप्यूटर साइंस में स्नातक कर रहा है और ममुन राजमिस्त्री का काम करने के साथ ही ड्राइवर भी है।
अयोध्या, 19 सितंबर (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से उनके पक्ष में अभियान चलाने वाली फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ मुंबई में की गई कार्रवाई के विरोध में अयोध्या में तमाम साधु-संतों के बाद रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अयोध्या आने पर उनका पुरजोर विरोध करने की बात कही है। आरपीआई (ए) के प्रदेश अध्यक्ष पवन भाई गुप्ता ने शनिवार को अयोध्या दौरे के दौरान साधु-संतों से मुलाकात की। इस दौरान संतों ने पालघर में साधुओं की हत्या की सीबीआई जांच की मांग की। इस पर उन्होंने संतों की हत्या की सीबीआई जांच के लिए संघर्ष करने की बात कही।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में संतों की हत्या के बाद सरकार का जिस तरह का रवैया रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इस मामले को सड़क से संसद तक उठाएंगे।"
इसके साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के बयान पर आरपीआई ने पलटवार किया है। पवन भाई गुप्ता ने कहा कि चंपत राय का बयान अयोध्या के साधु-संतों का अपमान है। उनका बयान भगवान श्रीराम जन्मभूमि की गरिमा के विपरीत है। अयोध्या के साधु-संत पूजनीय हैं। उन्होंने राममंदिर निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके सम्मान को ठेस किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
गुप्ता ने कहा कि बाबा साहेब डॉ़ भीमराव आंबेडकर ने हमेशा नारी सम्मान और सशक्तीकरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पर बदले की भावना से कार्रवाई की, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है। महाराष्ट्र सरकार ने नारी अस्मिता के खिलाफ जाकर ये घटिया कदम उठाया। मुंबई एयरपोर्ट पर आरपीआई के कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर कंगना रनौत को सुरक्षा दी।
गुप्ता ने कहा, "हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कंगना मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल से भी मुलाकात की। साथ ही उनके नेतृत्व में आरपीआई के एक-एक कार्यकर्ता ने नारी अस्मिता की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।"
ज्ञात हो कि कंगना रनौत के खिलाफ मुंबई में कार्रवाई के विरोध में अयोध्या में तमाम साधु-संतों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे को अयोध्या में न घुसने देने का एलान किया है। इसके विपरीत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से साफ कह दिया है कि उद्धव ठाकरे को अयोध्या आने से कोई रोक नहीं सकता। चंपत राय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के समर्थन में मैदान में उतरे हैं।
जयपुर, 19 सितंबर (आईएएनएस)| अलवर जिले के तिजारा से 45 वर्षीय एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की चौंका देने वाली घटना सामने आई है। पुलिस ने शनिवार को बताया कि जिस वक्त महिला घटना का शिकार हुई, उस वक्त वह भतीजे के साथ अपने गांव लौट रही थी। मामले के संबंध में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने कहा कि 14 सितंबर को हुई इस घटना में दुष्कर्मियों ने महिला के भतीजे पर भी इस घिनौने कृत्य में शामिल होने का दबाव डाला, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महिला शिकायत दर्ज करवाने थाने नहीं जाएगी।
तिजारा के डीएसपी कुशाल सिंह ने कहा, हालांकि, 17 सितंबर को इस घटना पर एक वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि वीडियो को फिल्माने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। आरोपियों में से एक नाबालिग है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला हरियाणा के एक गांव में अपने भाई के यहां उसे कुछ पैसे देने के लिए गई हुई थी। वहां से लौटते वक्त रास्ते में उन्हें तेज धार वाले हथियारों से लैस अज्ञात युवकों के एक समूह ने रोका, जिन्होंने महिला के भतीजे को बंधक बना लिया गया। इसके बाद एक युवक ने महिला के साथ दुष्कर्म किया, जबकि बाकी लोगों द्वारा इसका वीडियो रिकॉर्ड करने और महिला का यौन उत्पीड़न जारी रखा गया।
