विचार / लेख
तेहरान की आज़ाद यूनिवर्सिटी की शोध शाखा में रविवार को एक छात्रा के कपड़े उतारने के वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर ज़बर्दस्त प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
इस छात्रा ने ऐसा क्यों किया- इसका कारण जो भी हो, लेकिन विपक्ष का कहना है कि उसने ऐसा 'ज़बर्दस्ती हिजाब पहनने के नियमों के विरोध' में किया है।
वहीं आज़ाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने छात्रा को हिरासत में लेकर मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल भेज दिया है।
शनिवार यानी नवंबर को तेहरान की आज़ाद यूनिवर्सिटी के साइंस एंड रिसर्च के परिसर में अंडरवियर में एक लडक़ी के दिखने और फिर उसकी गिरफ़्तारी के वीडियो को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किया था।
कई लोग ये भी मान रहे हैं कि ये प्रदर्शनकारी महिलाओं से निबटने के लिए ईरानी शासन जो सख़्त रवैया अपना रहा है, ये उसी से जुड़ा एक और मामला है।
बीबीसी फ़ारसी को ईरान के भीतर काम करने की अनुमति नहीं है और अब तक ईरान में काम करने वाले स्वतंत्र पत्रकार इस महिला तक नहीं पहुंच सके हैं।
समर्थन और चिंताएं: ‘विद्रोह की प्रतीक’
इस छात्रा के समर्थन में सोशल मीडिया पर रिसर्च साइंस गर्ल हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। कई लोग इस छात्रा की पहचान ज़ाहिर करने और इसे रिहा करने की मांग कर रहे हैं।
इस छात्रा का समर्थन करने वाले लोगों का मानना है कि उसने कपड़े उतारकर और सिफऱ् अंडरवियर पहनकर चहलकदमी करके ‘ज़बरदस्ती हिजाब थोपे जाने का विरोध किया है।’
ईरानी छात्रा के इस क़दम को क्रांतिकारी तक बताया जा रहा है।
ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर छात्रा का समर्थन कर रहे लोग एक चश्मदीद के हवाले से बता रहे हैं कि इस छात्रा ने कपड़े उतारते वक़्त अन्य छात्रों से कहा था, ‘मैं तुम सबको बचाने आई हूँ।’
शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले नर्गिस मोहम्मदी, जो अभी इविन जेल में बंद हैं, के इंस्टाग्राम अकाउंट से लिखा गया, ‘महिलाओं को आदेश न मानने की क़ीमत चुकानी पड़ती है लेकिन वो ताक़त के आगे झुकती नहीं हैं।’ इस अकाउंट से लिखा गया है, ‘यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर रही छात्रा का शरीर विद्रोह का प्रतीक है। ये ग़ुस्से और विद्रोह की तीव्रता का भी प्रतीक है।’
वहीं, अभिनेत्री कातायून रियाही और पेंटिया बहराम ने भी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस छात्रा का समर्थन किया है।
साल 2022 में ईरान में अनिवार्य हिजाब के ख़िलाफ़ व्यापक प्रदर्शन हुए थे। तब भी इन दोनों अभिनेत्रियों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया था।
अमेरिका के राजनीतिक टिप्पणीकार जैक्सन हिंकले ने कपड़े उतारने वाली लडक़ी का तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, ''ये लडक़ी बहादुर नहीं बल्कि इसकी मानसिक सेहत ठीक नहीं है।’
हिंकले की इस पोस्ट को आड़े हाथों लेते हुए ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता अज़ाम जानगरवी ने लिखा है, ‘मैंने जब हिजाब अनिवार्य किए जाने के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया था तो सुरक्षा बलों ने मुझे गिरफ़्तार कर लिया था और मेरे परिवार वालों पर दबाव डाला गया कि वे मुझे मानसिक रूप से बीमार बताएं। ईरानी सुरक्षा बल मुझे फॉरेसिंक डॉक्टर के पास भी ले गए थे। मेरा एक रिश्तेदार मुझसे जेल में मिलने आया था और उसने मुझसे पूरी बात बताई थी।’
‘मेरा वो रिश्तेदार बहुत दबाव में था। उसने रोते हुए कहा था, ''तुम इस तरह जेल नहीं जा सकती हो।'' मैंने उसे ग़ुस्से से देखा और कहा, ‘तुम कह रहे हो कि मैं पागल हूँ? मैं साइको हूँ? तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो?’
