सरगुजा
भाजपा के बाद कांग्रेस जांच दल ने किया अवलोकन, कहा ब्लास्टिंग से चारों तरफ बड़ी-बड़ी दरार, कभी भी हो सकता है गंभीर हादसा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 17 सितंबर। रामगढ़ पर्वत को लेकर बुधवार को सरगुजा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सफी अहमद और राकेश गुप्ता ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि रामगढ़ सम्पूर्ण सरगुजा क्षेत्र के लिये धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। इस क्षेत्र में संचालित परसा ईस्ट केंते बासेन कोल माईंस में हो रहे ब्लास्टिंग के कारण इस पहाड पर दरारें पड रही हैं। अब पर्वत के करीब एक और कोल माईंस खोलने को लेकर वन विभाग के द्वारा तथ्यों को छुपाते हुए अनापत्ती प्रमाण जारी कर नई कोल माईंस का रास्ता साफ कर दिया है। इस माईस जिसे केंते एक्सटेंसन माईन या 12 नंबर खदान कहा जाता है के खुलने से रामगढ़ पर्वत के अस्तित्व पर गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। हमारी जांच का उद्देश्य किसी भी प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप में उलझने के बजाय स्थितियों को स्पष्ट करते हुए प्रभु राम के वनवास काल से जुडे धार्मिक आस्था के केन्द्र रामगढ पर्वत को बचाने का है जिसपर कॉरपोरेट लालच के कारण गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
जांच में प्राप्त तथ्यों को स्पष्ट करने के पूर्व सम्पूर्ण हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक की स्थिति और उनके उत्खनन को लेकर एक टाईम लाईन का विवरण देना चाहेंगे। सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र में कुल मिलाकर 23 कोल ब्लॉक की पहचान हुई है जो कि इस अरण्य क्षेत्र के तीनो जिले सरगुजा, कोरबा एवं सूरजपुर में विस्तारित हैं। इस वन क्षेत्र के महत्व को समझते हुए 2009 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसे नो गो(खनन अयोग्य) एरिया घोषित किया था। 28 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने केन्द्र सरकार से इस क्षेत्र में मौजूदा परसा इंस्ट केते बासेन खदान के उत्खनन हेतु विशेष आग्रह किया। छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार के इस विशेष आग्रह को मानते हुए यूपीए सरकार ने 23 जून 2011 को इस शर्त के साथ खदान खोलने की अनुमति दी कि भविष्य में इस क्षेत्र में अन्य किसी कोल ब्लॉक में खदान खोलने की अनुमति न तो मांगी जायेगी ना ही दी जायेगी।
24 मार्च 2014 को केन्द्रीय ग्रीन ट्रीब्यूनल ने 23 जून 2011 के खदान खोलने के आदेश को रद्द करते हुए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को वाइल्डलाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और आई सी एफ आर ई देहरादूर के माध्यम से खदान क्षेत्र का जैव विविधता मूल्यांकन अध्ययन कराने को कहा गया था। वर्ष 2014 में ही केन्द्र की सत्ता में परिवर्तन हुए और भाजपा ने अपनी सरकार बनाई।
केन्द्रीय ग्रीन ट्राईब्यूनल के निर्देश के बावजूद इस सरकार ने 2014 से 2019 के मध्य जैव विविधता का मूल्यांकन नहीं कराया। बल्कि इस क्षेत्र में 3 अन्य खदानो की अनुमति केन्द्र की भाजपा सरकार ने दे दी, जिसमें से एक खदान केंते एक्सटेंसन भी है जिससे रामगढ पर्वत को भारी खतरा है। 29.01.2019 को छत्तीसगढ की कांग्रेस सरकार ने उपरोक्त संस्थाओं से खदान क्षेत्र का जैव विविधता मूल्यांकन अध्ययन प्रारंभ कराया। 