विचार / लेख
-इमरान कुरैशी
एक बस कंडक्टर और छात्र-छात्रा के बीच कन्नड़ और मराठी भाषा को लेकर हुए झगड़े ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बस सर्विस को फिर बाधित कर दिया है।
इससे कर्नाटक के सीमावर्ती बेलगावी और महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के बीच बस यात्रा करने वाले सैकड़ों यात्रियों को मुश्किलें आ रही हैं।
लेकिन लोगों को इस बात ने चौंकाया कि दोनों राज्यों के बीच 58 साल से पुराने इस सीमा विवाद में एक किशोर छात्र और छात्रा क्यों शामिल हुई।
इस विवाद में 51 वर्षीय बस कंडक्टर महादेवप्पा हुक्केरी पर हमला भी हुआ और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
यहां तक कि मुक़दमा दर्ज कराने की कहानी में भी ट्विस्ट है। सबसे पहले कंडक्टर ने पुलिस में शिकायत की। कंडक्टर ने कहा कि उन्हें पीटा गया।
उन्होंने शुक्रवार को शाम साढ़े पांच बजे अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद उसी रात एक बजे छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई।
किशोरी छात्रा ने कंडक्टर के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा है का उनका ‘व्यवहार सही’ नहीं था। कंडक्टर केल खिलाफ पोक्सो के तहत शिकायत की गई है।
कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बीबीसी हिंदी से कहा, ''पहली नजऱ में तो ये शिकायत अजीब लगती है क्योंकि बस में काफी पैसेंजर थे। हालांकि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। कर्नाटक के परिवहन मंत्री ने अस्पताल पहुंचकर कंडक्टर का हालचाल लिया था।’
आखिर हुआ क्या था?
ये घटना बेलगावी ग्रामीण तालुक में सामरा एयरपोर्ट जाने वाली सडक़ पर हुई। कंडक्टर ने बस में सफर कर रही लडक़ी को 'जीरो' टिकट दिया था। जीरो टिकट का मतलब फ्ऱी टिकट। क्योंकि कर्नाटक में सरकारी बसों में महिलाएं मुफ़्त में यात्रा कर सकती हैं।
कहा जा रहा है कि इस छात्रा के साथ सफर कर रहे किशोर ने कंडक्टर को टिकट दिखा कर बताया कि उसने टिकट ले लिया है।
लेकिन बताया जा रहा है कि कंडक्टर ने उससे कहा कि ‘जीरो’ टिकट सिर्फ लड़कियों या महिलाओं के लिए है।
कंडक्टर ने लडक़े से कहा कि उसे टिकट लेना पड़ेगा। कंडक्टर सिर्फ कन्नड़ में बोल सकते थे। जबकि लडक़े और लडक़ी ने सिर्फ मराठी में बात की।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कंडक्टर और दोनों यात्रियों के बीच इस बात को लेकर बहस हुई।
कंडक्टर ने दोनों से कन्नड़ में बोलने को कहा। जबकि उन यात्रियों ने कंडक्टर से कहा कि वो मराठी में बोलें। हो सकता है कि इस विवाद में ड्राइवर में भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया हो।
लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने अधिकारियों को आश्चर्य में डाल दिया। छात्र-छात्रा पर आरोप लगाया है इस झगड़े के दौरान उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को फोन कर अगले बस स्टैंड में बुला लिया।
इसके बाद चिक्का बालेकुंदरी गांव के पास अगले बस स्टैंड में लोगों के एक समूह बस में घुस आया और कंडक्टर की पिटाई कर दी।
इन लोगों ने कहा कि कंडक्टर ज़बरदस्ती कन्नड़ में बात करने को कह रहा था। ख़बरों के मुताबिक कंडक्टर पर हमला करने वाले 14 लोग थे। इनमें से सिफऱ् पांच लोगों की गिरफ्तारी हो पाई है।
‘जय महाराष्ट्र’ बनाम जय ‘कर्नाटक’
आंखों में आंसू लिए कंडक्टर ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उन्होंने लडक़ी से क्या ‘अनुचित’ व्यवहार किया है।
उनके घर में भी उसी उम्र की लडक़ी है। जब कर्नाटक के रामालिंगा रेड्डी अस्पताल पहुंचे तो कंडक्टर अपने आंसू रोक नहीं पाए।
कर्नाटक की महिला और बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने इस मामले के कथित दोषियों की गिरफ़्तारी का आरोप सीधे तौर पर सर्किल इंस्पेक्टर पर मढ़ा। मंत्री रेड्डी उनके इस नज़रिये से सहमत थे।
इस घटना के बाद दोनों राज्यों की बसों को उनकी सीमाओं पर ही रोक दिया जा रहा है। इन पर नारे लिखे गए हैं, जिनमें कहा गया है कि अपने राज्य का समर्थन करें।
महाराष्ट्र के ड्राइवरों को जय महाराष्ट्र और कर्नाटक के ड्राइवरों पर जय कर्नाटक का नारा लगाने का दबाव डाला जा रहा है। एक तरफ शिवसेना और महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ता हैं तो दूसरी ओर कन्नड़ रक्षणा वेदिके के कार्यकर्ता सक्रिय हैं
सीमा विवाद क्यों भडक़ उठता है?