‘इसके बाद हम दोनों रोने लगे। मैंने कहा कि मुझे इस तरह से जेल से बाहर नहीं आना है और तुम भी इस दबाव में मत आओ। मेरे परिवार वालों ने ऐसा नहीं किया लेकिन बहुत सारे परिवार दबाव में आकर अपने बच्चों को साइको बता देते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वे अपने बच्चों को जेल से बचा लेंगे। ईरान इसी तरह मानसिक रूप से बीमार बताकर महिलाओं को डिसक्रेडिट करता है।’
अजाम जानगरवी ने कहा, ''जैक्सन हिंकले आप गलत सूचना मत फैलाइए। चुप रहिए और उस महिला के बार में कुछ भी मत बोलिए जिसकी जान ईरान में खतरे में है।’
चीन के तियानमेन स्क्वायर के ‘टैंक मैन’ से तुलना
ईरान रिफॉर्म फ्रंट के प्रमुख अजर मंसूरी ने लिखा, ‘हमारी एक बेटी ने हैरान कर दिया है। मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि पुलिस के ज़रिए सख्ती और नकारात्मकता के सभी प्रयास नाकाम हो गए हैं।’
साल 2023 में हिजाब ना पहनने की वजह से हिरासत में ली गईं और फिर दंडित की गईं रोया हशमती ने हैशटैग ‘डॉटर ऑफ़ साइंस एंड रिसर्च’ के साथ लिखा है, ‘हमारी प्यारी बहन, रसातल के इस अंधेरे दौर में गर्व और विद्रोह की ये मशाल जलती रहे, जिसका मुंह तुमने खोल दिया है।’
विद्रोह के गायक और पूर्व कैदी महदी यारराही ने हिजाब के खिलाफ लिखे गए अपने विद्रोही गीत ‘जीवन का गीत' को ट्वीट करते हुए इसी हैशटैग के साथ लिखा है, ‘महिलाओं की आवाज में दम है।’
जर्मनी में रह रहे विद्रोही लेखक फराज सारकोही ने कहा, ‘रिसर्च और साइंस की इस लडक़ी ने जो किया है वो भीषण दमन के खिलाफ एक क्रांतिकारी कदम है। इस दमन से बचने के लिए क्रांति के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।’
यूक्रेन के महिलावादी समूह फेमेन की नेता इना शेवशेंको ने भी इस ईरानी छात्रा का समर्थन किया है।
एक्स पर पोस्ट करते हुए शेवशेंको ने इस छात्रा के नग्न प्रदर्शन की तुलना चीन के थियानमन चौक पर हुए नरसंहार के दौरान एक टैंक के सामने अकेले खड़े रहे व्यक्ति से की है।
साल 1989 में राजनीतिक स्वतंत्रता का दायरा बढ़ाए जाने की मांग के साथ चीन में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। इसी दौरान चीन के एक शीर्ष चीनी नेता हू याओबैंग की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि में लाखों लोग शामिल हुए थे।
इसके कुछ हफ्तों बाद चीन की राजधानी बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में चीनी लोग जुटना शुरू हुए।
इस प्रदर्शन को रोकने के लिए चीनी सेना और सुरक्षाबलों को बुलाया गया था और इस दौरान ‘टैंक मैन’ की एक तस्वीर दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी थी, जो चीनी टैंक के सामने डटा हुआ था।
तेहरान की ताज़ा घटना पर फोरो फर्रूखजाद की एक कविता का हवाला देते हुए तुर्की के लेखक एलिफ शफाक ने लिखा, ‘ईरानी महिलाओं की खबूसरूत, प्रतिरोधी, विद्रोही आत्माज् दुनिया दिल टूटने और टूट जाने की जगह है, ख़ासकर महिलाओं के लिए।’
मनोवैज्ञानिक शाकिब नसरल्लाह ने छात्रा को अस्पताल ले जाए जाने के बारे में लिखा, ‘इस छात्रा का मानसिक स्वास्थ्य कैसा भी हो, लेकिन इसे मानसिक रोगी बताने के किसी भी कारण को किसी भी तरह न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।’
