सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 17 अक्टूबर। कलेक्टर डॉ सिद्दकी द्वारा जिले में आयुष्मान भव: अभियान लॉन्चिंग के साथ ही पंचायतों को कुष्ठ मुक्त बनाने का अभियान चल रहा है। सीएमएचओ आफिस सारंगढ़ में आयोजित जिला स्तरीय निकुष्ठ प्रशिक्षण में डॉ एफआर निराला मु. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि अभियान अंतर्गत ग्राम पंचायत में आयोजित आयुष्मान सभा के माध्यम से लोगों में कुष्ठ के प्रति जन जागरूकता को बढ़ावा दी जा रही है।
हमारा जिला प्रदेश में सर्वाधिक पीआर वाला जिला है, जहां लगभग सात केश प्रति दस हजार की जनसंख्या पर मिल रहे है। पिछले दो एक्टिव केस सर्विलेंस के दौरान जिले में दो - दो सौ से अधिक नए केस प्राप्त हुए हैं, जबकि प्रतिवर्ष 600 के लगभग नए कुष्ठ रोगी हमारे जिले को मिलते हैं।
हालांकि पिछले दो अभियान व वार्षिक दर से कुष्ठ रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन एमबी मरीजों की संख्या में कमी आना कुष्ठ मुक्त जिला होने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। कुष्ठ एक दीर्घकालिक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम लेपरी नामक जीवाणु के कारण होती है एवं मानव शरीर के त्वचा एवं तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। शुरुआती दिनों में इस बीमारी से रोगी को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है और, न हीं अब तक इस बीमारी से किसी की मृत्यु हुई है। जिस के कारण लोग इसे बहुत ही हल्के में लेते हैं, परंतु जब इसका लक्षण गंभीर अवस्था में पहुंचता है, तो यह शरीर को गंभीर क्षति पहुंचाती है, जैसे हाथ पांव के उंगलियों का मुड़ जाना, प्रभावित अंगों पर विकृति या विकलांगता आ जाना, शरीर पर कभी नही छूटने वाले घाव बन जाना इत्यादि।
इस बीमारी को रोगी के शरीर पर दिखाई देने वाले लक्षण के आधार पर दो श्रेणी में बांटा गया है पीबी यानी पॉसि बेसलरी जिसमें जीवाणुओं की संख्या बहुत कम होती है ,जिसके कारण रोगी के शरीर पर पांच की संख्या तक दाग धब्बे हो सकते हैं और कभी कभी एक नर्व भी प्रभावित हो सकता है। यह असंक्रामक केटेगिरी का कुष्ठ होता है। इसकी उपचार मात्र छ: माह तक चलता है। दूसरा एमबी यानी मल्टी बेसिलरी जिसमें जीवाणुओं की संख्या बहुत अधिक होती है, जिसके कारण रोगी के शरीर पर पांच या उससे भी अधिक दाग धब्बे हो सकते हैं और दो से अधिक नर्व भी प्रभावित हो सकते हैं यह संक्रामक कैटेगिरी का कुष्ठ होता है। इस श्रेणी के कुष्ठ रोगियों में ही विकृति विकलांगता एवं अल्सर जैसे गंभीर लक्षण होते हैं जिन्हें विशेष रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है।
ऐसे मरीजों को पूर्ण उपचार देने में एक वर्ष का समय लगता है एवं यदि इन मरीजों में कोई न्यूराइटिस लक्षण दिखाई दे तो इन्हें कुष्ठ के उपचार की सामान्य दवाई के अलावा स्टेरॉयड भी देने की आवश्यकता होती है।
एमबी प्रकार के कुष्ठ के कारण ही अन्य स्वस्थ व्यक्तियों में कुष्ठ का संक्रमण होता है। इसलिये ऐसे कुष्ठ के मरीजों का कांटेक्ट ट्रेसिंग कर उनके अगल - बगल,आगे-पीछे के निवासियों के अलावा उसके निकट संपर्क में आये लगभग 20 से 30 व्यक्तियों का सत्यापन किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति में कुष्ठ के लक्षण दिखाई दे तो उसका उपचार किया जाता है । अन्यथा रोगी के समस्त प्राइमरी कॉन्टैक्ट को एसडी आर सिंगल डोज रिफेमपीसीन की खुराक (मात्र 1 गोली) देकर उन्हें कुष्ठ से प्रतिरक्षित किया जाता है। अल्सर वाले कुष्ठ मरीजों को सेल्फ केयर की कीट एवं पैर में अल्सर वाले मरीजों को माइक्रो सेल्यूलर रबर से बने चप्पल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से निशुल्क वितरण की जाती है एवं इन मरीजों को अपने प्रभावित अंगों की देखभाल करने के लिए समय-समय पर प्रीवेंशन ऑफ डिफॉर्मिटी कैंप लगा कर देखभाल हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। अंगों पर विकृति आए हुए मरीजों को रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के द्वारा उन्हें ठीक भी किया जा सकता है ,जो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा समय समय पर आयोजित की जाती है।