दुष्कर्मियों की इस टोली ने इस वीडियो को इंटरनेट पर डाल दिया।
डीएसपी ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया गया है।
नई दिल्ली, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| बाटला हाउस मुठभेड़ (एनकाउंटर) को 12 साल बीत चुके हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में हुए विस्फोटों के लिए जिम्मेदार इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के एक प्रमुख आतंकी मॉड्यूल को बेअसर करने का दावा किया था। जामिया नगर का वह फ्लैट, जहां आतंकवादी ठहरे हुए थे, एक भुतहा (हॉन्टिड) जगह बनी हुई है। यहां तब से कोई भी फ्लैट में नहीं रहता है। इसी फ्लैट में आईएम के आतंकी हथियारों के साथ डटे हुए थे।
सोसायटी में एल-18 के निवासी 12 साल बाद भी उस दिन या उस मुठभेड़ के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। कोई भी उस घटनाक्रम को याद तक नहीं करना चाहता है।
यहां अब गली से लेकर सड़क तक घटनाक्रम को याद करने लायक ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता है। स्थानीय लोग अपने दिनचर्या के कामों में लगे रहते हैं और वे ऐसे लोगों को संदिग्ध रूप से देखते हैं, जो 2008 की मुठभेड़ के बारे में बात करता है। यहां तक कि दुकानदार भी इस घटना को लेकर कानाफूसी करते हैं, लेकिन नाम नहीं बताना चाहते।
बाटला हाउस के पास रहने वाली एक मध्यम आयु वर्ग की महिला ने कहा, "वह रमजान के दिन थे, जब यह घटना हुई थी और उस समय सभी लोग अपने घरों के अंदर थे, लेकिन जब भीड़ को घटनाक्रम के बारे में पता चला तो लोगों ने इसके बारे में जानना शुरू किया। हालांकि उस दिन से कोई गतिविधि नहीं हुई और क्षेत्र में शांति बनी हुई है।"
दिल्ली कांग्रेस मीडिया सेल के साथ काम कर रहे एक पूर्व वीडियो पत्रकार परवेज आलम खान कहते हैं, "इलाके के निवासियों को अभी भी नहीं पता कि उस दिन क्या हुआ था, क्योंकि न्यायिक जांच नहीं हुई है। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वे इसकी जांच के लिए प्रयास करेंगे, लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सका।"
उस घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह चाणक्यपुरी में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ एक साक्षात्कार की शूटिंग करने के लिए इंतजार कर रहे थे कि तभी उन्हें ऑफिस से बाटला हाउस पहुंचने के लिए कॉल आया, क्योंकि वहां फायरिंग की सूचना मिली थी। तब सुबह के लगभग 10 बजे थे।
उन्होंने कहा, "जब हम एक रिपोर्टर के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, जो अब एक चैनल में संपादक हैं, तो उस इलाके में भीड़ और पुलिस की मौजूदगी थी। तब पहले ही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को गोली लग चुकी थी और वह होली फैमिली अस्पताल में थे।"
आतंकवाद निरोधी अभियान का संचालन करने वाले विशेष प्रकोष्ठ का नेतृत्व तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त करनैल सिंह कर रहे थे, जिन्होंने इस घटना पर एक पुस्तक "बाटला हाउस : एन एनकाउंटर दैट शुक द नेशन" लिखी है।
उन्होंने अपनी किताब में मुठभेड़ के संबंध में पूछे जाने वाले कई प्रश्नों के उत्तर दिए हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी बताते हैं कि उनकी टीम मुठभेड़ से एक दिन पहले यह जानकारी इकट्ठा करने में कामयाब रही कि एक मोबाइल नंबर जिसका इस्तेमाल आतंकवादी मोहम्मद आतिफ अमीन ने किया था, उसका प्रयोग जयपुर विस्फोट (13 मई, 2008), अहमदाबाद (26 जुलाई, 2008) और 13 सितंबर, 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में हुए सिलसिलेवार विस्फोट में किया गया था।
अपनी किताब में वह बताते हैं कि पुलिस को फ्लैट के अंदर रहने वालों की ओर से गोली चलाए जाने की उम्मीद नहीं थी। यही वजह है कि अफसर सादे कपड़ों में थे और उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट भी नहीं पहनी थी, क्योंकि शुरूआती योजना के अनुसार उन्हें जिंदा पकड़ना था।
