विचार / लेख

जहाँ-जहाँ छत्तीसगढिय़ा- तहाँ-तहाँ तीजा-तिहार
30-Aug-2025 10:07 PM
जहाँ-जहाँ छत्तीसगढिय़ा- तहाँ-तहाँ तीजा-तिहार

-अशोक तिवारी

आज हरितालिका तीज का त्योहार है जिसे छत्तीसगढ़ में तीजा तिहार के नाम से मनाया जाता है। इस त्योहार के लिए बेटी, बहन, बुआ आदि को तीजा मनाने के लिए लिवाकर मायके लाया जाता है। मेरे घर में एकदम सामने के घर में उनकी बेटी जो बैंगलोर में टेक इंडस्ट्री में इंजीनियर है हर साल अपने मायके आती है, इस बार भी आई है। और ऐसा पूरे छत्तीसगढ़ में, लगभग सभी छत्तीसगढिय़ा परिवार में होता है ।तीजा छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख त्योहारों में शामिल है, यह यहाँ की परंपरा का प्रतीक है, एक आइडेंटिटी मार्कर है।

आज मैंने छत्तीसगढ़ से बाहर देश और विदेश में रहने वाले छत्तीसगढिय़ा लोगों के बीच तीजा मनाने की परंपरा के प्रचलन के बारे में जानने की कोशिश की और इस क्रम में कई लोगों से बात भी की। और मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि मैंने जहाँ भी और जिनसे भी बात की, वे सभी तीजा मनाते हैं, एक परंपरा के निर्वहन, एक धार्मिक अनुष्ठान, और एक अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में।

असम, जहाँ डेढ़ सौ साल से भी अधिक समय से छत्तीसगढिय़ा लोग निवासरत हैं, वहाँ उनके बीच अभी भी तीजा त्योहार मनाया जाता है। महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के पहले दिन, रात के भोजन के करू भात खाने की अभी भी परंपरा है । करेले की सब्जी अनिवार्य रूप से खाई जाती है, कुछ स्थानों पर चेंच भाजी और करेला भाजी खाने का भी रिवाज है। बहन- बेटियों को लिवाकर मायके लाया जाता है। वे मायके में ही रहकर उपवास करती हैं, चौबीस घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद दूसरे दिन व्रत तोडऩे के लिए जो भोजन करती हैं उसे फरहार कहा जाता है, बिल्कुल वैसा ही जैसा छत्तीसगढ़ में होता है।

मैंने असम में अपर असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, गोलाघाट, चराइदेव और सिबसागर जिलों में निवास करने वाले प्रवासी छत्तीसगढिय़ों में से कुछ से बात की, उस सभी के बीच तीजा अभी भी वैसा ही मनाया जाता है जैसा कमोबेश छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है । जिन परिवारों में बाहरी समाजों में विवाह हुए हैं, वहाँ पर कुछ मामलों में देखा गया है कि इसका प्रचलन प्रभावित हुआ है किंतु कुछ में बाहरी समाज से आई बहुएँ भी तीजा उपवास करती हैं। लोवर असम के नगाँव और होजाई जिले में इसका प्रचलन हर परिवार में अनिवार्य रूप से दिखाई देता है।

उत्तर पूर्व के त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश में रहने वाले छत्तीसगढिय़ों के बीच भी आज तीजा मनाया जा रहा है। अरुणाचल के नामसाई जिला मुख्यालय में भी छत्तीसगढ़ी निवासरत हैं, यद्यपि वहाँ इनकी संख्या कम है फिर भी तीजा वहाँ पर न सिर्फ प्रचलित है बल्कि कुछेक मामलों में तो झारखंड मूल के परिवार से आई बहुएँ भी तीजा उपवास करती देखी गई हैं। इसी तरह से नागपुर, जमशेदपुर आदि स्थान और ओडिशा के पश्चिमी भाग के संबलपुर, झारसुगुड़ा, कालाहांडी, कोरापुट, नुआपड़ा, खरियार आदि जिलों में जहाँ काफ़ी संख्या में छत्तीसगढिय़ा लोग सैकड़ों वर्षों और अनेक पीढिय़ों से रह रहे हैं वहाँ पर भी तीजा त्योहार जोरशोर से मनाया जा रहा है, छत्तीसगढ़ के ही तरह ठेठरी, खुरमी, बिडिय़ा आदि छत्तीसगढ़ी व्यंजन के साथ ।

इन स्थानों के अतिरिक्त देश के अन्य भागों के शताधिक शहर और कस्बे जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, जम्मू, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, अहमदाबाद, प्रयाग, लखनऊ, पूना, हैदराबाद, विशाखापत्तनम आदि भी शामिल हैं, इस शहरों में रहने वाले हज़ारों छत्तीसगढिय़ा परिवारों में भी तीजा त्योहार मनाया जा रहा है।

यही नहीं समुद्रपार के देश में रहने वाले छत्तीसगढिय़ा लोगों के बीच भी परंपरागत रूप से तीजा त्योहार मनाया जा रहा है। ज्ञात इतिहास में लगभग छह-सात दशक पहले छत्तीसगढिय़ा लोगों द्वारा विदेश जाकर बसने की शुरुआत हुई। आरंभ हुआ इंग्लैंड से फिर धीरे धीरे यह विश्व के लगभग सभी महाद्वीपों तक चला गया। वर्तमान में इंग्लैंड के अतिरिक्त, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, चेक गणराज्य, लक्समबसर्ग, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, अर्जेंटीना, दुबई और अन्य खाड़ी देश, वियतनाम, थाईलैंड, जापान, चीन, अफ्रीका आदि कई दर्जन देशों में छत्तीसगढिय़ा निवास कर रहे हैं, और इन सभी के बीच भी तीजा त्योहार स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार मनाया जा रहा है। देश विदेश की इन सभी तिजहारिन बहन-बेटियों तीजा तिहार की कोटि कोटि बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।


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