सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 27 दिसंबर। इतिहास पर मुगलों को लेकर पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया ने कहा कि मुगल शासन को लेकर दिए जा रहे तथ्यहीन, भ्रामक और तुष्टिकरण से प्रेरित बयानों की भारतीय जनता पार्टी कड़े शब्दों में भत्र्सना करती है। यह दावा कि मुगल काल में हिंदुओं पर किसी प्रकार का अत्याचार नहीं हुआ, यह कहना भारत की सभ्यता, आस्था और असंख्य बलिदानों का खुला अपमान है। भारत में अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए मुगलों ने कई तरह के हथकंडे अपनाए, तत्कालीन हिन्दुस्तानियों का मनोबल तोडऩे का पूरा प्रयास किया, और अब कांग्रेसी भ्रम पैदा करके मनोबल पर आघात करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि इतिहास के प्रामाणिक स्रोत मुगलकालीन फारसी ग्रंथ मासिर-ए-आलमगिरी, बाबरनामा, मुंतखब-उत-तवारीख, तथा आर.सी. मजूमदार और जदुनाथ सरकार जैसे प्रतिष्ठित इतिहासकारों के शोध स्पष्ट करते हैं कि औरंगज़ेब के शासनकाल में 1679 में हिंदुओं पर जजिय़ा कर लगाया गया, काशी विश्वनाथ और मथुरा के केशवदेव सहित अनेक प्राचीन मंदिरों का ध्वंस हुआ, हिंदू धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाए गए और जबरन धर्मांतरण की घटनाएँ दर्ज हैं।
श्री सिसोदिया ने कहा कि वीर बाल दिवस के पावन अवसर पर इस प्रकार के बयान देना गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहेबज़ादों तथा गुरु तेग बहादुर जी के सर्वोच्च बलिदान का घोर अपमान है, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
आज भी कश्मीर, पश्चिम बंगाल सहित कई क्षेत्रों में उभरती कटु वास्तविकताएँ इस बात की चेतावनी देती हैं कि इतिहास से सबक न लेने की कीमत समाज को बार-बार चुकानी पड़ती है।
आगे उन्होंने बताया एनसीईआरटी की नई इतिहास पुस्तकों (विशेषकर कक्षा 8), विद्वान कोएनराड एल्स्ट के शोध, हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब, सिख इतिहास और मराठा इतिहास की प्रामाणिक पुस्तकों में इन तथ्यों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। इसके बावजूद कांग्रेस और उसके नेता, जो अतीत में भगवान श्रीराम, रामसेतु के अस्तित्व को नकारते रहे हैं और लगातार आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करते आए हैं, आज मुगलों को हिंदुओं का संरक्षक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं। यह उनके दोहरे चरित्र और तुष्टिकरण की राजनीति को उजागर करता है।
भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट करती है कि इतिहास को न तो वोट-बैंक की राजनीति के लिए तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है और न ही झूठे आख्यानों से सत्य को दबाया जा सकता है। साथ हीं देशवासियों से विशेष अपील है कि वे प्रमाणित ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर ही मत बनाएं और राष्ट्र की स्मृति, आत्मसम्मान एवं एकता को कमजोर करने वाले हर प्रयास को सिरे से खारिज करें।


