राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जिलों में नई पदस्थापना, नई शुरुआत
25-Apr-2025 3:30 PM
राजपथ-जनपथ : जिलों में नई पदस्थापना, नई शुरुआत

जिलों में नई पदस्थापना, नई शुरुआत

छत्तीसगढ़ में इस सप्ताह बड़े पैमाने पर हुए प्रशासनिक फेरबदल ने लोगों का ध्यान खींचा। एक साथ 11 जिलों में कलेक्टर बदले गए और कुछ जिलों में पुलिस अधीक्षकों का भी तबादला हुआ। जैसे ही किसी जिले में नया कलेक्टर या एसपी पदभार संभालता है, स्थानीय प्रशासन में एक नई गति दिखाई देती है। अधिकारी और कर्मचारी उनके कार्यशैली के अनुरूप अपने कामकाज को ढालने लगते हैं। आम लोगों को भी यह ताजगी भरा बदलाव महसूस होता है, जिससे प्रशासनिक कामों में सक्रियता आती है।

नए अधिकारी आमतौर पर आते ही विभागों का निरीक्षण करते हैं, मीडिया से बात करते हैं और प्राथमिक निर्देश जारी करते हैं। इससे यह संकेत मिलने लगता है कि जिले में कामकाज की दिशा किस ओर झुकेगी। लोग उनके पिछले कार्यकाल की तुलना भी करने लगते हैं, उन्होंने पिछली जगह पर क्या किया, किस तरह का रवैया अपनाया। यह सब चर्चा का विषय हो जाता है। यही चीजें दिलचस्प भी बनाती हैं।

मुंगेली में कलेक्टर कुंदन कुमार ने नगर भ्रमण के दौरान जहां कई दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि गर्मियों में पशुओं के लिए पानी और छाया की व्यवस्था की जाए। आमतौर पर लोगों ध्यान मनुष्यों के लिए प्याऊ और छाया की ओर होता है, लेकिन कलेक्टर ने शहर में घूम रहे मवेशियों के प्रति भी संवेदनशीलता दिखाई। यह व्यवहारिक सोच है, क्योंकि बाकी जगहों पर अक्सर इन्हें सडक़ से हटाने की बातें होती हैं।

दंतेवाड़ा में नए कलेक्टर कुणाल दुदावत ने विभिन्न दफ्तरों का निरीक्षण किया। उनके निर्देशों से यह साफ जाहिर हुआ कि वे पारदर्शिता को प्राथमिकता देने वाले अधिकारी हैं। उन्होंने आदेश दिया कि कर्मचारियों की टेबल पर नाम व पदनाम की नेमप्लेट हो और हर कर्मचारी की जिम्मेदारी की सूची दीवार पर चस्पा की जाए। साथ ही विभागीय दफ्तरों में दिशासूचक चिन्ह भी लगाए जाएं। यदि वे चाहें तो सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कुछ सामान्य दस्तावेजों को कार्यालय में आम जनता के लिए उपलब्ध कराने का आदेश भी दे सकते हैं। यह प्रावधान पहले से मौजूद है, पर अक्सर इसका पालन नहीं होता।

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की कलेक्टर तूलिका प्रजापति ने विकास कार्यों में उत्कृष्टता और गुणवत्ता को प्राथमिकता देने की मंशा जताई है। नए जिले में ऐसी सोच पर काम करना जरूरी होता है।

बलौदाबाजार की नई पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने शिकायत निवारण के लिए व्हाट्सएप पर व्यवस्था भी शुरू की है। इससे पहले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में उन्होंने साइबर अपराधों के खिलाफ अभियान चलाया था और तकनीकी विशेषज्ञों को मितानिनों व सरपंचों से जोडक़र जागरूकता बढ़ाई थी।

धमतरी में सूरज सिंह परिहार ने एसपी का कार्यभार संभाला है। वे पहले कोरिया और जीपीएम में तैनात रहे हैं, जहां उन्होंने युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया और प्रशिक्षण दिलवाया। धमतरी में भी उनसे ऐसे ही कुछ नए प्रयासों की उम्मीद की जा रही है।

