विचार / लेख
राजीव
जेईई में पहले दिन की तय परीक्षा कल संपन्न हुई। छत्तीसगढ़ में करीब 50 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा केंद्रों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और परीक्षा दी। पूरे देश में लगभग यही स्थिति है। पंजीकृत लगभग आधे परीक्षार्थियों ने परीक्षा का बहिष्कार कर दिया।
कोरोना संक्रमण के डर से परीक्षार्थियों ने सार्वजनिक वाहन का उपयोग नहीं किया जिसका इंतजाम राज्य सरकार ने किया था और परीक्षा केंद्र तक पहुँचने के लिए परीक्षार्थियों ने अपने साधनों का ही उपयोग किया। जैसे कि आशंका थी दूरदराज में निवासरत परीक्षा में पंजीकृत और प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके बच्चों ने इसमें अपनी भागीदारी नहीं दी है।
शिक्षा मंत्री और सरकार की तरफ से बोलने वाले लोगों की सबसे बड़ी दलील कि पहले ही दिन धज्जियां उड़ गई। परीक्षा लेने को लेकर हिमायती लोगों की यही दलील थी कि प्रवेश पत्र डाउनलोड किए जा चुके इसलिए ये मानना चाहिए कि बच्चे परीक्षा देने के इच्छुक हंै। अगर परीक्षार्थियों ने प्रवेश पत्र डाउनलोड किए थे तो परीक्षा देने क्यों नहीं है आए?
सरकार और परीक्षा लेने की हिमायती लोगों की तमाम दलीलें कि परीक्षा केंद्र बढ़ा दिए गए हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा, सरकार सब तरह से मदद करेगी को परीक्षा देने वाले बच्चों ने ख़ारिज कर दिया।
ऐसे ही तमाम कुतर्क कि यह साल खराब हो जाएगा, अगर जेईई एक साल टल गया तो अगले साल दस लाख नए बच्चे से आपकी प्रतिद्वंदिता होगी, वो ही बच्चे विरोध कर रहे हैं जो परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए हैं, एक साल परीक्षा टालने से कोई सीटें डबल नहीं हो जाएंगी और आपके कैरियर बर्बाद हो जाएंगे को अनुपस्थित बच्चों ने नकार दिया ।
परीक्षा बहिष्कार के पीछे की सोच सरकार को समझनी होगी और छूट गए बच्चों के लिए कोई नई तारीख पर परीक्षा की तैयारी करनी होगी। इसके अलावा नीट की परीक्षा जो इसी महीने की 13 तारीख को है जिसमें छात्राओं की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है उसको सरकार को तुरंत अगली तारीख के लिए बढ़ा देना चाहिए जब यह संक्रमण की ऐसी स्थिति ना हो या कम हो जाए।
जेईई में शामिल परीक्षार्थियों का कोरोना से कितना बचाव हुआ है यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन सरकार ने बच्चों की परीक्षा लेकर बहुत ही गलत, अलोकतांत्रिक और अलोकप्रिय फैसला लिया है। यह सोशल मीडिया तथा अन्य अभिव्यक्ति व्यक्त करने वाले स्थानों पर देखा जा सकता है। सरकार को परीक्षा लेने की जिद छोडक़र कोरोना संक्रमण रोकने पर ध्यान लगाना चाहिए। परीक्षा देने वाले बच्चों ने यह शेर साझा किया है-
इस जुल्म के दौर में जुबा खोलेगा कौन?
हम भी चुप रहेंगे तो बोलेगा कौन।


