सरगुजा

शनि जयंती पर श्रद्धा और भक्ति का संगम, मंदिरों में उमड़े भक्त
27-May-2025 8:48 PM
शनि जयंती पर श्रद्धा और भक्ति का संगम, मंदिरों में उमड़े भक्त

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 27 मई। शनि देव की जयंती पर नमनाकला पवार हाउस रोड स्थित शनि मंदिर धाम में मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। पूजा-अर्चना के साथ भक्तों ने शनि देव का आशीर्वाद लिया और भव्य भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

सुबह होते ही शनि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग बड़ी आस्था के साथ मंदिर पहुंचे। भक्तों ने भगवान शनिदेव की प्रतिमा का पूजन कर तेल, फूल और काले तिल चढ़ाए। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन की मधुर स्वर लहरियों के बीच भक्त घंटों तक पूजा में लीन रहे।

इस अवसर पर राजू झा, राहुल वाडेगांवकर, दीपक तिवारी, विनय दुबे, दीपक कुमार गुप्ता, वीरेंद्र सोनी, चीकू ओडिय़ा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और गणमान्य नागरिकों ने भी मंदिर पहुंचकर दर्शन किए और भंडारे में सेवा दी। शनि जयंती के मौके पर मंदिर प्रबंधन की ओर से भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में पूरी, सब्जी, बूंदी सहित विभिन्न व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी।

मंदिर के व्यवस्थापक श्यामजीत गुप्ता ने बताया कि भंडारे की शुरुआत सुबह पूजा-अर्चना के बाद की गई। व्यवस्था में मंदिर समिति के सदस्य, स्वयंसेवक और स्थानीय युवाओं की भी सक्रिय भूमिका रही।

क्यों मनाई जाती है शनि जयंती

शनि जयंती भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र हैं। उन्हें कर्मों के अनुसार न्याय देने वाला देवता माना जाता है। शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है और इस दिन शनिदेव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। भक्त इस दिन विशेष रूप से काले वस्त्र पहनकर, काले तिल और सरसों के तेल से शनिदेव की पूजा करते हैं, ताकि जीवन में आ रहे संकटों से मुक्ति मिले और शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैय्या से राहत मिल सके।

मंदिर के पुजारी पं. भरत शुक्ला ने जानकारी दी कि शनि मंदिर की स्थापना के बाद से प्रतिवर्ष शनि जयंती और स्थापना दिवस के अवसर पर भव्य आयोजन किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक शनिवार को श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं और नियमित रूप से पूजा कर भंडारे में सम्मिलित होते हैं।


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