8.10.2021 को अपनी रिपोर्ट में वाइल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पूर्व संचालित खदान परसा ईस्ट केंते बासेन के साथ प्रस्तावित सभी खदानो को नो-गो(खनन विहिन) क्षेत्र के रुप में रखा जाये और कोई भी नई खदान नहीं खोली जाये। इसके बावजूद 2 फरवरी 2022 को केन्द्र सरकार ने परसा ईस्ट केंते बासेन खदान के दूसरे फेस के विस्तार के लिये पेड कटाई की अनुमति दे दी, जिसके विरोध में 6 जून 2022 को पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ग्रामीणों के आन्दोलन को समर्थन दिये एवं आन्दोलन में शामिल हुए। उनके प्रयासों से 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ विधानसभा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें इस क्षेत्र में सभी खदानो का आबंटन रद्द करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव पर भाजपा जांच दल के सदस्य एवं तत्कालीन विधायक शिवरतन शर्मा के भी हस्ताक्षर हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के रहते उनके प्रयासों के फलस्वरुप उनके पूरे कार्यकाल में इस क्षेत्र में एक भी पेड की कटाई नहीं हुई। किंतु 2023 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के शपथ पूर्व इस क्षेत्र में वनो की कटाई प्रारंभ हो गई।

नई स्थिति तब बनी जब 26 जून 2025 का वन विभाग का स्थल निरिक्षण रिपोर्ट सामने आया, जो केंते एक्सटेंसन खदान के अनापत्ती के लिये था। इस रिपोर्ट में यह तथ्य छुपाया गया कि प्रस्तावित खदान के 10 किमी की परीधी के अंदर रामगढ पर्वत पर स्थापित राममंदिर है। नियमानुसार 10 कि0मी0 की परिधी के अंदर धार्मिक स्थल की मौजूदगी होने पर अनापत्ती जारी नहीं किया जा सकता है। पूर्व उपमुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के पश्चात उन्होंने इस बात की जानकारी सार्वजनिक की साथ ही वहां का दौरा भी किया। इसके उपरांत उन्होंने अपने प्रेसवार्ता के माध्यम से वन विभाग के द्वारा जारी स्थल रिपोर्ट की कमियों को उजागर करने के साथ ही साथ रामगढ पर्वत पर कोल खनन के फलस्वरुप उत्पन्न कमियों को भी सार्वजनिक किया। उन्होंने अपनी पहल को पूरी तरह गैर राजनैतिक मंच से उठाया। उनके द्वारा इन तथ्यों को संज्ञान में लाने के बाद भाजपा की राज्य ईकाई ने पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा,विधायक रेणुका सिंह एवं प्रदेश महामंत्री अखिलेश सोनी के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया। जांच दल के गठन के पत्र पूरी भाषा ही आपत्तीजनक थी। जांच के पूर्व ही इस पत्र में यह लिखा गया था कि राजनैतिक दलों के द्वारा रामगढ़ पर्वत को लेकर अनेकों प्रकार के भ्रम फैलाया जा रहा था। इस भाषा से जांच की मंशा स्पष्ट होती थी।रामगढ़ पर्वत की प्रत्यक्ष उपलब्ध स्थितियों के विपरीत इस जांच दल ने मीडिया को दिये वक्तव्य में यह कहा गया कि कोल उत्खनन से रामगढ पर्वत को कोई खतरा नहीं है और इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री टी0एस0 सिंहदेव की गैर राजनितिक पहल को उन्होंने राजनीति करार दिया। ऐसी स्थिति में कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक के नेतृत्व में एक जांच दल का गठन किया गया जिसने 16 सितंबर को रामगढ पर्वत जाकर इसकी जांच की।
जांच दल ने मौके पर जाकर पर्वत में पड़ रही दरारों का अवलोकन किया। रामगढ पर्वत पर स्थित प्राचीन राममंदिर के बैगा सहित स्थानीय लोगों से बातचीत की। रामगढ पर्वत के साथ की इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र के जानकार विशेषज्ञों से चर्चा की। इससे यह जानकारी निकलकर सामने आयी कि पर्वत की चोटी पर जाने वाले सीढी मार्ग के रास्तों में खडी चट्टानो में व्यापक रुप से दरार उत्पन्न हो गई है। मौजूदा परसा केते ईस्ट बासेन खदान जिसका विस्तार वर्तमान में इस पर्वत से विपरीत दिशा में किया जा रहा है में कोल उत्खनन के दौरान होने वाले ब्लॉस्टिंग में पूरा पर्वत कांपने लगता है। मंदिर के बैगा चंदन सिंह ने बतलाया कि दोपहर में होने वाले ब्लॉस्टिंग के दौरान पर्वत में इतना अधिक कंपन होता है ,कि पर्वत पर मौजूद लोग भयक्रांत हो जाते हैं। खदान खुलने के बाद से ही पर्वत में दरारे पडनी प्रारंभ हो गई हैं। पर्वत पर चढने वाली सीढी में लाल माटी और सिंहद्वार के पास चट्टानो में दरारे विशेष रुप से चौडी होती जा रही हैं। इस स्थान पर भविष्य में लैंडस्लाईट की संभावना है, जिससे पर्वत के उपर पवित्र राम मंदिर तक जाने का मार्ग पूरी तरह से बंद हो जायेगा। जांच दल ने पर्वत के शिखर के चारो ओर की चट्टानो में दरार को पाया है। अपनी जांच में जांचदल ने यह भी पाया है कि रामगढ पर्वत जिस स्थान से प्रारंभ हो रहा है उससे प्रस्तावित केंते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक(12 नंबर खदान) 8.6 किमी की दूरी पर है।
