राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : विमान कंपनियों पर गुस्सा जारी
09-Dec-2025 6:23 PM
राजपथ-जनपथ : विमान कंपनियों पर गुस्सा जारी

विमान कंपनियों पर गुस्सा जारी

विमान सेवा अब तक सामान्य नहीं हुई है। लोग विमानन कंपनियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के विशेष सचिव रहे सीनियर आईआरएस अफसर अजय पाण्डेय ने फेसबुक पर लिखा कि  एयर फेयर की लूट है, लूट सके तो लूट। वो दिन जल्दी आएगा सब मारेंगे बूट।

पाण्डेय ने लिखा कि ऐसे नाजुक मौके पर जब लाखों लोग एयरपोर्ट पर लाचार पड़े हैं, बच्चों के एग्जाम छूट रहे हैं। कोई किसी की शव यात्रा में नहीं जा पा रहा है। ऐसी लूट एयर इंडिया, और टाटा समूह के नाम पर कलंक है। इंडिगो तो सदा से बेशर्म थी, है और रहेगी। पाण्डेय ने रायपुर से मुंबई किराया साझा किया, जो कि 72722 रुपए पहुंच गया। 

उन्होंने लिखा कि एयर फेयर में कैपिंग बेहद जरूरी हो चुका है। सरकार को हर एयर डिस्टेंस का अधिकतम किराया तुरंत निर्धारित कर देना चाहिए, और इंडिगो को सजा देनी चाहिए कई सौ करोड़ की पेनाल्टी लगाकर। आईआरएस अफसर के पोस्ट पर लोग काफी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। एक ने लिखा-आपदा में अवसर।

गलती आई-गई हो गई

कई बार बड़े नेता वस्तुस्थिति की जानकारी के बिना ऐसी तथ्यात्मक गलती कर बैठते हैं, जिस पर सफाई देना भी कई बार मुश्किल हो जाता है। बात पिछले दिनों अंबिकापुर जिले के अमेरा कोयला खदान में लाठीचार्ज मामले की है।

घटना में डेढ़ सौ ग्रामीणों के साथ ही करीब तीन दर्जन पुलिसकर्मी जख्मी हुए। ग्रामीण कोयला खदान विस्तार का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस की प्रतिक्रिया तुरंत आ गई। आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि सरगुजा की घटना बेहद दर्दनाक है। सरकार अरबपतियों की गुलाम बनकर काम कर रही है। जंगल काटे जा रहे हैं। भूरिया ने कहा किसी भी कीमत पर अडानी मॉडल को सफल नहीं होने दिया जाएगा। हम है, तो जंगल हैं और जंगल है तो हम है।

विक्रांत ने जिस खदान को लेकर आंदोलन छेडऩे की बात कही है, वो अडानी नहीं, एसईसीएल की खदान है। यह जंगल नहीं बल्कि पठारी इलाका है। यहां पेड़ कटाई का कोई मसला नहीं है। जहां तक अमेरा खदान इलाके में अशांति का फैलने का सवाल है। इस पूरे मामले पर एसईसीएल ने कहा कि कोयला चोरों की वजह से घटना घटी है। ये बात अलग है कि सरगुजा के दूसरे इलाके में अडानी समूह खनन में लगी है, और वहां इसका विरोध भी हो रहा है। चूंकि कांग्रेस अडानी समूह को निशाने पर लेती रही है। इसलिए इस तथ्यात्मक गलती को अनदेखा कर दिया गया।

आदिवासी नेता की मौत पर घिरा जेल विभाग

पुलिस और जेलों में हिरासत के दौरान होने वाली मौतों को लेकर एक ही तरह की कहानी अफसरों के पास होती है। कांकेर के आदिवासी नेता जीवन ठाकुर की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके खिलाफ वन अधिकार का नकली प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन पर कब्जा करने का आरोप था। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद उनको 12 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह जेल में थे। जमानत की अर्जी खारिज हो गई थी। नकली पट्टा बनवाना एक फर्जीवाड़ा तो है लेकिन ऐसे मामलों में प्राय: पट्टा निरस्त कर दिया जाता है। बड़े पैमाने पर ऐसी गड़बडिय़ां करने पर एफआईआर और गिरफ्तारी की कार्रवाई भी होती है- पर जमानत भी मंजूर कर ली जाती है। बहरहाल, कांकेर जेल से जीवन ठाकुर को 2 दिसंबर को रायपुर के रायपुर के सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। परिजन बताते हैं कि उन्हें उनकी जानकारी के बिना ही शिफ्ट कर दिया गया। सेंट्रल जेल रायपुर के सुपरिंटेंडेंट का का कहना है कि बीमार होने के कारण उनको रायपुर लाया गया और यहां से मेकहारा में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान 4 दिसंबर को मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि मौत सुबह हो गई थी लेकिन उन्हें इसकी जानकारी शाम को दी गई। मजिस्ट्रेट को मामला ज्यादा संगीन लगा होगा, इसलिए जमानत नहीं मिल पाई, और वे दो माह से जेल की सजा काट रहे थे। जेल प्रशासन पर परिजनों ने जो आरोप लगाए हैं उनका समाधान जरूरी है, जैसे जब बीमार थे- तो कांकेर के किसी अस्पताल में भर्ती किए बिना सीधे रायपुर क्यों लाया गया। रायपुर लाने और यहां पर मौत हो जाने के बाद परिवार को समय पर सूचित क्यों नहीं किया गया? सबसे बड़ी बात यदि जेल विभाग को लगता है कि मौत स्वाभाविक है, अफसरों ने कोई गलती नहीं की तो फिर कांकेर की जेलर को हटा क्यों दिया गया? मामला संवेदनशील हो चुका है क्योंकि आदिवासी समाज ने मोर्चा खोल दिया है। कांकेर ही नहीं- बस्तर संभाग में बंद का आह्वान आज किया गया है। देखना होगा कि क्या जीवन ठाकुर के परिजन और सर्व आदिवासी समाज को न्याय मिलेगा?

गूमा के रस का रहस्य

यह गूमा का फूल है और टेढ़ी चोंच वाली सन बर्ड। जैसे कुदरत ने दोनों एक दूसरे के लिए ही विकसित किया हो। फूल का रस भीतर छिपा होता है,सन बर्ड की लंबी नुकीली चोंच उस तक पहुंच जाती है। हर साल ठंड के दिनों में ये फूल खिलते हैं और रसपान के लिए सन बर्ड इसके पौधों के पास मंडराती रहती हैं। तस्वीर प्राण चड्ढा ने खींची है।


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