पिछले छह दशक के दौरान दोनों राज्यों के बीच कई बार सीमा विवाद भडक़ चुका है।
इसे लेकर दोनों ही राज्यों में विरोध-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाया गया है। विवाद के केंद्र में बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगड़ और करवार ( उत्तरी कन्नड़ जिला) जैसे सीमाई तालुक हैं।
महाराष्ट्र का दावा है चूंकि ये सभी तालुक मराठी भाषी इलाकों में पड़ते हैं इसलिए उन पर उसका हक है।
जबकि कर्नाटक का कहना है कि वो इस मामले में भारत के पूर्व चीफ जस्टिस मेहरचंद महाजन कमिटी की रिपोर्ट की सिफारिशें मानेगा।
मेहरचंद महाजन ने जम्मू-कश्मीर के भारत के विलय में अहम भूमिका निभाई थी।
कर्नाटक की सीमाएं महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल से मिलती हैं। इन सभी सीमाई इलाकों में लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं और वर्षों से शांतिपूर्वक रहते आए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर हरीश रामास्वामी ने बीबीसी हिंदी से कहा, ‘दरअसल इस मामले का संबंध राजनीतिक से ज्यादा आर्थिक कारणों से है। महाराष्ट्र इस मुद्दे को सुलगाए रखना चाहता है क्योंकि बेलगावी समृद्ध और सांस्कृतिक तौर पर महत्वपूर्ण शहर है। यहां काफी निवेश आता है। इस मामले पर कभी फैसला हुआ तो महाराष्ट्र को फ़ायदा हो सकता है।’
महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है ये ‘भाषाई पहचान’ का सवाल है।
महाराष्ट्र एकीकरण समिति और कर्नाटक रक्षणा वेदी दोनों इन इलाकों पर अपना-अपना दावा करते हैं।
महाराष्ट्र एकीकरण समिति के लोगों का दावा है कि इस इलाके में मराठी बोलने वाले लोग ज्यादा है। वहीं कर्नाटक के लोगों को कहना है कि कन्नड़ भाषी लोग ज्यादा हैं।
महाराष्ट्र एकीकरण समति के महासचिव मालोजीराव आश्तेकर ने बीबीसी हिंदी से कहा, ‘सरकारी दफ्तरों में सभी फॉर्म कन्नड़ में भरे जाते हैं। यहां बोर्डों पर सारी सूचनाएं कन्नड़ में लिखी होती हैं।’
कन्नड़ रक्षणा वेदिके के दीपक गुडानट्टी ने बीबीसी हिंदी से कहा, ‘त्योहारों को मौकों पर कन्नड़ भाषा में गाना बजाने पर यहां लोगों को पीटा जाता है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला प्रशासनों ने यहां मराठी में फॉर्म उपलब्ध करवाने की बात मान ली है। उन्होंने भाषाई अल्पसंख्यक आयोग को इसका आश्वासन दे दिया है।’
हालांकि जिला प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने बीबीसी हिंदी से कहा, ‘वैधानिक और संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक हम अंग्रेजी या कन्नड़ में लिख पाने में असमर्थ लोगों से मराठी और उर्दू दोनों में शिकायतें लेने को राजी हो गए हैं। भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के अन्य सभी सुझावों पर हमने कानूनी राय मांगी है।’ ((bbc.com/hindi)