हैदराबाद, 8 फरवरी। एनएमडीसी ने बताया कि भारत के प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी आरएंडडी सेंटर और आरडीसीआईएस, सेल ने स्टील उद्योग के विकास और तकनीकी उन्नति को गति देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (रूश) पर हस्ताक्षर किए हैं।
एनएमडीसी ने बताया कियह समझौता एनएमडीसी के निदेशक (तकनीकी) श्री विनय कुमार की उपस्थिति में एनएमडीसी के अधिशासी निदेशक ( आर.पी एवं पर्यावरण और रेड) श्री एम जयपाल रेड्डी और आरडीसीआईएस, सेल के सीजीएम श्री पी. पाठक ने किया।
एनएमडीसी ने बताया कि यह साझेदारी खनिज प्रसंस्करण और कोयला उपयोग में नवाचार लाने के साथ-साथ उन्नत बेनेफिशिएशन तकनीकों के विकास पर केंद्रित है, जिससे निम्न और दुर्बल-ग्रेड के लौह अयस्क को अपग्रेड कर कोयले की प्रसंस्करण क्षमता में सुधार किया जा सकेगा। इस समझौते के तहत, दोनों संगठन कई महत्वपूर्ण पहलों पर मिलकर काम करेंगे, जिनमें लौह अयस्क और चूना पत्थर का सूखा बेनेफिशिएशन, कोयले की प्रवाह क्षमता में सुधार कर च्यूट जामिंग को कम करना, और कोयले के कार्बनाइजेशन व परीक्षण पर शोध करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, दोनों संगठन तकनीकी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे ताकि ज्ञान-साझा करने और उद्योग में नवीनतम प्रगति को अपनाने में तेजी लाई जा सके।
एनएमडीसी ने बताया कि इस मौके पर एनएमडीसी के निदेशक (तकनीकी) श्री विनय कुमार ने कहा, हम देश की आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भरता में योगदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। भारत में 2030 तक 300 मिलियन टन क्रूड स्टील उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, निम्न और दुर्बल-ग्रेड के लौह अयस्क का सही उपयोग बेहद आवश्यक है। यह समझौता इस लक्ष्य को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
एनएमडीसी ने बताया कि इस रणनीतिक साझेदारी के जरिए एनएमडीसी का लक्ष्य न केवल संसाधनों की दक्षता में सुधार करना है, बल्कि परिचालन प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना और भारत के स्टील क्षेत्र की समग्र प्रगति में योगदान देना है।