सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 3 मार्च। नगर निगम अम्बिकापुर के लिए नवनिर्वाचित 15 कांग्रेस एवं एक निर्दलीय पार्षद ने आज निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट सभागार में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
ज्ञात हो कि महापौर मंजूषा भगत के द्वारा हाल में अस्पृश्यता और धार्मिक भेदभाव से परिपूर्ण नफरती बयान देने के बाद कांग्रेस ने तय किया था कि 2 मार्च को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में उनके पार्षद शिरकत नहीं करेंगे और अलग से शपथ लेंगे। कांग्रेस ने इसको लेकर महापौर मंजूषा भगत से सार्वजनिक माफी की मांग की थी, साथ ही मामले की शिकायत कोतवाली पुलिस से भी की है। महापौर ने अब तक आम माफी नहीं मांगी है।
निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने कहा है कि जब तक महापौर माफी नहीं मांगेंगी, तब तक कांग्रेस पार्षद विरोध स्वरूप काली पट्टी बांध कर निगम की कार्रवाई में भाग लेंगे।
शफी अहमद ने यह भी कहा कि वे व्यक्तिगत तौर पर महापौर को लंबे अर्से से जानते हैं। वे ऐसा बयान दे ही नहीं सकती, लेकिन लगता है कि सरगुजा भाजपा में हाल ही में हुए बदलाव में उन्हें ऐसा आदिवासी समुदाय के विरोध में बोलने को विवश किया गया है।
भाजपा से किसी ने महापौर जो स्वयं आदिवासी समाज से आती हैं के कंधों का उपयोग कर निगम के पूर्ववर्ती दो आदिवासी महापौर और आदिवासी समाज के प्रति संघ की अस्पृश्यता की भावना को व्यक्त किया है। ज्यादा गंभीर बात यह है कि माँ महामाया की नगरी अम्बिकापुर को भी अशुद्ध बतला दिया गया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा अम्बिकापुर शहर और आदिवासियों के लिए बोले गए अपमानजनक बयान पर खेद व्यक्त करने के बजाय उसे ट्विस्ट देकर गंगाजल के उपयोग पर लाया जा रहा है। गंगाजल पवित्र मन से सात्विक उपयोग के लिए है, न कि दुर्भावना से उपयोग के लिए।
शपथ पूर्व बजरंग बली को शीश नवाया
कलेक्ट्रेट में शपथ लेने जा रहे कांग्रेस पार्षद दल ने शपथ के पूर्व बजरंग बली के मंदिर में जाकर शीश नवाया। निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद के नेतृत्व में सभी 16 पार्षदों ने बजरंग बली के मंदिर में प्रवेश कर पूजा-आराधना की।
ज्ञात हो कि म्युनिसिपल चुनाव में भाजपा ने कई मुस्लिम पार्षद उम्मीदवारों के विरुद्ध निम्न स्तर का साम्प्रदायिक प्रचार किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद आज जब वही मुस्लिम पार्षद शपथ लेने जा रहे थे तो उन्होंने बजरंग बली का आशीर्वाद लिया और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की। वर्ष 2022 में माँ महामाया प्रवेश द्वार की प्रथम पहल भी शफी अहमद के नेतृत्व में अल्पसंख्यक पार्षदों ने की थी।