वह किताब में उपराज्यपाल (एलजी) ऑफिस में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के साथ हुई मुलाकात के बारे में भी बताते हैं कि उन्हें एनकाउंटर के बारे में जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुठभेड़ को लेकर उनकी पीठ थपथपाई थी। इसके अलावा करनैल सिंह बताते हैं कि एक समारोह में भी मनमोहन सिंह ने उनसे कहा था कि आपने अच्छा काम किया है।
बाटला हाउस में मुठभेड़ 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली में सिलसिलेवार विस्फोटों के एक सप्ताह बाद हुई थी।
इंडियन मुजाहिद्दीन के दो कथित आतंकवादी, आतिफ अमीन और उसके साथी की मौत हो गई थी। जबकि दो अन्य मोहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके अलावा मोहम्मद साजिद भागने में सफल रहा।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा गोली लगने के बाद शहीद हो गए थे।
हालांकि क्षेत्रीय निवासी मुठभेड़ के वर्षों के बाद भी इसे संदेह की निगाहों से देखते हैं और वे अभी भी पुलिस की थ्योरी को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| राज्यसभा ने शनिवार को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) (दूसरा संशोधन) बिल, 2020 पारित कर दिया है। हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्य ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के कोरोना को 'ईश्वर की देन' वाले बयान को लेकर उन पर हमला भी किया यह विधेयक इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) बिल, 2020 की जगह लेगा, जो कि 25 मार्च से 5 जून के बीच उत्पन्न हुईं दिवाला कार्यवाही को प्रतिबंधित करने वाले कानून का एक साल के लिए विस्तार कर देगा।
इसे लेकर सीतारमण ने कहा, "मार्च में हमारे सामने स्थिति स्पष्ट रूप से आजीविका से पहले जीवन को बचाने की थी। जब पीएम ने जनता कर्फ्यू की घोषणा की, तो उन्होंने कहा कि यह एक निवारक उपाय था और वह यह नहीं जानते कि यह कितने समय तक चलेगा। स्वाभाविक रूप से, लॉकडाउन ने व्यवसायों और वित्तीय बाजार को प्रभावित किया। क्या हमें बैठकर केवल देखते रहना चाहिए, नहीं।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विश्वम ने सीतारमण पर हाल के दिनों में उनके द्वारा की गई टिप्पणी 'ईश्वर की देन' के लिए हमला किया। उन्होंने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है और वह कह रही हैं कि ये सब ईश्वर के काम हैं। भगवान पर आरोप मत लगाओ। भगवान दोषी नहीं है।"
सीतारमण ने इस बीच विस्तार से बताया कि सेक्शन 7, 9 और 10 का निलंबन कारोबार को दिवालिया होने से बचाने के लिए किया गया है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद अरुण सिंह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, "इससे बैंक एनपीए में कमी आई है।" साथ ही उन्होंने संशोधन विधेयक को एक उल्लेखनीय और साहसिक कदम बताया।
कांग्रेस के सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि धारा 10 का निलंबन अनुत्पादक होगा। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी कब तक जारी रहेगी, यह निश्चित नहीं है। साथ ही दावा किया कि यदि सरकार केवल बड़े कॉपरेरेट्स की रक्षा करने की कोशिश करती रही तो छोटे व्यापारी इससे प्रभावित होंगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी संशोधनों का समर्थन करती है, क्योंकि सरकार का लक्ष्य अस्थायी था और भविष्य में इसमें और संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।
बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने कहा कि 2016 के बाद से आईबीसी काफी सफल रहा है, ऐसे में तीन अध्यादेशों की क्या जरूरत थी। वहीं माकपा के के.के. रागेश ने कहा कि दिवालिया होने की कार्यवाही रोकने से बैंकिंग सेक्टर संकट में आ जाएगा।
