अनुशासित कार्यकर्ता
सेक्स सीडी कांड में 7 साल बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल को सीबीआई की विशेष अदालत से राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी अश्लील कूटरचित वीडियो को बनाने में संलिप्त नहीं रहा है, और न ही उसका उपयोग किया गया। दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे मामले कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी का बयान भूपेश बघेल के रक्षा कवच बना।
जिस दिन भूपेश बघेल के सरकारी निवास पर कथित तौर पर प्रेस कांफ्रेंस में सीडी बंटी थी उस वक्त विकास तिवारी वहां मौजूद थे, और वो सेक्स सीडी कांड के प्रमुख गवाह रहे हैं।
कोर्ट ने प्रमुख गवाह कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी के 161 के बयान को प्रमुख रूप से आधार बनाया है। जिसमें यह कहा गया कि राजेश मूणत के कूटरचित अश्लील वीडियो की सीडी बांटने के लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल के आवास में प्रेस कांफ्रेस नहीं रखी गई थी, बल्कि विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के विरोध में थी। यह भी कहा कि भूपेश बघेल के सरकारी आवास में जिनके हाथों में सीडी थी उनके द्वारा सांकेतिक विरोध किया जा रहा था कि हमारे पास भी सीडी है हमें भी गिरफ्तार करो।
भूपेश बघेल को कोर्ट से राहत मिली तो उनका खुश होना लाजमी था। उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि सत्यमेव जयते। हालांकि भूपेश बघेल कैम्प से अब अलग हो चुके प्रवक्ता विकास तिवारी ने किसी का नाम लिखे बिना फेसबुक पर लिखा कि अनुशासित कार्यकर्ता ने नेता के लिए क्या किया ये धारा 161 के बयान में लिखा है, वही बयान ढाल बना और रक्षा किया।
जाहिर है ये बातें उन्होंने भूपेश बघेल के लिए लिखी होगी। सीबीआई आगे क्या कदम उठाती है, इस पर निगाहें टिकी हुई है।
स्कूल में नवाचार
कोरबा जिले के गढक़टरा गांव का स्कूल अपने अनोखे और रचनात्मक प्रयोगों के कारण चर्चा में है। यहां जनसहयोग से करीब 60 हजार रुपये की लागत से एक सुंदर उद्यान बच्चों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
यहां कबाड़ को नए स्वरूप में ढालकर उपयोग किया गया है। पुरानी गाडिय़ों के टायरों को रंग कर आकर्षक तरीके से सजाया गया है। इन टायरों पर सप्ताह के दिनों, रंगों की पहचान, अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों के अर्थ और महीनों के दिनों की जानकारी रोचक अंदाज में दी गई है।
इस पहल को यहां के शिक्षकों ने पूरी तरह अपने प्रयासों से साकार किया है, जिसमें शिक्षा विभाग से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लिया गया। इतना ही नहीं, समय-समय पर ये शिक्षक स्वयं धनराशि एकत्र कर बच्चों के लिए जूते, चप्पल और गर्म कपड़े भी ले आते हैं।
इन सब के चलते ग्रामीणों और शिक्षकों के बीच गहरा आत्मीय संबंध विकसित हो गया है, जिससे बच्चों में स्कूल आने की ललक और रुचि लगातार बढ़ रही है। कहें तो, यह स्कूल शिक्षा और समाज के बीच मजबूत सेतु का उदाहरण है।