विचार / लेख

मोदी सरकार मेगा कंपनियों के साथ
06-Sep-2020 8:05 PM
मोदी सरकार मेगा कंपनियों के साथ

गिरीश मालवीय

आप अपने आसपास देखे तो जो दुकानें आपको प्रमुख रूप से नजर आती है उन रिटेल शॉप का धंधा अब मंदा होने वाला है। मंदी के दौर में ई कॉमर्स बहुत तेजी से पाँव पसार रहा है कल जो कैट ने अपनी रिपोर्ट में 5 महीनों में 20 प्रतिशत दुकानें बंद होने की वजह बताई है उसकी एक वजह ई कॉमर्स को भी बताया है कुछ ही दिनों में इसका सबसे बड़ा असर असर दवा की दुकानों पर पड़ेगा।

रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं ने अब सरकार की ई फार्मेसी पॉलिसी में संभावित बदलाव को देखते हुए लाखों लोगों का रोजगार छीनने को लेकर चिंता जताई है। पहले उन्होंने अमेजन को पत्र लिखा था अब वह रिलायन्स को पत्र लिख रहे हैं।

ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने रिलायंस के मुकेश अंबानी को पत्र लिखकर उनके ई फार्मेसी संस्थान नेटमेड्स में निवेश को लेकर आपत्ति जताई है।

ई-फार्मेसी प्लेटफॉम्र्स के वर्किंग मॉडल से लाखों रिटेलर्स और फार्मासिस्ट की नौकरियां जा सकती हैं। उनका कारोबार बंद पड़ सकता है। इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभय कुमार कहते हैं कि ई-फार्मा प्लेटफॉर्म का जो वर्किंग मॉडल है वो फार्मासिस्ट की नौकरियों को धीरे-धीरे खत्म कर देगा।

अभय कुमार कहते हैं, ‘ई-फार्मा प्लेटफॉर्म्स अपने स्टोर, वेयरहाउस या इनवेंट्री बनाएंगे, जहां वो सीधे कंपनियों या वितरक से दवाएं लेकर स्टोर करेंगे और फिर ख़ुद वहां से दवाइयां सप्लाई करेंगे। ऐसे में जो स्थानीय केमिस्ट की दुकान है उसकी भूमिका ख़त्म हो जाएगी।’

बड़े छोटे केमिस्ट समझ गए हैं कि अब उनके धंधे पर गहरी चोट अमेजन ओर रिलायन्स दोनों ही डालने वाले है ई-फार्मा कंपनियां जिस तरह ज़्यादा डिस्काउंट देती हैं एक छोटा रिटेलर उनसे मुकाबला नहीं कर पाएगा।

जैसे इलेक्ट्रॉनिक मार्केट मोबाइल आदि को ई कामर्स वालों ने अपने कब्जे में लिया गया वैसे ही फार्मेसी भी उनके हाथ मे चला जाएगा

मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है वह इन मेगा कंपनियों के साथ खड़ी हुई है अब जो कोरोना काल मे जो टेलीमेडिसिन को सपोर्ट देने के लिए नीतियां बनाई जा रही है वह ई फार्मेसी को मार्केट में स्टेबलिश कर देगी।


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