‘जब एक व्यक्ति पर हमला किया जाता है, तब उस घटना की जांच हमले की पृष्ठभूमि में ही की जानी चाहिए और ऐसा हुआ है, इसलिए अगर इस छात्रा के मानसिक रूप से बीमार होने का इतिहास है भी, तो वो यहां अप्रसांगिक है।’
ख़बर ऑनलाइन को भेजे एक नोट में यूनवर्सिटी प्रोफ़ेसर हामिद सूरी ने लिखा है, ‘जो लोग वहां मौजूद थे, वो मूकदर्शक क्यों बनें रहे।’
निंदा और घृणा: ‘यूनिवर्सिटी की हत्या का प्रयास’
वहीं ईरान के रिवोल्यूश्नरी गार्ड और ईरान में इस्लामी शासन का समर्थन करने वाले मीडिया समूहों के कवरेज से पता चलता है कि अधिकतर रिपोर्टों में इस घटना को ‘नग्नता और कपड़े उतारने’ से जोडक़र देखा गया है।
ऐसे मीडिया समूहों में इसे अनैतिक कृत्य बताया गया है या फिर इसे ‘अचानक मानसिक स्वास्थ्य बिगडऩे’ के कारण हुई घटना बताया गया है।
इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी से जुड़े एक अख़बार फरहीख़्तेगान ने उस रिपोर्ट को खारिज किया है, जिसमें दावा किया गया था कि सुरक्षाकर्मियों और महिला छात्रा के बीच झड़प हुई थी।
अख़बार ने लिखा है कि छात्रा यूनिवर्सिटी के सुरक्षा गार्डों ने छात्रा को पुलिस को सौंप दिया था, जहां से उसे मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल भेज दिया गया है।
‘यूनिवर्सिटी की हत्या’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में ईरान के स्वयंसेवक अर्धसैनिक बल बासिज से जुड़ी ‘दानेशजू’ न्यूज एजेंसी ने इस घटना की तुलना आतंकवादी कार्रवाई से की है।
इस्लामिक रिपब्लिक का विरोध करने वाले कुछ समूहों और देश में राजशाही की वापसी का समर्थन करने वाले कुछ लोगों ने भी छात्रा के इस कृत्य का विरोध किया है और इसे ‘ईरानी महिलाओं की मर्यादा से कहीं दूर’ बताया है।
वहीं कुछ लोग इस घटना को यूनिवर्सिटी को बदनाम करने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं।
छात्रा के ‘पूर्व पति’ ने क्या कहा
रूढि़वादी नजरिया रखने वाली एक न्यूज़ वेबसाइट सीरत न्यूज इस कृत्य को ‘महिला, जि़ंदगी और आजादी प्रदर्शनों के बाद का अगला चरण बताया है और ईरान में अंदालूयिसा के प्रोजेक्ट का चौथा चरण कहा है।’
ईरान में इस्लामी शासन के सुरक्षा संस्थानों से जुड़े लोग ये मानते हैं कि प्रोजेक्ट अंदालूसिया ईरान के इस्लामी चरित्र को समाप्त करने की साजिश है।
वहीं आजाद यूनिवर्सिटी के एक इस्लामी छात्र संगठन (स्टूडेंट बासिज) ने बयान में कहा है, ‘यूनिवर्सिटी के कैंपस में ये बर्ताव एक छात्र की मर्यादा और नियमों के खिलाफ है। यूनिवर्सिटी ऐसे शर्मनाक कृत्यों की जगह नहीं है।’
ईरान के मीडिया में एक पुरुष का वीडियो भी प्रसारित हो रहा है। इस धुंधले चेहरे वाले वीडियो में ये पुरुष नफरत भरी भाषा में लोगों से इस महिला के वीडियो को प्रसारित और प्रकाशित ना करने की अपील कर रहा है।
इस छात्रा का ये पूर्व पति कह रहा है, ‘उसके बच्चों के भविष्य की खातिर, कृपया इस वीडियो को प्रसारित ना करें, उसके सम्मान से ना खेलें।’
2022 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गाने से प्रतिबंधित किए गए एक स्तुतिकार हामिद्रेजा अलीमी ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘इस देश की लड़कियों और महिलाओं की तस्वीरों और वीडियो का प्रकाशन (किसी भी कारण से) कई परिवारों को नष्ट कर देगा। (bbc.com/hindi)