प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा कि रामगढ़ पर्वत पर दृष्टिगोचर हो रहे खतरे के बावजूद भाजपा के जांच दल के द्वारा खदानो को क्लीनचिट देने के कारण इस जांच की आवश्यकता पडी है। उन्होंने कहा कि पर्वत पर स्थित प्राचीन राममंदिर हम सभी की आस्था का प्रतीक है। रामगढ़ पर्वत जाकर स्थितियों को देखने के बाद मैं आशंकित हूॅं कि जब न खदान के ब्लॉस्ट में मंदिर जाने का मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाये और मंदिर पहॅुंचना नामुमकिन हो जाये। उन्होंने अपील की है कि राजनीति को छोडते हुए सभी राजनीतिक दल, सामाजिक और नागरिक संगठन रामगढ पर्वत को बचाने के लिये आगे आयें और खदान नंबर 12 को खुलने से रोके अन्यथा रामगढ़ पर्वत जो पुराने खदान की वजह से अभी तक क्षतिग्रस्त ही हुआ है, नया खदान खुलने पर पूरी तरह ध्वस्त हो जायेगा।
वार्ता के दौरान नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने कहा कि जांच दल के सदस्य अखिलेश सोनी ने यह हवाला दिया कि कांग्रेस शासनकाल में ही नई खदान के लिये वर्ष 2020 में कलेक्टर सरगुजा के द्वारा अनापत्ती जारी किया गया, जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि अखिलेश सोनी ऐसा कहकर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। कलेक्टर सरगुजा के द्वारा खदान के पक्ष में कोई भी अनापत्ती प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया। जो पत्र जारी किया गया वो खदान नंबर 12 से सीताबेंगरा गुफा की दूरी के विषय में था, न कि खदान के लिये अनापत्ती प्रमाणपत्र था।
उन्होंने कहा कि अखिलेश सोनी ने अपने बयान में यह क्यों नहीं बताया कि पेड कटाई के विरुद्ध पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के खड़े हो जाने के बाद इस क्षेत्र में पेड तो दूर 1 डंगाल तक नहीं कटी। अखिलेश सोनी ने यह भी नहीं बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर इस क्षेत्र में खदान आबंटन को रद्द करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया। उस प्रस्ताव पर तबके विधायक शिवरतन शर्मा के भी हस्ताक्षर हैं जो भाजपा जांचदल के सदस्य हैं, और पता नहीं किस विशेष प्रभाव में खदान के पक्ष में रामगढ पर्वत को हो रहे नुकसान को नजरअंदाज कर रहे हैं। अम्बिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल के इस बयान पर कि खदान रामगढ पर्वत के विपरीत दिशा में जा रह है प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि संभवत: विधायक महोदय को वस्तुस्थिति की जानकारी ही नहीं है। विधायक महोदय मौजूदा खदान को लेकर बात कर रहे हैं, जिससे रामगढ पर्वत को आलरेडी क्षति हो चुकी है, लेकिन खतरा नये खुलने वाले केंते एक्सटेशन 12 नंबर खदान से है।
पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि हम विरोध के लिये राजनीति या आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना चाहते। हमारा उद्देश्य इस क्षेत्र की धार्मिक आस्था के प्रतीक रामगढ पर्वत और उसपर मौजूद प्रचीन राममंदिर को बचाने को लेकर है। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई 2023 को सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने कहा कि वर्तमान में संचालित परसा ईस्ट केंते बासेन खदान में इतना कोयला है कि आगामी 20 वर्षों तक इस खदान की पेरेंट कंपनी राजस्थान राज्य विद्युत निगम के पावर प्लांट को आपूर्ती होती रहेगी। इसके बावजूद किस कॉरपोरेट दबाव में सरकार नया खदान खोलकर सरगुजा के धार्मिक आस्था के प्रतीक और सांस्कृतिक धरोहर रामगढ पर्वत के अस्तित्व को मिटाना चाहती है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि सरकार इस क्षेत्र में केंते एक्सटेंशन खदान को खोलने से रोके।


