राजपथ - जनपथ

भ्रष्टाचार, सीनियरों का साथ...
सरकार में अफसरों के भ्रष्टाचार के कई किस्से सुने जा रहे हैं। कई बार तो भ्रष्ट अफसरों को सीनियरों का संरक्षण भी मिल जाता है। यही वजह है कि कई भ्रष्टाचार के प्रकरणों पर पर्दा नहीं उठ पाता। ऐसे ही वन विभाग के एक प्रकरण में विभाग के आला अफसरों ने लीपापोती की भरपूर कोशिश की, लेकिन मंत्री की पैनी निगाह से बच नहीं पाए। हुआ यूं कि पिछली सरकार में एक डीएफओ ने जीपीएस सिस्टम-कैमरा वगैरह की खरीदी के नाम पर जमकर गोलमाल किया।
खास बात यह है कि डीएफओ ने सारी खरीदी राज्य उपभोक्ता भंडार से होना बता दिया। इसके बिल भी पेश कर पूरी राशि हजम कर गए। मामला लंबे समय तक दबा रहा, लेकिन सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हो गया। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर लोक लेखा समिति प्रकरण की पड़ताल कर रही है। सुनते हैं कि विभाग की तरफ से जो जबाव तैयार किया गया था, उसमें पूरी खरीदी की प्रक्रिया को सही ठहराया गया था। समिति में भेजने से पहले जवाब की फाइल वनमंत्री को भेजी गई। मंत्रीजी ने पूरी फाइल को बारीकी से देखा, तो पहली नजर में भारी गड़बड़झाला नजर आया। उन्होंने फाइल का अनुमोदन करने के बजाए प्रकरण की डिटेल्ड रिपोर्ट मांग ली और खरीदी का भौतिक सत्यापन करने के लिए कह दिया। संकेत साफ है कि रिपोर्ट आने के बाद समिति से पहले विभाग अपनी कार्रवाई कर सकता है।
पुलिस चाहती है सीबीआई...
दिल्ली में बैठे एडीजी मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी नई पिटीशन में रायपुर पुलिस द्वारा जारी किए गए टेलीफोन टैपिंग के आदेश की कॉपियां लगाई हैं। ये गोपनीय आदेश उन तक कैसे पहुंचे, इसे लेकर राज्य में खलबली मची हुई है। पुलिस महकमे के एक जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ये सब कागजात और जानकारी खुद पुलिस विभाग के लोग मुकेश गुप्ता के करीबी लोगों तक पहुंचा रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि पुलिस के कई लोग इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं जिससे हासिल कुछ नहीं हो रहा, पुलिस उजागर जरूर हो रही है। रायपुर से लेकर दिल्ली तक हो रही ऐसी बहुत सी कार्रवाईयों के पीछे जांच करने वाले बड़े-बड़े अफसरों की यह नीयत है कि किसी तरह यह पूरी जांच सुप्रीम कोर्ट सीबीआई को दे दे, तो छत्तीसगढ़ की पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियां धर्मसंकट से बचें। मुकेश गुप्ता विभाग से निलंबित हैं, लेकिन उनका दबदबा आज भी महकमे के अफसरों पर इतना है कि लोग उनकी जांच करने से बचना चाहते हैं। अब छत्तीसगढ़ पुलिस का खुफिया विभाग इतना काबिल तो है नहीं कि राज्य के कौन से अफसर सोच-समझकर जांच को सीबीआई की तरफ धकेल रहे हंै उसका पता लगा ले।
(rajpathjanpath@gmail.com)