विचार / लेख

साइबर ठगी से बचाव के लिए तन और मन में संयम जरूरी
27-Jun-2025 10:22 PM
साइबर ठगी से बचाव के लिए तन और मन में संयम जरूरी

-डॉ. संजय शुक्ला

बीते दिनों छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से ‘सेक्सटॉर्शन’ से जुड़ी दो बेहद चिंताजनक खबरें सामने आई जिसमें एक मामले में पीडि़त ने जहां खुदकुशी कर ली वहीं दूसरा मामला दो करोड़ की ब्लैकमेलिंग से जुड़ा है। खबरों के मुताबिक लड़कियों के एक सेक्सटॉर्शन ग्रुप ने एक युवक को अपने हनी-ट्रैप में फंसाकर वीडियो कॉल के जरिए उसका अश्लील वीडियो बना लिया था। इस ग्रुप द्वारा मृतक से वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर बार- बार पैसे मांगे गए। आखिरकार इस ब्लैकमेलिंग से तंग आकर पीडि़त ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। दूसरी खबर एक बुजुर्ग सराफा व्यवसाई से जुड़ा है जिसमें एक दंपत्ति ने उस बुजुर्ग का अश्लील वीडियो बनाकर इसे सोशल मीडिया में वाइरल करने की धमकी देकर उससे दो करोड़ रुपए ऐंठ लिए। बहरहाल साइबर धोखाधड़ी का मामला सिर्फ सेक्सटॉर्शन से ही जुड़ा नहीं है बल्कि डिजिटल अरेस्ट भी इस ठगी का अहम जरिया बना हुआ है।? भिलाई से ही जुड़े एक मामले में एक महिला से डिजिटल अरेस्ट से लगभग 55 लाख ठगने की घटना ने इंटरनेट तकनीक की दुश्वारियों को उजागर कर दिया है। इस मामले में आरोपियों ने खुद को सीबीआई अफसर बताते हुए पीडि़ता को वाट्सएप कॉल कर धमकाया कि उनके पिता के एकाउंट में मनी लांड्रिंग के जरिए दो करोड़ आए हैं और यदि आपने पैसे नहीं लौटाए तो जेल जाना होगा। इस धमकी के बाद पीडि़ता एक महीने डिजिटल अरेस्ट में रही और आरोपियों के खाते में पैसा ट्रांसफर करती रही। अलबत्ता उक्त दोनों मामलों पर गौर करें तो एकबारगी जहां इन घटनाओं के लिए साइबर ठगी के प्रति जागरूकता में कमी बड़ी वजह है तो दूसरी ओर यह सीधे तौर पर यह चारित्रिक कमजोरी से जुड़ा भी मामला है जिसमें लोग बड़ी आसानी से सेक्सटॉर्शन गिरोह के झांसे में फंस रहे हैं।

सेक्सटॉर्शन दरअसल ‘सेक्स’ और ‘एक्सटॉर्शन’ इन दोनों शब्दों से मिलकर बना है जो एक तरह का ब्लैकमेल है। इसमें साइबर अपराधी सोशल मीडिया पर किसी महिला या युवती के नाम से मित्रता के लिए संदेश भेजते हैं जिसे स्वीकार करने के बाद गिरोह लोगों से अश्लील बातें और चैटिंग कर उन्हें वीडियो कॉल के लिए उकसाते हैं। इस झांसे में आने के बाद यूजर्स द्वारा वीडियो कॉल करने पर न्यूड वीडियो दिखाई पड़ता है जिसका अपराधी विडियो बना लेते हैं। इसके बाद गिरोह के सदस्य पुलिस अधिकारी बनकर यूजर को पैसों के लिए धमकाते हैं कई बार इस अश्लील वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड करने की धमकी दी जाती है। आमतौर पर पीडि़त पक्ष अपनी बदनामी के डर से मामले को पुलिस में ले जाने के लिए हिचकता है और ठगी गिरोह के चंगुल में फंसकर लाखों लूटा बैठता है। जानकारी के मुताबिक सेक्सटॉर्शन के चक्रव्यूह में अनेक प्रभावशाली अधिकारी, व्यापारी, राजनेता, नौकरीपेशा से लेकर युवा फंस रहे हैं जो अपनी प्रतिष्ठा धूमिल होने की भय में पूंजी के साथ ही अपनी जान गंवाने के लिए विवश हो रहे हैं।

