विचार / लेख
सलमान रावी
लोक जनशक्ति पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वो बिहार विधान सभा के चुनावों में 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 121 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कहते हैं कि गलती भारतीय जनता पार्टी से भी हुई है। उनका कहना था, ‘नीतीश कुमार के ढुलमुल रवैये से एक बार भाजपा ने सबक भी सीखा है। देश की सबसे बड़ी पार्टी को चाहिए था कि वो ख़ुद अपने बल पर चुनाव लड़ती।’
उनका कहना है कि ये अचानक नहीं है कि उनकी पार्टी ने नीतीश कुमार का विरोध किया है। वो कहते हैं कि समय-समय पर उनकी पार्टी सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठाती रही है। चाहे वो मजदूरों के पलायन का मामला हो, बाढ़ का मसला हो या फिर कोरोना वायरस के प्रबंधन का मामला हो।
जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के हाईकमान पर एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लडऩे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
पार्टी के अंदर के नेताओं का कहना है कि लोक जनशक्ति पार्टी के एनडीए से अलग हो जाने के बाद जनता दल (यूनाइटेड) में भी मंथन का दौर चल रहा है।
पार्टी के सांसद और मौजूदा विधायक भी बड़े नेताओं को कहने की कोशिश कर रहे हैं कि एलजीपी के रुख़ के बाद ‘इस तरह के गठबंधन’ में चुनाव लडऩा पार्टी हित में नहीं होगा।
भागलपुर से जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद अजय मंडल ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे कई संकेत मिल रहे हैं।
वो कहते हैं, ‘ये चिराग़ पासवान नहीं बोल रहे हैं बल्कि कौन उनसे ऐसा बुलवा रहा है, ये जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकर्ताओं और नेताओं के अलावा आम लोगों को भी अंदाज़ा लग गया है। कौन पीछे से ऐसा कर रहा है सब जान रहे हैं। अभी हम किसी का नाम नहीं लेना चाहते।’
उन्होंने उन पोस्टरों का हवाला दिया है जो लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ़ से बिहार में कई स्थानों पर लगाए जा रहे हैं जिनमे लिखा गया है, ‘मोदी से बैर नहीं, नीतीश तुम्हारी ख़ैर नहीं।’
उनका कहना था, ‘अब इन पोस्टरों के बाद भी कुछ आशंका बची है क्या? सब कुछ साफ दिख रहा है।’
जनता दल (यूनाइटेड) के एक अन्य नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अगर चुनाव के वक़्त में इस तरह की बातें हो रहीं हैं तो फिर गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाता। वो कहते हैं कि बेहतर होगा कि अब भी पार्टी हाईकमान अकेले चुनाव लडऩे का फ़ैसला कर ले।
जदयू से गठबंधन था ही नहीं
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय कुमार ने बातचीत के दौरान कहा कि किसी भी गठबंधन के लिए एक ‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ होता है। जो आपसी सहमती बनी थी वो तब बनी थी जब भारतीय जनता पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी का गठबंधन था और सबने एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बिहार में सरकार भी बनाई थी।
वो कहते हैं, ‘नीतीश कुमार अचानक गठबंधन तोडक़र अलग हो गए और उन्होंने राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के साथ सरकार बनाई, फिर वो गठबंधन भी तोड़ा और भाजपा क साथ सरकार बनाई। जहां तक लोक जनशक्ति पार्टी का सवाल है तो नई सरकार में हमारी पार्टी का नीतीश कुमार की सरकार के साथ न तो कोई एजेंडा बना, ना ही मुद्दों पर सहमति। तो गठबंधन हमारे साथ कहाँ था?’
लोक जनशक्ति पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वो बिहार विधान सभा के चुनावों में 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 121 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कहते हैं कि गलती भारतीय जनता पार्टी से भी हुई है। उनका कहना था, ‘नीतीश कुमार के ढुलमुल रवैये से एक बार भाजपा ने सबक भी सीखा है। देश की सबसे बड़ी पार्टी को चाहिए था कि वो ख़ुद अपने बल पर चुनाव लड़ती।’
उनका कहना है कि ये अचानक नहीं है कि उनकी पार्टी ने नीतीश कुमार का विरोध किया है। वो कहते हैं कि समय-समय पर उनकी पार्टी सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठाती रही है। चाहे वो मजदूरों के पलायन का मामला हो, बाढ़ का मसला हो या फिर कोरोना वायरस के प्रबंधन का मामला हो।
अली अनवर जनता दल (यूनाइटेड) के राज्य सभा के सांसद रह चुके हैं। मगर उन्होंने पार्टी छोड़ दी है। पार्टी को कऱीब से देखने वाले अली अनवर ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी के अकेले चुनाव लडऩे से भारतीय जनता पार्टी को ही ज़्यादा फ़ायदा होगा।
भाजपा बड़ा भाई बनना चाहती है
वो कहते हैं कि मौजूदा परिस्थिति में नीतीश कुमार या जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी में बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्ता है जिसमें अभी बड़े भाई की भूमिका में नीतीश कुमार हैं।
उनका कहना है, ‘भारतीय जनता पार्टी के पास संसाधन हैं। उनका चुनाव प्रबंधन जनता दल (यूनाइटेड) से काफ़ी बेहतर है या यूं कहिये उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। इतना सबकुछ होने के बावजूद केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की मज़बूत सरकार है। ऐसे में बिहार में भी भाजपा बड़ा भाई बनना चाहती है। लोक जनशक्ति पार्टी उसके इस सपने को पूरा करने की दिशा में काम करती दिख रही है।’
बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ‘लोक जनशक्ति पार्टी के रुख़ से पैदा हुई मौजूदा स्थिति काफ़ी गंभीर’ है।
पार्टी का कहना है कि उन्होंने कई बार कोशिश की कि नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के बीच बातचीत हो और आपसी मतभेद ख़त्म हो जाएँ मगर वो नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं और ख़ास तौर पर चिराग़ पासवान को एक टेबल पर लाने में कामयाब नहीं हो पाए।
उन्होंने इस बात को भी ख़ारिज किया कि चिराग़ पासवान जो कर रहे हैं वो भाजपा के इशारे या कहने पर कर रहे हैं।
जिन अलग-अलग भाजपा नेताओं से बीबीसी ने बात की उनका कहना है कि हर पार्टी अपना राजनीतिक लाभ तलाश करती है। ऐसे में अगर चिराग़ पासवान अपनी पार्टी के लिए बिहार की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में लगे हैं तो उसमे कोई बुरा नहीं है और उससे भाजपा का कोई लेना देना भी नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश के महासचिव देवेश कुमार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं से बातचीत का दौर जारी है। जल्द ही कोई ठोस नतीजा सामने आने की उम्मीद उन्होंने जताई है। (bbc.com/hindi)


