राजपथ - जनपथ
स्पीकर ने मांगा बिटिया के लिये आशीर्वाद
कोरोना की आपदा ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। चाहे वे आम लोग हों या खास। लोग, अपने बच्चों की शादी में रिश्तेदार और मित्र पहुंचे और उनका आशीर्वाद मिल जाये। पर लॉकडाउन में मेहमान-मेजबानों की संख्या 20 पर बांध दी गई है। रोज मरीजों के बीमार होने और मौतों के इतने भयावह आंकड़े आ रहे हैं कि लोग विवाह के शुभ कार्य को भी उत्सव का रूप न देकर सिर्फ जरूरी रस्म पूरी कर समेट रहे हैं। ऐसे में स्पीकर डॉ. चरण दास महन्त ने भी अपने करीबियों को बताया है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह पर निर्धारित आशीर्वाद समारोह स्थगित कर दिया है।
समारोह की तारीख जब तय की गई थी तब कोरोना के इस व्यापक प्रसार का अनुमान किसी को नहीं था। जाहिर है कि वे कोई छोटा समारोह भी रख लेते तो जानने वाले पहुंच ही जाते, फिर कोविड प्रोटोकॉल का टूटना तय था। इसलिये समारोह ही नहीं होगा। डॉ. महन्त ने अपने शुभचिंतकों से कहा है कि वे अपने घर से ही नव-दम्पती को आशीर्वाद दें।
मास्क पहनकर लिये फेरे
अप्रैल-मई में विवाह के बहुत से मुहूर्त होने के बावजूद उन लोगों ने शादियां टाल दी हैं, जिन्हें लगता है कि वे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर पायेंगे। वे इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि उनके घर में ही 50 लोग हैं, फिर दूसरे पक्ष से भी कम से कम इतने लोग तो शामिल होंगे। पर, अनुमति तो 20 लोगों की ही मिल रही है। वह भी आयोजन सार्वजनिक भवन में नहीं, घर पर ही किया जाना है। अब ऐसे लोग कोरोना का असर कम होने का इंतजार कर रहे हैं। भले ही विवाह का अगला मुहूर्त चार-पांच महीने बाद हो।
पर कुछ लोग जो इस कठिन समय में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विवाह कर रहे हैं उनमें भी कम समझदारी नहीं है। अब तखतपुर के पूर्णिमा और घनश्याम को ही लीजिये। जब दोनों ही ओर से मम्मी-पापा ने तय कर लिया कि शादी रामनवमी को ही होगी, तारीख आगे नहीं बढ़ानी है। तो, उन्होंने भी उनको मना लिया कि समारोह में कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन होगा। घर पर शादी हुई, निर्धारित 20 लोग ही शामिल हुए और विवाह की सारी रस्म, जयमाला पहनने से लेकर फेरे लेने तक की पूरी प्रक्रिया के दौरान दोनों ने मास्क पहना। जब दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहना, तो जाहिर है रिश्तेदारों, मेहमानों को भी इस पर अमल करना पड़ा।
सूने रिसोर्ट में पुलिस कप्तान की तफरी
पुलिस ने जोर-शोर से अभियान चला रखा है। सोशल मीडिया पर चेतावनी दी गई कि लॉकडाउन पर सूनी सडक़ें कैसी दिखाई देती हैं-इसका मजा लूटने के लिये भी बाहर न निकलें। इधर कोरबा पुलिस ने बता दिया कि ये चेतावनी तो आम लोगों के लिये हैं, उन पर यह लागू नहीं होगा। और कप्तान की बात हो तब तो बिल्कुल नहीं। जैसा देखने वाले लोग बता रहे हैं कि अपने एक मित्र के साथ कप्तान साहब सतरेंगा डेम पहुंच गये। पर्यटन केन्द्र पर उनके मातहतों ने पहुंचकर पहले से ही सारे इंतजाम कर दिये थे। एक नई-नई बोट वहां खऱीदी गई है। मित्र के साथ उन्होंने बोटिंग का खूब मजा लिया और शाम तक रुक कर पर्यटन का आनंद लेते रहे। सबको पता ही है, लॉकडाउन के कारण लोगों का घर से निकलना तो बंद है ही, पर्यटन स्थलों पर भी ताला लगाकर रखने का निर्देश है। पर्यटन केन्द्र के रिसोर्ट के मैनेजर की क्या बिसात कि लॉकडाउन, महामारी, धारा 144 या फिर शासन के किसी भी कानून के बारे में कानून के रखवाले को समझाये?
ऊपर के तीनों प्रसंग, कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन और पालन से जुड़े हैं। एक वीआईपी होने के कारण नियमों को तोड़ सकते थे, दूसरे मामले में परिवार अपनी नामसझी का हवाला देकर बचाव कर सकता था। पर, गाइडलाइन के पालन को लेकर वे गंभीर थे। उल्लंघन उन्होंने किया जिन पर जिम्मेदारी है, इसका पालन कराने की।