राजनांदगांव
सिख गुरू तेग बहादुर की 150वीं शहीदी दिवस पर समाज ने किया नमन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 नवंबर। सिख समाज के गुरू तेग बहादुर की 150वीं शहीदी दिवस पर समाज ने उन्हें नमन करते हुए उनकी शहादत को अक्षुण्ण एवं ऐतिहासिक बताया। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने गुरू तेग बहादुर के जीवनकाल को याद करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर ने मुगल शासकों से जमकर लोहा लिया।
उन्होंने कहा कि औरंगजेब जैसे क्रूर शासक के सामने छाती चौड़ा कर गुरू तेग बहादुर ने धर्मांतरण का विरोध किया। उन्होंने कमजोर एवं निर्बल लोगों से धर्मांतरण करने के बजाय बहादुर लोगों से धर्मांतरण कराने की औरंगजेब को चुनौती दी थी। जिसके चलते औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में गुरू तेग बहादुर का शीश धड़ से अलग कर दिया था। इस घटना को पूरी दुनिया ने धर्म की रक्षा के बलिदान के रूप में देखा और आज पूरी दुनिया गुरू तेग बहादुर के हौसले को एक विस्मरणीय दिवस के रूप में याद करती है।
स्थानीय दिग्विजय स्टेडियम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सिंह ने कहा कि धर्म की रक्षा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। भारत इन्हीं वीर सपूतों के कारण महान है। भारत में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई की एकता की जड़ें सदियों से मजबूत है। कार्यक्रम में सिख समाज की ओर से आगंतुकों को पगड़ी पहनाई गई।
कार्यक्रम में विशेष रूप से गुरु तेग बहादुर साहब द्वारा रचित गुरबाणी सलोक महला 9वां का सामूहिक पाठ किया गया। इस दौरान खूबचंद पारख, महापौर मधुसूदन यादव, उद्योगपति बल्देव सिंह भाटिया, आईबी ग्रुप के चेयरमैन बहादुर अली, मोहन सिंह ढल्ला, रूबी गरचा, शैंकी बग्गा, प्रिंस भाटिया, पूर्व महापौर हेमा देशमुख, कोमल सिंह राजपूत व जिले व अन्य जिलों के सिख समाज के अलावा विभिन्न समुदायों के लोग बड़ी संख्या में शामिल थे।


