राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : रामगोपाल का राजदार
08-May-2025 6:59 PM
राजपथ-जनपथ : रामगोपाल का राजदार

रामगोपाल का राजदार

रायपुर की अदालत ने कोल स्कैम केस के आरोपी प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, और तीन अन्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। रामगोपाल पिछले दो साल से फरार हैं। गौर करने लायक बात यह है कि जिन लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है, उनमें से एक देवेन्द्र डडसेना भी हैं। देवेन्द्र राजीव भवन के नियमित  कर्मचारी हैं, और वो पार्टी फंड का हिसाब-किताब देखते रहे हैं। देवेन्द्र को रामगोपाल का राजदार माना जाता है।

कोल स्कैम केस में ईडी ने रामगोपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए पहले भी आवेदन लगाया था। तब अदालत ने साफ कर दिया था कि रामगोपाल की गिरफ्तारी पर रोक नहीं है। ऐसे में अलग से वारंट जारी करने की जरूरत नहीं है। ईडी उनके धमतरी, और रायपुर स्थित निवास पर छापेमार चुकी है। मगर वो अब तक ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए। इसके बाद ईडी के आवेदन पर अब अदालत ने रामगोपाल और देवेन्द्र डडसेना व अन्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

देवेन्द्र भी पिछले दो साल से फरार बताए जा रहे हैं। ईडी शराब घोटाला केस की भी जांच कर रही है। शराब घोटाले के पैसे से सुकमा-कोंटा में कांग्रेस भवन के निर्माण का भी आरोप है। इस पूरे मामले में ईडी प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों से पूछताछ भी कर चुकी है। चर्चा है कि ईडी कांग्रेस भवन निर्माण के खर्चों से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए भी देवेन्द्र की तलाश कर रही है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि जहां रामगोपाल हैं, वहां देवेन्द्र भी होंगे। कुल मिलाकर रामगोपाल, और देवेन्द्र पर शिकंजा कसा है। देखना है आगे क्या होता है।

जाति जनगणना और जातियों की तैयारी

देश में जाति जनगणना की तैयारी चल रही है। अगले छह महीने के भीतर जनगणना शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। इन सबको लेकर कई सामाजिक संगठन सक्रिय हो गए हैं, और वो समाज के लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए अभियान भी चला रहे हैं।

मसलन, सिंधी समाज के प्रमुख लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान चलाया कि जाति जनगणना में क्या लिखवाना है। जाति का नाम-सिंधी, धर्म-हिन्दू, मातृभाषा-सिंधी, राष्ट्रभाषा-हिन्दी, यह कॉलम में दर्ज कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सिंधी समाज के लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत के रहने वाले हैं, और ज्यादातर बंटवारे के बाद भारत आए। यहां अलग-अलग प्रांतों में निवासरत हैं। जबकि पाकिस्तान के सिंध के अलग-अलग इलाकों के नाम से उनकी जातियां रही है जैसे-लारकाना, कंधकोटी, शिकारपुरी, सखर, साहित्य, पन्ने, और हैदराबादी आदि हैं। मगर यहां आने के बाद उनमें जाति भेद नहीं रहा, और वो सिंधी कहलाते हैं, और यही उनकी पहचान भी है।

इसी को जाति जनगणना में लिखवाना चाहते हैं। इसी तरह ब्राम्हण समाज के सोशल मीडिया ग्रुप में 126 नंबर में ब्राम्हण जाति का जिक्र है, और उसे अंकित करने के लिए अभियान चला रहे हैं। बाकी संगठन भी धीरे-धीरे सक्रिय हो रहा है। जाति जनगणना का क्या स्वरूप होगा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।

 

खेत में प्रैक्टिस कर पहुंचीं स्टेट के मैदान तक

जशपुर जिले के शासकीय प्री-मैट्रिक कन्या छात्रावास, इच्केला की 15 छात्राएं एक साथ छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट टीम में चुन ली गई हैं। इनमें से 6 को अंडर-19 और 9 को अंडर-15 टीम में जगह मिली हैं। इनके पास महंगे स्पोर्ट्स शूज नहीं थे, कोई पेशेवर कोच नहीं था, मैदान कोई स्टेडियम नहीं बल्कि छात्रावास के बगल की खेत थी।

इनकी सपनों का उड़ान देने का हौसला छात्रावास की अधीक्षिका पंडरी बाई ने पैदा किया। अपने खर्च पर किट खरीदी, कोचिंग दिलवाई। उनकी बेटी आकांक्षा पहले बीसीसीआई की टीम में चुनी जा चुकी थीं। उन्हें देखकर बाकी बच्चियों में भी क्रिकेट की धुन सवार हुई। कलेक्टर रोहित व्यास ने अब घोषणा की है कि यहां महिला क्रिकेट अकादमी की स्थापना की जाएगी। 

जशपुर की प्रतिभा केवल महिला क्रिकेट तक सीमित नहीं। यह जिला वर्षों से हॉकी का गढ़ रहा है। दर्जनों युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिल चुकी है। एथलेटिक्स, कराटे, ताइक्वांडो और तीरंदाजी जैसे खेलों में भी यहां के युवक-युवतियों ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश का नाम रोशन किया है। वेटलिफ्टिंग और बॉडीबिल्डिंग में कदम बढ़ा रहे हैं, और आर्चरी का पारंपरिक हुनर तो है ही।

क्या संदेश दे रही है कांग्रेस?

कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली 8 मई को बिलासपुर में प्रस्तावित थी। यह एक बार फिर स्थगित कर दी गई है। पहले यह रैली दुर्ग में होनी थी, फिर बिलासपुर तय किया गया। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है।

इस रैली को लेकर पार्टी ने पिछले पंद्रह दिनों से गांव-गांव तक संपर्क अभियान चलाया था। टेंट लग चुके थे, वाहन बुक हो चुके थे, सभा स्थल आरक्षित हो चुका था। प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट सहित कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता इसमें भाग लेने वाले थे। लेकिन जैसे ही एआईसीसी से रद्द करने का निर्देश आया, पूरी तैयारी पर पानी फिर गया।

बिलासपुर पहुंचीं एआईसीसी सचिव जरिता लैतफलांग के सामने स्थानीय पदाधिकारियों ने अपनी नाराजगी और निराशा खुलकर जाहिर की। उनकी शिकायत थी कि इतनी तैयारी, समय और संसाधनों के बावजूद कार्यक्रम रद्द करने से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है।

सूत्रों के मुताबिक प्रभारी सचिव ने समझाया कि वर्तमान में देश की भावनाएं पाकिस्तान पर किए गए जवाबी कार्रवाई की ओर केंद्रित हैं, और ऐसे समय में केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक आयोजन का गलत संदेश जा सकता है।

लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस क्या अवसरों की तलाश में उलझी हुई है? बार-बार कार्यक्रमों का टलने से कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा हो रहा है। यह संदेश भी जा रहा है कि पार्टी नीतिगत निर्णय लेने में कमजोर है। जनता के बीच पार्टी की साख पर भी असर पड़ रहा है।

बिना सत्ता के, इस स्तर की तैयारी में किया गया खर्च पार्टी के लिए हमेशा मुश्किल भरा होता है। ऐसे में कार्यकर्ताओं की नाराजगी जायज भी है।

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