सरगुजा

मैनपाट में पहाड़ी कोरवा बच्चों का आश्रम प्रवेश
26-Sep-2025 10:42 PM
मैनपाट में पहाड़ी कोरवा बच्चों का आश्रम प्रवेश

दुर्गम बस्तियों में दो दिन तक सर्वे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 26 सितंबर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा परिवारों के छह बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का सराहनीय प्रयास किया गया है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की पहल पर इन बच्चों को आश्रम विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया।

दो दिन पहले कोरवापारा भ्रमण के दौरान कलेक्टर विलास भोसकर संदीपन को कुछ बच्चे स्कूल से बाहर घूमते मिले। कलेक्टर ने अपनी गाड़ी रोककर बच्चों के साथ बातचीत की , उन्हें चाकलेट - बिस्कुट बांटा। जिस दौरान  पता चला कि ये बच्चे अभी तक किसी भी विद्यालय में प्रवेशित नहीं हैं। कलेक्टर ने तुरंत संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश झा को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।

डीईओ डॉ. दिनेश कुमार झा के निर्देशन में संकुल समन्वयक और शिक्षकों की एक टीम बनाई गई। टीम ने लगातार दो दिनों तक दुर्गम पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए विभिन्न कोरवा बसाहटों का सर्वे किया।

इस दौरान सारुजोबा, घोराघाट, जाम पहाड़, कोरवापारा और भोसड़ी बोदार जैसे गांवों व टोला-टपरी तक पहुंचकर बच्चों की जानकारी जुटाई गई।

सर्वे के दौरान रजखेता पंचायत अंतर्गत जाम पहाड़ क्षेत्र के नौ अप्रवेशी बच्चों को चिन्हांकित किया गया। इनमें राखी पिता शिवकुमार, कुमारी पिता मोहन, सुमारी पिता मंगलसाय, रवीना पिता मोहन, सुमंती पिता मंगलसाय, ज्ञान पिता मंगलसाय, सुखनी पिता मंगलू वनवासी, जीवंती पिता ठुना, अमिता पिता मधुबन हैं।

6 बच्चियों को पहाड़ी कोरवा आश्रम बरिमा ,2 बच्चियों को प्रा शा कोरवापारा व 1 छात्र को पहाड़ी कोरवा आश्रम रजखेता  में दाखिला दिलाया गया है। अब ये बच्चे न केवल पढ़ाई करेंगे, बल्कि आश्रम में रहने-खाने व अन्य मूलभूत सुविधाएं भी प्राप्त करेंगे।

परिवारों को मनाना आसान नहीं था

पहाड़ी कोरवा परिवार अपने बच्चों को आश्रम भेजने को लेकर पहले झिझक रहे थे। कारण साफ था —बस्तियां दूर-दूर और जंगलों में बसी हैं। यह क्षेत्र हाथी प्रभावित इलाका है, जिसके चलते परिवार अक्सर अपनी बसाहट बदलते रहते हैं। बच्चों को घर से दूर भेजने को लेकर भी परिवारों की चिंता बनी रहती थी।

शिक्षकों ने धैर्यपूर्वक परिवारों को समझाया कि शिक्षा से बच्चों का जीवन बदल सकता है। उन्हें उदाहरण देकर बताया गया कि उनके ही समाज के कई लोग पढ़ाई करके नौकरी कर रहे हैं और आज सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं।


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