सूरजपुर

प्रतापपुर, 8 सितंबर। प्रतापपुर तहसील के एसईसीएल कोयला खदान अधिग्रहण क्षेत्रों में पटवारी नूरुल हसन की लगातार पोस्टिंग से सवाल खड़े हो रहे हैं।
भूमि फर्जीवाड़े के आरोपों में 2021 में निलंबित किए जाने के बावजूद उन्हें एक बार फिर मदन नगर हल्के की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। जबकि यह वही क्षेत्र है, जहाँ जल्द ही करोड़ों रुपये का मुआवज़ा बंटना है।
वर्ष 2020 और 2021 में ग्राम मदन नगर और कनक नगर की कई शासकीय भूमि को नूरुल हसन द्वारा कथित रूप से प्रभावशाली और रसूखदार व्यक्तियों के नाम दर्ज करा दिया गया था।
जब यह मामला उजागर हुआ तो हड़बड़ी में उन जमीनों को दोबारा शासकीय भूमि घोषित कर दिया गया। इसी प्रकरण को लेकर एक ग्रामीण ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जो आज भी विचाराधीन है।
जुलाई 2021 में मदन नगर में पदस्थ रहते हुए नूरुल हसन पर आरोप लगा कि उन्होंने 5 शासकीय भूमि को फर्जी तरीके से निजी नामों पर चढ़ा दिया।
तत्कालीन एसडीएम दीपिका नेताम की जांच में आरोप सही पाए गए और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार यह अपराध इतना गंभीर था कि इसमें आपराधिक प्रकरण और बर्खास्तगी तक होनी चाहिए थी, लेकिन हुआ उल्टा उनका निलंबन समाप्त कर बहाली आदेश जारी कर दिया गया।
सूत्रों का दावा है कि नूरुल हसन ने रिश्तेदारों व निजी व्यक्तियों के नाम पर भी जमीन का लेन-देन किया।