विचार / लेख

नदी-नारे जो जाओ तो बैठक नहीं होगी
30-Aug-2020 7:33 PM
नदी-नारे जो जाओ तो बैठक नहीं होगी

प्रकाश दुबे

सरिताओं का सभ्यता तथा सियासत से पुराना रिश्ता है। विडम्बना है कि साधु-संत भी नदियों को साफ-सुथरा नहीं करा पा रहे हैं। राजनीति में सक्रिय साध्वी उमा भारती गंगा शुद्धिकरण अभियान और संसद की धारा से दूर हैं। मंत्री रहते हुए उमा भारती ने दक्षिण गंगा कहलाने वाली गोदावरी तथा सप्तनदी में शामिल कावेरी पर ध्यान दिया। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई। दोनों नदियों के जल बंटवारे का विवाद हल करना चाहा। आम राय नहीं बनी। ठीक चार वर्ष बाद जल संसाधन मंत्रालय की नींद खुली। 25 अगस्त को  बैठक बुलाई।  राजस्थान के विधायकों को समझाते-बुझाते  केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत कोरोना संक्रमित हुए। शेखावत गर्व से कह सकते हैं कि हमने बैठक रद्द नहीं की। चंद्रशेखर राव ने बैठक आगे टालने का आग्रह किया था।  श्रम शक्ति भवन में  तेलंगाना के मुख्यमंत्री की चिट्ठी मौजूद है। 

संसद में हाथापाई, हंगामा? गया जमाना

संसद में सभापति के आसन तक पहुँचना,  विरोध करने वाले सदस्य के पास जा पहुँचना अच्छी आदत नहीं है। जो ऐसा करते हैं, वे भी इस बात को जानते हैं। अब  ऐसा करना मुश्किल है। अजी, बाहुबल दिखाने वाले सदस्यों ने हंगामा न करने की  शपथ नहीं ली। कसम लेते, तब भी टूटते देर नहीं लगती। कोरोना कोविड-19 ने करिश्मा कर दिखाया। वरिष्ठों के सदन राज्यसभा के करीब पचास सदस्य दर्शक दीर्घाओं में बिठाए जाएंगे। सिर्फ पत्रकार दीर्घा में बैठने की इजाज़त नहीं होगी। वहां पत्रकार विराजमान रहेंगे। राज्यसभा सचिवालय ने लोकसभा सचिवालय से बात की है। सौ से अधिक राज्यसभा सदस्य बिना चुनाव लड़े लोकसभा में बैठने का अधिकार पाएंगे। नाटक के पूर्वाभ्यास की तरह राज्यसभा के सभपति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मुआयना किया। लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें अलग-अलग समय पर होंगी ताकि दोनों सदनों के सदस्य सुरक्षित दूरी पर बैठ सकें। शक्ल और अक्ल प्रदर्शित करने के लिए तकनीकी सुविधा पहले से मौजूद है।

गलवान का पहलवान

जमीन हड़प करने वाले चीन ने जून में सैनिकों की हत्या की। सयानों की सीख है कि बिना हड्डी की जीभ हड्डियां तुड़वाने की ताकत रखती है।  जीभ को बकबक से रोकने के लिए अजय देवगन मुंह में सिगरेट दबाते हैं। चहेते फिल्म पत्रकार का इस्तेमाल कर खबर चिपकवा दी कि गलवान घाटी पर फिल्म बनाएंगे। भरोसा था भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या पर चीन माफी मांगेगा। भारत की जमीन खाली कर देगा। ढिशुम ढिशुम  सिंगम अवतार अजय फिल्म से लक्ष्मी कमाने का सपना देख रहे थे। गलवान घाटी का पेंच नहीं सुलझा। देवगन ने चुप्पी साधी। उत्साही लाल चुप नहीं बैठते। मौका हाथ लगते ही अमीर खान को अजदहे चीन का प्यारा कहा। इसी जोश में डंका पीट रहे हैं कि हमारा देवगन गलवान  घाटी की शहादत के खिलाफ फिल्मी पांचजन्य फूंक रहा है। पत्नी  काजोल को प्रसार भारती का सदस्य बनाने की कीमत फिल्म बनवा कर वसूलेंगे? यह बात और है कि काजोल बैठकों में गैरहाजिर रहती थीं। अजय  गुनगुनाते होंगे- हर फिक्र धुएं में उड़ाता चला गया।

 ये घर बहुत हसीन है

इधर कोरोना ने  दस्तक दी। केन्द्र सरकार ने उसी वक्त  मार्च के पहले सप्ताह में परिसीमन आयोग गठित  किया। उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई अध्यक्ष हैं।  आयोग ने संबंधित राज्यों से आंकड़े जुटा लिए।  हम चकित हैं। कोरोना निर्भया रंजना ने चार बैठकें कब, कैसे, कहां की होंगी?आयोग को दफ्तर अब जाकर नसीब हुआ है। देश के चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करने वाले आयोग का पता-ठिकाना भाड़े का है। होटल अशोक, जिसे अगरेजीदां अशोका कहकर पुकारते हैं, उसकी तीसरी मंजिल पर।  बेघर आयोग का ऐसे में काम कोई कुशल गृहिणी ही चला सकती है। रंजना देसाई ने कर दिखाया। कोरोना कहर के कारण होटल का घाटा बढ़ रहा है। पर्यटन निगम के कई होटल बिके, कुछ चतुर कारोबारियों को चलाने मिले।  संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल फिर भी खुश होंगे। किराया मिलेगा। पर्यटन-निगम की कुछ तो कमाई होगी।      

(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)


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