श्रीनगर/नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में कारोबार और नौकरियों में वृद्धि के लिए 1,350 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी। आतंकवाद के साथ ही कोरोनावायरस महामारी की चपेट में आए राज्य के लिए यह पैकेज एक बड़ी सौगात के तौर पर देखा जा रहा है। उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय ने एक बयान में कहा कि आर्थिक पैकेज प्राथमिक रूप से संकटग्रस्त संस्थाओं, पर्यटन और परिवहन क्षेत्रों में स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए एक जीवनरेखा के रूप में कार्य करेगा तथा संक्रामक महामारी और पिछले 15-20 वर्षों से नाजुक सुरक्षा परि²श्य से उत्पन्न आर्थिक मंदी को भी दूर करेगा।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने किसानों और व्यवसायों को राहत देने के लिए राज्य में एक वर्ष के लिए 50 प्रतिशत बिजली और पानी के बिलों को माफ कर दिया है।
मेगा पैकेज पर निर्णय 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के अनुरूप रहा, जब उन्होंने आश्वस्त किया था कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी 'विकास यात्रा' शुरू कर दी है, क्योंकि यह एक साल पहले केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बन चुका है।
उपराज्यपाल सिन्हा ने 18 अगस्त को बैंकिंग, उद्योग, पर्यटन, कृषि और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक व्यापारिक समुदाय और प्रशासनिक उपायों द्वारा आवश्यक सहायता का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया था। बयान में कहा गया है कि समिति ने श्रीनगर और जम्मू के कम से कम 35 व्यापारिक संगठनों के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद एक सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
सिफारिशों को उपराज्यपाल सिन्हा ने स्वीकार कर लिया है। वहीं सरकार ने कहा है कि वे अंतत: कश्मीरियों को सशक्त बनाएंगे, विशेष रूप से उन्हें सशक्त बनाया जाएगा, जो अपने व्यवसाय और आजीविका खो चुके हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए विभिन्न अन्य उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण किया जाएगा।
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर का प्रभार संभालने के बाद से सिन्हा ने प्रशासन को लोगों के दरवाजे पर लाने और प्रशासन में लोगों के विश्वास के पुनर्निर्माण के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी है।
सिन्हा ने कहा, "कुल मिलाकर, यह आर्थिक पैकेज मात्रा और पहुंच के मामले में ऐतिहासिक है। मैं देख सकता हूं कि कश्मीरी केंद्र शासित प्रदेश के विकास में योगदान करने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि वे हमारे पड़ोसी द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद से तंग आ चुके हैं।"
उन्होंने मुसीबत में घिरे लोगों के लिए धनराशि सुनिश्चित करना सामूहिक जिम्मेदारी बताया। इसके साथ ही सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के त्वरित उछाल, नौकरियों के सृजन और व्यवसायों को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार सक्रिय रूप से सहायता के लिए अभूतपूर्व और ऐतिहासिक पैकेज पर विचार कर रही है।"
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि पैकेज का मुख्य घटक यह है कि कारोबारी समुदाय में से प्रत्येक उधारकर्ता को पांच प्रतिशत ब्याज सबवेंशन (आर्थिक मदद) देने का फैसला किया गया है, जो सरकारी खजाने पर लगभग 950 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह एक बड़ी राहत होगी, जिससे रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।
सरकार ने कहा, "कोविड-19 महामारी की चपेट में आए लोगों को राहत देने के लिए चालू वित्तवर्ष में ब्याज उपकर छह महीने के लिए उपलब्ध होगा।"
इंटरेस्ट सबवेंशन मूल रूप से बिजनेस कम्युनिटी को संभालने के लिए ब्याज दरों पर दी जाने वाली सब्सिडी है। बयान में कहा गया है, "हमने बिजली और पानी के शुल्क के संबंध में एक वर्ष के लिए 50 प्रतिशत छूट प्रदान करने का भी निर्णय लिया है।"
बयान में कहा गया है कि इससे अर्थव्यवस्था पर 105 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिसे सरकार लोगों के हित के लिए वहन करने को तैयार है।
