राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : गुमशुदा पत्नी की सोशल मीडिया पर तलाश
06-May-2025 6:30 PM
राजपथ-जनपथ : गुमशुदा पत्नी की सोशल मीडिया पर तलाश

गुमशुदा पत्नी की सोशल मीडिया पर लताश
बिलासपुर जिले के सीपत थाने के अंतर्गत मुड़पार ग्राम के गौतम मन्नेवार की कहानी इस डिजिटल दौर में मोहब्बत की जिद की मिसाल बनकर सामने आई है। जब रिश्ते बिखरते हैं तो अक्सर लोग हार मान लेते हैं, लेकिन गौतम ने हार की जगह उम्मीद को चुना। पत्नी के चले जाने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया को अपना सहारा बनाया—हर दिन एक वीडियो, एक संदेश पोस्ट कर वह अपनी पत्नी की तलाश में लगा हुआ है।

उनका ‘कुसुम, तुम लौट आओ, खाना बनाने में बहुत दिक्कत होती है। दोनों बच्चों को भी तुम्हारा इंतजार है।’ इस अपील पर हजारों लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई-कोई फोन करके सांत्वना दे रहा है तो कुछ लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं। गौतम का कहना है कि तीन माह से गायब पत्नी की तलाश के लिए उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कराई लेकिन पुलिस को उसे ढूंढने में दिलचस्पी ही नहीं है। इसलिये उसने सोशल मीडिया का सहारा लिया। गौतम को उम्मीद है कि किसी न किसी दिन उसकी पत्नी उसकी पोस्ट देखेगी और कम से कम बच्चों की खातिर वापस लौट आएगी।

बृजमोहन के दोस्त भूपेश
रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल जन समस्याओं को लेकर एक के बाद एक सीएम विष्णुदेव साय को पत्र लिख रहे हैं। उनके पत्र सुर्खियां बटोर रही हैं। मगर कांग्रेस को इस मसले पर सरकार को घेरने का मौका मिल ही गया।

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि सत्ता पक्ष के सांसद बृजमोहन अग्रवाल एक के बाद एक लेटर बम फोड़ रहे हैं, और जिस तरह वो पत्रों को सार्वजनिक कर रहे हैं, उससे यह साफ है कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में सरकार को सुशासन तिहार मनाने का कोई अधिकार नहीं है।

पूर्व सीएम चाहे जो भी कह रहे हों, लेकिन पत्र को सरकार संज्ञान में ले रही है, और उस पर कार्रवाई भी हो रही है। भूपेश बघेल की जि़म्मेदारी भी बनती है कि भाजपा में अपने सबसे करीबी दोस्त बृजमोहन का साथ दें।  

पिछले दिनों बृजमोहन ने रायपुर एम्स में अव्यवस्था के मसले को लोकसभा में उठाया था। उन्होंने रायपुर एम्स के डायरेक्टर पर निशाना साधा था। रायपुर एम्स के डायरेक्टर अशोक जिंदल फौजी अफसर रहे हैं, और वो राजनीतिक सिफारिशों को तवज्जो नहीं देते थे। मगर बृजमोहन की नाराजगी के बाद उनसे चर्चा की, और एम्स की व्यवस्था की बारीकियों से अवगत कराया।

बृजमोहन भी इससे संतुष्ट नजर आए, और यथासंभव बृजमोहन की सिफारिशों को महत्व दिया जाने लगा है। ऐसे में उनसे जुड़े लोग मानते हैं कि जनसमस्याओं के निराकरण के लिए पत्र को सार्वजनिक करना जरूरी भी होता है।

सामुदायिक भवन बना विधायक कार्यालय
एक तरफ अपने पास नया रायपुर जैसी जगह है जहां मंत्रियों, विधायकों के बंगलों पर करोड़ों खर्च किए जा चुके हैं लेकिन तैयार होने के बावजूद खाली पड़े हुए हैं। दूसरी तरफ उनके विधानसभा क्षेत्रों का हाल है जहां उनके लिए ठीक-ठाक दफ्तर की व्यवस्था नहीं हो पाती। अभनपुर विधायक का ही मामला लें। जनता की समस्याओं को सुनने के लिए उन्हें एक ठीक ठाक जगह तो चाहिए ही। मगर कोई भवन नहीं मिला तो नगरपालिका परिषद् ने सामुदायिक भवन को ही विधायक कार्यालय में बदल दिया है। एक तरह से देखा जाए तो जनता के लिए सुविधा है, जहां वे अपने प्रतिनिधि से संवाद कर सकते हैं। यहां मिलने का समय और दिन विधायक ने निर्धारित कर दिया है। दूसरा पहलू भी है, जैसा कांग्रेस पार्षदों ने कार्यालय बनाने के विरोध में उठाया है। उनका कहना है कि सामुदायिक भवन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आयोजनों के लिए है। लोग विवाह भवनों का खर्च नहीं उठा सकते, इसलिये इस जगह पर लोग पारिवारिक, सामाजिक कार्यक्रम करते हैं। भवन इसीलिए बनाया भी गया है। वैसे, विधायक, सांसद सभी के लिए शासन के स्तर पर भवन की व्यवस्था की जाती है। यदि शासकीय भवन उपलब्ध न हो तो किराये पर भी लिया जाता है। इस समय शादी-ब्याह का सीजन चल रहा है। ऐसे में गरीब व निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को इस आवंटन से परेशानी हो रही है।

बैस की बारी कब?
राज्यपाल के दायित्व से मुक्त होने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश बैस ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है, लेकिन उन्हें कोई दायित्व नहीं मिला है। सरकार ने 36 निगम मंडलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की है, लेकिन इसमें बैस परिवार से कोई नहीं है। इससे पहले रमन सिंह सरकार में बैस के भाई श्याम बैस आरडीए अध्यक्ष रहे, और वो बीज विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि बैस परिवार की दूसरी पीढ़ी के प्रतीक बैस चंदखुरी नगर पालिका के अध्यक्ष हैं। बैस के भतीजे ओंकार बैस को शहर जिला भाजपा अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी, लेकिन उनकी जगह रमेश सिंह ठाकुर को अध्यक्ष बनाया गया।

बैस से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन होना बाकी है। ऐसे में संभावना है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिल जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो मार्गदर्शक मंडल तो है ही...। (rajpathjanpath@gmail.com)

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