सरगुजा
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कोल माइंस में ब्लास्टिंग से आस्था का केंद्र रामगढ़ पहाड़ के अस्तित्व पर मंडरा रहा गहरा संकट
‘छत्तीसगढ़’ ने साल भर पहले पहाड़ी में आ रही दरार को लेकर किया था सचेत, अब जागे जनप्रतिनिधि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,24 अगस्त। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड क्षेत्र में संचालित परसा केते एक्सटेंशन कोल माइंस में ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ी में आ रही दरार और अब लैंड स्लाइडिंग की घटना और रामगढ़ पहाड़ी के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के बादल को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंह देव ने रविवार को अंबिकापुर नगर के कोठी घर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरगुजा की पहचान रामगढ़ पहाड़ी है, 10 हजार साल पहले का यह पहाड़ सरगुजा के लोगों के आस्था का केंद्र है और सनातन धर्म का साक्षी है, इन स्थलों की रक्षा होनी चाहिए। इसकी रक्षा हेतु प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। कोयला खदान में हो रहे ब्लास्टिंग से पहाड़ में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही है, ब्लास्टिंग से जो कंपन हो रहा है उसे स्थानीय लोग बार-बार महसूस कर रहे हैं। थोड़ा भी दरार और बढ़ता है तो रामगढ़ पहाड़ के ऊपर जाने का रास्ता बंद हो जाएगा, वहीं रामगढ़ पहाड़ के नीचे जो बस्ती है,उस पर पहाड़ का बड़ा हिस्सा गिरने की संभावना है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने कहा कि आस्था के केंद्र पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं स्थिति बहुत चिंता जनक है। गलत तरीके से प्रशासन द्वारा अपनी रिपोर्ट में रामगढ़ पहाड़ी से लेकर कोल माइंस की दूरी को बताया गया है, ऐसा नहीं होना चाहिए था।
श्री सिंहदेव ने कहा कि अगर रामगढ़ पहाड़ी से कोल माइंस की दूरी 10 किलोमीटर के बाहर आता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं। इसकी जांच हो हमें और स्थानीय लोगों को साथ ले जाकर इसकी नाप जोख कराएं।

श्री सिंह देव ने कहा कि 20 दिसंबर 2020 को तत्कालीन कलेक्टर ने कोल माइंस के लिए जो एनओसी जारी किया है उसमें रामगढ़ पहाड़ में सीता बेंगरा से कोल माइंस की दूरी 11 किलोमीटर बताई गई है, जबकि 20 मार्च 2024 का जो सर्व है उसके हिसाब से केते एक्सटेंशन का कोना नंबर 3 से सेटेलाइट में इसकी दूरी 10.3 किलोमीटर बता रहा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने कहा -रामगढ़ में जहां रामजी, सीता, लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित है, उसको इन्होंने धार्मिक स्थल नहीं माना है और ना ही आधार माना, इन्होंने सीता बेंगरा जो राम जी की मूर्ति से 2 किलोमीटर आगे है धार्मिक स्थल मानते हुए आधार माना और अनुमति देने के मंशा अनुरूप एनओसी जारी किया है।
श्री सिंहदेव ने कहा हो सकता है उनके हिसाब से सीता बेंगरा की दूरी 11 किलोमीटर हो लेकिन रामगढ़ में जहां राम,लक्ष्मण सीता जी की मूर्ति स्थापित है उसकी दूरी 9.5 किलोमीटर सेटेलाइट में दिखाई पड़ता है और रामगढ़ पहाड़ी का जो जड़ है वह 8 किलोमीटर पर दिखाई पड़ता है।जो अनुमति दी गई है वह दोषपूर्ण है,इसे तत्काल रोका जाना चाहिए और इसकी जांच करना चाहिए।
श्री सिंह देव ने कहा कि स्थानीय लोग और एनजीओ संस्था लगातार कोल माइंस खदान का विरोध कर रहे हैं और पर्यावरण को व्यापक नुकसान होना बता रहे हैं।जल स्रोत को भी बड़ी हानि होना बताया जा रहा है इससे प्रभावित होकर लोगों ने एक संस्था का निर्माण किया है जिसका रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री सिंह देव ने कहा कि मैं इस संस्था का सदस्य नहीं हूं लेकिन मैं जनमत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से खड़ा हूं। मुझे शासन, प्रशासन,उद्योग से मतलब नहीं।
श्री सिंह देव ने कहा कि रामगढ़ पहाड़ी में हर वर्ष नवरात्र में हजारों की संख्या में लोग आते हैं और पूरी पहाड़ी पर चढ़ते हैं और दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं,यहां साल भर पर्यटक लोग भी आते जाते रहते हैं। कोयला खदान में ब्लास्टिंग से दरारें पड़ रही हैं,अभी जो मार्ग रामगढ़ पहाड़ के ऊपर सडक़ बना है वह भी प्रभावित हो गया है।ब्लास्टिंग के चलते हुए लैंड स्लाइडिंग के कारण यह रास्ता बंद सा हो गया है,इसे रोकने हमें राजनीति से पृथक होकर पहल करना चाहिए।
मंत्री ने भी कहा है, अगर ऐसा है तो मैं भी विरोध करूंगा
वार्ता के दौरान सिंहदेव ने कहा कि इस मामले को लेकर पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री राजेश अग्रवाल ने भी कहा है अगर ऐसा है तो मैं भी विरोध करूंगा और इसकी जांच करवाने की बात कही है।मंत्री का सार्वजनिक रूप से य़ह बयान देना छोटी बात नहीं है।सिंहदेव ने कहा कि सच्चे भाव से पहल उठेगी तो निश्चित ही रामगढ़ पहाड़ का संरक्षण होगा।
27 जुलाई 2024 को ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ का अस्तित्व खतरे में संदर्भित खबर को ‘छत्तीसगढ़’ अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, अब यह मामला जोर-जोर से तूल पकड़ रहा है और जनप्रतिनिधि भी इसे गंभीरता से लेते हुए राजनीति से पृथक होकर इसके संरक्षण के लिए आवाज उठा रहे हैं।


