राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : केरल के नए मुख्य सचिव का छत्तीसगढ़ संबंध
24-Apr-2025 3:16 PM
 राजपथ-जनपथ : केरल के नए मुख्य सचिव का छत्तीसगढ़ संबंध

केरल के नए मुख्य सचिव का छत्तीसगढ़ संबंध

1991 बैच के आईएएस डॉ ए जयतिलक केरल के मुख्य सचिव बनाए गए हैं। वैसे तो वे वहीं मूल और केरल कैडर के आईएएस हैं। लेकिन  जयतिलक का छत्तीसगढ़ में भी जाने पहचाने जाते रहे हैं। राज्य गठन के फौरन बाद जब राज्य प्रशासन में अफसरों की कमी थी तब इंटर कैडर डेपुटेशन पर आने वाले अफसरों में जयतिलक भी रहे हैं। उनकी आईएएस पत्नी ईशिता राय भी यहां काम कर चुकी है।

जयतिलक जोगी शासन काल में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के पहले एमडी रहे हैं। जयतिलक दंपत्ति की उस वक्त केरल में  पहचान रिजल्ट ओरिएंटेड अफसरों में होती थी। यही वजह थी कि मुख्यमंत्री (जोगी) के सचिव रहे सुनील कुमार ने जयतिलक को लाने की पहल की। और वे आए। और छत्तीसगढ़ पर्यटन को एक रोड मैप दिया।  जयतिलक के अलावा एक और आईएएस पंकज द्विवेदी  भी ऐसे पहले आईएएस रहे जो छत्तीसगढ़ में रहे और फिर अपने मूल कैडर स्टेट अविभाज्य आंध्र प्रदेश के अंतिम मुख्य सचिव बने। जयतिलक का कार्यकाल जून 26 तक रहेगा। इससे पहले उनके सामने मई 26 में वहां होने वाले विधानसभा चुनाव जयतिलक के लिए चुनौती होंगे। अब देखना होगा कि इन चुनाव को देखते हुए जयतिलक को सेवा विस्तार मिलता है या पहले ही विदाई होगी ।
 जयतिलक पूर्व में दो केंद्रीय उपक्रमों भारतीय समुद्री उत्पाद विकास प्राधिकरण, मसाला बोर्ड के प्रमुख भी रहे हैं ।

डॉक्टर नहीं, तो टेक्नीशियन सही!

मनेंद्रगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लैब टेक्नीशियन को अस्पताल का प्रबंधक बना दिया गया है। लैब में ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट बनाने वाला अब पूरे अस्पताल की व्यवस्था संभाल रहा है। इस व्यवस्था ने इस बात को साबित कर दिया है कि प्रशासनिक अनुभव, मेडिकल ज्ञान, या जन स्वास्थ्य की समझ के लिए किसी बड़ी डिग्री वाले साहब की जरूरत नहीं है। जरूरत पडऩे पर एक लैब टेक्नीशियन भी मरीजों की भर्ती, स्टाफ मैनेजमेंट, दवाओं की आपूर्ति और बजट जैसे कामों की जिम्मेदारी उठा सकता है। भले ही इसे कोई मरीजों की जान के 

साथ खिलवाड़ बताए। सीएमएचओ का कहना है कि-स्टाफ नहीं है, इसलिए प्रभार देना पड़ा।  हो सकता है कि सीएमएचओ सही कह रहे हों। अस्पताल में सफाई कर्मचारी नहीं आएगा, तो कोई न कोई झाड़ू पोछा तो लगाएगा ही। इसे भी वैसा ही काम मान लिया जाए। दिलचस्प यह है कि यह सब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के ही विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है। आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाएं आईसीयू में हैं, और अब ऐसे प्रबंधन से यह सीधे वेंटिलेटर पर चली जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं।

त्रासदी के बीच पर्यटकों से मुनाफाखोरी

जब अभूतपूर्व आपदा आती है, तो इंसानियत की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। दुर्भाग्यवश, इस बार विमानन कंपनियां उस परीक्षा में बुरी तरह विफल साबित हो रही हैं।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हजारों पर्यटक घाटी में फंसे हुए हैं। वहां की स्थिति लगातार संवेदनशील बनी हुई है। लैंडस्लाइड, सुरक्षा से जुड़ी पाबंदियां और तनावपूर्ण माहौल ने लोगों का घर लौटना कठिन बना दिया है।

ऐसे समय में जब देश सामूहिक शोक से गुजर रहे है, विमानन कंपनियों ने अपना खजाना भरने का अवसर ढूंढ लिया। अचानक किराये में मनमानी वृद्धि कर दी गई। आम दिनों में श्रीनगर से कोलकाता का हवाई किराया 9,000 से 12,000 रुपये तक होता है, इस समय वही टिकट 32,000 से 37,000 रुपये तक पहुंच चुका है। दूसरे शहरों के लिए भी उड़ानों के ऐसे ही दाम हैं। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कंपनियां यह चेतावनी भी दे रही हैं कि आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं।

यह न सिर्फ असंवेदनशीलता है, बल्कि यात्रियों की विवशता और आपदा की स्थिति का बेशर्मी से दोहन भी है। यह पहला अवसर नहीं है जब विमानन कंपनियों ने यात्रियों की मजबूरी को अवसर में बदला हो। हाल ही में कुंभ मेला 2025 के दौरान भी ऐसा ही माजरा देखा गया, जब मुंबई से प्रयागराज का किराया 58,000 रुपये तक जा पहुंचा था, और बिलासपुर से 23 हजार।
यह व्यवहार ‘व्यापारिक नैतिकता’ की सीमाएं लांघता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक सामान्य एडवाइजरी जारी की है, लेकिन यह सिर्फ खाना पूर्ति मात्र प्रतीत होता है। मंत्रालय ने सलाह की जगह विमानन कंपनियों को निर्देश जारी करना जरूरी नहीं समझा।

(rajpathjanpath@gmail.com)

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