राजनांदगांव
बढ़ते तापमान और प्रदूषण से पत्तों को हरा रंग देने वाला प्राकृतिक गुण में आ रही गिरावट
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 18 सितंबर। बेशकीमती इमारती लकडिय़ों में शुमार सागौन के हरे-भरे वृक्ष हाल ही के सालों में बेसमय पतझड़ के शिकार हो रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के प्रतिकूल असर से सागौन के पेड़ों में क्लोरोफिल (हरा रंग देने वाला एक द्रव्य) की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है।
क्लोरोफिल के अभाव में सागौन के पत्तों से हरा रंग नदारद हो रहा है। वहीं इस प्राकृतिक गुण की कमी से सागौन के पेड़ों को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल रही है। ऊर्जा नहीं मिलने से प्रकाश संश्लेषण क्रिया (भोजन बनाना) करने में कमजोर हो गए हैं। ऐसी स्थिति में इसका सीधा असर पेड़ों की उम्र पर पड़ रहा है। राजनांदगांव जिले से लेकर खैरागढ़ और मोहला-मानपुर का जंगल सागौन से घिरा हुआ है। हरियाली के सीजन में सागौन के पेड़ों में समय से पहले पतझड़ हो रहा है। पेड़ों के पत्तों से हरियाली गायब होने से सागौन के पेड़ सूखेपन से ग्रसित है।
बताया जा रहा है कि पिछले एक दशक में सागौन के पेड़ों की दशा बिगड़ती चली जा रही है। प्रदूषण और बढ़ते तापमान ने सागौन के पेड़ों की चमक को फीका कर दिया है। एक जानकारी के मुताबिक क्लोरोफिल का मुख्य कार्य सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर भोजन बनाना है। इससे पेड़ बढ़ते चले जाते हैं। प्रदूषण को इसलिए भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, क्योंकि वातावरण में आक्सीजन की कमी हो रही है। पेड़ कार्बनडाईआक्साईड लेकर आक्सीजन छोड़ते हैं। ऐसे में पेड़ों की श्वसन प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। जबकि बढ़ते तापमान ने पेड़ों को झुलसाकर रखा है। क्लोरोफिल के घटते असर से सागौन के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।


