राजपथ - जनपथ
सत्ता गई, स्नान भी गया
पिछले कुछ सालों से कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में स्नान के लिए वीआईपी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रहती रही है। वजह यह थी कि पहले सीएम, और फिर पद से हटने के बाद भूपेश बघेल हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में तडक़े स्नान के लिए पहुंच जाते थे। मगर इस बार वो बिहार चुनाव प्रचार में व्यस्तता की वजह से नहीं आए, तो सहयोगी कांग्रेस नेता भी स्नान के लिए नहीं गए। हालांकि बिहार से लौटने के बाद बुधवार को पूर्व सीएम स्नान तो नहीं कर पाए, लेकिन मेले में जरूर शिरकत की।
कार्तिक पूर्णिमा पर दशकों से खारून नदी के महादेव घाट पर भारी भीड़ उमड़ती रही है। यहां मेला भी लगता है। भूपेश बघेल भी सीएम रहते महादेव घाट जाते थे, और साथियों के साथ डुबकी लगाते थे। वो स्नान के साथ ही तैराकी के तरीके बैकस्ट्रोक, ब्रेस्टस्ट्रोक, बटरफ्लाई, और फ्री स्टाइल दिखाकर लोगों का मन मोह लेते थे। उनके साथ दुधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास भी होते थे। सीएम पद से हटने के बाद महंत रामसुंदर दास तो नहीं जाते थे, लेकिन बाकी समर्थक पूर्व विधायक विकास उपाध्याय, गिरीश देवांगन, एजाज ढेबर, प्रदीप शर्मा, सन्नी अग्रवाल सहित अन्य साथ होते थे। मगर इस बार भूपेश बघेल स्नान के लिए नहीं आए, तो समर्थक भी नहीं दिखे। ये अलग बात है कि मेले की रौनक में कमी नहीं आई है, और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान ध्यान किया।
पुरानी पेंशन अब इतिहास
मोदी 2.0 में अब से नया वेतन आयोग गठित न करने के बाद बिना उम्मीद इस वर्ष जनवरी में 8 वें आयोग का गठन कर दिया। तब से देश भर में कर्मचारी संघ पुरानी पेंशन व्यवस्था ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनके लिए यह खबर अच्छी नहीं है। पिछले सप्ताह आयोग के अध्यक्ष सदस्य नियुक्त करते हुए सरकार ने उनके लिए टर्म्स ऑफ रिफेंस भी तय कर दिया है। इसमें यह नहीं है। दरअसल, जनवरी 2004 में केंद्र सरकार ने नई नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू कर दशकों पुरानी गारंटीड और गैर-योगदान आधारित ओपीएस को समाप्त कर दिया गया।
ओपीएस बहाली की मांगों के बीच केंद्र सरकार ने बीते अप्रैल से एक नई पेंशन योजना यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) की शुरुआत की। यह योजना एनपीएस और यूपीएस से बना मुरब्बा है।
यूपीएस में कर्मियों और सरकार दोनों का योगदान रहेगा, ठीक वैसे ही जैसे एनपीएस में होता है। साथ ही, यूपीएस न्यूनतम गारंटीड पेंशन भी प्रदान करती है, बशर्ते कर्मचारी निर्धारित सेवा अवधि पूरी करे। जबकि ओपीएस में जीवनभर गारंटीड पेंशन मिलती थी। केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि ओपीएस की वापसी की कोई संभावना नहीं है।
सरकार द्वारा मंजूर किए गए टर्म्स ऑफ रेफरेंस में नान कंट्रीब्यूटरी पेंशन (एनसीपी) का जिक्र न करना सरकार की यही नीति दर्शाता है कि ओपीएस अब अतीत का हिस्सा बन चुकी है। हालांकि कुछ राज्य सरकारें जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड अपने स्तर पर ओपीएस बहाल कर चुकी हैं, लेकिन इसे राजकोषीय रूप से अनुचित बताया जा रहा है। केंद्रीय वित्त और कार्मिक मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि एनपीएस तथा यूपीएस ही भविष्य की पेंशन प्रणाली रहेंगी। और केंद्र एक विकल्प चुनने का अवसर 30 नवंबर तक बढ़ा दिया है।
आपदा के मंत्री का सुर प्रबंधन

राजनीति का चेहरा तब सबसे ज्यादा परखा जाता है, जब किसी प्रदेश या समाज पर विपत्ति आती है। बिलासपुर के रेल हादसे में 11 लोगों की जान चली गई, कई घायल अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे। ऐसे वक्त में जनता अपने जनप्रतिनिधियों से उम्मीद करती है कि वे शोक, सहानुभूति और जिम्मेदारी का परिचय दें। परंतु, इसी दौरान राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री टंकराम वर्मा का जांजगीर में आयोजित राज्योत्सव मंच पर गाना गाने का वीडियो सामने आया है। सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि यह जनता के मन को ठेस पहुंचाने वाला है। हालांकि रेलवे केंद्र के अधीन है, मगर, बचाव कार्य ठीक चल रहा है या नहीं यह देखने से उन्हें कौन रोका था। एक ने लिखा है कि जब बिलासपुर में लाशें उठ रही थीं, तो मंत्री जी मंच पर सुर उठा रहे थे। जिस जांजगीर के राज्योत्सव कार्यक्रम में वे थे, बिलासपुर वहां से एक घंटे से भी कम का रास्ता है। यदि वे मंच पर गाना छोडक़र घायलों को देखने पहुंच जाते तो शायद वे उससे ज्यादा वाहवाही बटोर लेते जितना गाना गाने से मिली। दूसरी ओर सिनेमा और मंचों में धूम मचाने वाले छत्तीसगढ़ के स्टार कलाकार अनुज शर्मा थे। उनका कार्यक्रम इसी दिन बिलासपुर के राज्योत्सव में होना था। उन्होंने संवेदनशीलता दिखाई और प्रस्तुति नहीं देने का निर्णय लिया। जिला प्रशासन ने भी गाने-बजाने के सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया।
जींस विरोधी अफसर का तबादला
बस्तर में शिक्षा विभाग के प्रभारी संयुक्त संचालक राकेश पांडेय का आखिरकार तबादला कर दिया गया है। कोंडागांव के शिक्षकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। एक शिक्षक प्रकाश नेताम जब कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए उनके दफ्तर पहुंचे तो पांडेय ने कथित रूप से उन्हें भगा दिया और कहा कि जींस पहनकर आने वालों से वे मुलाकात नहीं करते। इसे शिक्षकों ने अपने पूरे समुदाय के लिए अपमानजनक मान लिया। वे आंदोलन पर उतर गए थे। विधायकों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि दीपावली के बाद पांडेय को हटा दिया जाएगा। जब दीपावली बीत गई तो शिक्षकों ने फिर 7 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया था और अब दो दिन पहले पांडेय को वहां से हटाकर डीपीआई इंद्रावती भवन भेज दिया गया है। उनकी जगह पर दूसरे अधिकारी का तबादला कर दिया गया है। दरअसल, शिक्षकों को हड़ताल पर जाने से रोकने की जरूरत भी थी। 4 नवंबर को पूरे प्रदेश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण शुरू हो गया है। इस काम में बड़ी संख्या में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। यदि विवाद बना रहता तो इस काम में व्यवधान पैदा हो सकता था।