दरअसल इंटरनेट आज आम जनजीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, इस प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता के साथ ही अब इससे जुड़ी दुश्वारियां भी सामने आने लगी है।ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरता जब हमें सायबर ठगी से जुड़ी खबरें न मिलती हों। आम जनता को इस धोखाधड़ी से बचाव के लिए बैंक, पुलिस सहित तमाम एजेंसियां लगातार अपील कर रही हैं कि वे किसी भी व्यक्ति को बैंक एकाउंट नंबर, पिन, पासवर्ड, ओटीपी आदि न बताएं और न ही किसी अनजाने लिंक को क्लिक करें और न ही किसी अनजाने विडियो काल को उठाएं बावजूद लोग इस गिरोह के चंगुल में फंसकर जीवन भर की गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं। साइबर जालसाज आम लोगों को शेयर बाजार में रकम दोगुना करने, घर बैठे लाखों कमाने और मोटा इनाम का सपना दिखाकर उनसे लाखों करोड़ों रुपए ठग रहे हैं। यह कहना गैर लाजिमी नहीं होगा कि इन दिनों चोरी, डकैती, ठगी, लूट और राहजनी के मामलों में गिरावट देखी जा रही है बल्कि इसकी जगह जालसाजों ने लूट नया तरीका डिजिटल धोखाधड़ी को ढूंढ लिया है। आश्चर्यजनक तौर पर साइबर फ्रॉड का शिकार केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग ही नहीं हो रहे हैं बल्कि डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, उच्च शिक्षित प्रोफेसर, सैन्य व आला प्रशासनिक अधिकारी भी हो रहे हैं।

सायबर अपराध के शोध के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय टीम के मुताबिक भारत सायबर अपराध के मामलों में दसवें स्थान पर है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार 2023-24 में कार्ड और इंटरनेट से हुए धोखाधड़ी के कुल 29082 मामले सामने आए हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अनुसार इस साल जनवरी से मई के बीच कुल 1,203 करोड़ रुपए के डिजिटल धोखाधड़ी के 4,599 मामले दर्ज किए गए मतलब औसतन रोज 7000 से ज्यादा ठगी के शिकायतें दर्ज हुई। अनुमान के मुताबिक बीते चार महिनों में तकरीबन 400 करोड़ रुपए की डिजिटल फ्रॉड हुआ है। इस प्रकार के धोखाधड़ी  के मामलों पर गौर करें तो इसके पीछे व्यक्ति का लालच,भय और अज्ञानता जैसे कारण ही मुख्य रूप से जवाबदेह हैं। संसद में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में पांच राज्यों उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में दर्ज हुए हैं जिसमें उत्तरप्रदेश अव्वल है। साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों के मुताबिक सायबर धोखाधड़ी में एक गिरोह काम करता है जिसका संचालन देश के विभिन्न राज्यों सहित दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख शहरों से हो रहा है। भारत में झारखंड का जामताड़ा शहर इस ठगी के मामले में सबसे ज्यादा बदनाम था लेकिन अब देवधर, दिल्ली,उत्तरप्रदेश का आजमगढ़, मथुरा, बिहार का गोपालगंज, हरियाणा का मेवात, भिवानी और नूह, गुजरात का अहमदाबाद और सूरत, राजस्थान का भरतपुर, पश्चिम बंगाल का दुर्गापुर और आसनसोल तथा आंध्रप्रदेश का चित्तूर ठगी के लिए कुख्यात हो चुका है। आश्चर्यजनक तौर पर इस अंतर्राज्यीय गिरोह के तार दुबई सहित चीन, श्रीलंका, नेपाल, कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे देशों से जुड़े हैं।

बहरहाल भारत में मुख्य रूप से आम लोग हैकिंग, सेक्सटॉर्शन, फेक सोशल मिडिया एकाउंट और फेक वाट्सएप कॉल, फेक ट्रेडिंग एप्स, लोन, गेमिंग, मनी लांड्रिंग, डेटिंग और मैट्रिमोनियल एप्स, क्रिप्टो, पेटीएम और यूपीए पासवर्ड या पिन, मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी के जरिए साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। बहरहाल सेक्सटॉर्शन जैसे ठगी से सावधानी और संयम के जरिए बचा जा सकता है। यूजर्स को किसी भी महिला या युवती के फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार करने से पहले ठीक तरह से तस्दीक करना चाहिए। सोशल मीडिया में यदि कोई यूजर आपको अश्लील संदेश या वीडियो भेजता है तब इसकी तुरंत शिकायत साइबर सेल में करना चाहिए ताकि अपराधियों पर अंकुश लगे।