बिलासपुर में पूर्व कलेक्टर अवनीश शरण ने बायोमैट्रिक उपस्थिति और कर्मचारी जन दर्शन जैसी पहलों के माध्यम से प्रशासन को अनुशासित और संवादपूर्ण बनाने का प्रयास किया था। वे अब नगरीय प्रशासन विभाग में भेज दिए गए हैं और उनकी जगह संजय कुमार अग्रवाल का पदभार लेना बाकी है। प्रभार लेने के बाद मालूम होगा कि उनकी प्राथमिकता क्या होगी। कुछ अफसर राजनांदगांव में उनके कार्यकाल की जानकारी जुटा रहे हैं।  

इन सभी बदलावों के बीच एक सामान्य बात यह सामने आती है कि जब कोई नया कलेक्टर या एसपी किसी जिले में आता है, तो वहां के माहौल में एक नई उम्मीद पैदा होती है। लोग सोचते हैं कि अब कुछ बदलेगा। कई अधिकारी वाकई अपनी छाप छोड़ते हैं, और उनकी कार्यशैली की चर्चा सालों तक होती है। लेकिन कुछ बार यह भी होता है कि अधिकारी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते और प्रशासन पहले से भी ज्यादा बेजान लगने लगता है। कहीं-कहीं जनप्रतिनिधियों से भी टकराव हो जाता है, जिससे प्रशासनिक सुधार प्रभावित होता है।

 

फिर भी, हर नई पदस्थापना एक नई शुरुआत का अवसर होती है। यह वह समय होता है जब जनता और प्रशासन के बीच संवाद और भरोसे की नई जमीन तैयार की जा सकती है, यदि अधिकारी चाहें तो।

8 वां वेतन आयोग, 200 दिन में रिपोर्ट

केंद्र ने 8 वें वेतन आयोग (सी पी सी) के संदर्भ  शर्तों  (टर्म्स ऑफ रेफरेंस ) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। शर्तों को तीन सप्ताह के भीतर अधिसूचित किया जाएगा और आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम एक साथ घोषित किए जाएंगे। केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और राज्य सरकारों सहित हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद 8 वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने  एक वर्ष का समय दिया जा सकता है। वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी।

सरकार ने जनवरी में आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने पिछले दिनों ही आठवें वेतन आयोग के कामकाज के लिए 35 पदों का ब्यौरा जारी किया है। इन पदों को प्रतिनियुक्ति के जरिए भरा जाएगा।

यह स्टाफ प्रतिनियुक्ति पर आएगा। स्टाफ की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं। जानकारों का कहना है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक यह पहला अवसर होगा, जब केंद्र सरकार महज 200 दिन में ही आठवां वेतन आयोग गठित कर उसकी सिफारिशें भी लागू कर देगी। देश में इससे पहले अभी तक जितने भी वेतन आयोग गठित हुए हैं, उनके कार्यकाल से लेकर सिफारिशें लागू होने में तकरीबन दो ढाई वर्ष का समय लगता रहा है। ऐसा पहली बार होगा, जब एक वर्ष से कम समय में सारे काम होंगे।

सरकार ने सभी हितधारकों से 'टर्म ऑफ रेफरेंस' के लिए सिफारिशें मांगी थी। राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति के कर्मचारी पक्ष और अन्य सदस्यों  ने कई मांगों को 'टर्म ऑफ रेफरेंस' का हिस्सा बनाने के लिए केंद्र सरकार के पास अपनी सिफारिशें भेज दी थीं। हालांकि अभी केंद्र सरकार ने 'टर्म ऑफ रेफरेंस' की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि इस माह सरकार, वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों को लेकर घोषणा कर सकती है।

केंद्र सरकार ने पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसका मतलब है कि आयोग को छह सात महीने में ही अपनी रिपोर्ट तैयार करनी पड़ेगी। सरकार द्वारा रिपोर्ट की समीक्षा और उसे लागू करना, सब कुछ इसी अवधि में होगा।  लगभग दो सौ दिन में ही सरकार को सब कुछ करना है।

(rajpathjanpath@gmail.com)

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