राजनांदगांव
पाताल भैरवी परिसर में ब्रम्हमुहूर्त में खीर का वितरण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 अक्टूबर। शहर के पाताल भैरवी मंदिर परिसर में शरद पूर्णिमा के मौके पर हर साल की तरह सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात को जड़ीबुटी युक्त खीर प्रसाद के तौर पर मंदिर प्रबंधन द्वारा वितरित किया गया।
जड़ीबूटी युक्त खीर को सेहत के लिहाज से उपयुक्त माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उक्त खीर से कई असाध्य बीमारियां दूर होती है। इसी के चलते दूर-दराज से बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने रतजगा कर प्रसाद ग्रहण किया। खीर प्रसादी ग्रहण करने श्रद्धालुओं का तांता मंदिर परिसर में लगा रहा। वहीं शरद पूर्णिमा को देर शाम से ही प्रदेश समेत पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। कतार में खड़े श्रद्धालु जहां अपनी बारी का इंतजार करते रहे। वहीं मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जहां श्रद्धालु सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद उठाते रहे।
बर्फानी सेवाश्रम समिति द्वारा बर्फानी आश्रम परिसर में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर की रात्रि हजारों श्वांस, दमा व अस्थमा पीडि़तों को जड़ी बुटीयुक्त खीर प्रसाद का नि:शुल्क वितरण किया गया। जिसमें अंचल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों की संख्या में पीडि़त यहां पहुंचे थे। लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध लोक कलामंच स्वरधारा के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया।
संस्था के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि बर्फानी आश्रम में संस्था द्वारा जनकल्याण के तहत श्वांस, दमा व अस्थमा पीडि़तों को पिछले लगभग तीन दशक से दुर्लभ जड़ीबुटी युक्त खीर प्रसादी तैयार कर ब्रम्हमुहूर्त में वितरित की जाती है। इस वर्ष भी संस्था द्वारा 6 अक्टूबर को खीर प्रसाद तैयार करवाकर श्रद्धालुओं को ब्रम्हमुहूर्त पर नि:शुल्क वितरित किया गया।
पड़ोसी राज्यों से भी पहुंचे
इस बार भी छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड सहित देश के अन्य हिस्सों से भी लोग जड़ी बुटीयुक्त प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे थे। ब्रम्हमुहूर्त पर माता को प्रसाद अर्पित कर पीडि़तों को वितरित करने का क्रम शुरू हुआ। संस्था द्वारा 30 हजार से भी अधिक श्वांस, दमा व अस्थमा पीडि़तों को खीर प्रसाद का वितरण किया गया।
स्वरधारा ने बांधा समां
इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोककला संस्था स्वरधारा द्वारा संचालक विष्णु कश्यप के निर्देशन में एक से बढक़र एक प्रस्तुति देकर रातभर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहे। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को अपनी ओर आकर्षिक किया।