इन दिनों सोशल मीडिया पर फेक आईडी बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने और इसके स्वीकार करने के बाद यूजर को किसी गंभीर आकस्मिक जरूरत बता कर ऑनलाइन पैसा मांगने जैसी घटनाएं भी काफी देखने में आ रही है जिसके झांसे में  लोग आ रहे हैं जबकि ऐसे मामले में संबंधित से सीधे बातचीत कर ठगी से बचा जा सकता है। आजकल क्राइम ब्रांच या सीबीआई के पुलिस अधिकारी के नाम से यूजर्स के पास ऐसे वीडियो या वाट्सएप कॉल आ रहे हैं जिसमें डीपी में किसी वर्दीधारी पुलिस की फोटो लगी होती है जो संबंधित को यह बताता है कि आपका बेटा या बेटी ड्रग्स या किसी अन्य आपराधिक मामले में पकड़ा गया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है यदि इस एकाउंट में पैसा भेज दें तो मामला रफा-दफा हो जाएगा और बच्चे को छोड़ देंगे। यूजर्स के पास इस प्रकार के मोबाइल फोन उनके किसी परिजन के गंभीर रूप से दुर्घटना होने और उसे अस्पताल में भर्ती करने के लिए पैसों की मांग के संबंध में की जाती है। गिरोह के सदस्य एआई के जरिए उस परिजन के आवाज को क्लोनिंग कर उस यूजर को सुनाते हैं जिससे पीडि़त व्यक्ति आश्वस्त हो जाता है कि गिरफ्तार या दुर्घटनाग्रस्त बच्चा उसी का है और हड़बड़ाहट में वह गिरोह को हजारों रुपए ट्रांसफर कर देता है। जबकि थोड़ी सी सावधानी से इस प्रकार के ठगी से बचा जा सकता है। डिजिटल धोखाधड़ी के क?ई मामलों में जालसाजों ने अपने आपको नारकोटिक्स,कस्टम अफसर या ईडी अफसर बताकर यूजर्स उसके नाम पर को ड्रग्स का पार्सल जब्त करने या बेनामी संपत्ति के नाम पर धमकाया और मोटा रकम ऐंठ लिया।

भारत में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के परिप्रेक्ष्य में विचारणीय है कि देश की बड़ी आबादी डिजिटल तकनीक के लिहाज से लगभग निरक्षर है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि ‘एआई’ अब ऐसे खतरों को और भी बढ़ा रहा है। इसमें दोराय नहीं कि साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामले सरकार और समाज के लिए लगातार चुनौती बन रहा है लेकिन इसके पीछे मुख्य रूप से लालच, भय और अज्ञानता जैसे मनोवृत्तियां ही जिम्मेदार हैं। सेक्सटॉर्शन, शेयर ट्रेडिंग और लॉटरी जैसे साइबर फ्रॉड के मामले में लोग तन और धन के भूख का शिकार हो रहे हैं वहीं सीबीआई या पुलिस अधिकारी के नाम पर फर्जी व्हाट्स एप कॉल पर धोखा खाने वाले भय और 

अज्ञानता की वजह से पैसा गंवा रहे हैं। बहरहाल देश में साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखें तो यह  ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी’ जैसा वाकया है लिहाजा इस प्रकार के धोखाधड़ी को केवल आत्म नियंत्रण, चारित्रिक शुचिता, डिजिटल जागरूकता और सतर्कता से ही रोका जा सकता है। इस प्रकार के ठगी से बचने के लिए अनजान नंबरों से आने वाले वीडियो कॉल्स जिससे धोखाधड़ी का अंदेशा हो उसे तुरंत ब्लॉक कर देना चाहिए। इसके अलावा अपने एटीएम कार्ड के पिन, मोबाइल फोन सहित अन्य डिजिटल गैजेट्स के पासवर्ड कभी भी किसी को शेयर नहीं करना चाहिए।धोखाधड़ी के शिकार होने पर तुरंत संबंधित बैंक और साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 से संपर्क करें ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सके। दूसरी ओर देश में साइबर अपराध के लिए हेल्पलाइन नंबर तथा वेबसाइट में शिकायत दर्ज कराने सहित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 एवं संशोधन 2008 के अलावा भारतीय दंड संहिता 1860 के विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रावधान है लेकिन इंटरनेट के जरिए होने वाले खतरे असीमित हैं लिहाजा सरकार को ऐसा सख्त कानून बनाना चाहिए जो लोगों को सुरक्षा और आर्थिक सहूलियत के साथ ही साइबर अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करे।


अन्य पोस्ट