सरकार ने बस ड्राइवरों/कंडक्टरों, ऑटो/टैक्सी चालकों आदि की सहायता करने का भी फैसला किया है। सरकार ऐसे प्रभावित लोगों के लिए एक अलग ' संरचित तंत्र और पैकेज' दे रही है।
प्रशासन पुराने वाहनों और बीमा आदि के प्रतिस्थापन के लिए हाउसबोट मालिकों, ट्रांसपोर्टरों की भी मदद करेगा।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| कोविड-19 के संक्रमण से उबरने और पूर्ण चिकित्सा जांच से गुजरने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के शनिवार को लोकसभा के मानसून सत्र कार्यवाही में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही। गौरतलब है कि उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से दो दिन पहले ही छुट्टी मिली है। लोकसभा में शनिवार के लिए कार्यवाही की संशोधित सूची में उनके नाम का उल्लेख किया गया है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि शाह नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी बिल, 2020 को पारित करने के लिए निचले सदन में शामिल होंगे। लोकसभा में शनिवार को दोपहर 3 बजे बैठक शुरू होगी।
शाह का नाम विधायी कार्यक्रम सूची में उल्लिखित है, जो विधेयक को पारित कराने के लिए है। यह विधेयक अध्ययन और अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने और विज्ञान के अध्ययन, कानून के साथ फोरेंसिक विज्ञान, अपराध विज्ञान और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में नेशनल फोरेंसिक विज्ञान यूनिवर्सिटी की स्थापना और उसकी घोषणा करता है।
मंत्री का नाम राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 पर विचार और पारित होने के लिए उसे आगे बढ़ाने को लेकर भी सूचीबद्ध है। विधेयक के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था और इसके निगमन और इससे जुड़े मामलों के लिए राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के रूप में एक संस्थान की स्थापना और उसकी घोषणा करना चाहते हैं।
शाह को पूर्ण चिकित्सा जांच के लिए भर्ती कराए जाने के बाद गुरुवार शाम को एम्स से छुट्टी दे दी गई थी।
बीते 13 सितंबर को शाह को संसद के मानसून सत्र से पहले संपूर्ण जांच के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। यह तीसरी बार था, जब उन्हें कोरोनावायरस से उबरने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| लोकसभा में चल रहे मानसून सत्र के दौरान केंद्र की तरफ से श्रम मंत्रालय के तीन विधेयकों को वापस लिए जाने का निर्णय लिया गया है, ताकि इन्हें फिर प्रस्तुत किया जा सके। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2019 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 को शनिवार दोपहर के तीन बजे तक एकत्रित किए जाने के बाद निचले सदन से वापस ले लिया जाएगा।
श्रम और रोजगार मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार पर इसका कार्यभार होगा। इनके द्वारा इन्हें दोबारा से प्रस्तुत करने के लिए विचार किए जाने के चलते वापस लेने की जिम्मेदारी होगी।
सरकार ने एक ई-ट्रांसमिशन पोर्टल पर अपना एक बयान अपलोड किया है, जिसमें उन कारणों को सम्मिलित किया गया है जिनके चलते ये विधेयक वापस लिए जा रहे हैं।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2019 का उद्देश्य किसी प्रतिष्ठान में कार्यरत व्यक्तियों की व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी परिस्थितियों को संचालित करने वाले कानूनों को मजबूत बनाना और उनमें संशोधन लाना है। विधेयक को पिछले साल 23 जुलाई को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था।
औद्योगिक संबंध संहिता 2019 उन कानूनों पर काम करता था, जो ट्रेड यूनियनों, औद्योगिक प्रतिष्ठान में रोजगार की स्थिति या उपक्रम, औद्योगिक क्षेत्र में विवादों की जांच और निपटान से संबंधित था। इसे पिछले साल 28 नवंबर को लोकसभा में पेश किया गया था।
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 में कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों को शामिल किया गया है। विधेयक को पिछले साल 11 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था।